अंतरराष्ट्रीय
रोजनेफ्ट ने द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान तेलकर्मियों के योगदान को किया याद
रूस की सबसे बड़ी तेल कंपनी रोजनेफ्ट ने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान नाजी जर्मनी पर सोवियत संघ की जीत के उपलक्ष्य में मनाये जाने वाले 77वें स्मृति दिवस समारोह में हिस्सा लिया। रूस में द्वितीय विश्व युद्ध को ग्रेट पैट्रियोटिक वॉर के रूप में जाना जाता है और नौ मई को विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है।
कंपनी ने ‘वॉर हीरोज ‘की स्मृति में मनाये जाने समारोह में उन तेलकर्मियों को याद किया, जिन्होंने द्वितीय विश्व युद्ध के समय तेल का उत्पादन करने और उसका शोधन करने में बहुमूल्य योगदान दिया। उन्हीें तेलकर्मियों की बदौलत युद्ध के बाद तेल उद्योग पटरी पर आया।
ऐसा ही एक संयंत्र सिजरान तेलशोधक संयंत्र रहा। दस लाख टन की क्षमता वाले एक तेल शोधक संयंत्र की सिजरान में स्थापना करने का निर्णय मार्च 1939 में लिया गया। द्वितीय विश्वयुद्ध के कारण संयंत्र निर्माण के कार्य में काफी तेजी लाई गई।
युद्धरत सोवियत संघ को उस वक्त पेट्रोल और रक्षा संबंधी संयंत्रों को ईंधन की जरूरत थी। साल 1942 में इस संयंत्र में काम शुरू हुआ। इस संयंत्र के निर्माण का कार्य जो तीन साल में पूरा होना था, उसे मात्र दस माह में पूरा किया गया। साल 1942 में 22 जुलाई को इस संयंत्र में पहला उत्पादन हुआ ,जिसकी खेप स्टालिनग्राद भेजी जानी थी। पेट्रोल को विशेष रूप से माल की ढुलाई के लिए बनाये गई रेलवे लाइन के जरिये स्तालिनग्राद भेजा गया।
विजय दिवस के उपलक्ष्य में मनाये जाने वाले समारोहों के दौरान सिजरान संयंत्र के तेलकर्मी ‘गार्डन ऑफ मेमोरी’ अभियान में शामिल हुए। इन्होंने सिजरान संयंत्र के 80 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में लिंडेन के 80 पौधे रोपे।
इसी तरह तुआप्से संयंत्र ने भी मोर्चे पर तैनात सैनिकों की काफी मदद की। दक्षिण रूस में निर्मित यह संयंत्र 1929 से संचालित है। यह सिंगल टेक्नोलॉजिकल चेन था जो तेल की डिलीवरी, तेल शोधन और रेल तथा समुद्र के जरिये घरेलू और विदेशी उपभोक्ताओं के लिए पेट्रोलियम उत्पाद की आपूर्ति करता था।
साल 1941 की गर्मियों ने ने लेकिन पूरे माहौल को ही बदल दिया। जर्मनी के हमले के बाद इस संयंत्र को सैन्य जरूरतों को पूरा करने के उद्देश्य के साथ पुनर्निमित किया गया।
लगातार हो रही भारी बमबारी के बाद भी तेलशोधक संयंत्र मोर्चे और घरेलू जरूरतों को पूरा करने के लिए काम करते रहे। कस्र्क के युद्ध के दौरान तुआप्से का तेल संयंत्र मोर्चे और घरेलू स्तर पर आपूर्ति करने वाला एकमात्र संयंत्र रह गया था। तुआप्से में काम करने वाले 100 से अधिक कर्मी मोर्चे पर चले गये और उनमें से करीब आधे लोग दुश्मनों से लोहा लेते शहीद हो गये।
आज के समय में , युद्ध स्मारक के ग्रेनाइट स्लैब पर जिन शहीदों के नाम उकेरे गये हैं, उनके वंशज इस संयंत्र में काम कर रहे हैं।
रोजनेफ्ट और उसका हर कर्मचारी द्वितीय विश्वयुद्ध की यादों को संरक्षित करने के लिए प्रतिबद्ध है। फासिस्टो के खिलाफ लड़ाई में सोवियत संघ के लोगों के संघर्ष का सम्मान करने के लिए कंपनी और उसके कर्मचारी प्रतिबद्ध हैं।
व्यापार
मिलजुले वैश्विक संकेतों के बीच भारतीय शेयर बाजार सपाट खुला

मुंबई, 11 दिसंबर: मिलेजुले वैश्विक संकेतों के बीच भारतीय शेयर बाजार गुरुवार को सपाट खुला। सुबह 9:18 पर सेंसेक्स 12 अंक की मामूली गिरावट के साथ 84,379 और निफ्टी 2 अंक की कमजोरी के साथ 25,762 पर था।
शुरुआती कारोबार में बाजार को ऊपर खींचने का काम आईटी, ऑटो, सरकारी बैंक और मेटल शेयर कर रहे थे। फार्मा, एफएमसीजी, रियल्टी, मीडिया, एनर्जी और इन्फ्रा में लाल निशान में कारोबार हो रहा था।
लार्जकैप के साथ मिडकैप और स्मॉलकैप में भी मिलाजुला कारोबार हो रहा है। निफ्टी मिडकैप 100 इंडेक्स 89 अंक या 0.15 प्रतिशत की मजबूती के साथ 59,097 और निफ्टी स्मॉलकैप 100 इंडेक्स 35.15 अंक या 0.21 प्रतिशत की गिरावट के साथ 17,055 पर था।
सेंसेक्स पैक में इन्फोसिस, टाटा स्टील, इटरनल, अदाणी पोर्ट्स, टेक महिंद्रा, टीसीएस, एसबीआई, बीईएल, एलएंडटी, एचडीएफसी बैंक, ट्रेंट और कोटक महिंद्रा बैंक गेनर्स थे। टाइटन, पावर ग्रिड, भारती एयरटेल, एनटीपीसी, बजाज फाइनेंस, आईटीसी, आईसीआईसीआई बैंक, बजाज फिनसर्व, एशियन पेंट्स और सन फार्मा लूजर्स थे।
वैश्विक बाजारों में मिलाजुला कारोबार हो रहा था। टोक्यो, शंघाई, बैंकॉक और सोल लाल निशान में थे, जबकि हांगकांग हरे निशान में था। अमेरिकी फेड की ओर से ब्याज दरों में कटौती के साथ अमेरिकी शेयर बाजार हरे निशान में बंद हुए थे।
पीएल कैपिटल के विक्रम कसात ने कहा कि फेड की ओर से ब्याज दरों में कटौती के बाद अमेरिकी शेयर बाजार हरे निशान में बंद हुआ। साथ ही कहा कि निफ्टी के लिए 25,750 से लेकर 25,800 एक अहम सोपर्ट जोन है।
कच्चे तेल में कमजोरी देखी जा रही है, हालांकि, यह मामूली है। ब्रेंट क्रूड 0.06 प्रतिशत की कमजोरी के साथ 62.17 डॉलर प्रति बैरल और डब्ल्यूटीआई 0.03 प्रतिशत की कमजोरी के साथ 58.43 डॉलर प्रति बैरल पर था।
दूसरी तरफ कीमती धातुओं में तेजी का दौर जारी है। कॉमेक्स पर सोना 0.42 प्रतिशत बढ़कर 4,242 डॉलर प्रति औंस और चांदी 2.32 प्रतिशत बढ़कर 62.43 डॉलर प्रति औंस पर थी।
व्यापार
अमेरिकी फेड पॉलिसी के नतीजों से पहले सोना-चांदी की कीमतें स्थिर बनी हुईं

GOLD
मुंबई, 9 दिसंबर: अमेरिकी फेडरल रिजर्व के ब्याज दर पर फैसले से पहले निवेशकों के सतर्क रुझान के चलते मंगलवार के कारोबारी दिन सोना और चांदी की कीमतें स्थिर रहीं।
शुरुआती कारोबार के दौरान मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) पर सोने की फरवरी वायदा कीमतें 1,29,978 रुपए प्रति 10 ग्राम पर स्थिर बनी हुई थीं।
मार्केट एक्सपर्ट्स ने कहा, “घरेलू बाजार में एमसीएक्स पर सोने की फरवरी वायदा कीमतें 1,29,952 रुपए के आसपास कारोबार कर रही थीं, जो वैश्विक तेजी के रुझान को ट्रैक कर रही थीं और रुपए की कमजोरी का समर्थन प्राप्त कर रही थीं।”
उन्होंने आगे कहा, “1,29,200 रुपए का क्षेत्र एक महत्वपूर्ण शॉर्ट-टर्म सपोर्ट के रूप में काम करना जारी रखता है। जब तक यह लेवल बना रहता है, 1,30,000 रुपए से 1,31,000 रुपए के रेजिस्टेंस जोन की ओर रास्ता खुला रहता है।”
हालांकि, चांदी की कीमतों में कुछ बढ़त दर्ज की गई। एमसीएक्स पर चांदी की मार्च वायदा कीमतें 0.50 प्रतिशत की बढ़त के बाद 1,82,705 रुपए प्रति किलोग्राम पर बनी हुई थीं।
ग्लोबल मार्केट में अब फोकस फेडरल रिजर्व पर बना हुआ है, जो कि बुधवार को अपने नीतिगत निर्णय की घोषणा करेगा।
यह मीटिंग ऐसे समय में हो रही है जब यूएस जॉब मार्केट में कूलिंग के संकेत दिख रहे हैं, जबकि मुद्रास्फीति केंद्रीय बैंक के 2 प्रतिशत लक्ष्य से ऊपर बनी हुई है।
हाल के आंकड़ों बताते हैं कि पर्सनल कंजप्शन एक्सपेंडीचर (पीसीई) प्राइस इंडेक्स इस वर्ष सितंबर में 0.3 प्रतिशत बढ़ा, जो अगस्त में हुई वृद्धि के बराबर है। इंडेक्स सालाना आधार पर 2.8 प्रतिशत बढ़ा जो कि अगस्त की 2.7 प्रतिशत बढ़त से अधिक रही।
इस बीच, पिछले सप्ताह जारी किए गए यूएस प्राइवेट पेरोल डेटा से पता चला कि नवंबर में प्राइवेट सेक्टर की नौकरियों में 32,000 की गिरावट आई है, जो कि 2 से अधिक वर्षों की एक तेज गिरावट को दिखाता है।
कोमेरिका के अर्थशास्त्रियों को फेडरल ओपन मार्केट कमेटी के फेडरल फंड रेट को 25 बेसिस पॉइंट से घटाने की उम्मीद है, जिससे यह 3.50 प्रतिशत से 3.75 प्रतिशत के बीच आ जाएगी।
व्यापार
भारत ने चालू वित्त वर्ष में अपनी अब तक की सबसे अधिक गैर-जीवाश्म क्षमता वृद्धि 31.25 गीगावाट दर्ज की

नई दिल्ली, 8 दिसंबर: भारत क्लीन एनर्जी को लेकर महत्वपूर्ण विस्तार कर रहा है। हाल ही में केंद्रीय नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री प्रह्लाद जोशी ने एक इवेंट में जानकारी देते हुए कहा कि देश ने चालू वित्त वर्ष में अपनी अब तक की सबसे अधिक गैर-जीवाश्म क्षमता वृद्धि 31.25 गीगावाट दर्ज की है, जिसमें 24.28 गीगावाट सौर क्षमता शामिल है।
केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी के अनुसार, 2022 में 1 टेरावाट रिन्यूएबल एनर्जी क्षमता तक पहुंचने में लगभग 70 वर्षों का समय लगने के बाद विश्व ने 2024 तक 2 टेरावाट रिन्यूएबल एनर्जी क्षमता हासिल कर ली है, जो दिखाता है मात्र दो वर्षों में 1 अतिरिक्त टेरावाट क्षमता जोड़ी गई है। वहीं, भारत रिन्यूएबल एनर्जी में इस तीव्र वैश्विक उछाल का एक प्रमुख चालक है।
पिछले 11 वर्षों में देश की सौर क्षमता 2.8 गीगावाट से बढ़कर लगभग 130 गीगावाट हो गई है, जो 4500 प्रतिशत से भी अधिक की वृद्धि है। अकेले 2022 और 2024 के बीच भारत ने वैश्विक सौर ऊर्जा वृद्धि में 46 गीगावाट का योगदान दिया, जो तीसरा सबसे बड़ा योगदानकर्ता बन गया।
ओडिशा के पुरी में हाल ही में आयोजित ग्लोबल एनर्जी लीडर्स समिट 2025 में केंद्रीय मंत्री ने ओडिशा के लिए पीएम सूर्य घर के अंतर्गत 1.5 लाख रूफटॉप सोलर यूटिलिटी-लेड एग्रीगेशन मॉडल की घोषणा की, जिसे राज्यभर में 7–8 लाख लोगों को लाभान्वित और सशक्त करने के उद्देश्य से तैयार किया गया है।
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि ओडिशा पहले से ही क्लीन एनर्जी को अपनाने में मजबूत प्रदर्शन दिखा रहा है। 3.1 गीगावाट से अधिक स्थापित रिन्यूएबल एनर्जी क्षमता के साथ, क्लीन एनर्जी अब राज्य की कुल स्थापित पावर क्षमता का 34 प्रतिशत से अधिक है।
इसके अलावा, प्रधानमंत्री सूर्य गृह योजना के तहत 1.6 लाख परिवारों ने रूफटॉप सोलर के लिए आवेदन किया है, 23,000 से अधिक स्थापनाएं पूरी हो चुकी हैं और 19,200 से अधिक परिवारों को सीधे उनके बैंक खातों में 147 करोड़ रुपए से अधिक की सब्सिडी प्राप्त हुई है।
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