अपराध
म्यांमार शिविर में गुटीय संघर्ष में मणिपुर के 6 उग्रवादी मारे गए

मणिपुर स्थित गैरकानूनी संगठन पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के कम से कम छह सदस्य म्यांमार में एक गुटीय लड़ाई में मारे गए और तीन घायल हो गए। अधिकारियों ने गुरुवार को दावा किया कि मारे गए चरमपंथियों की संख्या आठ हो सकती है। पूर्वोत्तर भारत के आतंकवादी संगठनों से परिचित सुरक्षा और खुफिया अधिकारियों ने कहा कि छह या आठ पीएलए गुरिल्लाओं को उनके साथी कैडरों ने मार गिराया, जब मारे गए विद्रोहियों ने मंगलवार को म्यांमार शिविर से भागने की कोशिश की।
अधिकारियों ने नाम जाहिर न करने की शर्त पर कहा, “पीएलए के कुछ कैडरों के हथियारों के साथ ठिकाने को छोड़ने की मंशा के कारण घुसपैठ हुई जिसमें प्रतिबंधित संगठन के छह से आठ कैडर मारे गए और तीन अन्य घायल हो गए।”
यह घटना कथित तौर पर म्यांमार के सागिंग क्षेत्र में नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालैंड (खापलांग-युंग आंग गुट) के नानयांग वाकाथन शिविर के पास हुई। यह शिविर दक्षिणी अरुणाचल प्रदेश के चांगलांग जिले में पंगसौ र्दे के पार है।
पीएलए के एनएससीएन (केवाईए) कैडर के वाकाथन शिविर में, सबसे सक्रिय मणिपुरी मेइती समूह, को भी भुगतान के आधार पर समायोजित किया जाता है।
मारे गए तीन पीएलए सदस्यों के परिवार के सदस्यों से संपर्क किया गया और पुष्टि की गई कि वे मणिपुर के थौबल और काकचिंग इलाकों के थे।
मारे गए पीएलए कैडरों में स्वयंभू मेजर बोयचा, लीम्बा, अंगम्बा, तांथौबा, तोमचा और सुरेश शामिल हैं।
मारे गए सभी आतंकियों के शवों को म्यांमार में दफना दिया गया है।
सुरक्षा और खुफिया अधिकारियों के मुताबिक, पीएलए कैडर म्यांमार की सेना से निराश थे, क्योंकि पैसे की मांग और नागरिक प्रतिरोध समूह पीपुल्स डिफेंस फोर्स (पीडीएफ) और अन्य समूहों के खिलाफ सैन्य जुंटा से निपटने के लिए उन्हें शामिल करने के लिए मजबूर किया गया था।
पीडीएफ निर्वासन में म्यांमार की राष्ट्रीय एकता सरकार की सशस्त्र शाखा है।
पीएलए के सदस्य, जो इस क्षेत्र के सबसे पुराने और अग्रणी प्रतिबंधित चरमपंथी समूह और पूर्वोत्तर क्षेत्र के अन्य चरमपंथी संगठनों में से एक है, एनएससीएन (के-वाईए) को अपने शिविरों में आवास के लिए सालाना मोटी रकम का भुगतान कर रहे हैं।
चरमपंथियों की सीमा पार आवाजाही, मादक पदार्थों की तस्करी और विदेशी जानवरों और सरीसृपों सहित कई अन्य प्रतिबंधित पदार्थ अक्सर म्यांमार से होते हैं, जो चार पूर्वोत्तर राज्यों – मिजोरम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर और नगालैंड के साथ 1,643 किलोमीटर की बिना बाड़ वाली सीमाओं को साझा करता है।
अपराध
ठाणे अपराध: आबकारी विभाग ने 1.56 करोड़ रुपये की शराब जब्त की, चालक गिरफ्तार

ठाणे: ठाणे में राज्य आबकारी विभाग ने बुधवार को गोवा में निर्मित 1,400 पेटी भारतीय विदेशी शराब और ₹1.56 करोड़ मूल्य की एक गाड़ी जब्त की और एक ड्राइवर को गिरफ्तार किया। आरोपी की पहचान पेशे से ड्राइवर मोहम्मद समशाद सलमानी के रूप में हुई है।
एक गुप्त सूचना के आधार पर, आबकारी दस्ते ने एक संदिग्ध टेंपो को रोका और जाँच के दौरान शराब के कार्टन बरामद किए। वाहन सहित ज़ब्त की गई खेप की कुल कीमत ₹1,56,63,800 आंकी गई है।
सलमानी को गिरफ्तार कर लिया गया है और उनके खिलाफ मद्य निषेध अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है।
कमिश्नर डॉ. राजेश देशमुख की देखरेख में इंस्पेक्टर महेश प्रकाश धनशेट्टी और उनकी टीम ने यह कार्रवाई की। टेम्पो और शराब की पेटियाँ दोनों जब्त कर ली गई हैं और अधीक्षक प्रवीण तांबे के मार्गदर्शन में आगे की जाँच जारी है।
अपराध
झारखंड हाईकोर्ट से जमानत के बाद भारत से फरार हुआ नाइजीरिया का साइबर क्रिमिनल, सुप्रीम कोर्ट ने जताई चिंता

suprim court
रांची/नई दिल्ली, 3 सितंबर। झारखंड में साइबर फ्रॉड की बड़ी वारदात का आरोपी एक नाइजीरियाई नागरिक हाईकोर्ट से जमानत मिलने के बाद भारत छोड़कर भाग गया। सुप्रीम कोर्ट ने इससे जुड़े मामले में झारखंड सरकार की याचिका पर सुनवाई करते हुए इस बात पर गंभीर चिंता जताई है कि भारत में आपराधिक वारदात अंजाम देने वाले विदेशी नागरिक अक्सर अदालत से बेल मिलने के बाद देश छोड़कर भाग जाते हैं।
जस्टिस दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति एजी मसीह की पीठ ने झारखंड सरकार की याचिका पर नाइजीरियाई नागरिक की जमानत रद्द कर दी। हालांकि नाइजीरिया के साथ प्रत्यर्पण संधि न होने की वजह से भारत सरकार ने उसे फिलहाल वापस लाने में असमर्थता जताई है। इसपर सुप्रीम कोर्ट ने याचिका का निष्पादित करते हुए केंद्र सरकार को सुझाव दिया कि वह ऐसे कदम उठाए कि भारत में अपराध के आरोपी विदेशी नागरिक बेल मिलने के बाद भागकर मुकदमे से बच न सकें।
न्यायालय ने कहा कि भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली की अखंडता बनाए रखने के लिए जरूरी है। नाइजीरियाई नागरिक को झारखंड पुलिस ने 2019 में भारतीय दंड संहिता की धाराओं 419, 420, 467, 468, 471, 120बी और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 66डी के तहत गिरफ्तार किया था। उसपर गिरिडीह निवासी कारोबारी निर्मल झुनझुनवाला से साइबर फ्रॉड के जरिए 80 लाख रुपए की ठगी का आरोप था।
गिरफ्तारी के बाद दो साल से अधिक समय तक वह झारखंड की जेल में रहा। झारखंड हाईकोर्ट ने 13 मई, 2022 को उसे जमानत दी थी, लेकिन वह जमानत की शर्तों का उल्लंघन कर नाइजीरिया भाग गया। इसके बाद राज्य ने सुप्रीम कोर्ट से उसकी बेल रद्द करने का आवेदन किया।
सुप्रीम कोर्ट ने इस बढ़ती प्रवृत्ति पर पहले भी नवंबर 2024 में चिंता जताई थी कि साइबर अपराध और वित्तीय धोखाधड़ी के मामलों में विदेशी नागरिक जमानत मिलने के बाद देश छोड़ देते हैं। न्यायालय ने कहा कि स्पष्ट कानूनी प्रक्रिया या नीति के अभाव में भारतीय प्राधिकरण असहाय रहते हैं, खासकर उन देशों में जहां भारत की प्रत्यर्पण संधि नहीं है।
अपराध
दिल्ली पुलिस ने सीमा पार मोबाइल तस्करी रैकेट का किया भंडाफोड़, सरगना सहित तीन गिरफ्तार

नई दिल्ली, 3 सितंबर। दिल्ली पुलिस की एसटीएफ ने राष्ट्रीय राजधानी से लूटे गए मोबाइल के मामले में अंतरराज्यीय गिरोह का भंडाफोड़ किया है। पुलिस ने अंतरराज्यीय गिरोह के तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है।
दरअसल, यह कार्रवाई दक्षिण-पूर्वी जिला पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने की है। एसटीएफ ने 2 सितंबर को दिल्ली के सराय काले खां स्थित वेस्ट टू वंडर पार्क के पास से इस गिरोह के तीन सक्रिय सदस्यों को गिरफ्तार किया है, जिनमें सरगना भी शामिल है।
दिल्ली पुलिस के मुताबिक, गिरफ्तार आरोपियों की पहचान मोहतार शेख, मोहम्मद गुलू शेख और अब्दुल शमीम के रूप में हुई है, जो सभी पश्चिम बंगाल के मालदा जिले के निवासी हैं।
दिल्ली पुलिस ने बताया कि मंगलवार को एसटीएफ को सूचना मिली थी कि चोरी किए गए या छीने गए मोबाइल फोनों का मुख्य खरीदार मोहतार शेख अपने दो साथियों के साथ दक्षिण-पूर्वी दिल्ली के इलाके में घूम रहा है। इस सूचना पर एसटीएफ ने एक विशेष टीम गठित की और सराय काले खां के वेस्ट टू वंडर पार्क के पास जाल बिछाया। मंगलवार शाम करीब 7:15 बजे पुलिस ने आईएसबीटी की ओर से आ रहे मोहतार शेख और उसके दो साथियों की पहचान की। इसके बाद टीम ने तुरंत उन्हें गिरफ्तार कर लिया। तलाशी के दौरान उनके पास से तीन देसी पिस्तौल, छह जिंदा कारतूस और 228 महंगे मोबाइल फोन बरामद किए हैं।
पुलिस के मुताबिक, दिल्ली से लूटे गए मोबाइल को पश्चिम बंगाल के रास्ते सीमा पार नेपाल और बांग्लादेश भेजा जाता था। पूछताछ में पता चला कि मोहतार शेख इस गिरोह का मुख्य सरगना है। वह अपने दोनों साथियों के साथ मिलकर स्थानीय चोरों से कम कीमत पर चोरी के मोबाइल फोन खरीदता था। इसके बाद ये फोन वाहकों और बिचौलियों के नेटवर्क के माध्यम से नेपाल और बांग्लादेश जैसे पड़ोसी देशों में भेजे जाते थे, जहां इन्हें ऊंचे दामों पर बेचा जाता था।
इन गिरफ्तारियों ने एक बड़े सीमा पार नेटवर्क का खुलासा किया है, जो न केवल दिल्ली में सड़क अपराधों को बढ़ावा देता है, बल्कि चोरी के उपकरणों का अवैध विदेशी व्यापार भी करता है।
पुलिस अन्य नेटवर्क सदस्यों, स्थानीय आपूर्तिकर्ताओं और विदेशी खरीदारों की पहचान के लिए जांच कर रही है।
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