राष्ट्रीय
अप्रैल में मक्के और खाद्य तेल के दामों में आई हल्की नरमी : FAO
संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) ने कहा है कि खाद्य तेलों और अनाजों के दामों में आई हल्की नरमी के कारण बीते माह अप्रैल में वैश्विक बाजार में खाद्य पदार्थों की कीमतें घटी हैं। एफएओ की इससे पहले की रिपोर्ट में बताया गया था कि मार्च में वश्विक स्तर पर खाद्य कीमतें रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई थीं। मार्च में खाद्य पदार्थ की कीमतों का सूचकांक 13 प्रतिशत की तेजी में 159.3 अंक के स्तर पर रहा था।
मासिक आधार पर अप्रैल में सूचकांक में 0.8 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है। यह अप्रैल में 158.5 अंक पर रहा। हालांकि, अप्रैल 2021 की तुलना में सूचकांक में 29.8 प्रतिशत की तेजी आई है।
यह सूचकांक आमतौर पर खरीदी या बेची जाने वाली खाद्य कमोडिटी के अंतर्राष्ट्रीय कीमतों में आये मासिक बदलाव को बताता है।
मार्च में वैश्विक स्तर पर अनाजों के दाम 17 प्रतिशत और खाद्य तेलों के दाम 23 प्रतिशत बढ़े थे।
मार्च 2022 की तुलना में अप्रैल 2022 में खाद्य तेलों के सूचकांक में 5.7 प्रतिशत और अनाजों के सूचकांक में 0.7 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है।
एफएओ के मुख्य अर्थशास्त्री मैक्सिमो टोरेरो क्यूलेन ने कहा कि सूचकांक में हल्की कमी भी राहत की बात है। खासकर खाद्य संकट से जूझ रहे कम आयवर्ग वाले देशों के लिये यह राहत की बात है। हालांकि, खाद्य पदार्थो के दाम अब भी हाल के उच्चतम स्तर पर बने हुये हैं, जो वैश्विक खाद्य सुरक्षा के लिये एक चुनौती है।
मक्के के दाम में तीन फीसदी की नरमी के कारण अनाजों के सूचकांक में गिरावट आई है जबकि मांग की कमी के कारण पाम ऑयल, सूरजमुखी तेल और सोयाबीन तेल के लुढ़कने से खाद्य तेलों के सूचकांक में गिरावट दर्ज की गई है।
एफएओ के मुताबिक यूक्रेन के बंदरगाहों के अवरूद्ध किये जाने और अमेरिका में गेहूं के उत्पादन को लेकर जारी चिंताओं को भारत ने बहुत हद तक खत्म कर दिया। भारत ने बड़ी मात्रा में गेहूं का निर्यात किया, जिससे इसकी कीमतों पर लगाम लगा रहा। रूस ने भी निर्यात में बढ़ोतरी की।
चीन की ओर से मांग बढ़ने से वैश्विक स्तर पर चावल के दाम 2.3 प्रतिशत बढ़ गये।
इथनॉल के दाम में तेजी और ब्राजील में फसल को लेकर पैदा हुई आशंका के कारण चीनी की कीमतों के सूचकांक में 3.3 प्रतिशत की तेजी रही। ब्राजील चीनी का सबसे बड़ा निर्यातक है और इस बार वहां फसल कटाई की शुरूआत अच्छी नहीं रही है।
मांस की कीमतों में मार्च की तुलना में 2.2 प्रतिशत की तेजी रही। मुर्गी, गाय और भैंस के मांस की कीमतें बढ़ गई जबकि भेड़ के मांस के दाम में गिरावट दर्ज की गई।
अप्रैल में डेयरी उत्पाद के सूचकांक में 0.9 प्रतिशत की तेजी रही। मांग बढ़ने के कारण मक्खन की कीमतों में सर्वाधिक बढ़त दर्ज की गई।
एफओए ने इस बार अनाजों की मांग और आपूर्ति से संबंधित आंकड़ा भी जारी किया है। इसके मुताबिक वैश्विक बाजार में 2021/2022 के विपणन वर्ष में अनाजों के कारोबार में 1.2 प्रतिशत की गिरावट का अनुमान है। इस दौरान चावल के कारोबार में 3.8 प्रतिशत, गेहूं में करीब एक प्रतिशत की तेजी आयेगी जबकि मक्के तथा अन्य मोटे अनाज में गिरावट आयेगी।
एफएओ के मुताबिक ब्राजील में इस साल मक्के का 116 मिलियन टन का रिकॉर्ड उत्पादन होने वाला है जबकि विपरीत मौसम संबंधी परिस्थितियों की वजह से अर्जेटीना और दक्षिण अफ्रीका में इसका उत्पादन प्रभावित हो सकता है।
इस साल गेहूं के उत्पादन में बढ़ोतरी का अनुमान है। वैश्विक गेहूं उत्पादन इस साल 782 मिलियन टन के आंकड़े को छू सकता है। हालांकि, एफओए ने यूक्रेन में गेहूं के उत्पादन में 20 प्रतिशत की गिरावट और मोरक्को सूखे के कारण फसल के प्रभावित होने की भी बात कही है।
अमेरिका में भी बुवाई के शुरूआती आंकड़ों से पता चला है कि इस बार वहां मक्के की बुवाई का रकबा चार प्रतिशत कम है।
महोत्सव
स्वतंत्रता दिवस 2024: थीम, इतिहास, महत्व और समारोह के बारे में अधिक जानें।
भारत 15 अगस्त, 2024 को अपना 78वाँ स्वतंत्रता दिवस मनाएगा, यह एक महत्वपूर्ण अवसर है जो ब्रिटिश उपनिवेशवाद से मुक्ति के सत्तर से अधिक वर्षों का प्रतीक है। राष्ट्रीय गौरव और गहरी देशभक्ति की भावना के साथ मनाया जाने वाला यह वार्षिक कार्यक्रम स्वतंत्रता सेनानियों के बहादुर कार्यों और स्वायत्तता और विकास की दिशा में राष्ट्र की प्रगति को श्रद्धांजलि देता है। यह लेख 2024 में भारत के स्वतंत्रता दिवस से जुड़े महत्व, ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और समारोहों का विस्तृत विवरण प्रस्तुत करता है।
क्या यह स्वतंत्रता दिवस की 77वीं या 78वीं वर्षगांठ है?
2024 में 78वाँ स्वतंत्रता दिवस समारोह 15 अगस्त 1947 को ब्रिटिश शासन से भारत की स्वतंत्रता का प्रतीक होगा। भले ही यह स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद से 77वाँ वर्ष है, लेकिन स्वतंत्रता के बाद से यह दिन 78 बार मनाया जा चुका है। जानकारी का यह दोहरा स्रोत भ्रम पैदा कर सकता है, फिर भी प्रत्येक आंकड़ा अपने संदर्भ में सही है।
4 जुलाई 2024 की थीम
इस वर्ष की थीम, “विकसित भारत” या “विकसित भारत”, 2047 तक भारत को एक विकसित और प्रगतिशील राष्ट्र में बदलने के लक्ष्य को दर्शाती है, जो इसकी स्वतंत्रता की 100वीं वर्षगांठ है।
इतिहास में स्वतंत्रता दिवस का महत्व
इस विशेष दिन पर, भारत ने लगभग दो सौ वर्षों के औपनिवेशिक शासन के बाद ब्रिटिश नियंत्रण से स्वतंत्रता प्राप्त की। ब्रिटिश संसद ने 18 जुलाई, 1947 को भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम पारित किया, जिसने ब्रिटिश वर्चस्व को समाप्त करने में मदद की और परिणामस्वरूप भारत और पाकिस्तान का विभाजन हुआ।
स्वतंत्रता दिवस पर महत्वपूर्ण कार्यक्रम
प्रधानमंत्री का भाषण: 15 अगस्त को प्रधानमंत्री मोदी लाल किले से राष्ट्र के नाम भाषण देंगे।
स्वतंत्रता सेनानियों का सम्मान: स्वतंत्रता दिवस पर, हम उन कई लोगों को याद करते हैं जिन्होंने भारत की स्वतंत्रता के लिए अपने प्राणों की आहुति दी।
नागरिक और सांस्कृतिक जुड़ाव: परेड, सांस्कृतिक कार्यक्रम, पारंपरिक नृत्य प्रदर्शन और देशभक्तिपूर्ण शैक्षिक पहल देशभक्ति गतिविधियों के उदाहरण हैं।
ध्वजारोहण: सरकारी भवनों और स्कूलों जैसे सार्वजनिक स्थानों पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाता है।
राष्ट्रीय
शेयर बाजारों में सुबह के कारोबार में उतार-चढ़ाव
भारतीय शेयर बाजारों में बुधवार को सुबह के कारोबार में उतार-चढ़ाव रहा।
हरे निशान में खुलने के बाद सेंसेक्स एक समय 337.63 अंक यानि 0.47 प्रतिशत टूटकर 71.674.42 अंक तक तक लुढ़क गया था। हालाँकि बाद में वापसी करते हुए 124.73 अंक की तेजी के साथ 72,136.78 अंक पर पहुँच गया।
निफ्टी भी 107.25 अंक टूटकर एक समय 21,710.20 अंक तक उतर गया था। लेकिन दोपहर होते-होते यह 39.50 अंक की बढ़त से साथ 21,852.80 अंक तक चढ़ गया।
निफ्टी50 में एशर मोटर के शेयर चार प्रतिशत और मारुति सुजुकी के तीन प्रतिशत की बढ़त में थे। वहीं, टाटा कंज्यूमर और टाटा मोटर्स में करीब ढाई-ढाई फीसदी की गिरावट रही।
जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी.के. विजयकुमार ने कहा कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व नीतिगत दरों पर निर्णय बुधवार को जारी करेगी। इससे अमेरिकी बाजार में रुझान तय होगा।
एचडीएफसी सिक्योरिटीज के रिटेल रिसर्च प्रमुख दीपक जसानी ने कहा कि फेडरल रिजर्व इस साल दर में कटौती के धीमे रुख का संकेत दे सकता है। इस चिंता के कारण बुधवार को एशियाई शेयरों में नरमी रही।
राष्ट्रीय
सेंसेक्स 600 अंक टूटा, एफएमसीजी शेयर हुए धड़ाम
फास्ट मूविंग कंज्यूमर गुड्स (एफएमसीजी) स्टॉक मंगलवार को सेक्टोरल इंडेक्स में 1.9 फीसदी की गिरावट के साथ कमजोर कारोबार कर रहे हैं। एफएमसीजी इंडेक्स टॉप सेक्टर लूजर्स में से एक है। नेस्ले में 3 फीसदी से ज्यादा की गिरावट है।
कोलगेट पामोलिव करीब 4 फीसदी नीचे है। होनासा कंज्यूमर 3.7 फीसदी, टाटा कंज्यूमर 3.4 फीसदी, पतंजलि फूड्स 3.2 फीसदी, यूनाइटेड ब्रुअरीज 3 फीसदी, गोदरेज कंज्यूमर 2 फीसदी से ज्यादा और ब्रिटानिया 2 फीसदी से ज्यादा नीचे है।
बिकवाली के कारण बीएसई सेंसेक्स 600 अंक से अधिक नीचे है। ज्यादातर सेक्टोरल इंडेक्स लाल निशान में कारोबार कर रहे हैं।
एमके ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विसेज ने एक हालिया रिपोर्ट में कहा था कि वित्त वर्ष 2024 की चौथी तिमाही में एफएमसीजी सेक्टर में मांग सुस्त है।
रिटेल डेटा पर नज़र रखने वाली नील्सन ने इस सेक्टर के लिए 4.5-6.5 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान लगाया है।
एमके ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विसेज ने कहा, अल-नीनो का प्रभाव मई तक रहने के कारण कृषि क्षेत्र में वृद्धि कम रहेगी जिससे खपत में कोई महत्वपूर्ण बदलाव होने की संभावना नहीं है।
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