राजनीति
प्रधानमंत्री मोदी दिसम्बर में गोरखपुर को खाद कारखाना और एम्स की देंगे सौगात

हिंदुस्तान उर्वरक एवं रसायन लिमिटेड द्वारा निर्मित खाद कारखाना और अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) की सौगात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दिसम्बर माह में गोरखपुर को देने जा रहे हैं। इसके लिए प्रशासन ने तैयारी तेज कर दी हैं। राज्य सरकार से मिली जानकारी के अनुसार, “आगामी 7 दिसम्बर को विकास की इस बड़ी सौगात को पीएम मोदी के हाथों समर्पित कराने जा रहे हैं। इस खाद कारखाने से प्रतिवर्ष 12.7 लाख मीट्रिक टन नीम कोटेड यूरिया का उत्पादन होगा। इतने बड़े पैमाने पर खाद उत्पादन से देश के सकल खाद आयात में भारी कमी आएगी तो आत्मनिर्भरता का दम भी दिखेगा।”
याद हो कि खाद कारखाना का शिलान्यास प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 22 जुलाई 2016 को किया था। इस साल फरवरी महीने में खाद कारखाना का उद्घाटन होना था लेकिन कोरोना संक्रमण की वजह से काम पूरा होने में देर हुई। प्रधानमंत्री के हाथ खाद कारखाना का उद्घाटन होने के बाद कुछ ही देर नीम कोटेड यूरिया का उत्पादन होगा। इसके बाद 40-45 दिन तक कारखाना को बंद कर मशीनों की जांच कराई जाएगी। खाद कारखाना के निर्माण पर आठ हजार और एम्स के निर्माण पर 14 सौ करोड़ रुपये खर्च हुए हैं।
ज्ञात हो कि गोरखपुर में 1968 में स्थापित फर्टिलाइजर कॉपोर्रेशन ऑफ इंडिया के खाद कारखाने को 1990 में हुए एक हादसे के बाद बंद कर दिया गया। एक बार यहां की मशीनें शांत हुईं तो तरक्की से जुड़ी उनकी आवाज को दोबारा सुनने की दिलचस्पी सरकारों ने नहीं दिखाई। 1998 में गोरखपुर से पहली बार सांसद बनने के बाद योगी आदित्यनाथ ने हर सत्र में खाद कारखाने को चलाने या इसके स्थान पर नए प्लांट के लिए आवाज बुलंद की। 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी ने तत्कालीन सांसद योगी आदित्यनाथ की इस मांग पर संजीदगी दिखाई और 22 जुलाई 2016 को नए खाद कारखाने का शिलान्यास कर पूर्वी उत्तर प्रदेश को बड़ी सौगात दी। मार्च 2017 में योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद खाद कारखाने के निर्माण में किसी तरह की बाधा ही नहीं रह गई, वरन निर्माण कार्य को पंख लग गए। खास बात यह भी है कि यहां पर्यावरण अनुकूल प्राकृतिक गैस आधारित प्लांट लगाया गया है।
गोरखपुर के खाद कारखाने का संचालन की जिम्मेदारी हिंदुस्तान उर्वरक एवं रसायन लिमिटेड (एचयूआरएल) की है। एचयूआरएल एक संयुक्त उपक्रम है जिसमें कोल इंडिया लिमिटेड, एनटीपीसी, इंडियन ऑयल कोपोर्रेशन लीड प्रमोटर्स हैं जबकि इसमें फर्टिलाइजर कॉपोर्रेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड और हिंदुस्तान फर्टिलाइजर कॉपोर्रेशन लिमिटेड भी साझीदार हैं।
इस संयुक्त उपक्रम के अधीन गोरखपुर खाद कारखाने के निर्माण में करीब 8000 करोड़ रुपये की लागत आई है। कारखाना परिसर में 30 करोड़ की लागत से विशेष रबर भी बना है जिस पर गोलियों का भी असर नहीं होता है। एचयूआरएल के इस खाद कारखाने की उत्पादन क्षमता प्रतिदिन 3850 मीट्रिक टन और प्रतिवर्ष 12.7 लाख मीट्रिक टन उर्वरक उत्पादन की है। इसके उत्पादनशील होने से पूर्वी उत्तर प्रदेश के साथ ही बिहार व यूपी से सटे अन्य राज्यों में नीम कोटेड यूरिया की बड़े पैमाने पर आपूर्ति सुनिश्चित होगी।
यही नहीं आने वाले दिनों में गोरखपुर में बनी यूरिया से पड़ोसी देश नेपाल की फसलें भी लहलहाएंगी। प्रधानमंत्री के हाथों लोकार्पण से पूर्व कारखाना प्रबंधन 30 नवम्बर में उत्पादन का ट्रायल करने जा रहा है। अक्टूबर माह में वर्तमान केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री मनसुख मांडविया ने भी कारखाने की प्रगति जानने के लिए पहुंचे थे ।
महाराष्ट्र
सुप्रीम कोर्ट द्वारा वक्फ कानून पर दिए गए अंतरिम आदेश का स्वागत, सच्चाई के सामने कोई भी ताकत ज्यादा देर तक टिक नहीं सकती: आरिफ नसीम खान

NASIM KHAN SUPRIM COURT
मुंबई: कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्य और महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री नसीम खान ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा वक्फ अधिनियम पर दिए गए अंतरिम आदेश का गर्मजोशी से स्वागत किया है और कहा है कि अदालत का यह फैसला एक बार फिर मोदी सरकार को आईना दिखाता है। भाजपा सरकार को यह गलतफहमी है कि संसद में प्रचंड बहुमत मिलने के बाद उसे संविधान को रौंदने का अधिकार मिल गया है, लेकिन अदालत ने स्पष्ट कर दिया है कि लोकतंत्र में सबसे बड़ी ताकत संविधान है, किसी राजनीतिक दल का बहुमत नहीं। सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश मोदी सरकार के अहंकार पर करारा तमाचा है और याद दिलाता है कि संविधान की आवाज को कोई दबा नहीं सकता।
मीडिया को दिए अपने बयान में नसीम खान ने कहा कि पिछले कई वर्षों में भाजपा सरकार ने बार-बार ऐसे कानून बनाए हैं जिनका उद्देश्य समाज के कमज़ोर वर्गों को निशाना बनाना और संवैधानिक मूल्यों को कमज़ोर करना है। वक्फ संशोधन अधिनियम भी उसी कड़ी की एक कड़ी है जिसके ज़रिए सरकार ने अल्पसंख्यकों की धार्मिक और सामाजिक स्वतंत्रता पर अंकुश लगाने की कोशिश की। बहरहाल, सर्वोच्च न्यायालय के इस अंतरिम आदेश ने यह सिद्ध कर दिया है कि न्यायालय अभी भी संवैधानिक अधिकारों का रक्षक है और किसी भी सरकार को अपनी शक्ति के मद में संविधान के ढाँचे को विकृत करने की अनुमति नहीं दी जा सकती। उन्होंने लोगों से संवैधानिक संस्थाओं में विश्वास रखने और यह मानने की अपील की कि सत्य के सामने कोई भी शक्ति अधिक समय तक टिक नहीं सकती। उन्होंने कहा कि आज का दिन उन सभी नागरिकों के लिए आशा की किरण है जो पिछले कई महीनों से इस कानून के लागू होने से चिंता में डूबे हुए थे।
गौरतलब है कि पिछले साल केंद्र की भाजपा सरकार ने अपने संख्यात्मक बहुमत के आधार पर वक्फ संशोधन विधेयक को लोकसभा और राज्यसभा दोनों से पारित करा लिया था। देश के विभिन्न राज्यों से इस कानून के खिलाफ कई याचिकाएँ दायर की गई थीं, जिनमें यह रुख अपनाया गया था कि यह संशोधन कानून न केवल भारतीय संविधान की भावना के विरुद्ध है, बल्कि अल्पसंख्यकों के संवैधानिक अधिकारों पर भी सीधा हमला करता है। आज देश की सर्वोच्च अदालत ने एक महत्वपूर्ण अंतरिम आदेश जारी करते हुए इस विवादास्पद संशोधन कानून के कई प्रावधानों के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी। इस फैसले ने न केवल सरकार की स्थिति को कमजोर किया, बल्कि इस कानून को लेकर चिंतित लाखों लोगों को अस्थायी राहत भी प्रदान की। अदालत के इस कदम को राजनीतिक, सामाजिक और कानूनी हलकों में संविधान की सर्वोच्चता के प्रदर्शन के रूप में देखा जा रहा है।
राष्ट्रीय समाचार
मुंबई पुलिस ने नागरिकों से घरों के अंदर रहने और तटीय इलाकों से बचने की अपील की, क्योंकि शहर में भारी बारिश हो रही है; रेड अलर्ट जारी, आज और तेज़ बारिश का अनुमान

मुंबई: मुंबई में रात भर हुई लगातार बारिश के बीच, शहर पुलिस ने सोमवार सुबह एक सख्त सलाह जारी करते हुए निवासियों से तटीय और निचले इलाकों में जाने से बचने को कहा। मुंबई पुलिस ने पोस्ट किया, “मुंबई शहर और उपनगरों में आईएमडी द्वारा जारी रेड अलर्ट के मद्देनजर, नागरिकों से तटीय और निचले इलाकों में जाने से बचने का अनुरोध किया जाता है। हमारे अधिकारी और कर्मचारी सतर्क हैं और मुंबईवासियों की सहायता के लिए तैयार हैं। किसी भी आपात स्थिति में 100/112/103 डायल करें।”
यह सलाह भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) द्वारा जारी रेड अलर्ट के बाद आई है, जिसमें गरज, बिजली और 30-40 किमी प्रति घंटे की तेज़ हवाओं के साथ तेज़ से बहुत तेज़ बारिश की चेतावनी दी गई है। आईएमडी के सुबह 10:30 बजे के पूर्वानुमान में चेतावनी दी गई है कि अगले तीन से चार घंटों तक भारी बारिश जारी रहेगी, जिससे उच्च ज्वार के दौरान बाढ़ की आशंका बढ़ गई है।
15 सितंबर की मध्यरात्रि से सुबह 8 बजे के बीच दर्ज नगरपालिका के आंकड़ों के अनुसार, इस मौसम की सबसे तेज़ बारिश दर्ज की गई। बांद्रा के पाली चिंबई इलाके में 176 मिमी बारिश दर्ज की गई, इसके बाद वर्ली फायर स्टेशन (170 मिमी), आदर्श नगर स्कूल, वर्ली (168 मिमी), बांद्रा फायर स्टेशन (167 मिमी) और फ्रॉसबेरी जलाशय (167 मिमी) में बारिश दर्ज की गई। दादर (160 मिमी), कोलाबा (159 मिमी), सुपारी टैंक स्कूल, बांद्रा (158 मिमी), खार डांडा स्कूल, पाली हिल (148 मिमी) और ए वार्ड ऑफिस (137 मिमी) जैसे अन्य स्थानों पर भी भारी बारिश हुई।
इसका असर पूरे शहर में सुबह से ही दिखाई देने लगा। जलभराव के कारण यातायात और रेल सेवाएँ ठप हो गईं, किंग्स सर्कल, सायन, भायखला, महालक्ष्मी और पेडर रोड जैसे प्रमुख जंक्शन जलमग्न हो गए। कुर्ला में, रेल पटरियों पर बारिश का पानी जमा हो गया, जिससे उपनगरीय रेलगाड़ियों का संचालन धीमा हो गया।
सड़क परिवहन को भी भारी नुकसान हुआ। अंधेरी सबवे को एक से डेढ़ फुट पानी भर जाने के कारण बंद कर दिया गया, जिससे यातायात पुलिस को वाहनों को गोखले ब्रिज के रास्ते मोड़ना पड़ा। ईस्टर्न एक्सप्रेस हाईवे पर, खासकर सायन और किंग्स सर्कल के पास, यातायात जाम की सूचना मिली, जिससे सुबह के समय यात्रियों को देरी हुई।
मुंबई की उपनगरीय रेलवे, जो शहर की जीवनरेखा है, में सेंट्रल और हार्बर लाइनों पर 10-15 मिनट की देरी देखी गई, जबकि हार्बर लाइन पर सुबह-सुबह कई ट्रेनें रद्द कर दी गईं। वेस्टर्न लाइन पर पाँच मिनट तक की मामूली देरी के साथ स्थिति थोड़ी बेहतर रही।
महाराष्ट्र
वक्फ संशोधन अधिनियम पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से न्यायपालिका में विश्वास बहाल हुआ, कोर्ट ने आपत्तियों को स्वीकार कर उस पर स्थगन आदेश लगाया: रईस शेख

SUPRIM COURT RAIS SHAIKH
मुंबई: भिवंडी पूर्व से समाजवादी पार्टी के विधायक रईस शेख ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट द्वारा वक्फ बोर्ड (संशोधन) अधिनियम, 2025 के कुछ प्रावधानों पर दी गई अंतरिम रोक का स्वागत किया है और संतोष व्यक्त किया है।
अदालत के फैसले पर रईस शेख ने कहा कि वक्फ बोर्ड की समिति में अधिकतम चार गैर-मुस्लिम सदस्य हो सकते हैं। यानी 11 में से बहुमत मुसलमानों का होना चाहिए। अदालत ने निर्देश दिया है कि जहाँ तक संभव हो, बोर्ड का मुख्य कार्यकारी अधिकारी एक मुस्लिम होना चाहिए।
वक्फ बोर्ड का सदस्य बनने की शर्त पाँच साल तक इस्लाम का पालन करना थी। इस प्रावधान को यह कहते हुए स्थगित कर दिया गया कि जब तक सरकार स्पष्ट कानून नहीं बनाती, यह प्रावधान लागू नहीं होगा। रईस शेख ने कहा कि अदालत का यह स्पष्टीकरण कि वक्फ ट्रिब्यूनल और उच्च न्यायालय द्वारा वक्फ संपत्ति के स्वामित्व का फैसला होने तक वक्फ बोर्ड को उसकी संपत्ति से वंचित नहीं किया जा सकता, केंद्र सरकार के मुँह पर तमाचा है।
यह फैसला अस्थायी है। जब तक इस कानून के नियम नहीं बन जाते, तब तक कोई निर्णय नहीं लिया जा सकता। लेकिन यह अंतरिम निर्णय संतोषजनक है और न्यायालय में विश्वास बढ़ाता है।
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