राजनीति
शारदा यूनिवर्सिटी में हिंदुत्व पर आपत्तिजनक सवाल
शारदा यूनिवर्सिटी में परीक्षा के दौरान छात्रों से हिंदुत्व को लेकर ऐसा प्रश्न पूछा गया जिससे ना केवल छात्र संगठन नाराज हैं बल्कि स्वयं यूजीसी ने भी यूनिवर्सिटी को जवाब तलब किया है। गौरतलब है कि शारदा यूनिवर्सिटी में पॉलिटिकल साइंस ऑनर्स फस्र्ट ईयर के एग्जाम में छात्रों से फासीवाद और हिंदू दक्षिणपंथी (हिंदुत्व) में समानता पर विवादित प्रश्न पूछा गया था। इस प्रश्न को लेकर अब यूजीसी हरकत में आ गया है। यूजीसी ने विश्वविद्यालय से ऐसा प्रश्न पूछे जाने को लेकर रिपोर्ट मांगी है। साथ ही विश्वविद्यालय से पूछा गया है कि भविष्य में इस प्रकार के अनुचित प्रश्न परीक्षाओं में न आएं इसके लिए विश्वविद्यालय क्या कदम उठा रहा है।
शारदा यूनिवर्सिटी के मुताबिक उनकी जानकारी में यह प्रश्न आने के बाद विश्वविद्यालय ने प्रश्न पत्र तैयार करने वाले प्रोफेसर वकास फारूख को सस्पेंड कर कारण बताओ नोटिस जारी किया है। साथ ही पूरे मामले की जांच के लिए एक कमेटी बनाई गई है।
वही यूजीसी ने इस पूरे प्रकरण पर शारदा यूनिवर्सिटी को एक लेटर भेजा है। इसमें यूजीसी ने विश्वविद्यालय से कहा कि छात्रों से इस प्रकार के प्रश्न पूछना ना केवल गलत है बल्कि हमारे देश की भावना और लोकाचार के खिलाफ भी है। यूजीसी ने कड़ा रुख अपनाते हुए विश्वविद्यालय से कहा कि हमारी शिक्षा व्यवस्था और हमारा देश एकरूपता और समावेशी ता के लिए जाना जाता है जिसमें ऐसे प्रश्न नहीं होनी चाहिए।
हालांकि विश्वविद्यालय का कहना है कि उन्होंने पहले से ही इस मामले की जांच शुरू कर दी है। प्रोफेसर को कारण बताओ नोटिस और सस्पेंड करने के बावजूद प्रश्न को लेकर पूर्वाग्रह की जांच के लिए विश्वविद्यालय ने तीन सदस्य समिति बनाई है। विश्वविद्यालय का कहना है कि इस विशेष समिति ने अपनी जांच भी प्रारंभ कर दी है और पॉलिटिकल साइंस की परीक्षा में पूछे गए प्रश्न को आपत्तिजनक पाया है। साथ ही इस प्रश्न के आधार पर छात्रों का मूल्यांकन भी नहीं किया जाएगा। विश्वविद्यालय ने इस संबंध में संबंधित शिक्षकों को आवश्यक निर्देश जारी किए हैं।
यूजीसी से पहले इस पूरे प्रकरण पर छात्र संगठनों ने अपनी शिकायत विश्वविद्यालय के समक्ष दर्ज कराई थी। छात्र संघ से जुड़े छात्रों का कहना है कि यह प्रश्न शरारत पूर्ण है और प्रश्न पूर्वाग्रह के चलते पूछा गया था। छात्र संघ के मुताबिक शारदा यूनिवर्सिटी में राजनीति विज्ञान की परीक्षा में नाजीवाद, फासिज्म व हिदुत्व में समानता पूछने के विरोध में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं ने विश्वविद्यालय से अपना आधिकारिक विरोध दर्ज कराया।
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने विश्वविद्यालय से यह मांग की है कि प्रश्न तैयार करने वाले अध्यापक को स्थायी रूप से निलंबित किया जाए। पूरी परीक्षा का आयोजन दोबारा हो। छात्रों की शिकायत व मांग के आधार पर कार्रवाई करते हुए विश्वविद्यालय ने पहले प्रश्न बनाने वाले प्रोफेसर को कारण बताओ नोटिस जारी किया फिर उसके उपरांत उन्हें निलंबित भी कर दिया गया है।
विश्वविद्यालय का कहना है कि इस मामले में अब आगे की कार्यवाही 3 सदस्य जांच समिति की रिपोर्ट के आधार पर की जाएगी। यह समिति इस पूरे मामले की जांच कर रही है और अभी यह जांच पूरी नहीं हो सकी है। जांच पूरी होने के उपरांत यह कमेटी विश्वविद्यालय को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी जिसे छात्रों के संग साझा भी किया जा सकता है।
राजनीति
‘वंदे मातरम’ गीत पर संसद में होगी विशेष चर्चा : केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल

नई दिल्ली, 8 दिसंबर: लोकसभा में सोमवार को राष्ट्रीय गीत ‘वंदे मातरम’ के 150 साल पूरे होने पर खास चर्चा होगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार को दोपहर 12 बजे डिबेट की शुरुआत करेंगे। संसद की कार्यवाही से पहले केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि वंदे मातरम गीत की 150वीं वर्षगांठ के विषय पर विस्तार से चर्चा चलेगी।
केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने मीडिया से बातचीत में कहा, “बिजनेस एडवाइजरी कमेटी के फैसले के मुताबिक, देश 8 दिसंबर को ‘वंदे मातरम’ गीत की 150वीं वर्षगांठ मना रहा है। इसी सिलसिले में सोमवार को लोकसभा में इस मौके पर चर्चा होगी और मंगलवार को राज्यसभा में भी यह जारी रहेगी।”
इसी बीच, केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने प्रधानमंत्री मोदी और उनकी नीतियों की प्रशंसा की। उन्होंने कहा, “11 सालों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश का नेतृत्व कर रहे हैं और नीतियां बना रहे हैं। उनकी नीतियों से सामाजिक न्याय की नीति धरातल पर उतरती नजर आती है।”
अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि ग्रामीण इलाकों में साफ तौर पर सामाजिक न्याय आया है। घरों को अपग्रेड किया जा रहा है, बिजली और शौचालय दिए जा रहे हैं और मुद्रा योजना के तहत लोन दिए जा रहे हैं। गांवों के लगातार दौरों में मुझे ये बदलाव देखने को मिले। अब तक 25 करोड़ लोग गरीबी से बाहर निकले हैं, जो सामाजिक न्याय लागू करने में एक बड़ी उपलब्धि है।
‘वंदे मातरम’ बहस से संबंधित कार्यक्रम के अनुसार, सत्ताधारी एनडीए सदस्यों को लोकसभा में इसके लिए निर्धारित कुल 10 घंटों में से तीन घंटे आवंटित किए गए हैं। सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच गीत के बारे में विचारों में मतभेद के कारण ‘वंदे मातरम’ पर चर्चा हंगामेदार होने की संभावना है।
राज्यसभा का सत्र मंगलवार को होगा। राज्यसभा में, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह मंगलवार को चर्चा शुरू करेंगे, जिसके बाद स्वास्थ्य मंत्री और सदन के नेता जेपी नड्डा बोलेंगे।
राष्ट्रीय समाचार
मुंबई: बिना वेरिफिकेशन बाइक और टैक्सी चलाने पर ओला–रैपिडो के खिलाफ मामला दर्ज

मुंबई, 8 दिसंबर: मुंबई के अंबोली पुलिस थाने ने राइड-शेयरिंग कंपनियों ओला और रैपिडो के डायरेक्टर्स के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। आरोप है कि दोनों कंपनियां राज्य सरकार और रीजनल ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी (आरटीए) से अनुमति लिए बिना मुंबई में बाइक-टैक्सी सेवाएं चला रही थीं।
अंबोली पुलिस ने यह मामला रीजनल ट्रांसपोर्ट ऑफिस (आरटीओ) की शिकायत पर दर्ज किया है। शिकायत में बताया गया कि दोनों कंपनियां अपने मोबाइल ऐप के जरिए शहर की सीमाओं में दोपहिया टैक्सी सेवाएं चला रही थीं, जबकि इसके लिए उन्हें किसी प्रकार की आधिकारिक मंजूरी नहीं मिली थी।
पुलिस के अनुसार, ओला और रैपिडो दोनों लंबे समय से मुंबई में दोपहिया टैक्सी सेवाएं चला रहे हैं। इन ऐप-आधारित सर्विसेज के माध्यम से यात्री आसानी से बाइक-टैक्सी बुक कर रहे थे, लेकिन ट्रांसपोर्ट विभाग से इन सेवाओं को कोई अनुमति नहीं दी गई थी।
पुलिस का कहना है कि इस तरह की सेवाएं पूरी तरह अवैध हैं और कंपनियां इससे कमाई भी कर रही थीं। इसलिए इसे नियमों का सीधा उल्लंघन माना गया है।
आरटीओ की शिकायत में कहा गया कि रैपिडो बिना परमिशन के लगातार ऑपरेट कर रहा है और उसने कई कानूनों का उल्लंघन किया है, जिनमें मोटर व्हीकल एग्रीगेटर गाइडलाइंस 2020 और मोटर व्हीकल एक्ट की धारा 66 शामिल हैं।
आरटीओ ने यह भी कहा कि इस तरह की अनधिकृत सेवाओं से यात्रियों की सुरक्षा, खासकर महिलाओं की सुरक्षा पर गंभीर सवाल उठते हैं, क्योंकि ऐप कंपनियां ड्राइवरों का चरित्र सत्यापन या सिक्योरिटी चेक ठीक से नहीं करवातीं।
अंबोली पुलिस स्टेशन ने मामले में मोटर व्हीकल एक्ट 1988 की कई धाराओं के तहत केस दर्ज किया है, जिनमें धारा 193, 197, 192(ए), 93, 66, साथ ही भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धाराएं 123 और 318(3) शामिल हैं।
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि यह कार्रवाई शहर में चल रही अनधिकृत गाड़ी सेवाओं पर अंकुश लगाने के लिए शुरू की गई है।
पर्यावरण
8 दिसंबर, 2025 के लिए मुंबई मौसम अपडेट: शहर में ठंड का मौसम, फिर भी धुंध से भरा आसमान; AQI 255 पर अस्वस्थ बना हुआ है

WETHER
मुंबई: मुंबई में सोमवार की शुरुआत साफ़ नीले आसमान, ठंडी हवाओं और ताज़गी भरी सर्दी के साथ हुई, लेकिन शहर पर छाई धुंध की घनी परत ने इस सुहावने मौसम को ढक लिया। भारतीय मौसम विभाग (IMD) द्वारा साफ़ आसमान और तापमान 19°C से 32°C के बीच रहने की भविष्यवाणी के बावजूद, बिगड़ता प्रदूषण जल्द ही दिन की मुख्य विशेषता बन गया। कई इलाकों में दृश्यता कम हो गई और शहर की सुबह की शांति की जगह बेचैनी ने ले ली क्योंकि निवासियों ने बाहर निकलते ही हवा को घना और तीखा पाया।शहर में चल रहा निर्माण कार्य प्रदूषण में वृद्धि का एक प्रमुख कारण बना हुआ है। मेट्रो लाइनों, पुलों, तटीय सड़कों और व्यापक पुनर्विकास सहित बड़े पैमाने पर बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं से निकलने वाली धूल, सूक्ष्म कणों को वायुमंडल में लगातार बढ़ा रही है। निजी रियल एस्टेट का काम इस बोझ को और बढ़ा देता है, जिससे धूल और वाहनों से निकलने वाले उत्सर्जन का मिश्रण बनता है, जिसे शहर की हवाएँ तितर-बितर करने के लिए संघर्ष करती हैं।
सुबह-सुबह, AQI.in ने मुंबई का समग्र वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 255 दर्ज किया, जिससे यह पूरी तरह से ‘अस्वास्थ्यकर’ श्रेणी में आ गया। यह मौसम की शुरुआत में देखी गई अपेक्षाकृत हल्की परिस्थितियों की तुलना में भारी वृद्धि दर्शाता है। कई निवासियों ने PM2.5 के उच्च स्तर, आँखों में जलन, गले में खराश, सिरदर्द और नाक में लगातार सूखापन जैसे लक्षणों की सूचना दी। शहर के उच्च बिंदुओं से, क्षितिज धुंधला और दूर दिखाई दे रहा था, जो प्रदूषकों के खतरनाक प्रसार का संकेत था।मुंबई भर में प्रदूषण के हॉटस्पॉट ने समस्या की गंभीरता को उजागर किया। वडाला ट्रक टर्मिनल एक बार फिर 455 के खतरनाक AQI के साथ चार्ट में सबसे ऊपर रहा। चेंबूर 316 और कुर्ला 306 के साथ दूसरे स्थान पर रहा, दोनों ही लंबे समय से औद्योगिक क्षेत्र रहे हैं। बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स (306) जैसे प्रमुख व्यावसायिक जिलों और वर्ली (305) जैसे तटीय क्षेत्रों में भी गंभीर प्रदूषण दर्ज किया गया, जिसकी वजह यातायात, निर्माण कार्य से निकलने वाली धूल और नमी थी, जो प्रदूषकों को ज़मीन के और करीब फँसा रही थी।उपनगरीय इलाके, हालांकि थोड़ी बेहतर स्थिति में हैं, लेकिन इससे अछूते नहीं रहे। जोगेश्वरी पूर्व में वायु गुणवत्ता सूचकांक 113 और गोवंडी में 133 दर्ज किया गया, जो दोनों ही खराब श्रेणी में हैं। चारकोप (140), परेल-भोईवाड़ा (187) और बोरीवली पूर्व (187) जैसे अन्य आवासीय क्षेत्र भी खराब श्रेणी में रहे, जो प्रदूषण की व्यापक प्रकृति को दर्शाता है।
संदर्भ के लिए, 0-50 के बीच AQI को अच्छा, 51-100 को मध्यम, 101-150 को खराब, 151-200 को अस्वस्थ और 200 से ऊपर के स्तर को खतरनाक श्रेणी में रखा जाता है। 200 से ऊपर के AQI स्तर को खतरनाक माना जाता है, और मुंबई की बिगड़ती वायु गुणवत्ता सर्दियों के आकर्षण को फीका कर सकती है, जिससे स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों और आने वाले महीनों में होने वाली संभावित घटनाओं को लेकर चिंताएँ बढ़ रही हैं।
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