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Saturday,21-June-2025
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पीली क्रांति के जरिए तिलहन उत्पादन में यूपी को अव्वल बनाने की तैयारी

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उत्तर प्रदेश सरकार ने पीली क्रांति की दिशा में काम करना शुरू कर दिया है। इससे तिलहनी फसलों में राज्य को अव्वल बनाने की तैयारी है। गाहे-बगाहे बढ़ने वाले दामों को भी नियंत्रित रखा जा सकेगा। जनसमान्य को शुद्ध खाद्य तेल मिलेगा और फसल विविधताकरण को बढ़ावा मिलेगा। सरकार अब क्षेत्रफल, उत्पादकता और उत्पादन बढ़ाएगी। पिछले दिनों मंत्री परिषद के समक्ष कृषि उत्पादन सेक्टर ने जो प्रस्तुतिकरण दिया उसके मुताबिक, अगले पांच साल में तिलहन फसलों का रकबा बढ़कर 2,884 लाख हेक्टेयर, प्रति कुंतल उत्पादकता 1,241 किलोग्राम और उत्पादन 35,709 मीट्रिक टन करने का लक्ष्य रखा गया है।

2019 में देश में सर्वाधिक तिलहन उत्पादन के लिए प्रदेश सरकार को प्रधानमंत्री द्वारा सम्मानित किया गया था। इससे उम्मीद जगी है कि सरकार अपने लक्ष्य को पाने में कामयाब हो सकती है। योगी सरकार 2 में रणनीति बनाकर तिलहन फसलों का रकबा और उत्पादन बढ़ाने के लिए मिशन मोड में काम करने की रणनीति तैयार की गई है।

सरकार किसानों को अनुदान पर गुणवत्ता पूर्ण बीज उपलब्ध कराकर उपज बढ़ाने के साथ, तिलहनी फसलों की अंत: फसली (इंटर क्रॉपिंग) खेती और सिंचित क्षेत्र में रकबे को विस्तार देकर ऐसा करेगी।

पिछले दिनों मंत्रिपरिषद के समक्ष विभाग ने इस बाबत अपनी कार्ययोजना का प्रस्तुतिकरण भी दिया था। खरीफ के आगामी सीजन से इस पर अमल भी शुरू हो जाएगा। उल्लेखनीय है कि सरसों उत्तर प्रदेश की तिलहन की प्रमुख फसल है। केंद्रीय कृषि मंत्रालय के डायरेक्टरेट ऑफ इकोनॉमिक्स एन्ड स्टेटिस्टिक्स की ओर से जारी (साल 2013 से 2015-16) आंकड़ों के अनुसार, भारत मे राई और सरसों की खेती 6.06 मिलियन हेक्टेयर में होती है। इस रकबे का 10.4 फीसद (0.63 मिलियन हेक्टेयर) हिस्सा उत्तर प्रदेश का है। 7 मिलियन टन उत्पादन में प्रदेश की हिस्सेदारी 0.64 मिलियन टन (9.1 प्रतिशत) है। प्रति हेक्टेयर देश की औसत उपज 1154 किलोग्राम की तुलना में प्रदेश की उपज 1020 कुंतल है।

हालांकि इसके बाद प्रदेश सरकार ने तिलहन उत्पादन में ठीक-ठाक प्रगति की है। इसी दौरान प्रदेश को तिलहन के उत्पादन के लिहाज से सर्वश्रेष्ठ राज्य का पुरस्कार भी मिला। यही नहीं 2016-2017 के दौरान तिलहन के उत्पादन में करीब 45 फीसद की वृद्धि हुई। इस दौरान उत्पादन 12.41 मीट्रिक टन से बढ़कर 17.05 मीट्रिक टन हो गया। इसी समयावधि में प्रति कुंतल उत्पादकता 935 किलोग्राम से बढ़कर 1065 किलोग्राम हो गई।

इतना सब होने के बावजूद प्रदेश में खाद्य तेलों की खपत की तुलना में मात्र 30 से 35 फीसद ही तिलहनी फसलों का उत्पादन होता है। इसके लिए बीज आवंटन की मात्रा 2905 कुंतल से बढ़ाकर 18,250 कुंतल की जाएगी। खेती योग्य असमतल भूमि पर अपेक्षाकृत दक्ष सिंचाई विधाओं (स्प्रिंकलर एवं ड्रिप) का प्रयोग कर तिलहन फसलों का रकबा बढ़ाया जाएगा। लघु एवं सीमांत किसानों का सारा फोकस खाद्यान्न की फसलों पर होता है। चूंकि इन किसानों की संख्या करीब 90 फीसद है। लिहाजा तिलहन फसलों के प्रति इनकी अनिच्छा पैदावार बढ़ाने में बड़ी बाधा है। इस श्रेणी के किसानों को तिलहन की फसलें उगाने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए सरकार इनको मिनीकिट वितरित करेगी।

आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय कुमारगंज अयोध्या के कुलपति डॉ. बिजेन्द्र सिंह ने कहा कि तिलहन के मामले में सरकार अच्छा निर्णय ले रही है। इसका वैल्यू एडिशन बहुत जरूरी है। इनके अन्य उत्पादन पर ध्यान देने की जरूरत है। गर्मी वाली मूंगफली को बढ़ावा देने की जरूरत है। किसानों को पॉजिटिव और मार्केटिंग सर्पोट बहुत जरूरी है।

राजनीति

जयंती विशेष: गणेश घोष, एक क्रांतिकारी जिसने अपने जीवन के 27 साल जेल में बिताए

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नई दिल्ली, 21 जून। गणेश घोष एक क्रांतिकारी और राजनेता थे। आजादी के बाद वे कई बार विधायक, सांसद रहे और देश के नीति निर्माण में अपनी अहम भूमिका निभाई।

गणेश घोष का जन्म चटगांव में एक बंगाली कायस्थ परिवार में 22 जून 1900 को हुआ था। अब यह क्षेत्र बांग्लादेश में पड़ता है। विद्यार्थी जीवन में ही वे स्वतंत्रता संग्राम में सम्मिलित हो गए थे। 1922 की गया कांग्रेस में जब बहिष्कार का प्रस्ताव स्वीकार हो गया तो गणेश घोष और उनके साथी अनंत सिंह ने नगर का सबसे बड़ा विद्यालय बंद करा दिया था। इन दोनों युवकों ने चिटगाँव की सबसे बड़ी मज़दूर हड़ताल की भी अगुवाई की।

1922 में उन्होंने कलकत्ता के बंगाल टेक्निकल इंस्टीट्यूट में एडमिशन लिया। वह चटगांव युगांतर पार्टी के सदस्य रहे। 18 अप्रैल 1930 को सूर्य सेन और अन्य क्रांतिकारियों के साथ चटगांव शस्त्रागार छापे में उन्होंने भाग लिया था। इस वजह से उन्हें चटगांव से भागना पड़ा। वह हुगली के चंदननगर में रहने लगे। कुछ ही दिन के बाद पुलिस कमिश्नर चार्ल्स टेगार्ट ने चंदननगर के उनके घर पर हमला कर उन्हें गिरफ्तार कर लिया। उस गिरफ्तारी अभियान के समय पुलिस ने उनके एक युवा साथी क्रांतिकारी जीबन घोषाल उर्फ ​​माखन को मार डाला था।

पुलिस ने गणेश घोष को गिरफ्तार करने के बाद उन पर मुकदमा किया और 1932 में पोर्ट ब्लेयर की सेलुलर जेल में भेज दिया। स्वतंत्रता के बाद भी उन्होंने अनेक आंदोलनों में भाग लिया और अपने जीवन के लगभग 27 वर्ष जेल में बिताए। 1964 में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी में विभाजन के बाद गणेश भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के साथ जुड़ गए। 1952, 1957 और 1962 में बेलगछिया से भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के उम्मीदवार के रूप में पश्चिम बंगाल विधानसभा के लिए चुने गए। 1967 में कलकत्ता दक्षिण लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के उम्मीदवार के रूप में चौथी लोकसभा के लिए चुने गए। 1971 की लोकसभा में वे फिर से कलकत्ता दक्षिण लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के उम्मीदवार थे। इस बार उन्हें एक युवा नेता के हाथों हार का सामना करना पड़ा।

यह युवा नेता कोई और नहीं, प्रिय रंजन दास मुंशी थे। सिर्फ 26 साल की उम्र में दास ने गणेश घोष को हराया था। गणेश घोष की मृत्यु 16 अक्टूबर, 1994 को कोलकाता में हुई थी।

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महाराष्ट्र

ईरानी नेता अयातुल्ला खुमैनी की स्मृति को सलाम: अबू आसिम आज़मी

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मुंबई: मुंबई महाराष्ट्र समाजवादी पार्टी के नेता और विधायक अबू आसिम आजमी ने कहा कि भाजपा के दिवंगत प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने फिलिस्तीन की आजादी का समर्थन किया था और उस पर जुल्म और अत्याचार का विरोध किया था, लेकिन आज देश इजरायल परस्त है। उन्होंने इजरायल-ईरान युद्ध की स्थिति पर ईरान का समर्थन किया और ईरान के लिए दुआ की और कहा कि अल्लाह उसे उत्पीड़ितों के लिए कार्य क्षेत्र में सफलता प्रदान करे। मैं यही प्रार्थना करता हूं। अबू आसिम आजमी ने ईरानी धर्मगुरु और नेता अयातुल्ला खुमैनी के साहस और समर्थन को सलाम किया और कहा कि ईरान जुल्म के खिलाफ खड़ा है, इसलिए हम उसके लिए दुआ करते हैं।

आजमी ने कहा कि जिस तरह से भारतीय नागरिकों को ईरान से भारत लाया गया है, उसी तरह इजरायल में युद्ध के शिकार हुए भारतीयों को भी उनके वतन वापस लाया जाना चाहिए। आजमी ने कर्नाटक सरकार द्वारा हाउसिंग सोसाइटियों में मुसलमानों को 15% आरक्षण देने के फैसले का भी स्वागत किया और कहा कि अगर हाउसिंग सोसाइटियों में 15% आरक्षण दिया जाता है, तो इसमें कुछ भी गलत नहीं है। यहां सभी को समान न्याय और अधिकार का अधिकार है।

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महाराष्ट्र

हाईकोर्ट ने पूर्व मंत्री धनंजय मुंडे को भुगतान करने का आदेश दिया

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मुंबई: हाईकोर्ट ने पूर्व मंत्री और एनसीपी नेता धनंजय मुंडे को बड़ा झटका दिया है। मुंडे को अपनी पत्नी को गुजारा भत्ता, भोजन और भरण-पोषण देने का आदेश दिया है। मुंबई हाईकोर्ट ने धनंजय मुंडे को चार सप्ताह के भीतर गुजारा भत्ता का 50 प्रतिशत भुगतान करने का आदेश दिया है। पत्रकारों से बात करते हुए करुणा मुंडे ने मुंडे पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि मुंडे अच्छे हैं लेकिन उनका दलाल गिरोह उन्हें गुमराह कर रहा है। करुणा मुंडे ने इस फैसले का स्वागत किया है। पूर्व मंत्री धनंजय मुंडे का मामला बांद्रा फैमिली कोर्ट में चल रहा था। करुणा ने मुंडे से गुजारा भत्ता मांगा था। मुंडे से 2 लाख रुपये गुजारा भत्ता मांगा गया था। इस याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने मुंडे को बड़ा झटका दिया है। बांद्रा कोर्ट ने कई महीने पहले करुणा शर्मा को 1 लाख 25 हजार रुपये गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया था अगस्त 2022 से जून 2025 या 34 महीने की अवधि के लिए कुल 43 लाख 75 हजार रुपये का भुगतान करने का आदेश दिया है और चार सप्ताह के भीतर 21 लाख 87 हजार 500 रुपये यानी 50% राशि बांद्रा कोर्ट में जमा करने का आदेश दिया है। करुणा मुंडे ने धनंजय मुंडे पर परेशान करने और धमकाने और उनके मोबाइल फोन पर अश्लील वीडियो भेजने का भी गंभीर आरोप लगाया है।

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