राजनीति
‘बोको हरम’ ने मेरे घर में आग लगाई : सलमान खुर्शीद

पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद ने अपने नैनीताल आवास पर हुई आगजनी-पत्थरबाजी की घटना के लिए ‘बोको हरम’ और संघ को जिम्मेदार ठहराया है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद ने अपने घर नैनीताल में हुए हमले को लेकर कहा है कि उनके घर पर आतंकी संगठन बोको हरम या फिर पाकिस्तान के नारे लगाने वाले लोगों ने किया होगा। उन्होंने कहा कि हिंदुत्व को मानने वाले लोगों ने भी संभव है कि यह हमला कराया हो।
गौरतलब है कि सोमवार को कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद के नैनीताल स्थित आवास पर पत्थरबाजी और आगजनी की घटना हुई थी। वहां मौजूद लोगों के अनुसार उपद्रवियों के हाथ में कथित तौर पर बीजेपी का झंडा था और वे साम्प्रदायिक नारे लगा रहे थे।
दरअसल पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद ने अपनी किताब सनराइज ओवर अयोध्या में हिंदुत्व की तुलना एक कट्टरपंथी आतंकी संगठन से की हैं। सलमान खुर्शीद ने अपनी किताब में हिंदुत्व की तुलना आतंकी आईएसआईएस और बोको हराम जैसे संगठनों से करने के बाद से खुर्शीद हिंदुत्ववादी संगठनों के निशाने पर हैं। केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद ने अपनी किताब सनराइज ओवर अयोध्या में हिंदुत्व की तुलना एक कट्टरपंथी आतंकी संगठन से की हैं।
सलमान खुर्शीद ने अपनी प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए कहा कि आरएसएस (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) बोको हरम और हिंदुत्व को मानने वाले लोग भी ऐसी घटना को अंजाम दे सकते हैं।
उन्होंने कहा, मैंने तो कहा था यह सब बुरे हैं हो सकता है कि बोको हरम को बुरा लगा हो कि मैंने ऐसा कहा तो (इनको हिंदुत्व को मानने वाले लोगों को) तो हमारा साथ देना चाहिए।
उन्होंने कहा कि बात सिर्फ इतनी है जो भी धर्म का दुरुपयोग करता है, वह बुरा है। उसके लिए हमारे संविधान में कोई भी जगह नहीं है। मुझे आप सब लोग पूछते थे कि हमको उदाहरण दीजिए। आज तो किसी ने मुझसे यह पूछ लिया कि बोको हरम क्या होता है, उदाहरण दो। यह लोग ( हिंदुत्व को मानने वाले ) हमारे अपने हैं हमारे घर के लोग हैं। मैं क्या उदाहरण दूं। मैं जितना उदाहरण दूंगा, उतना ही विवाद बढ़ेगा, उतनी ही कटुता बनेगी। मैंने अपनी किताब में यह कहा था कि आप वह सब भूल जाइए और आगे बढ़ो। सुप्रीम कोर्ट ने एक मौका दिया है। इस मौके का सदुपयोग करो और आगे मिलकर चलो। मैंने यह कहा कि हिंदू मुसलमान मिलकर चले हम (कांग्रेस) सबको साथ लेकर चलेंगे हमारा यह लक्ष्य है।
महाराष्ट्र
मुंबई पुलिस ने गणपति उत्सव के लिए विशेष सुरक्षा व्यवस्था की है: पुलिस आयुक्त देवेन भारती

मुंबई: मुंबई पुलिस ने गणपति उत्सव के संदर्भ में कड़े सुरक्षा इंतजाम करने का दावा किया है। मुंबई पुलिस आयुक्त देवेन भारती के नेतृत्व में संयुक्त पुलिस आयुक्त सत्यनारायण चौधरी और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को तैनात किया गया है। इसके साथ ही मुंबई पुलिस के अतिरिक्त आयुक्त, 36 डीसीपी, 51 एसीपी, 2336 अधिकारी, 14430 जवानों सहित अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया गया है। इसके अलावा पुलिस बलों में दंगा निरोधक दस्ता, आरपीएफ, एसआरपीएफ, त्वरित प्रतिक्रिया बल, डेल्टा कॉम्बैट, होमगार्ड और अन्य बल भी तैनात किए गए हैं। कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस ने गणपति मंडलों पर विशेष व्यवस्था और सुरक्षा व्यवस्था की है ताकि कोई अप्रिय घटना न घटे। इसलिए पुलिस ने जनता से अपील की है कि वे भीड़ के दौरान धैर्य और संयम दिखाएं, संदिग्ध और संदिग्ध लोगों पर नजर रखें और भीड़ के दौरान पुलिस का सहयोग करें
राजनीति
नया बिल संविधान की रक्षा के लिए, विपक्ष को डरने की जरूरत नहीं : श्रीकांत शिंदे

मुंबई, 25 अगस्त। शिवसेना सांसद श्रीकांत शिंदे ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की ओर से संसद में पेश किए गए तीन विधेयकों को लेकर अपनी बातें रखीं। उन्होंने सोमवार को पत्रकारों से बातचीत में कहा कि यह बिल संविधान की रक्षा के लिए लाया जा रहा है, न कि किसी को जेल में डालने के लिए।
उन्होंने कहा, “हमने देखा है कि देश में कई बड़े नेता, यहां तक कि मुख्यमंत्री और मंत्री भी जेल गए। लेकिन, उन्होंने अपने पद से इस्तीफा नहीं दिया। लोकतंत्र में जब किसी पर आरोप लगता है, तो जांच और विचार-विमर्श जरूरी होता है। इसी सोच के साथ सरकार यह नया बिल ला रही है, जो संविधान की रक्षा के लिए है।”
उन्होंने जोर देकर कहा कि यह बिल किसी को निशाना बनाने के लिए नहीं, बल्कि संवैधानिक मूल्यों को मजबूत करने के लिए है।
उन्होंने विपक्ष के सवाल पर कहा, “अगर विपक्ष के नेताओं ने कुछ गलत नहीं किया, तो उन्हें इस बिल से डरने की क्या जरूरत है? यह बिल लोकतंत्र और संविधान के हित में है। सरकार का मकसद किसी को परेशान करना नहीं, बल्कि पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करना है।”
दरअसल, पिछले दिनों केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने संसद के मानसून सत्र में तीन अहम बिल पेश किए थे। उनकी ओर से पेश किए गए बिल में मुख्य रूप से संविधान (130वां संशोधन) विधेयक, 2025, संघ राज्य क्षेत्र सरकार (संशोधन) विधेयक, 2025 और जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2025 शामिल थे।
लोकसभा में पेश किए गए बिल का मुख्य उद्देश्य यह है कि अगर कोई केंद्रीय मंत्री, किसी राज्य का मुख्यमंत्री या किसी केंद्र शासित प्रदेश का मुख्यमंत्री किसी आपराधिक मामले में आरोपी पाया जाता है, तो उसे तत्काल अपने पद से इस्तीफा देना होगा। लेकिन, केंद्रीय मंत्री की ओर से पेश किए गए इस बिल का विपक्ष की ओर से विरोध किया जा रहा है।
राष्ट्रीय समाचार
सीएसडीएस एनालिस्ट संजय कुमार को ‘सुप्रीम’ राहत, महाराष्ट्र वोटर डेटा मामले में एफआईआर पर रोक

SUPRIM COURT
नई दिल्ली, 25 अगस्त। ‘सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसायटीज’ (सीएसडीएस) के एनालिस्ट संजय कुमार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से जुड़े एक मामले में उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर पर स्टे लगा दी है।
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से संबंधित वोटर डेटा पर कथित रूप से भ्रामक जानकारी प्रकाशित करने को लेकर संजय कुमार के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी। इस मामले में संजय कुमार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और याचिका दायर कर अपने खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने की मांग की।
सुप्रीम कोर्ट ने सीएसडीएस के एनालिस्ट संजय कुमार की याचिका पर सुनवाई करते हुए महाराष्ट्र सरकार को नोटिस जारी किया है। कोर्ट ने साफ किया है कि अगली सुनवाई तक पुलिस उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करेगी। मामले की अगली सुनवाई तक सुप्रीम कोर्ट ने संजय कुमार को राहत दी है।
इससे पहले, संजय कुमार ने इस मामले में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट के जरिए माफी भी मांगी थी। उन्होंने पोस्ट में लिखा था, “महाराष्ट्र चुनावों के संबंध में पोस्ट किए गए ट्वीट के लिए मैं तहे दिल से माफी चाहता हूं। 2024 के लोकसभा और 2024 के विधानसभा चुनावों के आंकड़ों की तुलना करते समय त्रुटि हुई। पंक्ति में दिए गए आंकड़ों को हमारी डेटा टीम ने गलत पढ़ा था। ट्वीट को अब हटा दिया गया है। मेरा किसी भी प्रकार की गलत सूचना फैलाने का कोई इरादा नहीं था।”
आपको बताते चलें, संजय कुमार ने 2024 के लोकसभा चुनाव और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की मतदाता सूची का जिक्र करते हुए मतदाताओं की संख्या में भारी बदलाव होने का दावा किया था। उन्होंने कहा था कि रामटेक विधानसभा क्षेत्र में मतदाताओं की संख्या में 38.45 फीसदी की कमी आई। वहीं, देवलाली में भी उन्होंने 36.82 फीसदी मतदाताओं की कमी का दावा किया था।
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