अपराध
पाकिस्तान ने पुलवामा हमले की जिम्मेदारी लेने के लिए बनाया लश्कर-ए-मुस्तफा संगठन

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने अपनी जांच में पाया है कि पुलवामा हमले की जिम्मेदारी लेने और अंतरराष्ट्रीय समुदाय के दबाव से ध्यान हटाने के लिए पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई ने लश्कर ए मुस्तफा (एलईएम)नाम का आतंकवादी संगठन बनाया था।
एनआईए के सूत्र ने बताया यह मौलाना मसूद अजहर के भाई मुफ्ती उर्फ अब्दुल रऊफ की योजना थी। उसने लश्कर-ए-मुस्तफा बनाया और हथियारों की तस्करी के नाम पर उत्तर प्रदेश तथा बिहार के लोगों को भर्ती किया एवं बाद में उन्हें आतंकवादी गतिविधियों के लिए इस्तेमाल किया। आईएसआई जैश-ए-मोहम्मद को पूरा समर्थन दे रही थी और लश्कर-ए-मुस्तफा को पूरी तरह से नियंत्रित कर रही थी। यह सब अंतरराष्ट्रीय दबाव को हटाने के लिए ऐसा किया गया था।
सूत्र ने कहा कि पुलवामा हमले के बाद पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय दबाव का सामना कर रहा था। पाकिस्तान स्थित आतंकवादी समूह यह दिखाना चाहते थे कि हमले के पीछे एलईएम था और भारतीय इसी के लिए काम कर रहे थे। यही कारण था कि उन्होंने यह नया संगठन बनाया और हथियारों की तस्करी के बहाने भारतीयों को भर्ती करना शुरू कर दिया। इसमें विशेष रूप से बिहार, उत्तर प्रदेश और जम्मू से लोगों को भर्ती किया गया था। उन्हें बिहार, पंजाब और हरियाणा के रास्ते जम्मू में हथियारों की तस्करी करने के का काम सौंपा गया था।
केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के काफिले पर हमले में शामिल अल्लाह मालिक उर्फ हसनैन एलईएम का नेतृत्व कर रहा था और वह मौलाना मसूद अजहर के सीधे संपर्क में था।
एनआईए ने शनिवार को लश्कर-ए-मुस्तफा (एलईएम) के चार आतंकियों मोहम्मद अरमान अली उर्फ अरमान मंसूरी, मोहम्मद अहसानुल्लाह उर्फ गुड्डू अंसारी, इमरान अहमद हाजम और इरफान अहमद डार के खिलाफ देश भर में आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने की साजिश रचने के आरोप में पूरक आरोप पत्र दाखिल किया।
यह पूरक आरोप पत्र जम्मू -कश्मीर में एक विशेष एनआईए अदालत के समक्ष भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 120बी, 121ए और 122, शस्त्र अधिनियम की धारा 25 (1एए), विस्फोटक पदार्थ अधिनियम की धारा 3 और 4, और अवैध गतिविधियां निरोधक कानून की धारा 18 और 23 के तहत दायर किया गया था।
एनआईए के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि यह मामला लश्कर-ए-मुस्तफा के आतंकियों द्वारा प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के इशारे पर भारत की संप्रभुता, अखंडता और सुरक्षा को खतरे में डालने के लिए जम्मू क्षेत्र में आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने की साजिश रचने से संबंधित है।
एनआईए ने अपनी जांच में पाया कि इन चारों आरोपियों ने लश्कर-ए-मुस्तफा आतंकवादी समूह के लिए पंजाब और हरियाणा के रास्ते बिहार से जम्मू-कश्मीर तक हथियार खरीदने ,उन्हें हासिल करने तथा लाने की साजिश रची ताकि जम्मू- कश्मीर, खासकर जम्मू क्षेत्र में आतंकी गतिविधियों को अंजाम दिया जा सके।
अधिकारी ने बताया कि शुरू में इस संबंध में जम्मू जिले के गंग्याल थाने में मामला दर्ज किया गया था लेकिन बाद में एनआईए ने जांच अपने हाथ में लेने के बाद मामला दोबारा दर्ज किया था।
एनआईए ने अगस्त 2021 में गहन जांच करने के बाद छह आरोपियों के खिलाफ इस मामले में आरोप पत्र दायर किया। बाद में इस मामले की जांच जारी रही और पूरक आरोप पत्र दायर किया गया।
एनआईए अधिकारी ने बताया कि मामले की जांच जारी है।
अपराध
मालेगांव ब्लास्ट केस: बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा- बरी करने के फैसले के खिलाफ हर कोई अपील नहीं कर सकता

मुंबई, 16 सितंबर। महाराष्ट्र के मालेगांव में साल 2008 में हुए विस्फोट मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट ने मंगलवार को एक अहम टिप्पणी की। अदालत ने कहा कि बरी किए जाने के फैसले के खिलाफ अपील दाखिल करने का अधिकार हर किसी को नहीं है। यह अधिकार उन्हीं को है जो ट्रायल में गवाह रहे हों या सीधे तौर पर पीड़ित पक्ष से जुड़े हों।
दरअसल, मालेगांव ब्लास्ट में मारे गए छह लोगों के परिजनों ने एनआईए की विशेष अदालत द्वारा दिए गए बरी करने के आदेश को चुनौती दी है। परिजन हाईकोर्ट पहुंचे और 31 जुलाई को एनआईए कोर्ट द्वारा सुनाए गए फैसले को कानून के खिलाफ बताते हुए रद्द करने की मांग की।
सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने सवाल उठाया कि क्या मृतकों के परिजनों को ट्रायल में गवाह बनाया गया था। अदालत ने विशेष रूप से अपीलकर्ता निसार अहमद के मामले का जिक्र किया, जिनके बेटे की मौत धमाके में हुई थी। पीड़ित पक्ष के वकील ने बताया कि निसार अहमद गवाह नहीं बने थे। इस पर अदालत ने कहा कि अगर बेटे की मौत हुई थी तो पिता को गवाह होना चाहिए था। कोर्ट ने निर्देश दिया कि बुधवार को अगली सुनवाई में इस बारे में पूरी जानकारी पेश की जाए।
अपीलकर्ताओं ने अपनी याचिका में कहा कि जांच एजेंसियों की खामियां या कमजोरियां किसी आरोपी को बरी करने का आधार नहीं हो सकतीं। उनका दावा है कि धमाके की साजिश गुप्त तरीके से रची गई थी, ऐसे में इसका प्रत्यक्ष सबूत मिलना संभव नहीं था।
परिजनों का आरोप है कि जब मामला एनआईए को सौंपा गया, तो एजेंसी ने आरोपियों के खिलाफ लगे गंभीर आरोपों को कमजोर कर दिया। अपील में कहा गया कि ट्रायल कोर्ट ने अभियोजन की कमियों को दूर करने की बजाय केवल पोस्ट ऑफिस की तरह काम किया और उसका फायदा आरोपियों को मिला।
दरअसल, 31 जुलाई को विशेष एनआईए कोर्ट ने मालेगांव ब्लास्ट मामले के सभी सात आरोपियों को बरी कर दिया था। इनमें पूर्व भाजपा सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर और लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित भी शामिल थे।
अपीलकर्ताओं ने यह भी तर्क दिया कि अदालत को केवल मूक दर्शक नहीं बने रहना चाहिए था। जरूरत पड़ने पर उसे सवाल पूछने और अतिरिक्त गवाह बुलाने के अधिकार का इस्तेमाल करना चाहिए था। इस मामले पर बॉम्बे हाईकोर्ट में बुधवार को फिर से सुनवाई होगी, जिसमें यह तय किया जाएगा कि पीड़ित परिवारों की अपील सुनवाई योग्य है या नहीं और ट्रायल में उनकी भूमिका कितनी महत्वपूर्ण रही थी।
मालेगांव विस्फोट 29 सितंबर, 2008 की शाम को हुआ था, जब महाराष्ट्र के नासिक जिले के सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील शहर मालेगांव में भिक्कू चौक मस्जिद के पास एक मोटरसाइकिल पर बंधे बम में विस्फोट हुआ था। रमजान के दौरान और नवरात्रि से कुछ दिन पहले हुए इस हमले में छह लोग मारे गए थे और 100 से ज्यादा लोग घायल हुए थे।
अपराध
मुंबई क्राइम ब्रांच की टीम ने 2.50 करोड़ रुपए की लूट का किया खुलासा, एक गिरफ्तार

CRIME
मुंबई, 16 सितंबर। मुंबई के गिरगांव में हुई 2.50 करोड़ रुपए की लूट का मुंबई क्राइम ब्रांच यूनिट 2 ने खुलासा कर दिया है। टीम ने लूट के आरोपी इब्राहिम शेख को मध्य प्रदेश के इंदौर से गिरफ्तार किया है।
क्राइम ब्रांच के एक अधिकारी ने बताया कि खुफिया जानकारी और तकनीकी विश्लेषण के आधार पर लूटकांड के मास्टरमाइंड शेख को गिरफ्तार किया गया। शेख के पास से लूट के 29.50 लाख रुपए भी बरामद हुए हैं। आरोपी मुंब्रा का रहने वाला है और घटना के बाद से फरार चल रहा था।
जांच में पता चला कि इब्राहिम ने अपने लहसुन के कारोबार में हुए घाटे को पूरा करने के लिए लूट की योजना बनाई थी। यह लूट 10 सितंबर को हुई थी। उसे किसी ने पिंटू के पैसा लाने की जानकारी पहले ही दे दी थी, जिसके बाद उसने लूट की योजना बनाई थी।
इब्राहिम ने अपने तीन साथियों के साथ मिलकर एक फाइनेंस कंपनी के कर्मचारी बैजनाथ उर्फ पिंटू यादव की कार को रोककर उस पर हमला कर उसे बेहोश कर दिया था। आरोपी पिंटू के बेहोश होने के बाद उसके हाथ-पैर बांधकर 2.50 करोड़ रुपए लूटकर फरार हो गए थे।
फाइनेंस कंपनी के मालिक नारायण हरि महावीर प्रसाद हालन ने वीपी रोड पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज कराया था कि उसका कर्मचारी पिंटू पैसा लेकर जा रहा था। इस दौरान कुछ अज्ञात लोगों ने गिरगांव में एक निर्माणाधीन इमारत के नीचे रुपए लूट लिए। अस्पताल में जब पिंटू को होश आया तो उसने पूरे मामले की जानकारी दी।
शिकायत के आधार पर मामला दर्ज करके जांच क्राइम ब्रांच को सौंपी गई। इसके बाद मुंबई क्राइम ब्रांच यूनिट 2 ने मुखबिर की सूचना, सीसीटीवी फुटेज और कॉल डिटेल्स के आधार पर इब्राहिम शेख को मध्य प्रदेश के इंदौर से गिरफ्तार कर लिया।
पुलिस इब्राहिम से पूछताछ कर रही है और उसका आपराधिक रिकॉर्ड भी पता कर रही है। यह भी पता किया जा रहा है कि इससे पहले वह किन-किन घटनाओं में शामिल था और उसके गिरोह में कितने लोग शामिल हैं और वे सब कहां हैं। पुलिस उस व्यक्ति की भी तलाश कर रही है, जिसने पिंटू की जानकारी दी थी।
अपराध
बांद्रा मेला 2025: उद्घाटन के दिन चोरी के आरोप में 12 लोगों पर मामला दर्ज

CRIME
मुंबई: मुंबई और ठाणे क्षेत्र के बारह व्यक्तियों, जिनमें अमरावती के दो 17 वर्षीय लड़के और पुणे की तीन महिलाएं शामिल हैं, के खिलाफ रविवार को बांद्रा पुलिस स्टेशन में नौ एफआईआर के तहत मामला दर्ज किया गया। यह सप्ताह भर चलने वाले बांद्रा मेले का पहला दिन था जो 21 सितंबर तक जारी रहेगा। 17 से 35 वर्ष की आयु के संदिग्ध लोग अमरावती, पुणे, निर्मल नगर (बांद्रा पूर्व), सांताक्रूज और ठाणे जिले के अंबिवली से हैं।
पुलिस के अनुसार, आरोपी मोबाइल फोन, सोने की चेन और जेबकतरे चुराने के लिए श्रद्धालु बनकर मेले में आए थे। अमरावती के किशोर मोबाइल फोन चुराने की कोशिश करते हुए पकड़े गए, जबकि पुणे की तीन महिलाओं, जिन पर दगडूशेठ गणपति उत्सव के दौरान हुई चोरी के मामले पहले से ही दर्ज हैं, को सोने के गहने चुराने की कोशिश करते हुए पकड़ा गया।
सहायक निरीक्षक विक्रम पाटिल और बजरंग जगताप ने बांद्रा और वर्सोवा के बीच के पुलिस थानों से 35 सदस्यीय टीम का नेतृत्व किया, जो डीसीपी-ज़ोन 9, दीक्षित गेदाम की देखरेख में काम कर रही थी। 300 साल पुराने इस मेले के पहले दिन लगभग 50,000 श्रद्धालु आए, और इसी दिन पुनर्निर्मित माउंट मैरी बेसिलिका का भी पुनः उद्घाटन हुआ।
मुंबई पुलिस ने कहा कि वे भक्तों के वेश में अपराधियों द्वारा की जाने वाली संगठित चोरी से निपटने के लिए रणनीति बना रहे हैं। 2018 में, बांद्रा पुलिस ने इसी तरह त्योहार के दौरान चेन्नई से तीन महिला चेन-स्नैचरों को गिरफ्तार किया था, जिनके लिए एक दुभाषिया की व्यवस्था की गई थी क्योंकि वे केवल तमिल बोलती थीं।
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