अंतरराष्ट्रीय
कुलदीप पहले के कोच और कप्तान के पसंदीदा खिलाड़ी नहीं थे, इसलिए उनको ज्यादा मौका नहीं मिला : कोच कपिल देव पांडे

बाएं हाथ के स्पिनर कुलदीप यादव के बचपन के कोच कपिल देव पांडे का मानना है कि जब कुलदीप बेहतरीन फॉर्म में थे तो उनको नियमित अवसर नहीं दिए गए। क्योंकि ऐसा लगता है कि वह टीम इंडिया के तत्कालीन कप्तान और कोच के पसंदीदा खिलाड़ियों में से नहीं थे, इसलिए उन्हें दरकिनार कर दिया गया है।
सिडनी में पांच विकेट लेने के बाद यादव के पिछले दो साल सघंर्ष भरे रहे हैं। 2019 में विदेशी परिस्थितियों में उस समय के तत्कालीन कोच रवि शास्त्री ने उन्हें भारत का नंबर 1 स्पिनर करार दिया था।
पिछले कुछ वर्षों में, यूपी में जन्मे स्पिनर विभिन्न कारणों से भारत के बाकी स्पिनरों की तुलना में नीचे चले गए हैं। उन्होंने भारतीय टीम प्रबंधन का विश्वास भी खो दिया है। इसलिए उनकी जगह बाएं हाथ के स्पिनर शाहबाज नदीम को अतिरिक्त खिलाड़ी के रूप में चुना गया था। लेकिन यादव को अक्टूबर 2019 से कोई भी मौका नहीं मिला है।
यादव टेस्ट क्रिकेट में अपनी जगह नहीं बना पाए हैं, जहां उन्होंने 23.85 की औसत से 26 विकेट लिए हैं। वहीं, सबसे लंबे प्रारूप में चुनावी प्रक्रिया में आर अश्विन और रवींद्र जडेजा जैसे पसंदीदा खिलाड़ियों से पीछे रह गए हैं।
इस बीच, उनके बचपन के कोच पांडे का कहना है, “अश्विन और जडेजा वास्तव में अच्छे गेंदबाज हैं, लेकिन जब कुलदीप अच्छा प्रदर्शन कर रहे थे, तब भी उन्हें मौके नहीं मिले थे। मुझे लगता है कि चोट से पहले भी कुलदीप उस समय के कप्तान और कोच के मन पसंदीदा खिलाड़ियों में नहीं थे, इसलिए उन्हें दरकिनार कर दिया गया था और भारतीय टीम से भी हटा दिया गया था।
कोच ने आईएएनएस को बताया, “कुछ लोग कहते हैं कि उनका फॉर्म एक मुद्दा था लेकिन मुझे बताओ, उसे कितने मौके मिले? वह विकेट ले रहे थे। आप छह गेंदों में छह विकेट की उम्मीद नहीं कर सकते। ऐसा लगता है कि वह वास्तव में कोच और कप्तान के पसंदीद खिलाड़ी नहीं थे। यही एकमात्र कारण है जिसकी वजह से उन्हें ज्यादा मौके नहीं मिले।”
यादव की आईपीएल फ्रेंचाइजी कोलकाता नाइट राइडर्स ने भी आईपीएल 14 के पहले चरण में मिस्ट्री स्पिनर वरुण चक्रवर्ती के लिए उनकी अनदेखी की थी और बाद में केकेआर ने यादव को अगले साल होने वाली आईपीएल मेगा नीलामी के लिए उन्हें रिलीज करने का फैसला किया।
यादव चोट के कारण इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) 14 के दूसरे चरण से बाहर होने के बाद से क्रिकेट से दूर हैं। लेकिन, अब वह नियमित प्रशिक्षण के लिए लौट आए हैं।
सितंबर में उनके घुटने की सर्जरी हुई थी और वह राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी बेंगलुरु में प्रशिक्षण कर रहे हैं और जल्द ही उनके फिट होने की उम्मीद है।
कपिल देव पांडे ने कहा, “मैंने उससे बात की थी, वह ठीक हो रहे हैं और मैंने उनसे भविष्य पर ध्यान केंद्रित करने और अतीत को भूलने के लिए कहा है। मुझे विश्वास है कि नए कोच और कप्तान उन्हे एक बार फिर से अपनी योग्यता साबित करने का मौका देंगे।”
भारत, दक्षिण अफ्रीका सीरीज के लिए वनडे टीम की घोषणा करने वाला है और कुलदीप के पूरी तरह फिट होने पर टीम में जगह बनाने का अच्छा मौका है।
गौरतलब है कि यादव चोट के बाद एनसीए में प्रशिक्षण ले रहे हैं और सोशल मीडिया के माध्यम से अपने प्रशंसकों को नियमित तस्वीरों और वीडियो से अपडेट कर रहे हैं।
अंतरराष्ट्रीय
ओबामा ने ईरान को बहुत कुछ दिया, मैं नहीं देने वाला: ट्रंप

वाशिंगटन, 30 जून। ईरान पर भविष्य में क्या अमेरिका हमला करेगा या नहीं, फिलहाल इसे लेकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने स्थिति स्पष्ट नहीं की है। ईरान के उप-विदेश मंत्री अमेरिका के साथ भविष्य में किसी भी कूटनीतिक और न्यूक्लियर वार्ता पर शर्त रख चुके हैं। ऐसे में ट्रंप ने कहा है कि अब वह ईरान से बात नहीं कर रहे हैं।
ट्रंप ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रुथ’ पर लिखा, “मैं ईरान को कुछ भी नहीं दे रहा हूं। ओबामा की तरह, जिन्होंने ‘परमाणु हथियार जेसीपीओए (जो अब समाप्त हो जाएगा) के तहत अरबों डॉलर का भुगतान किया था। इतना ही नहीं, मैं उनसे इस विषय पर बात भी नहीं करने वाला हूं, क्योंकि हमने उनकी न्यूक्लियर फैसिलिटी को पूरी तरह से नष्ट कर दिया है।”
ट्रंप शुक्रवार को उन मीडिया रिपोर्ट्स को खारिज कर चुके थे, जिनमें कहा गया था कि उनके प्रशासन ने सिविलियन एनर्जी प्रोड्यूसिंग न्यूक्लियर प्रोग्राम बनाने के लिए ईरान को 30 बिलियन डॉलर तक की मदद करने की चर्चा की थी।
रविवार को ‘बीबीसी’ से बातचीत में माजिद तख्त-रवांची ने कहा था कि अमेरिका को ईरान के खिलाफ किसी भी हमले से इनकार करना चाहिए। इसके साथ ही उप-विदेश मंत्री ने कहा कि ईरान के खिलाफ भविष्य के हमलों पर ट्रंप प्रशासन की स्थिति स्पष्ट नहीं की गई है।
माजिद ने बताया कि अमेरिका ने मध्यस्थ देशों से कहा है कि वह ईरान के साथ बातचीत करना चाहता है, लेकिन यह स्पष्ट नहीं किया कि वह भविष्य में हमले करेगा या नहीं।
अमेरिका ने ईरान की तीन न्यूक्लियर फैसिलिटी नतांज, फोर्डो और इस्फाहान को नष्ट किया था। इस फैसले के साथ अमेरिका इजरायल-ईरान के बीच संघर्ष में कूद पड़ा था।
इसके जवाब में ईरान ने कतर और इराक में अमेरिकी सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया। इसके बाद ट्रंप ने ईरान-इजरायल के बीच युद्ध विराम की घोषणा की थी।
अंतरराष्ट्रीय
ईरान के शीर्ष शिया धर्मगुरु ने ट्रंप-नेतन्याहू के खिलाफ जारी किया ‘फतवा’

तेहरान, 30 जून। अयातुल्ला मकारिम शिराजी ने एक ‘फतवा’ जारी करते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को ‘ऊपर वाले का दुश्मन’ बताया है। अयातुल्ला मकारिम शिराजी ईरान के शीर्ष शिया धर्मगुरुओं में से एक हैं।
शीर्ष शिया धर्मगुरु ने अपने फतवे में कहा, “कोई भी व्यक्ति या शासन जो नेता या मरजा को धमकाता है, उसे ऊपर वाले का दुश्मन माना जाता है।”
सेमी-ऑफिशियल मेहर समाचार एजेंसी के अनुसार, “रविवार को अपने ऑफिस के एक बयान में शिराजी ने दुनियाभर के मुसलमानों से ऐसी धमकियों के खिलाफ कड़ा रुख अपनाने को कहा है। शिराजी ने कहा है कि अगर कोई मुस्लिम जो अपने मुस्लिम कर्तव्य का पालन करता है, उसे अपने अभियान में कठिनाई या नुकसान उठाना पड़ता है, तो उसे ऊपर वाले की राह में एक योद्धा के रूप में इनाम से नवाजा जाएगा।”
फतवे में कहा गया है, “मुसलमानों या इस्लामी देशों के जरिए उस दुश्मन को दिया जाने वाला कोई भी सहयोग या समर्थन हराम या निषिद्ध है। दुनियाभर के सभी मुसलमानों के लिए यह जरूरी है कि वह इन दुश्मनों को उनके शब्दों और गलतियों पर पछतावा करवाएं।”
रिपोर्ट्स के अनुसार यह फतवा राष्ट्रपति ट्रंप और इजरायली अधिकारियों के ईरानी सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई के खिलाफ कथित धमकियों के बाद आया है।
राष्ट्रपति ट्रंप ने हाल ही में कहा था कि उन्होंने खामेनेई को ‘एक बहुत ही भयावह और अपमानजनक मौत’ से बचाया है। इसके साथ ही ट्रंप ने ईरानी सर्वोच्च नेता के ऊपर इजरायल पर जीत के बारे में गलत बयान देने का आरोप लगाया।
हाल ही में इजरायल के रक्षा मंत्री इजरायल कैट्ज ने एक इंटरव्यू में कहा कि ईरान के साथ अपने 12-दिवसीय संघर्ष के दौरान, इजरायल ने खामेनेई को खत्म करने की कोशिश की, लेकिन इस ऑपरेशन को अंजाम देने का मौका कभी नहीं आया।
कैट्ज ने इजराइल के ‘चैनल 13’ को दिए एक इंटरव्यू में कहा, “अगर वह हमारी नजर में होते, तो हम उन्हें मार गिराते। हम खामेनेई को खत्म करना चाहते थे, लेकिन कोई ऑपरेशनल मौका नहीं था।”
इजरायल ने 13 जून को ‘ऑपरेशन राइजिंग लॉयन’ शुरू किया, जिसमें ईरान की प्रमुख सैन्य और न्यूक्लियर एसेट्स को निशाना बनाया गया। इसके बाद दोनों देशों के बीच संघर्ष बढ़ गया।
जवाबी कार्रवाई में, ईरान ने इजरायली शहरों और बाद में कतर और इराक में अमेरिकी सैन्य ठिकानों पर मिसाइल हमले किए। तेहरान के इस कदम से पहले फोर्डो, नतांज और इस्फाहान में उसकी न्यूक्लियर फैसिलिटी पर अमेरिकी हमले हुए थे।
संघर्ष के बारह दिन बाद ट्रंप ने दोनों देशों के बीच युद्धविराम की घोषणा की।
अंतरराष्ट्रीय
सीजफायर की उम्मीदों के बीच गाजा में इजरायली सैनिक की मौत

यरूशलम, 30 जून। उत्तरी गाजा पट्टी में एक इजरायली सैनिक की मौत की सूचना सामने आई है, जिसकी जानकारी इजरायली सेना ने दी है।
‘सिन्हुआ समाचार एजेंसी’ के अनुसार सेना ने बताया है कि 401वीं ब्रिगेड की 601वीं कॉम्बैट इंजीनियरिंग बटालियन के सार्जेंट यिसरायल नतन रोसेनफेल्ड (20) लड़ाई के दौरान मारे गए।
इजरायल के सरकारी स्वामित्व वाले ‘कान टीवी’ ने बताया कि रोसेनफेल्ड की मौत जबालिया में एक विस्फोटक उपकरण की वजह से हुई। यह एक ऐसा क्षेत्र है जहां सेना ने उत्तरी गाजा में एक नियोजित बफर जोन के हिस्से के रूप में चौकियों के निर्माण की तैयारी में इमारतों को ध्वस्त करना शुरू कर दिया था।
जून की शुरुआत से गाजा पट्टी में 21 इजरायली सैनिक मारे गए हैं। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, अक्टूबर 2023 तक सैनिकों की मौत का आंकड़ा 880 तक पहुंच चुका था।
इससे पहले रविवार को, फिलिस्तीनी सूत्रों ने उत्तरी गाजा में भारी बमबारी की सूचना दी। गाजा स्वास्थ्य अधिकारियों के अनुसार, इजरायली हमलों में करीब 88 लोग मारे गए और 365 घायल हो गए।
इजरायली डिफेंस फोर्सेज ने गाजा के भीड़भाड़ वाले रिहायशी इलाकों के अलावा स्कूल, स्टेडियम और शरणार्थी टेंट को निशाना बनाया।
यह हमला तब हुआ जब इजरायली सेना ने नई इवैक्युएशन वॉर्निंग जारी की। इस चेतावनी में गाजा शहर और जबालिया के निवासियों से तुरंत अल-मवासी क्षेत्र की ओर जाने को कहा गया।
यह हमले ऐसे समय पर हुए, जब एक दिन पहले ही अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अगले हफ्ते तक सीजफायर का संकेत दिया था, लेकिन इजरायल की इस कार्रवाई ने इन उम्मीदों को धूमिल कर दिया है।
इस बीच, गाजा के स्वास्थ्य अधिकारियों ने रविवार को बताया कि अक्टूबर 2023 से इजरायली सैन्य अभियानों में मरने वाले फिलिस्तीनियों की संख्या कम से कम 56,500 हो गई है।
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