राजनीति
उत्तराखंड और पंजाब के सीएम के अलावा सिध्दू,मजीठिया, कैप्टन और बादल चुनाव हारे

एक तरफ जहां पंजाब में आम आदमी पार्टी ने भारी जीत दर्ज की है,तो वहीं कांग्रेस के सीएम चरणजीत सिंह चन्नी दोनों से सीटो से चुनाव हार गए हैं..इसके अलावा नवजोत सिंह सिध्दू, सुखवीर सिंह बादल, मजीठिया और कैप्टन अमरिंदर सिंह चुनाव हार गए हैं…
उत्तराखंड में भाजपा, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी तीनों ही दलों के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार अपना विधानसभा चुनाव नहीं जीत सके हैं। भाजपा नेता व राज्य मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी खटीमा से चुनाव हारे हैं। वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत लालकुआं से चुनाव हार गए। आम आदमी पार्टी की ओर से मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार घोषित किए गए कर्नल अजय कोठियाल भी इस चुनाव में जीत दर्ज नहीं कर सके हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी खटीमा विधानसभा सीट पर कांग्रेस के भुवन चंद कापड़ी से चुनाव हारे हैं। धामी वर्तमान में उत्तराखंड के सीएम हैं वह अपनी मौजूदा सीट खटीमा से चुनाव लड़ रहे थे। यहां से पिछला चुनाव जीतने के बावजूद इस चुनाव में पुष्कर सिंह धामी लगातार पीछे चल रहे थे और अंत में कांग्रेस उम्मीदवार ने उन्हें चुनाव हरा दिया। बीते पांच वर्षों में धामी उत्तराखंड के तीसरे सीएम थे।
खटीमा से भुवन चंद कापड़ी को 44 हजार 479 वोट मिले जबकि मुख्यमंत्री धामी को केवल 37245 वोट मिल सके कापड़ी ने यहां तक मुख्यमंत्री के खिलाफ चुनाव लड़ते हुए 52 फीसदी वोट हासिल किए और अपनी जीत दर्ज की।
वहीं उत्तराखंड विधानसभा का चुनाव लड़ रहे कांग्रेस के बड़े हरीश रावत नेता कुमाऊं की लालकुआं सीट से चुनाव हार गए हैं। यहां से बीजेपी के मोहन सिंह बिष्ट ने जीत दर्ज की है। यहां हुए मुकाबले में हरीश रावत करीब 14 हजार वोटों से हार गए हैं।
लाल कुआं विधानसभा में हरीश रावत को 28251 वोट हासिल हुए जबकि उनके प्रतिद्वंदी मोहन सिंह बिष्ट ने 44851 वोट हासिल किए। बिष्ट करीब 53 फीसदी वोट लेकर विजयी रहे हैं। दूसरी ओर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को केवल 33 प्रतिशत वोट हासिल हुए।
कांग्रेस के चुनाव जीतने की स्थिति में हरीश रावत को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार माना जा रहा था। हरीश रावत की हार के पीछे एक बड़ा कारण लालकुआं सीट से कांग्रेस की बागी प्रत्याशी संध्या डालाकोटी को भी माना जा रहा है। हरीश रावत से पहले संध्या डालाकोटी को लालकुआं से कांग्रेस का टिकट दिया गया था। हालांकि बाद में कांग्रेस ने यहां से डालाकोटी का टिकट काट कर हरीश रावत को मैदान में उतारा था। इससे नाराज डालाकोटी बतौर निर्दलीय उम्मीदवार मैदान में आ गई। डालाकोटी के बागी होने के कारण कांग्रेस के वोट बैंक में खासी सेंध लगी और यह भी एक कारण है कि हरीश रावत को हार का मुंह देखना पड़ा।
हरीश रावत की यह दूसरी बड़ी हार है। पिछले चुनाव में भी हरीश रावत को बड़ी पराजय का सामना करना पड़ा था।
गौरतलब है कि पिछले विधानसभा चुनाव में हरीश रावत हरिद्वार और किच्छा दो विधानसभा सीटों से चुनाव लड़े थे और दोनों से ही वह चुनाव हार गए थे।
वहीं उत्तराखंड में आम आदमी पार्टी का प्रतिनिधित्व कर रहे कर्नल अजय कोठियाल भी अपनी सीट नहीं बचा सके। वह उत्तराखंड की गंगोत्री विधानसभा सीट से अपना चुनाव हार गए हैं। यानी उत्तराखंड विधानसभा के चुनाव में कांग्रेस, भाजपा और आम आदमी पार्टी तीनों दलों के प्रमुख चेहरों को हार का सामना करना पड़ा है।
उत्तराखंड की गंगोत्री विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे कर्नल अजय सिंह कोठियाल केवल 10 फीसदी वोट ही हासिल कर सके उन्हें केवल 5998 वोट मिले हैं। यहां मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस प्रत्याशियों के बीच रहा और अंत में भाजपा के सुरेशचंद्र चौहान ने गंगोत्री सीट से 28677 वोट हासिल करते हुए अपनी जीत दर्ज की है।
राष्ट्रीय समाचार
नालासोपारा में ड्राइविंग लाइसेंस मांगने पर पिता-पुत्र ने ट्रैफिक पुलिस को पीटा

सोमवार सुबह एक चौंकाने वाली घटना में, नालासोपारा पूर्व में एक पिता-पुत्र ने बिना वैध लाइसेंस के गाड़ी चलाने के आरोप में रोके जाने पर दो ट्रैफिक पुलिसकर्मियों पर दिनदहाड़े हमला कर दिया। नागिनदास पाड़ा स्थित सितारा बेकरी के पास सुबह करीब 10 बजे हुई यह पूरी घटना वहां मौजूद लोगों के मोबाइल कैमरों में कैद हो गई।
पुलिस के अनुसार, नियमित जाँच के दौरान लड़के को वैध ड्राइविंग लाइसेंस न होने के कारण रोका गया था। कॉन्स्टेबल हनुमंत सांगले और शेषनारायण आठ्रे द्वारा पूछताछ करने पर, उसने कथित तौर पर अपने पिता को मौके पर बुलाया। मामला तेज़ी से बिगड़ गया, और पिता-पुत्र दोनों ने कथित तौर पर दोनों पुलिस अधिकारियों के साथ गाली-गलौज और लात-घूँसों से मारपीट की।
हमलावरों की पहचान नालासोपारा निवासी मंगेश नारकर और पार्थ नारकर के रूप में हुई है। प्रत्यक्षदर्शियों के फुटेज में दोनों को सरेआम पुलिसकर्मियों के साथ मारपीट करते हुए दिखाया गया है, जिस पर सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रियाएँ हो रही हैं।
तुलिंज पुलिस फिलहाल मामले की जाँच कर रही है। भारतीय दंड संहिता की संबंधित धाराओं के तहत, जिसमें सरकारी कर्मचारियों पर हमला और उनके काम में बाधा डालना शामिल है, एक प्राथमिकी दर्ज होने की उम्मीद है। अधिकारियों ने पुष्टि की है कि कानूनी प्रक्रिया चल रही है और जाँच के तहत फुटेज की समीक्षा की जा रही है।
महाराष्ट्र
राज्य मंत्रिमंडल में व्यापक फेरबदल, उपमुख्यमंत्रियों के बदलने की संभावना, कई विवादास्पद मंत्रियों के मंत्रालयों से हटने का डर

मुंबई: राज्य में बड़े पैमाने पर मंत्रियों के फेरबदल पर विचार किया जा रहा है और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस कई मंत्रियों को बदल सकते हैं, जिससे राजनीतिक उथल-पुथल और उथल-पुथल मच गई है। उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे इस बदलाव से प्रभावित होने को लेकर चिंतित हैं क्योंकि मुख्यमंत्री ने विवादास्पद मंत्रियों को हटाने या बदलने का फैसला किया है। इसमें उपमंत्री अजित पवार और एकनाथ शिंदे के कई मंत्री शामिल हैं, जिनके बदलाव की राष्ट्रीय संभावना है। राज्य मंत्रिमंडल में जल्द ही बड़ा बदलाव होने की संभावना है। कई वरिष्ठ मंत्रियों को उनकी कुर्सियों से हटाया जा सकता है और उनके विभाग छीने जा सकते हैं। इसमें कई नए चेहरों को मौका मिलने की भी संभावना है। इसलिए अब सबकी नजर राज्य की राजनीति पर है। महायोद्धा जल्द ही बैठक बुलाकर बड़े पैमाने पर बदलाव कर सकती है। मंत्रियों को बाहर करने के बाद अब कई नए चेहरों को मंत्रालय दिए जाने की संभावना स्पष्ट हो गई है जिन मंत्रियों को बदला जाएगा, उनमें उपमुख्यमंत्री कोटे के मंत्री, विवादास्पद मंत्री भी शामिल हैं और उनसे उनके मंत्रालय छीने जाने की संभावना है।
महाराष्ट्र
महायोति सरकार की नीति प्यारी बहनों का जीवन तबाह कर रही है, शराब की दुकानों के लाइसेंस के खिलाफ महायोति सरकार का विरोध

मुंबई: चुनावों में राज्य का खजाना खाली करने वाली सरकार अब राजस्व बढ़ाने के लिए शराब के लाइसेंस दे रही है, जिन पर 1972 से प्रतिबंध लगा हुआ था। महाकास अघाड़ी के सदस्यों ने शराब की दुकानों के लाइसेंस देने की नीति के खिलाफ विधान भवन की सीढ़ियों पर जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। शराब प्यारी बहनों का जीवन तबाह कर रही है।
महायोति सरकार ने शराब के लाइसेंस देकर जन-जीवन को अस्त-व्यस्त करने वाली नीति बनाई है। राज्य विधान परिषद में विपक्ष के नेता अंबादास दानवे ने सत्तारूढ़ दलों की कड़ी आलोचना की और कहा कि सत्तारूढ़ दल अपने हितों को साधने के लिए राज्य की प्यारी बहनों का जीवन तबाह कर रहे हैं।
इस अवसर पर महाविकास अघाड़ी के विधायकों ने नारे लगाए, “बोतल रखने वाली सरकार धिक्कार है, शराब रखने वाली सरकार धिक्कार है, शराब को बढ़ावा देने वाली सरकार धिक्कार है, शराब का व्यापार करने वाली सरकार धिक्कार है।” विपक्ष ने शराब की दुकानों के खिलाफ प्रदर्शन किया और सरकार को बहनों का घर उजाड़ने वाली सरकार बताया।
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