राष्ट्रीय समाचार
केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में दो जजों की नियुक्ति की अधिसूचना जारी की

केंद्र ने गुवाहाटी हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश सुधांशु धूलिया और गुजरात हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति जमशेद बुजरेर पारदीवाला को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त करने की अधिसूचना जारी कर दी है।
सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम द्वारा उनकी नियुक्ति की सिफारिश के दो दिन बाद ही केंद्र ने अधिसूचना जारी कर दी। कॉलेजियम के अध्यक्ष प्रधान न्यायाधीश एन. वी. रमना हैं।
कानून और न्याय मंत्रालय की एक अधिसूचना में कहा गया है कि राष्ट्रपति गुवाहाटी उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया को अपने पद का कार्यभार ग्रहण करने की तारीख से उच्चतम न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त करते हुए प्रसन्न हैं। एक अन्य अधिसूचना में, मंत्रालय ने कहा, “राष्ट्रपति, गुजरात उच्च न्यायालय के न्यायाधीश, न्यायमूर्ति जमशेद बुजरेर पारदीवाला को भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त करते हुए प्रसन्न हैं।”
न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले के एक सुदूर गांव मदनपुर के रहने वाले हैं। वह सैनिक स्कूल, लखनऊ के पूर्व छात्र हैं और उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से स्नातक और कानून की पढ़ाई की है।
दूसरी पीढ़ी के कानूनी पेशेवर, न्यायमूर्ति धूलिया 1986 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के बार में शामिल हुए और 2000 में अपने गृह राज्य उत्तराखंड में स्थानांतरित हो गए। वह उत्तराखंड उच्च न्यायालय में पहले मुख्य स्थायी वकील थे, और बाद में एक अतिरिक्त महाधिवक्ता बने। उन्हें 2004 में एक वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में नामित किया गया था। उन्हें नवंबर 2008 में उत्तराखंड उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया था और बाद में वह 10 जनवरी, 2021 को असम, मिजोरम, नागालैंड और अरुणाचल प्रदेश के उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश बने।
जस्टिस पारदीवाला का जन्म 12 अगस्त 1965 को मुंबई में हुआ था। उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा अपने गृह नगर वलसाड (दक्षिण गुजरात) के सेंट जोसेफ कॉन्वेंट स्कूल में पूरी की। उन्होंने जेपी आर्ट्स कॉलेज, वलसाड से स्नातक की उपाधि प्राप्त की और 1988 में के. एम. मुलजी लॉ कॉलेज, वलसाड से लॉ की डिग्री प्राप्त की।
न्यायमूर्ति पारदीवाला ने 1990 में गुजरात उच्च न्यायालय में कानूनी प्रैक्टिस शुरू की। उन्हें 1994 में बार काउंसिल ऑफ गुजरात के सदस्य के रूप में चुना गया था। उन्हें वर्ष 2002 में गुजरात के उच्च न्यायालय के लिए स्थायी वकील के रूप में नियुक्त किया गया था और उन्होंने 17 फरवरी, 2011 को बेंच में उनकी पदोन्नति की तारीख तक कार्यालय का पद संभाला था।
राष्ट्रीय समाचार
हिमाचल के लाहौल-स्पीति में दूसरे दिन भी बर्फबारी, फसलें और बागवानी पर संकट

लाहौल स्पीति, 7 अक्टूबर : हिमाचल प्रदेश के लाहौल-स्पीति में मौसम का मिजाज इन दिनों बिगड़ा हुआ है। दूसरे दिन भी जिले में बर्फबारी का सिलसिला जारी है। अलग-अलग इलाकों में छह इंच से लेकर दो फुट तक बर्फ गिर चुकी है। पूरा क्षेत्र बर्फ की चादर में लिपट गया है।
विश्व प्रसिद्ध अटल टनल रोहतांग के नॉर्थ पोर्टल, कोकसर, सिस्सू और दारचा सहित ऊंचाई वाले इलाकों में भारी बर्फबारी दर्ज की गई है। प्रशासन के अनुसार, बर्फबारी का दौर फिलहाल जारी है और आने वाले दिनों में और बढ़ने की संभावना है।
भारी बर्फबारी के कारण सामान्य जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हो गया है। कई गांवों का संपर्क कट गया है, जबकि बिजली आपूर्ति ठप हो गई है। स्थानीय लोगों को जरूरी सुविधाएं और आवागमन में भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
मौसम में आए इस बदलाव ने किसानों और बागवानों की चिंताएं बढ़ा दी हैं। घाटी में पहले ही गोभी की फसल को नुकसान पहुंच चुका था, अब आलू और सेब की फसलों पर भी खतरा मंडराने लगा है।
एक स्थानीय किसान ने बताया कि इस साल समय से पहले बारिश ने फसलें चौपट कर दीं। अब बेमौसम बर्फबारी से सेब के पौधे टूट रहे हैं। कुदरत की मार से किसान बहुत परेशान हैं। दूसरे स्थानीय निवासी ने कहा कि 5 अक्टूबर से लगातार बर्फ गिर रही है। पहले गोभी और आलू की फसल खराब हुई, अब सेब की बागवानी पर भी असर पड़ रहा है। बर्फबारी रुकने का नाम नहीं ले रही।
मौसम विज्ञान केंद्र शिमला ने मंगलवार को ऑरेंज अलर्ट जारी किया है। विभाग ने चेतावनी दी है कि 8 अक्टूबर तक मौसम खराब रहेगा और बर्फबारी का सिलसिला जारी रह सकता है। बर्फबारी के चलते तापमान में भारी गिरावट दर्ज की गई है। कई ऊंचाई वाले क्षेत्रों में पारा माइनस 2 से माइनस 5 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है।
राजनीति
दिल्ली में भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा का ममता बनर्जी के खिलाफ प्रदर्शन

नई दिल्ली, 7 अक्टूबर : पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले में भाजपा सांसद खगेन मुर्मू पर हुए जानलेवा हमले के विरोध में मंगलवार को दिल्ली भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा और भाजपा के कई कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर आरोप लगाया कि उनके राज में भाजपा नेताओं पर लगातार हमले हो रहे हैं और राज्य में कानून व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त हो चुकी है।
प्रदर्शन का नेतृत्व भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा ने किया। भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के अध्यक्ष अनीश अब्बासी ने कहा, “ममता बनर्जी ने अपने टीएमसी गुंडों को भेजकर हमारे दो बार के सांसद खगेन मुर्मू पर जानलेवा हमला करवाया। उन्हें इतनी बेरहमी से पीटा गया कि वह लहूलुहान हो गए।”
उन्होंने कहा कि भाजपा के अल्पसंख्यक मोर्चा के कार्यकर्ता इस बर्बरता के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं और देशभर में ममता सरकार की गुंडागर्दी को उजागर किया जाएगा।
सांसद योगेंद्र चंदोलिया ने ममता सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा, “पश्चिम बंगाल में दलित समुदाय पर लगातार हमले हो रहे हैं। मैं खुद उस समुदाय से आता हूं, इसलिए इस पीड़ा को समझ सकता हूं। खगरेन मुर्मू हमारे साथी हैं। उन पर इस तरह का हमला करना ममता बनर्जी की तानाशाही और असहिष्णुता को दर्शाता है।”
उन्होंने आगे कहा, “जब भाजपा के नेता बाढ़ प्रभावितों की मदद के लिए बंगाल जाते हैं, तो उनके साथ मारपीट होती है। ममता बनर्जी न तो काम कर रही हैं और न ही दूसरों को करने दे रही हैं।”
प्रदर्शन के दौरान भाजपा नेताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर ममता बनर्जी द्वारा दिए गए हालिया बयान की भी निंदा की। योगेंद्र चंदोलिया ने कहा, “ममता बनर्जी का बयान सरासर गलत है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ‘सबका साथ, सबका विकास’ की सोच के साथ काम करते हैं। वे हर राज्य को समान सुविधा और सम्मान देते हैं, लेकिन ममता बनर्जी सिर्फ तानाशाही शासन चला रही हैं।”
यह हमला सोमवार को उस समय हुआ जब सांसद खगेन मुर्मू, विधायक शंकर घोष और अन्य भाजपा नेता बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा करके लौट रहे थे। घटना मालदा के नागराकाटा क्षेत्र की है, जहां उनके काफिले पर भीड़ ने अचानक हमला कर दिया। इस हमले में सांसद मुर्मू के सिर पर गंभीर चोटें आईं और उनका चेहरा लहूलुहान हो गया।
प्रदर्शन के दौरान भाजपा कार्यकर्ता ‘ममता बनर्जी हाय-हाय’ और ‘ममता बनर्जी शर्म करो’ जैसे नारे लगाते हुए नजर आए। उन्होंने हाथों में तख्तियां लेकर ममता सरकार के खिलाफ अपना आक्रोश जाहिर किया।
राजनीति
केजरीवाल को मिला सरकारी बंगला, हाईकोर्ट की सख्ती के बाद हुआ आवंटन

नई दिल्ली, 7 अक्टूबर : लंबी कानूनी लड़ाई और केंद्र सरकार के साथ चली तनातनी के बाद आखिरकार आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को 95 लोधी एस्टेट स्थित टाइप-VII बंगला आवंटित कर दिया गया है। यह आवास उन्हें बतौर राष्ट्रीय पार्टी के प्रमुख के नाते दिया गया है।
यह आवंटन तब हुआ जब दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को आवास आवंटन में की जा रही देरी पर सख्त टिप्पणी की थी। अदालत ने कहा था कि सरकारी आवासों के वितरण में पारदर्शिता और समानता सुनिश्चित की जानी चाहिए। कोर्ट ‘आप’ की उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें पार्टी ने अपने राष्ट्रीय संयोजक के लिए केंद्र सरकार से आवास की मांग की थी।
हाईकोर्ट ने 16 सितंबर को सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार के रवैये को “टालमटोल” करार देते हुए कहा था कि आवास आवंटन की प्रक्रिया किसी विशेष व्यक्ति के लिए नहीं, बल्कि समान अवसर की प्रणाली होनी चाहिए। अदालत ने केंद्र को स्पष्ट किया था कि सरकारी आवास किसी भी व्यक्ति या पद के प्रति भेदभाव के आधार पर नहीं दिया जा सकता।
इससे पहले, आम आदमी पार्टी ने 35 लोधी एस्टेट स्थित टाइप-VII बंगला अरविंद केजरीवाल को देने का प्रस्ताव किया था। यह वही बंगला था जो बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की सुप्रीमो मायावती ने मई में खाली किया था। हालांकि, केंद्र सरकार ने उस बंगले को केजरीवाल के बजाय एक केंद्रीय राज्य मंत्री को आवंटित कर दिया था। इस फैसले के बाद मामला और विवादित हो गया था।
इसके बाद, हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को फटकार लगाते हुए कहा था कि वह अपने आवंटन की प्राथमिकता और प्रक्रिया के रिकॉर्ड अदालत के समक्ष प्रस्तुत करे और यह भी स्पष्ट करे कि आखिर किस आधार पर अरविंद केजरीवाल को प्राथमिकता सूची में पीछे रखा गया। अब जबकि 95 लोधी एस्टेट का बंगला केजरीवाल को मिल गया है, ‘आप’ ने इसे “न्याय की जीत” बताया है।
पार्टी नेताओं ने कहा कि यह फैसला न केवल कानूनी रूप से सही है, बल्कि यह दिखाता है कि संस्थाओं में पारदर्शिता और समानता अभी भी कायम है।
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