राजनीति
लोग कर रहे हैं कोरोना प्रोटोकॉल्स का उल्लंघन, तीसरी लहर आई तो इसके लिए वे ही होंगे जिम्मेदार

आईएएनएस सी वोटर ने पाया है कि देश में अगर कोविड की तीसरी लहर आती है तो इसके लिए आम जनता ही जिम्मेदार होगी क्योंकि उसने कोरोना मानदंडों (प्रोटोकॉल्स) का उल्लंघन करना शुरू कर दिया है। विभिन्न शहरों में बाजारों और सार्वजनिक स्थानों पर तथा हिल स्टेशनों पर भी कोविड के मानदंडों का उल्लंघन करते हुए भारी भीड़ देखी जा रही है, भारत में अधिकांश लोगों का मानना है कि देश में तीसरी कोरोना लहर आने पर इसके लिए आम जनता जिम्मेदार होगी।
आईएएनएस सीवोटर लाइव न्यूज ट्रैकर में, 57.0 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि यदि देश में घातक बीमारी की तीसरी लहर आती है, तो आम जनता जिम्मेदार होगी। सर्वेक्षण के दौरान साक्षात्कार में शामिल लोगों में से केवल 34.0 प्रतिशत ने कहा कि इसके लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए।
शेष उत्तरदाताओं की इस बात पर कोई राय नहीं थी कि यदि देश घातक वायरस की एक और लहर से फंस गया है तो इसके लिए किसे जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए।
केंद्र द्वारा किए गए दावों के बावजूद कि देश में वैक्सीन की कोई कमी नहीं है, बड़ी संख्या में उत्तरदाताओं ने आईएएनएस सीवोटर लाइव न्यूज ट्रैकर में साक्षात्कार में कहा कि उन्हें वैक्सीन की खुराक आसानी से नहीं मिल पा रही है और इसे पाने के लिए उन्हें लंबा इंतजार करना पड़ रहा है।
सर्वेक्षण में साक्षात्कार में शामिल 47.0 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वैक्सीन लेने के लिए उन्हें लंबे समय तक प्रतीक्षा करना पड़ रहा है जबकि 42 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने एक अलग अनुभव साझा किया।
उन्होंने कहा कि टीकाकरण के लिए अपना स्लॉट बुक करने के बाद वे लंबी अवधि की प्रतीक्षा किए बिना आसानी से टीके की खुराक प्राप्त करने में सक्षम हैं।। शेष उत्तरदाता देश में वैक्सीन की उपलब्धता के बारे में सुनिश्चित नहीं थे।
सर्वेक्षण में शामिल अधिकांश भारतीयों का मानना है कि देश में कोरोना महामारी की दूसरी लहर के बीच देश के हर जिले में मेडिकल ऑक्सीजन उत्पादन संयंत्र स्थापित करने का मोदी सरकार का निर्णय देरी से लिया गया था।
आईएएनएस सीवोटर लाइव न्यूज ट्रैकर में शामिल 51 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि सरकार देश के हर जिले में मेडिकल ऑक्सीजन उत्पादन संयंत्र स्थापित करने का निर्णय लेने में देर कर रही है। केवल 38 प्रतिशत लोगों ने कहा कि यह निर्णय सही समय पर लिया गया था। शेष उत्तरदाता इस बात को लेकर कोई मत नहीं जाहिर कर पा रहे थे कि क्या सरकार ने सही समय पर निर्णय लिया या महामारी के दौरान महत्वपूर्ण मुद्दे पर निर्णय लेने में देर हो गई।
ट्रैकर ने पाया कि असदुद्दीन ओवैसी यूपी की राजनीति में महत्वपूर्ण कारक नहीं हैं।अधिकांश लोगों की राय है कि 2022 में उत्तर प्रदेश के चुनावी मुकाबले में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी के आने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा और एआईएमआईएम राज्य विधानसभा के लिए होने वाले चुनाव में खाता तक नहीं खोल पाएगी।
आईएएनएस सीवोटर लाइव ट्रैकर में शामिल 52 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि ओवैसी की पार्टी विधानसभा चुनाव में एक भी सीट नहीं जीत पाएगी। केवल 28 फीसदी ने उत्तर दिया कि एआईएमआईएम उत्तर प्रदेश में बिहार और महाराष्ट्र के अपने शानदार प्रदर्शन को दोहराने में सक्षम होगी। शेष उत्तरदाताओं ने अगले साल की शुरूआत में होने वाली उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में एआईएमआईएम के प्रदर्शन को लेकर कोई राय नहीं दी।
पश्चिम बंगाल के बाद उत्तर प्रदेश में भी जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लॉक प्रमुख चुनावों के दौरान राजनीतिक हिंसा देखी गई है और सत्तारूढ़ भाजपा पर सरकारी तंत्र का दुरुपयोग करने और स्थानीय निकाय चुनाव जीतने के लिए हिंसा का सहारा लेने का आरोप लगाया जा रहा है। बड़ी संख्या में लोगों का मानना है कि विभिन्न राज्यों में शासन कर रहे दल स्थानीय निकाय चुनाव जीतने के लिए इस तरह के हथकंडे नहीं अपनाते हैं।
आईएएनएस सीवोटर लाइव ट्रैकर में 45 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि विभिन्न राज्यों में सभी सत्तारूढ़ दल स्थानीय निकाय चुनाव जीतने के लिए हिंसा का सहारा नहीं लेते हैं और सरकारी तंत्र का दुरुपयोग नहीं करते हैं, सर्वेक्षण में शामिल 35 प्रतिशत लोगों ने अलग राय व्यक्त की। 19.8 प्रतिशत उत्तरदाता इस बात को लेकर आश्वस्त नहीं थे कि सभी सत्तारूढ़ दल स्थानीय निकाय चुनाव जीतने के लिए इस तरह के हथकंडे अपनाते हैं या नहीं।
जैसा कि अमेरिकी सरकार ने घोषणा की है कि अफगानिस्तान में उसका सैन्य मिशन 31 अगस्त को समाप्त हो जाएगा, बड़ी संख्या में भारतीयों का मानना है कि अमेरिका के सैन्य मिशन के दो दशकों के दौरान युद्ध से तबाह अफगानिस्तान की स्थिति में सुधार हुआ है।
ट्रैकर में शामिल 43 प्रतिशत उत्तरदाताओं का मानना है कि अमेरिकी सशस्त्र बलों की उपस्थिति के दौरान अफगानिस्तान में स्थिति बेहतर हुई क्योंकि देश में अलकायदा और अन्य आतंकवादी संगठनों के प्रभाव में काफी गिरावट आई है। केवल 26 प्रतिशत ने कहा कि देश में अमेरिका के सैन्य मिशन के कारण अफगानिस्तान में स्थिति और खराब हो गई है। 31 प्रतिशत भारतीयों ने अफगानिस्तान में हो रहे घटनाक्रम के बारे में कोई राय नहीं दी।
अफगानिस्तान में अमेरिकी सैन्य मिशन को समाप्त करने के अमेरिकी सरकार के फैसले पर भारतीय विभाजित दिखाई दिए। सीवोटर लाइव न्यूज ट्रैकर के दौरान साक्षात्कार में शामिल 35 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि यह बिडेन प्रशासन द्वारा लिया गया सही निर्णय है।
लगभग इतनी ही संख्या – 34 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि यह मौजूदा हालात को देखते हुए एक गलत निर्णय है। तालिबान तेजी से आगे बढ़ रहा है और इसी लिहाज से यह सही फैसला नहीं है। सर्वेक्षण में शामिल लोगों की लगभग इतनी ही संख्या – 31 प्रतिशत तय नहीं कर पा रहे थे कि यह अमेरिकी सरकार द्वारा लिया गया सही निर्णय है अथवा गलत।
राजनीति
जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी तंत्र लगभग समाप्त हो गया है : अमित शाह

नई दिल्ली, 9 अक्टूबर : केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को नई दिल्ली में जम्मू और कश्मीर की सुरक्षा स्थिति की उच्च-स्तरीय समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की। इस दौरान उन्होंने कहा कि हमारे सुरक्षा बलों को क्षेत्र में शांति और सुरक्षा को खतरा पहुंचाने के किसी भी प्रयास को नाकाम करने की पूरी स्वतंत्रता है।
गृह मंत्री ने कहा कि सर्दियों में आतंकवादी बर्फबारी का फायदा उठाकर घुसपैठ नहीं कर सके, इसके लिए सुरक्षाबल को हर तरह से तैयार रहना होगा।
बैठक में जम्मू और कश्मीर के उप-राज्यपाल मनोज सिन्हा, केंद्रीय गृह सचिव, निदेशक, आसूचना ब्यूरो, थल सेनाध्यक्ष, जम्मू और कश्मीर के मुख्य सचिव एवं पुलिस महानिदेशक, केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों के महानिदेशक तथा भारत सरकार, सेना और जम्मू-कश्मीर प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे।
गृह मंत्री अमित शाह ने आतंकवाद-मुक्त जम्मू-कश्मीर के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए केंद्र की मोदी सरकार की अटूट प्रतिबद्धता को दोहराया। उन्होंने कहा कि सुरक्षा एजेंसियों के ठोस प्रयासों से जम्मू-कश्मीर में देश के दुश्मनों द्वारा पोषित आतंकवादी तंत्र लगभग समाप्त हो गया है।
उन्होंने कहा कि हमारे सुरक्षा बलों को क्षेत्र में शांति और सुरक्षा को खतरा पहुंचाने के किसी भी प्रयास को नाकाम करने की पूरी स्वतंत्रता है।
बैठक में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पहलगाम आतंकी हमले के बाद केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन और सुरक्षा एजेंसियों द्वारा उठाए गए कदमों की सराहना की, जिसके परिणामस्वरूप जम्मू और कश्मीर के सुरक्षा परिदृश्य को मजबूत करने में मदद मिली है।
गृह मंत्री ने जम्मू और कश्मीर में आतंकवाद के खात्मे के लिए सभी सुरक्षा एजेंसियों द्वारा सतर्क रहते हुए समन्वित तरीके से काम करने की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया। इसके साथ ही, उन्होंने कहा कि सर्दियां आ रही हैं, आतंकवादी बर्फबारी का फायदा उठाकर घुसपैठ ना कर पाएं, इसके लिए हमारे सुरक्षा बल हर तरह से तैयार रहें।
राजनीति
बिहार में 200 सीट जीतकर एनडीए बनाएगा मजबूत सरकार: सुशील सिंह

नई दिल्ली, 9 अक्टूबर : बिहार विधानसभा चुनाव का बिगुल बजने के साथ ही राजनीतिक दलों ने सरकार बनाने के दावे शुरू कर दिए हैं। चुनाव की घोषणा के बाद एनडीए और महागठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर कवायद जारी है। इस बीच भाजपा नेता सुशील सिंह ने दावा किया है कि एनडीए इस बार बिहार में 200 सीटें जीतकर मजबूत सरकार बनाएगा।
आईएएनएस से बातचीत में सुशील सिंह ने कहा, “बिहार की जनता का भरोसा एनडीए के साथ है। हम पिछले चुनाव की तुलना में अधिक सीटें जीतेंगे और 200 सीटों के साथ मजबूत सरकार बनाएंगे।”
सीट बंटवारे को लेकर केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी की नाराजगी पर सुशील सिंह ने कहा, “कोई नाराजगी नहीं है, यह सामान्य बात है। हर पार्टी चाहती है कि उसे अधिक सीटें मिलें। इसमें कुछ भी असामान्य नहीं है। राजनीतिक दल चुनाव में अधिक सीट की मांग करते हैं, जिससे वे अपने ज्यादा से ज्यादा कार्यकर्ताओं को चुनाव लड़ा सके। इसमें कुछ भी गलत नहीं है।
उन्होंने कहा कि एक-दो दिन में सीट बंटवारे की तस्वीर साफ हो जाएगी। नामांकन से पहले सभी चीजें समय पर पूरी हो जाएंगी।”
राजद नेता तेजस्वी यादव के बयानों पर तंज कसते हुए उन्होंने कहा कि वे जो बोलते हैं, उसका कोई मतलब नहीं है। जनता उन्हें गंभीरता से नहीं लेती।
विधानसभा चुनाव को लेकर प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी की पहली लिस्ट पर सुशील सिंह ने कहा कि उनकी सूची जारी होने पर स्पष्ट हो जाएगा कि वे तेजस्वी यादव और महागठबंधन की मदद करना चाहते हैं या नहीं। बिहार की जनता जागरूक है और सब समझ रही है।
उन्होंने एक बार फिर इस बात को दोहराया कि बिहार में एनडीए की टक्कर में महागठबंधन दूर-दूर तक नहीं है। बिहार की जनता का भरोसा पीएम मोदी और सीएम नीतीश कुमार के विकास पर है। 14 नवंबर को एनडीए सरकार बनाएगी और बिहार के लोगों के विकास के लिए निरंतर कार्य जारी रखेगी। हमें कोई भ्रम नहीं है। उन्होंने दोहराया कि एनडीए बिहार में अधिक सीटों के साथ सरकार बनाएगा।
राजनीति
‘बसपा को कमजोर करने के लिए रची गई साजिश’, मायावती ने लगाए बड़े आरोप

लखनऊ, 9 अक्टूबर : बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रमुख मायावती ने गुरुवार को पार्टी के संस्थापक कांशीराम के ‘परिनिर्वाण दिवस’ पर लखनऊ स्थित कांशीराम स्मारक स्थल पर आयोजित महारैली को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने विरोधी दलों पर तीखा हमला बोला।
रैली को संबोधित करते हुए बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा कि उनकी पार्टी को केंद्र की सत्ता तक पहुंचने से रोकने के लिए कांग्रेस, भाजपा और सपा जैसे जातिवादी दलों ने मिलकर षड्यंत्र रचा। इन दलों ने न सिर्फ राजनीतिक रूप से बसपा को कमजोर करने की कोशिश की, बल्कि दलित वोटों को बांटने के लिए बिकाऊ लोगों को खरीदकर साजिश की।
मायावती ने कहा कि साल 2007 में जब उत्तर प्रदेश में बसपा की पूर्ण बहुमत की सरकार बनी, तब इन जातिवादी पार्टियों के चेहरे बेनकाब हो गए। उन्होंने कहा, “कांग्रेस, भाजपा और सपा ने मिलकर षड्यंत्र किया कि बसपा को केंद्र की सत्ता तक न पहुंचने दिया जाए। रही-सही कसर ईवीएम ने पूरी कर दी।”
बसपा सुप्रीमो मायावती ने आरोप लगाया कि इन दलों ने बैलेट पेपर की जगह ईवीएम का इस्तेमाल कर लोकतंत्र के साथ खिलवाड़ किया, जबकि चुनाव बैलेट पेपर से भी शांति और पारदर्शिता के साथ कराए जा सकते हैं।
बसपा प्रमुख ने अपने संबोधन में कांग्रेस पर सबसे पहले निशाना साधा। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने आपातकाल लगाकर देश के संविधान और बाबा साहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर के सिद्धांतों का अपमान किया था। मायावती ने तंज कसते हुए कहा, “कांग्रेस ने कभी भी डॉ. आंबेडकर और दलित समाज का सच्चा सम्मान नहीं किया। आज वही कांग्रेस नेता संविधान की कॉपी लेकर नाटकबाजी कर रहे हैं।”
उन्होंने सपा पर भी तीखा हमला बोला और कहा कि सपा के शासन में दलितों और पिछड़ों का उत्पीड़न हुआ। मायावती बोलीं, “सपा सरकार में कानून व्यवस्था चरमरा गई थी। गुंडों और अराजक तत्वों को संरक्षण दिया गया। प्रदेश में भय और अराजकता का माहौल था।”
उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने सवाल उठाते हुए कहा, “अभी मैंने सुना कि अखिलेश यादव कह रहे थे कि अगर उनकी सरकार बनी तो कांशीराम जी के नाम पर स्मारक बनाएंगे, लेकिन जब वे सत्ता में थे तो ऐसा क्यों नहीं किया? जब सत्ता से बाहर होते हैं, तभी इन्हें बसपा के नेता और दलित समाज के संतों की याद आती है। सत्ता में आते ही सब भूल जाते हैं।”
मायावती ने कहा कि बसपा की सरकार में जिन स्मारकों और संस्थानों का नाम कांशीराम जी के नाम पर रखा गया था, उन्हें सपा सरकार ने बदलने का काम किया। उन्होंने आगे कहा कि डॉ. आंबेडकर का सपना था कि दलितों और पिछड़ों को एकजुट होकर सत्ता की मास्टर चाबी अपने हाथ में लेनी चाहिए।
बसपा सुप्रीमो ने आगे कहा, “डॉ. आंबेडकर का यह सपना मान्यवर कांशीराम जी के जीवनकाल में तो पूरा नहीं हो सका, लेकिन हमने इसे पूरा किया। हमने तीन बार गठबंधन सरकार और एक बार पूर्ण बहुमत की सरकार बनाकर इतिहास रचा। हमने दलितों, पिछड़ों और समानतावादी विचारधारा रखने वाले लोगों को साथ लेकर ‘सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय’ की नीति पर काम किया।”
उन्होंने फिर से आरोप लगाया कि जब बसपा सरकार मजबूत होती गई, तब कांग्रेस और भाजपा की केंद्र सरकारों ने सीबीआई और आयकर विभाग जैसी एजेंसियों का इस्तेमाल कर उनकी छवि को धूमिल करने की कोशिश की। हम पर झूठे केस लगाए गए, ताकि बसपा का मनोबल टूट जाए। लेकिन हमने कभी हार नहीं मानी और न्याय पाने के लिए अदालतों का दरवाजा खटखटाया।
इस मौके पर मायावती ने कांशीराम जी को श्रद्धांजलि अर्पित की और बड़ी संख्या में पहुंचे कार्यकर्ताओं का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि बसपा महज एक राजनीतिक दल नहीं बल्कि एक आंदोलन है, जो समाज के दबे-कुचले वर्गों को सम्मान और अधिकार दिलाने के लिए सतत संघर्षरत है।
उन्होंने कहा कि हमारे विरोधी चाहे कितनी भी साजिशें रच लें, बसपा का आंदोलन न कभी झुका है, न झुकेगा।
रैली के लिए रमाबाई अंबेडकर मैदान में बसपा कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों के ठहरने की व्यवस्था की गई। रैली में प्रदेशभर से बड़ी संख्या में कार्यकर्ता पहुंचे। बसपा संगठन ने करीब पांच लाख लोगों के जुटान का दावा किया है।
सुरक्षा के लिए कई हजार से अधिक पुलिसकर्मी तैनात किए गए, जबकि ट्रैफिक पुलिस ने वैकल्पिक मार्ग भी निर्धारित किए। यह रैली सिर्फ श्रद्धांजलि कार्यक्रम नहीं, बल्कि राजनीतिक शक्ति प्रदर्शन के रूप में भी देखी जा रही है।
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