महाराष्ट्र
BJP और शिवसेना में घमासान, नवी मुंबई एयरपोर्ट के नाम पर टकराव के पीछे क्या हैं वजहें?

नवी मुंबई में इंटरनैशनल एयरपोर्ट बनने जा रहा है, जिसे हाल में केंद्र सरकार ने हरी झंडी दी है। लेकिन इन दिनों मुंबई में इसके नाम को लेकर सियासी घमासान मचा हुआ है। हाल में नवी मुंबई इलाके में एक बड़ा आंदोलन हुआ, जिसमें हजारों लोगों ने भाग लिया। दरअसल, आंदोलनकारी चाहते थे कि इसका नाम नवी मुंबई और रायगढ़ इलाके के एक बड़े किसान और जन नेता दिनकर बाबू पाटिल के नाम पर डीबी पाटिल एयरपोर्ट रखा जाए। आंदोलन में उन्हीं इलाकों के लोगों ने हिस्सा लिया, जिन्हें बीजेपी का समर्थन हासिल है। वहीं शिवसेना इस एयरपोर्ट का नाम अपने संस्थापक बाल ठाकरे के नाम पर रखना चाहती है। वहीं राज ठाकरे की पार्टी एमएनएस का कहना है कि इसका नाम छत्रपति शिवाजी महाराज के नाम पर होना चाहिए। ठाकरे की दलील है कि प्रस्तावित एयरपोर्ट मुंबई एयरपोर्ट का ही एक्सटेंशन है, इसलिए इसका नाम भी वही होना चाहिए।
बीजेपी और आंदोलनकारियों का कहना है कि शुरू से ही स्थानीय लोगों की मांग रही है कि प्रस्तावित एयरपोर्ट का नाम डीबी पाटिल के नाम पर होना चाहिए। नवी मुंबई से लगे पनवेल के बीजेपी विधायक प्रशांत ठाकुर ने मीडिया में आरोप लगाया कि शिवसेना ने सत्ता में आने के बाद इस एयरपोर्ट का नाम बाला साहेब के नाम पर करने का फैसला किया। इसके तहत ठाकरे सरकार में नगर विकास मंत्री एकनाथ शिंदे ने एयरपोर्ट को बालासाहेब ठाकरे का नाम दिए जाने का प्रस्ताव सिडको को दिया। इसीलिए आंदोलनकारी सिडको का घेराव करना चाहते थे। पाटिल महाराष्ट्र में शेतकरी कामगार पक्ष (राज्य में कभी किसानों और मजूदरों की बड़ी पार्टी) के बड़े नेता और रायगढ़ जिले के भूमिपुत्र थे। वह किसानी करने वाले स्थानीय आग्री समाज से थे। 50 के दशक से अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत करने वाले पाटिल पनवेल से पांच बार विधायक रहे और फिर एमएलसी और सांसद भी बने।
स्थानीय लोगों के मुताबिक नवी मुंबई के निर्माण में उनकी खास भूमिका मानी जाती है, क्योंकि उन्होंने 70 के दशक में नवी मुंबई, ठाणे और रायगढ़ जिले के किसानों और जमीन मालिकों के हक की लड़ाई की अगुवाई की थी। इतना ही नहीं, भूमि अधिग्रहण को लेकर उन्होंने ना सिर्फ सिडको के खिलाफ बड़ा जनांदोलन खड़ा किया, बल्कि जमीन के मालिकों को सही मुआवजा भी दिलाया। उनका बनाया मुआवजा मॉडल दुनिया में बेहतरीन मॉडल माना जाता है। इस पूरे आंदोलन को बीजेपी के समर्थन के पीछे पार्टी के अपने निजी सियासी कारण हैं। दरअसल, नवी मुंबई से लेकर कोंकण तक की पूरी पट्टी पर लंबे अर्से से शिवसेना का दबदबा रहा है। यहां बीजेपी की जमीनी पकड़ उतनी मजबूत नहीं है। अभी तक राज्य में बीजेपी और शिवसेना मिलकर लड़ते थे। लेकिन दोनों के अलग होने के बाद बीजेपी अब शिवसेना के मजबूत गढ़ में अपने लिए जमीन तलाशना चाहती है।
बीजेपी की दिक्कत है कि इस पट्टी में उसके पास नारायण राणे के अलावा कोई बड़ा चेहरा नहीं है। राणे कोंकण से आते हैं। वहीं बीजेपी के पास प्रशांत ठाकुर को छोड़ नवी मुंबई, पनवेल और रायगढ़ में कोई चेहरा नहीं है। वहीं नवी मुंबई से लेकर कोंकण तक की पट्टी में आग्री समाज एक ऐसा बड़ा तबका है, जिसके पास न सिर्फ जमीनें हैं, बल्कि इस इलाके में वे बड़ी ताकत हैं। अब तक यह तबका शिवसेना के साथ रहा है। ऐसे में बीजेपी इस पट्टी में प्रभावशाली आग्री समाज में सेंध लगाना चाहती है, जिससे वह सेना से उसका एक परंपरागत वोट बैंक छीन सके। इसी रणनीति के तहत बीजेपी ने आग्री समाज के एक लोकनायक को आगे करके शिवसेना के खिलाफ इस तबके और पट्टी में अपनी जमीन तलाशने का दांव चला है।
महाराष्ट्र
मुंबई के आजाद मैदान में आंदोलन कर पाएंगे मनोज जरांगे, पुलिस ने शर्तों के साथ दी मंजूरी

मुंबई, 27 अगस्त : मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जरांगे पाटिल को मुंबई पुलिस ने कुछ शर्तों के साथ आजाद मैदान में आंदोलन की अनुमति दे दी है। यह आंदोलन 29 अगस्त को सुबह 9 बजे शुरू होगा और शाम 6 बजे समाप्त होगा।
इससे पहले, बॉम्बे हाई कोर्ट ने मनोज जरांगे को मराठा आरक्षण के मुद्दे पर मुंबई के आजाद मैदान में विरोध प्रदर्शन करने से रोक दिया था। कोर्ट ने राज्य सरकार को उन्हें (मनोज जरांगे) खारघर या नवी मुंबई में कहीं और प्रदर्शन की अनुमति देने का निर्देश दिया था।
बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेश के बाद मुंबई पुलिस ने मनोज जरांगे पाटिल को कुछ शर्तों के साथ आजाद मैदान में आंदोलन की अनुमति दे दी है।
मुंबई पुलिस ने बताया कि इस आंदोलन के लिए केवल एक दिन की अनुमति दी गई है, जो 29 अगस्त को होगा। इसमें अधिकतम 5,000 लोग ही शामिल हो सकते हैं।
पुलिस ने यह भी निर्देश दिया है कि आंदोलन के लिए केवल 7,000 वर्ग मीटर का क्षेत्र उपलब्ध होगा, जो 5,000 लोगों को समायोजित करने की क्षमता रखता है। यह आंदोलन सुबह 9 बजे शुरू होगा और इसका समापन शाम 6 बजे करना होगा।
पुलिस ने मनोज जरांगे के आंदोलन के लिए निर्देश भी जारी किए हैं।
मुंबई पुलिस के अनुसार, आंदोलन के लिए केवल एक दिन की अनुमति दी जाएगी। शनिवार, रविवार या सार्वजनिक/शासकीय अवकाश के दिन कोई अनुमति नहीं दी जाएगी। कुछ निश्चित वाहनों को अनुमति होगी। वाहनों के पार्किंग के लिए यातायात पुलिस से समन्वय करना होगा। आपके वाहन ईस्टर्न फ्री वे से वाडीबंदर जंक्शन तक आएंगे। वहां से केवल 5 वाहन आजाद मैदान तक जा सकेंगे, बाकी वाहनों को शिवडी, ए शेड, या कॉटनग्रीन में पुलिस द्वारा निर्दिष्ट स्थान पर पार्क करना होगा।
इसके अलावा, आंदोलन में अधिकतम 5,000 प्रदर्शनकारी हो सकते हैं। आजाद मैदान का 7,000 वर्ग मीटर क्षेत्र आंदोलन के लिए आरक्षित है, जो केवल 5,000 लोगों को समायोजित कर सकता है। अन्य आंदोलनकारियों ने भी 29 अगस्त के लिए अनुमति मांगी है, इसलिए मैदान की जगह शेयर करनी होगी।
महाराष्ट्र
महाराष्ट्र : 20 साल बाद राज ठाकरे के घर पहुंचे उद्धव ठाकरे, ‘शिवतीर्थ’ में किए गणपति बप्पा के दर्शन

मुंबई, 27 अगस्त : महाराष्ट्र में गणेश उत्सव हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है। इस अवसर पर ‘ठाकरे ब्रदर्स’ एक बार फिर इकट्ठा हुए। लगभग 20 साल के बाद यह मौका आया है, जब राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे ने साथ मिलकर गणेश उत्सव मनाया।
राज ठाकरे के घर पर डेढ़ दिन का गणपति उत्सव होता है। राज ठाकरे ने उद्धव ठाकरे को फोन किया था और उन्हें गणपति के लिए अपने घर आने का निमंत्रण दिया था। इस निमंत्रण को स्वीकार करते हुए, उद्धव ठाकरे बुधवार को राज ठाकरे के आवास पर गए।
शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे अपने बेटे व विधायक आदित्य ठाकरे और पत्नी रश्मि ठाकरे के साथ राज ठाकरे के घर ‘शिवतीर्थ’ पहुंचे। उद्धव ने मनसे प्रमुख राज ठाकरे के घर पर गणपति बप्पा के दर्शन किए और पूजा-अर्चना की। गणेश उत्सव पर ठाकरे परिवार के एक साथ आने से ‘शिवतीर्थ’ का माहौल बदल गया। पूजा अर्चना के बाद दोनों भाइयों (राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे) ने साथ में फोटो खिंचवाई। बाद में एक फैमिली फोटो भी खिंचाई गई।
गौरतलब है कि पिछले तीन महीनों में ठाकरे बंधुओं की यह तीसरी मुलाकात है। हाल के कुछ महीनों में उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे के बीच नजदीकियां बढ़ी हैं। पिछले कुछ सालों से ठाकरे बंधुओं के बीच रिश्ते तनावपूर्ण थे।
मनमुटाव को दूर करते हुए 5 जुलाई को दोनों भाई एक विजय रैली के लिए एक साथ आए। हिंदी को अनिवार्य करने के फैसले के विरोध में राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे एक साथ दिखे। राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे हिंदी को अनिवार्य करने के फैसले के खिलाफ एक संयुक्त मार्च निकालने वाले थे, लेकिन फैसला रद्द होने के बाद, मार्च की जगह विजय रैली निकाली गई।
उसके बाद, 27 जुलाई को राज ठाकरे उद्धव ठाकरे के जन्मदिन पर उनके आवास ‘मातोश्री’ गए थे। करीब 20 साल के बाद मौका आया था, जब राज ठाकरे ‘मातोश्री’ गए थे।
महाराष्ट्र
मुंबई चंदू काकासराफा धोखाधड़ी का आरोपी तीन साल बाद गिरफ्तार

मुंबई: मुंबई और पुणे के प्रसिद्ध सुनार चंदू काका के जीएसटी प्रमाण पत्र का दुरुपयोग करके आभूषण खरीदने और बेचने के लिए एक व्यक्ति को एमआईडीसी पुलिस ने गिरफ्तार किया है और 31 लाख से अधिक के आभूषण वसूले हैं। आरोपी ने खुद को चंदू काका ज्वेलर के रूप में अंतर्राष्ट्रीय जेमोलॉजिकल इंस्टीट्यूट के नाम पर जीएसटी नंबर अपडेट करने और अपनी पहचान छिपाकर सोने के गहने खरीदने के बहाने पेश किया और बताया कि वह दो नए सोने के शोरूम खोलने जा रहा है और इसी बहाने जीएसटी नंबर प्राप्त किया और फिर चंदू काका के प्रमाण पत्र का दुरुपयोग किया और आभूषण बांद्रा में शिकायतकर्ता की कंपनी मिनी ज्वेलर्स एक्सपर्ट डायमंड एमआईडीसी अंधेरी से 27 लाख के गहने प्राप्त किए और कूरियर के माध्यम से महाकाली अंधेरी में शिकायतकर्ता की दुकान से 4 लाख से अधिक के गहने मंगवाए। इस प्रकार, 31 लाख रुपये की धोखाधड़ी की गई। पुलिस ने इस मामले में मामला दर्ज किया है और आरोपी के संबंध में एक डिजिटल जांच शुरू की है और आरोपी से 100% गहने बरामद किए गए हैं आरोपी 2023 से वांछित था। आरोपी की पहचान 32 वर्षीय कार्तिक पंकज के रूप में हुई है। आरोपी सोने के बाजार में ज्वैलर्स को इसी तरह बेवकूफ बनाता था। वह 2023 से वांछित था। पुलिस ने उसे ट्रैक किया और अब जालसाज को गिरफ्तार कर लिया गया है। मुंबई पुलिस कमिश्नर देवेन भारती के निर्देश पर डीसीपी ज़ोन 10 ने इस कार्रवाई को अंजाम दिया है। पुलिस यह भी पता लगा रही है कि उसने इस मामले में कितने लोगों और व्यापारियों को ठगा है।
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