अंतरराष्ट्रीय समाचार
प्रधानमंत्री मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन ने भारत-अमेरिका संबंधों में शुरू किया नया अध्याय

राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा, “हम अमेरिका-भारत संबंधों के इतिहास में एक नए अध्याय की शुरूआत कर रहे हैं और कुछ सबसे कठिन चुनौतियों का सामना कर रहे हैं।” मुलाकात के बाद मोदी ने ट्वीट किया, “जो बाइडेन के साथ एक उत्कृष्ट बैठक हुई। महत्वपूर्ण वैश्विक मुद्दों पर उनका नेतृत्व सराहनीय है। हमने चर्चा की कि कैसे भारत और यूएसए विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग को आगे बढ़ाएंगे और कोविड-19 और जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए मिलकर काम करेंगे।”
अपनी बैठक की औपचारिक शुरूआत से पहले बोलते हुए, मोदी ने बाइडेन से कहा, “मुझे लगता है कि आपके नेतृत्व में, भारत-अमेरिका संबंधों के विस्तार के लिए बीज बोए गए हैं और दुनिया के सभी लोकतांत्रिक देशों के लिए, यह एक परिवर्तनकारी अवधि होने जा रहा है। मैं इसे बहुत स्पष्ट रूप से देख सकता हूं।”
मोदी ने कहा, “लोकतांत्रिक मूल्य, परंपराएं जिनके लिए दोनों देश प्रतिबद्ध हैं, मुझे लगता है कि इन परंपराओं का महत्व और बढ़ेगा।”
बाइडेन ने कहा, “हमारी साझेदारी सिर्फ हम जो करते हैं, उससे कहीं अधिक है। यह लोकतांत्रिक मूल्यों, विविधता के लिए हमारी संयुक्त प्रतिबद्धता को बनाए रखने की हमारी साझा जिम्मेदारी में निहित है।”
बाइडेन ने कहा, भारत-अमेरिका संबंध “पारिवारिक संबंधों के बारे में हैं, जिसमें 40 लाख भारतीय-अमेरिकी शामिल हैं, जो संयुक्त राज्य को हर दिन मजबूत बनाते हैं।”
मोदी ने कहा, “आपने उल्लेख किया, 40 लाख से अधिक भारतीय अमेरिकी हैं जो अमेरिका की प्रगति की यात्रा में भाग ले रहे हैं। जब मैं इस दशक के महत्व को देखता हूं और इस प्रतिभा द्वारा निभाई जाने वाली भूमिका को देखता हूं। मुझे लगता है कि लोगों से लोगों की प्रतिभा एक बड़ी भूमिका निभाएगी और भारतीय प्रतिभा इस रिश्ते में एक पूर्ण भागीदार होगी और इसमें आपका योगदान बहुत महत्वपूर्ण होगा।”
दोनों नेताओं ने अगले सप्ताह होने वाली गांधी जयंती का जिक्र किया। बाइडेन ने कहा, “जैसा कि दुनिया अगले हफ्ते महात्मा गांधी का जन्मदिन मनाती है, हम सभी को याद दिलाया जाता है कि अहिंसा, सम्मान, सहिष्णुता का उनका संदेश आज शायद पहले से कहीं ज्यादा मायने रखता है।”
मोदी ने पर्यावरण की ओर मुड़ते हुए कहा, “महात्मा गांधी हमेशा ट्रस्टीशिप, ग्रह के ट्रस्टीशिप के सिद्धांत के बारे में बात करते थे।”
“इसका अर्थ यह है कि हमारे पास जो ग्रह है, उसे हमें आने वाली पीढ़ियों को देना होगा और ट्रस्टीशिप की यह भावना विश्व स्तर पर, बल्कि भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका के संबंधों के बीच भी अधिक से अधिक महत्व ग्रहण करने जा रही है और इन आदशरें को महात्मा गांधी ने प्रतिपादित किया था। वैश्विक नागरिकों की जिम्मेदारी केवल बढ़ने वाली है।”
बाइडेन ने क्वाड शिखर सम्मेलन का उल्लेख किया जहां वे जापान के प्रधानमंत्री योशीहिदे सुगा और ऑस्ट्रेलिया के स्कॉट मॉरिसन से मिलेंगे, और कहा, “प्रधानमंत्री और मैं आज बात करने जा रहे हैं कि हम कोविड -19 से लड़ने के लिए और क्या कर सकते हैं। दुनिया के सामने आने वाली जलवायु चुनौतियों का सामना करें और हिंद-प्रशांत में स्थिरता सुनिश्चित करें, जिसमें हमारे अपने क्वाड पार्टनर भी शामिल हैं।”
मोदी ने भारत के साथ संबंध बनाना जारी रखने के प्रयासों के लिए बाइडेन को तहे दिल से धन्यवाद दिया और याद किया कि 2014 में बाइडेन के उपराष्ट्रपति रहते हुए उनकी बैठक हुई थी और दोनों देशों के बीच संबंधों पर चर्चा हुई थी।
उन्होंने कहा, “आपने भारत-अमेरिका संबंधों के लिए बहुत विस्तार से एक ²ष्टिकोण रखा था। वास्तव में, वह एक ऐसा ²ष्टिकोण था जो प्रेरणादायक था और आज, राष्ट्रपति के रूप में, आप सभी प्रयास कर रहे हैं और इसे लागू करने के लिए पहल कर रहे हैं।”
मोदी ने कहा, “मैं देख रहा हूं कि यह 21वीं सदी का तीसरा दशक है, यह तीसरे दशक का पहला वर्ष है। जब मैं पूरे दशक को देखता हूं, तो मुझे पता चलता है कि आपके नेतृत्व में देश के लिए बीज बोए गए हैं। भारत-अमेरिका संबंधों का विस्तार होगा।”
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अमेरिकी युद्धविराम प्रस्ताव फिलिस्तीनी मांगों पर खरा नहीं : हमास

गाजा, 30 मई। हमास के एक वरिष्ठ नेता ने कहा है कि गाजा पट्टी में युद्ध रोकने के लिए अमेरिका का जो प्रस्ताव आया है, उस पर विचार किया जा रहा है। हालांकि, यह प्रस्ताव हमास और फिलिस्तीनी लोगों की मुख्य मांगों को पूरा नहीं करता।
मिडिया के मुताबिक, हमास के राजनीतिक ब्यूरो के सदस्य बासम नईम ने गुरुवार को एक बयान में कहा कि उन्हें अमेरिका के विशेष दूत स्टीव विटकॉफ द्वारा पिछले हफ्ते दिए गए युद्धविराम प्रस्ताव पर इजरायल की प्रतिक्रिया मिल गई है।
नईम के मुताबिक, इजरायल ने फिलिस्तीन की मुख्य मांगों को नहीं माना। इनमें लड़ाई को पूरी तरह खत्म करना और गाजा पर लगी पुरानी नाकेबंदी हटाना शामिल है।
उन्होंने कहा कि यह प्रस्ताव युद्धविराम के दौरान भी इजरायल के कब्जे और लोगों की तकलीफों को जारी रहने देगा।
नईम ने कहा, “इसके बावजूद हमास का नेतृत्व फिलिस्तीनी जनता के खिलाफ जारी हिंसा और मानवीय संकट को ध्यान में रखते हुए ज़िम्मेदारी के साथ इस प्रस्ताव पर विचार कर रहा है।”
हमास ने पहले कहा था कि उसे मध्यस्थों के जरिए नया युद्धविराम प्रस्ताव मिला है। वह इसका मूल्यांकन इस तरह कर रहा है कि यह फिलिस्तीनी लोगों के हितों की रक्षा करे और गाजा के लोगों के लिए स्थायी शांति और राहत लाने में मदद करे।
हमास ने पहले कहा था कि वह विटकॉफ के साथ एक समझौते के “सामान्य ढांचे” पर सहमत हो गया है। इस समझौते का मकसद स्थायी युद्धविराम करना, इजरायल की गाजा से पूरी तरह वापसी सुनिश्चित करना, राहत सामग्री की आपूर्ति शुरू करना और हमास से एक स्वतंत्र फिलिस्तीनी समिति को सत्ता सौंपना है।
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‘ऑपरेशन सिंदूर’ की सफलता बताने मास्को पहुंची कनिमोझी, क्योटो में संजय झा ने खोली पाकिस्तान की पोल

नई दिल्ली, 23 मई। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की सफलता और पाकिस्तान में जड़ जमा चुके आतंकवाद की सच्चाई से दुनिया के दूसरे देशों को अवगत कराने के लिए निकला कनिमोझी का प्रतिनिधिमंडल मास्को पहुंच चुका है। वहीं, क्योटो पहुंचे संजय झा ने भारत की सोच से जापानी राजनयिकों को अवगत कराया।
कनिमोझी के नेतृत्व वाला प्रतिनिधिमंडल 23 मई की सुबह मास्को पहुंचा। इस प्रतिनिधिमंडल में समाजवादी पार्टी के लोकसभा सांसद राजीव राय, भाजपा सांसद कैप्टन ब्रिजेश, प्रेमचंद गुप्ता, आप के राज्यसभा सांसद डॉ. राजीव मित्तल, नेशनल कांफ्रेंस के मिया अल्ताफ अहमद, नेपाल, यूरोपीय संघ, बेल्जियम, लक्जमबर्ग में भारत के राजदूत रहे मंजीव पूरी और पूर्व विदेश सेवा अधिकारी और रूस में भारत के राजदूत रहे विनय कुमार शामिल हैं। रूस स्थित भारतीय दूतावास ने अपने आधिकारिक एक्स हैंडल से प्रतिनिधिमंडल के मास्को पहुंचने की तस्वीरें शेयर की हैं।
22 मई को जदयू के राज्यसभा सांसद संजय झा के नेतृत्व वाला प्रतिनिधिमंडल तीन दिवसीय दौरे पर जापान के क्योटो पहुंचा। दौरे के दूसरे दिन भारत का पक्ष रखते हुए संजय झा ने कहा, “हम दुनिया को यह बताने के लिए आए हैं कि आज भारत आतंकवाद से जूझ रहा है, कल आपका नंबर हो सकता है इसलिए तटस्थ मत रहिए। आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई सभी के लिए है। पाकिस्तान आतंकवादियों को फंड देता है, उन्हें प्रशिक्षित करता है और फिर भारत में भेजता है इसलिए आतंक के खिलाफ लड़ाई सबको लड़नी होगी।”
संजय झा के नेतृत्व वाले प्रतिनिधिमंडल में राजदूत मोहन कुमार, भाजपा सांसद डॉ. हेमांग जोशी, सीपीआई (एम) सांसद जॉन ब्रिटास, टीएमसी सांसद अभिषेक बनर्जी, भाजपा सांसद अपराजिता सारंगी, भाजपा सांसद बृज लाल और भाजपा सांसद प्रदान बरुआ और कांग्रेस के सलमान खुर्शीद शामिल हैं।
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों ने गोलीबारी करते हुए 26 लोगों की हत्या कर दी थी। 7 मई को भारतीय सेना ने इस हमले का बदला लेते हुए जवाबी कार्रवाई की थी और पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों को नष्ट कर दिया था। हालांकि पाकिस्तान की जनता और सैन्य क्षमता को कोई नुकसान नहीं पहुंचा लेकिन पाकिस्तानी सेना ने सीमावर्ती क्षेत्र में ड्रोन से हमले शुरू कर दिए। भारतीय सेना ने पाकिस्तान के सभी ड्रोन विफल कर दिए। भारत ने अपनी जवाबी कार्रवाई में पाकिस्तान की सैन्य क्षमता को बड़ा नुकसान पहुंचाया।
पाकिस्तान इस नुकसान और अपने यहां आतंकवाद के अस्तित्व को स्वीकार करने से इनकार कर रहा है और भारत से संबंधित गलत और भ्रामक खबरें दुनियाभर में फैला रहा है। भारत का हमला ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत हुआ था। इसकी सफलता से दुनिया को अवगत कराने के लिए और पाकिस्तान के झूठ को बेनकाब करने के लिए भारत सरकार ने सांसदों के सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल का गठन किया है और ग्रुप में अलग-अलग देशों में भेज रही है। कनिमोझी और संजय झा का प्रतिनिधिमंडल इसी के तहत मास्को और क्योटो में हैं।
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‘नफरत और कट्टरता की अमेरिका में कोई जगह नहीं’, इजरायली कर्मियों की हत्या पर बोले डोनाल्ड ट्रंप

वाशिंगटन, 22 मई। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार देर रात (अमेरिकी समयानुसार) वाशिंगटन में कैपिटल यहूदी संग्रहालय के बाहर इजरायली दूतावास के दो कर्मचारियों की गोली मारकर हत्या किए जाने की कड़ी निंदा की है। उन्होंने इसे यहूदी विरोधी कृत्य बताया है।
अमेरिकी होमलैंड सिक्योरिटी के अनुसार, पीड़ित इजरायली दूतावास के एक पुरुष और एक महिला कर्मचारी हैं, जिनको अज्ञात हमलावर ने म्यूजियम से बाहर निकलते समय गोली मार दी।
अधिकारियों ने हत्या की पुष्टि की और इसे यहूदी-विरोधी भावना से प्रेरित अपराध मानकर एक बहु-एजेंसी जांच शुरू की।
ट्रंप ने ट्रुथ सोशल पर पोस्ट करते हुए लिखा, “डीसी में ये भयानक हत्याएं, जो स्पष्ट रूप से यहूदी-विरोधी हैं, इन्हें अब खत्म होना चाहिए। नफरत और कट्टरता का अमेरिका में कोई स्थान नहीं है। पीड़ितों के परिवारों के प्रति संवेदना। बहुत दुख की बात है कि ऐसी चीजें भी हो सकती हैं, भगवान आप सभी का भला करे।”
अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने भी हत्याओं की निंदा की और कहा, “यह कायराना, यहूदी-विरोधी हिंसा का एक निंदनीय कृत्य था। कोई गलती न करें, हम जिम्मेदार लोगों का पता लगाएंगे और उन्हें न्याय के कटघरे में लाएंगे।”
इजरायल में अमेरिकी राजदूत माइक हुकाबी ने भी घटना पर गुस्सा व्यक्त किया। उन्होंने इसे “आतंक का भयानक कृत्य” बताया। उन्होंने उल्लेख किया कि अटॉर्नी जनरल पाम बोंडी शूटिंग के तुरंत बाद घटनास्थल पर पहुंची थीं।
संयुक्त राष्ट्र में इजरायली राजदूत डैनी डैनन ने इस घातक हमले को “यहूदी-विरोधी आतंकवाद का जघन्य कृत्य” करार दिया और कहा कि यहूदी समुदाय को नुकसान पहुंचाना खतरे के लाल निशान को पार करना है। उन्होंने अमेरिकी अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई करने का भरोसा जताया और इजरायल की अपने नागरिकों व प्रतिनिधियों की वैश्विक स्तर पर रक्षा करने की प्रतिबद्धता दोहराई।
वाशिंगटन में इजरायली दूतावास के प्रवक्ता ताल नैम कोहेन ने हत्याओं की निंदा की और कहा, “हमें स्थानीय और संघीय स्तर पर कानून प्रवर्तन अधिकारियों पर पूरा भरोसा है कि वे शूटर को पकड़ लेंगे और अमेरिका में इजरायल के प्रतिनिधियों और यहूदी समुदायों की रक्षा करेंगे।”
एफबीआई निदेशक काश पटेल ने कहा कि उन्हें और उनकी टीम को शूटिंग के बारे में जानकारी दी गई है और वे मेट्रोपॉलिटन पुलिस विभाग के साथ मिलकर काम कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, “हम पीड़ितों और उनके परिवारों के लिए प्रार्थना करते हैं।”
उन्होंने कहा, “मेरी टीम और मुझे आज रात कैपिटल यहूदी संग्रहालय के बाहर और हमारे वाशिंगटन फील्ड ऑफिस के पास हुई शूटिंग के बारे में जानकारी दी गई है। हम एमपीडी के साथ मिलकर काम कर रहे हैं और अधिक जानकारी जुटा रहे हैं। अभी के लिए, कृपया पीड़ितों और उनके परिवारों के लिए प्रार्थना करें। हम जनता को अपडेट करते रहेंगे।”
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