राजनीति
बिहार : लोजपा प्रमुख चिराग के लिए राजग से अलग होकर चुनाव लड़ना पड़ गया भारी!
लोकजनशक्ति पार्टी (लोजपा) के अध्यक्ष चिराग पासवान को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) से अलग हटकर बिहार विधानसभा चुनाव लड़ना भारी पड़ गया। सूत्रों का दावा है कि लोजपा में इस मुद्दे को लेकर इस कदर आंतरिक नाराजगी उभर आई है कि छह में से पांच सांसद अलग गुट बना चुके हैं। हालांकि इस मसले पर अब तक कोई भी अधिकारिक रूप से बयान नहीं दे रहा है। सूत्रों का कहना है कि पार्टी में छह लोकसभा सदस्यों में से पांच ने चिराग पासवान को नेता मानने से इंकार करते हुए उनके चाचा पशुपति कुमार पारस के साथ खडे हो गए है।
सूत्रों ने बताया कि असंतुष्ट सांसदों में प्रिंस राज, चंदन सिंह, वीणा देवी और महबूब अली कैसर शामिल हैं, जो चिराग के काम करने के तरीके से नाखुश हैं।
इस बीच लोजपा के अंधिकांश नेता दिल्ली पहुंच गए हैं या पहुंचने वाले हैं। इस संबंध में जब लोजपा के कार्यकारी अध्यक्ष राजू तिवारी से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि उन्हें इसकी जानकारी नहीं।
इधर, कहा जा रहा है लोजपा के नेता अध्यक्ष चिराग से नाराज थे जिसमें जदयू के नेता ने आग में घी डालने का काम किया और लोजपा टूटने के कगार पर पहुंच गया है।
बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में चिराग पासवान ने नीतीश कुमार के खिलाफ सरेआम मोर्चा खोला था। चुनाव में लोजपा एक सीट पर जीत दर्ज कर सकी थी, लेकिन एकमात्र विधायक राजकुमार सिंह भी जदयू का दामन थाम लिया है।
हाल में ही पहली टूट तब हुइ थी जब बिहार विधान परिषद में लोजपा की एकमात्र विधान पार्षद नूतन सिंह भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गई थीं।
लोजपा के प्रमुख चिराग पासवान चुनाव के पूर्व से ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के उपर निशाना साधते रहे हैं। नीतीश कुमार ने इसपर कभी भी खुलकर प्रतिक्रिया नहीं दी। सूत्रों का दावा है कि जदयू सामने से कभी भी हमलवार नहीं हुई, लेकिन लोजपा पर लगातार निगाह बनाए रखी।
सूत्रों का कहना है कि पटना में दो दिन पहले जदयू सांसद ललन सिंह से पशुपति कुमार पारस की मुलाकात भी हुई थी। कहा जा रहा है कि पारस जदयू और भाजपा के नेताओं के साथ संपर्क में थे।
जदयू के प्रधान महासचिव के सी त्यागी कहते हैं कि यह अकुशल नेतृत्व का परिणाम है कि पार्टी में टूट हो रही है। उन्होंने कहा कि चिराग से उनकी कोई व्यक्तिगत परेशानी नहीं है, लेकिन वे राजग को ही कमजोर करने में लगे थे। ये राजद के स्क्रिप्ट पर काम कर रहे थे, जिससे उनके दल में ही असंतोष उभरा है।
चिराग के इस रवैये से पशुपति पारस समेत अन्य नेता भी नाखुश थे। कहा जा रहा है लोजपा के नेता कभी नहीं चाहते थे कि लोजपा राजग से अलग होकर चुनाव लड,े लेकिन चिराग ने यह फैसला लिया। इसके बाद से ही पार्टी में नाराजगी प्रारंभ हो गई थी, उसके बाद यह नाराजगी बढ़ती चली गई।
वैसे, यह भी हकीकत है कि पूर्व केंद्रीय मंत्री और लोजपा के संस्थापक रामविलास पासवान की मृत्यु के बाद लोजपा कभी स्िरकय नहीं हुई।
बहरहाल, लोजपा में टूट की आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है, लेकिन इतना तय है कि चिराग का राजग से अलग हटकर विधानसभा चुनाव लड़ना गलत निर्णय साबित हुआ, जिससे पार्टी अूट के कगार पर पहुंच गई। अब देखना हेागा पार्टी में ही टूट होती है या परिवार में भी टूट होती है।
राजनीति
झारखंड: सीएम हेमंत सोरेन ने पीएम मोदी से मुलाकात की, 28 नवंबर को रांची शपथ ग्रहण समारोह में आने का दिया न्योता
रांची/नई दिल्ली, 26 नवंबर: झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने मंगलवार को नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की और अपनी सरकार के शपथ ग्रहण समारोह के लिए औपचारिक निमंत्रण दिया, जो 28 नवंबर को रांची में होने वाला है।
हेमंत सोरेन के साथ उनकी पत्नी कल्पना सोरेन भी थीं, जो गांडेय विधानसभा क्षेत्र से नवनिर्वाचित विधायक हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने हेमंत और कल्पना सोरेन को उनकी चुनावी सफलता पर बधाई दी और मुलाकात की तस्वीरें एक्स पर साझा कीं।
इससे पहले हेमंत सोरेन ने कांग्रेस नेताओं राहुल गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा और पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से भी मुलाकात की और उन्हें समारोह में आमंत्रित किया।
शपथ ग्रहण समारोह 28 नवंबर को शाम 4 बजे रांची के मोरहाबादी मैदान में होगा। मुख्यमंत्री के साथ कई अन्य मंत्रियों के शपथ लेने की उम्मीद है। हेमंत सोरेन को रविवार को सर्वसम्मति से राज्य में भारतीय जनता पार्टी का नेता चुना गया।
झामुमो प्रवक्ता ने बताया कि राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव, बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, आप संयोजक अरविंद केजरीवाल, भाकपा-माले नेता दीपांकर भट्टाचार्य और तमिलनाडु, दिल्ली, पंजाब, कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश, तेलंगाना और जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्रियों समेत विभिन्न प्रमुख राजनीतिक हस्तियों को निमंत्रण भेजा गया है।
23 नवंबर को घोषित 81 सदस्यीय झारखंड विधानसभा चुनाव के नतीजों में हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाले जेएमएम-कांग्रेस-आरजेडी गठबंधन को 56 सीटों के साथ शानदार जीत मिली। जेएमएम ने 34, कांग्रेस ने 16, आरजेडी ने 4 और सीपीआई-एमएल ने 2 सीटें जीतीं। यह पहली बार है जब झारखंड में किसी सरकार को दो-तिहाई बहुमत मिला है।
हेमंत सोरेन झारखंड के मुख्यमंत्री के रूप में चार बार शपथ लेने वाले पहले नेता के रूप में इतिहास रचेंगे। उन्होंने पहली बार 13 जुलाई 2013 को शपथ ली थी और दिसंबर 2014 तक कांग्रेस-आरजेडी समर्थित सरकार का नेतृत्व किया था।
वह 29 दिसंबर, 2019 को सीएम के रूप में लौटे, लेकिन 31 जनवरी, 2024 को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा गिरफ्तारी के बाद उन्हें इस्तीफा देना पड़ा। जमानत पर रिहा होने के बाद, उन्होंने 4 जुलाई, 2024 को तीसरी बार शपथ ली। इससे पहले, उनके पिता शिबू सोरेन और भाजपा के अर्जुन मुंडा ने झारखंड के मुख्यमंत्री के रूप में तीन-तीन कार्यकाल पूरे किए हैं।
राष्ट्रीय समाचार
तेलंगाना: हैदराबाद के जीदीमेटला में सड़कों पर खून जैसा लाल तरल पदार्थ फैलने से निवासियों में दहशत; तस्वीरें सामने आईं
हैदराबाद, 26 नवंबर: हैदराबाद में जीदीमेटला औद्योगिक एस्टेट के पास वेंकटाद्री नगर इलाके में लोगों में उस समय दहशत फैल गई जब सड़कों पर खून जैसा लाल रंग का तरल पदार्थ बहने लगा।
मैनहोल से निकलने वाले तरल पदार्थ ने निवासियों के बीच चिंता पैदा कर दी। बदबू और सांस लेने में कठिनाई उन्हें और भी चिंतित कर दिया।
इससे चिंतित होकर स्थानीय लोगों ने नगर निगम अधिकारियों से संपर्क किया और जब उन्हें बताया गया कि बहता हुआ जहरीला तरल पदार्थ खून नहीं था, तो उन्होंने राहत की सांस ली।
अधिकारियों ने निवासियों को बताया कि यह लाल रंग का रसायन था जो संभवतः पास की औद्योगिक इकाइयों से निकला था। सुभाष नगर डिवीजन में वेंकटाद्री नगर औद्योगिक क्षेत्र से सटा हुआ है।
इलाके के कुछ गोदामों के मालिकों के अनुसार, कुछ औद्योगिक इकाइयां रसायनों को सीधे ड्रेनेज सिस्टम में बहा देती हैं। उन्होंने कहा कि नगर निगम के अधिकारी कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं।
मैनहोल के ओवरफ्लो होने से लाल रंग का तरल पदार्थ सड़कों पर फैल गया, जिससे अफरातफरी मच गई। निवासियों को इस बात की चिंता थी कि रासायनिक अपशिष्ट का उनके स्वास्थ्य पर क्या असर होगा और उन्होंने तत्काल कार्रवाई की मांग की।
तेलंगाना प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों ने स्थिति का जायजा लेने के लिए इलाके का दौरा किया और निवासियों को आश्वासन दिया कि उद्योगों द्वारा रसायनों के निर्वहन को रोकने के लिए कदम उठाए जाएंगे। एक अन्य घटना में, लोगों ने मूसी नदी में कचरे में जहरीले रसायनों को डालने की कोशिश को विफल कर दिया।
एक ट्रक चालक ने बापूघाट में मूसी नदी में रासायनिक औद्योगिक अपशिष्ट फेंकने की कोशिश की। साइबराबाद कमिश्नरेट के राजेंद्रनगर पुलिस स्टेशन के अधिकार क्षेत्र में हुई इस घटना से स्थानीय लोगों में आक्रोश फैल गया।
सतर्क निवासियों ने ड्राइवर को औद्योगिक कचरा उतारने से रोक दिया। पुलिस के घटनास्थल पर पहुंचने से पहले ही वह ट्रक छोड़कर भाग गया। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि यह पहली बार नहीं है जब इस तरह की कोशिश की गई हो। उनके अनुसार, कुछ औद्योगिक इकाइयां नदी में कचरा डाल रही हैं, जो पहले से ही अत्यधिक प्रदूषित है। उन्होंने सरकार से अवैध डंपिंग को रोकने की अपील की, जो नदी को पुनर्जीवित करने के प्रयासों को कमजोर करती है। राज्य सरकार मूसी रिवरफ्रंट डेवलपमेंट प्रोजेक्ट के साथ नदी को पुनर्जीवित करने की बड़ी योजना बना रही है।
चुनाव
महाराष्ट्र भाजपा प्रमुख चंद्रशेखर बावनकुले ने कहा, ‘एमवीए का मेयर कहीं भी नहीं चुना जाएगा’, पार्टी ने आगामी स्थानीय चुनावों की तैयारी शुरू कर दी है
मुंबई: महाराष्ट्र भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले ने सोमवार को कहा कि पार्टी ने आगामी महानगर पालिका, जिला पंचायत और नगर पालिका चुनावों की तैयारी शुरू कर दी है। उन्होंने कहा कि महा विकास अघाड़ी (एमवीए) का मेयर कहीं भी नहीं चुना जाएगा। उन्होंने उन पर राज्य के लोगों को धोखा देने का आरोप लगाया।
मीडिया से बात करते हुए बावनकुले ने कहा, “हम विधानसभा चुनाव में मिले जनादेश के आधार पर आगामी महानगर पालिका, जिला पंचायत और नगर पालिका चुनाव लड़ेंगे। महा विकास अघाड़ी का मेयर कहीं भी नहीं चुना जाएगा, क्योंकि वे आकार में बहुत छोटे हो गए हैं। जिस तरह से उन्होंने महाराष्ट्र की जनता को गुमराह किया है, जनता ने उन्हें नकार दिया है।”
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 के नतीजे
महाराष्ट्र विधानसभा के आम चुनाव के नतीजे शनिवार, 23 नवंबर को घोषित किए गए। इन चुनावों में महायुति गठबंधन ने राज्य विधानसभा की 288 सीटों में से 230 सीटें हासिल कीं।
भाजपा ने 132 सीटें जीतीं, जबकि उसके सहयोगी दलों – मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने 57 सीटें हासिल कीं, और उपमुख्यमंत्री अजीत पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी ने 41 सीटें जीतीं।
महा विकास अघाड़ी (एमवीए) को बड़ा झटका लगा। उद्धव ठाकरे की अगुआई वाली शिवसेना (यूबीटी) को सिर्फ़ 20 सीटें मिलीं, कांग्रेस को 16 और शरद पवार की अगुआई वाली एनसीपी (एसपी) को सिर्फ़ 10 सीटें मिलीं।
महाराष्ट्र के शीर्ष नेता आज रात भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और अमित शाह से मुलाकात करेंगे
इस बीच, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद को लेकर खींचतान के बीच शिवसेना प्रमुख एकनाथ शिंदे, भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस और एनसीपी प्रमुख अजीत पवार के आज रात भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात करने की उम्मीद है।
सूत्रों के अनुसार, महाराष्ट्र में सरकार गठन पर चर्चा के लिए भाजपा के शीर्ष नेतृत्व से मुलाकात करने से पहले तीनों राष्ट्रीय राजधानी में एक निजी कार्यक्रम में शामिल होंगे।
चर्चाओं के बीच दो बार मुख्यमंत्री और मौजूदा उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस तीसरी बार मुख्यमंत्री बनने के प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं। हालांकि, शिवसेना नेताओं का कहना है कि एकनाथ शिंदे को ही मुख्यमंत्री बने रहना चाहिए।
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