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Friday,04-July-2025
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महाराष्ट्र

मिला 750 करोड़ का चंदा, मालामाल हुई बीजेपी, शिवसेना ने पूछा- टेबल के नीचे का हिसाब कहां?

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शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ के जरिये बीजेपी पर तीखा हमला किया है। इस बार हमले की वजह बना है बीजेपी को मिला 750 करोड़ का चंदा। ‘सामना’ ने लिखा है कि ताजा खबरों के अनुसार सिर्फ एक साल में भारतीय जनता पार्टी को 750 करोड़ रुपये का ढेर सारा चंदा मिला है। यह अधिकृत चंदे का आंकड़ा है, बाकी टेबल के नीचे का अलग है! इतना बेशुमार चंदा कॉर्पोरेट कंपनियों के अलावा व्यक्तिगत स्वरूप में भी मिला है। वर्तमान राजनीति सिर्फ पैसों का खेल बन गई है। नीति, विचारधारा, राष्ट्र आदि संकल्पना पीछे छूट गई है।

पैसा फेंको, तमाशा देखो यह नया खेल बीते कुछ वर्षों में शुरू हो गया है। तुम्हारी जाति क्या है, यह पहला सवाल उम्मीदवार से पूछा जाता है। खर्च करने का सामर्थ्य कितना है? यह दूसरा सवाल है। इसलिए वर्तमान चुनावी राजनीति में जाति और पैसा इन दो प्रमुख बातों का जोर है। उम्मीदवार मालामाल होना चाहिए। उसी से राजनीतिक पार्टी भी अपने स्तर पर मालामाल हो रही हैं। ‘सामना’ ने लिखा है कि 2019 -20 इस एक साल का यह बेहद छुटपुट हिसाब है। इस दौर में सोनिया गांधी (Sonia Gnadhi) की राष्ट्रीय कांग्रेस को 139 करोड़ रुपये का चंदा मिला है। तीसरे क्रमांक पर अमीर पार्टी राष्ट्रवादी कांग्रेस (NCP) नजर आती है, उन्हें 59 करोड़ रुपये का चंदा मिला है।

तृणमूल कांग्रेस को 8 करोड़ रुपये, सीपीएम को 19. 6 करोड़ और सीपीआई को 1.9 करोड़ रुपये चंदे के रूप में मिलने का अधिकृत आंकड़ा सामने आया है। बीजेपी के 750 करोड़ का यह आंकड़ा वास्तव में अधिक बड़ा हो सकता है, क्योंकि चुनाव आयोग के समक्ष पेश की गई रिपोर्ट में 20 हजार से ज्यादा रकम चंदे के नाम पर ही पेश की जाती है इसलिए 20 हजार वाले करोड़ों लोग हो सकते हैं। ‘सामना’ ने लिखा है कि इस बार सबसे बड़ा दानी प्रूडेंट इलेक्टोरल ट्रस्ट है, उसने 217.75 करोड़ रुपये बीजेपी (BJP) को दान दिए हैं। आईटीसी ग्रुप ने 76 करोड़, जन कल्याण ट्रस्ट ने 45.95 करोड़। इसके अलावा महाराष्ट्र के बीजी शिर्के कंस्ट्रक्शन का 35 करोड़, लोढ़ा डेवलपर्स का 21 करोड़, गुलमण डेवलपर्स, ज्युपिटर कैपिटल का 15 करोड़ आदि बड़े आंकड़े हैं। देश के 14 शैक्षणिक संस्थाओं ने बीजेपी की दानपेटी में करोड़ों रुपये डाले हैं।

बीजेपी सत्ता में है और उद्योगपतियों की चाबी बीजेपी के व्यापारी मंडल के पास है। 2014 और 2019 के आम चुनावों में पैसों का अपार और अंधाधुंध इस्तेमाल किया गया। पैसा लाने-ले जाने के लिए विमानों व हेलिकॉप्टर का इस्तेमाल हुआ। ‘सामना’ ने लिखा है कि सत्ता और पैसा यह एक अलग नशा है। पैसे से सत्ता और सत्ता से पैसा। उसी पैसे से बार-बार सत्ता। इस दुष्चक्र को भेदना अब हमारे लोकतंत्र में किसी के लिए भी संभव होगा, ऐसा नहीं लगता। उद्योगपति, बिल्डर, ठेकेदार, व्यापारी मंडल, करोड़ों रुपये का चंदा किसी राजनीतिक पार्टी को देते हैं, वह क्या सिर्फ खैरात के लिए? इन चंदों की वसूली अगले पांच वर्षों में सही ढंग से होती ही है। उद्योगपतियों के लिए कानून बदले जाते हैं। नियमों को मरोड़ा जाता है और उनके दिए चंदे की पूरी तरह से वसूली वे कर पाएं, इसका उचित प्रबंध किया जाता है।

महाराष्ट्र

मुंबई: मीरा रोड में मराठी न बोलने पर दुकानदार पर हमला करने के कुछ घंटों बाद मनसे कार्यकर्ताओं को छोड़ा गया: रिपोर्ट

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मुंबई: मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के सात सदस्यों, जिन्होंने मराठी में बात न करने पर मुंबई में एक दुकानदार पर हिंसक हमला किया था, को हिरासत में लिए जाने के कुछ ही घंटों के भीतर रिहा कर दिया गया।

इन लोगों ने अपने साथ हुई मारपीट का वीडियो भी बना लिया था और उसे सोशल मीडिया पर भी प्रसारित कर दिया था, फिर भी पुलिस द्वारा संक्षिप्त पूछताछ के बाद वे उसी शाम को बाहर चले गए।

रिपोर्ट के अनुसार, पुलिस ने बताया कि सात मनसे कार्यकर्ताओं को गुरुवार शाम (3 जुलाई) को हिरासत में लिया गया था, लेकिन उन्हें जल्दी ही जमानत पर छोड़ दिया गया। कारण? उनके खिलाफ लगाए गए आरोपों में अधिकतम सात साल की सजा का प्रावधान है, जो कानूनी प्रावधानों के तहत अपराध को जमानती बनाता है।

दिनदहाड़े किए गए तथा गर्व के साथ ऑनलाइन साझा किए गए इस हमले की गंभीरता के बावजूद, पुलिस ने स्पष्ट किया कि यह अपराध गैर-संज्ञेय है, जिसका अर्थ है कि पूर्ण जांच शुरू करने या बिना वारंट के गिरफ्तारी करने के लिए मजिस्ट्रेट से पूर्व अनुमति लेना आवश्यक है।

मीडिया के अनुसार , आरोपियों में से एक ने खुले तौर पर हिंसा का बचाव करते हुए कहा कि दुकानदार ने “खुद पर हमले को आमंत्रित किया था।” उसने अपनी पहचान छिपाने का कोई प्रयास नहीं किया।

मंत्री ने किया गिरफ्तारी का दावा, हकीकत कुछ और

मीडिया के साथ एक साक्षात्कार में , महाराष्ट्र के मंत्री नितीश राणे ने कहा कि उन लोगों को “गिरफ्तार कर लिया गया है।” हालांकि, उनकी टिप्पणी प्रसारित होने के कुछ ही मिनटों के भीतर, यह स्पष्ट हो गया कि आरोपी वास्तव में उसी शाम को रिहा हो चुके थे।

वीडियो साक्ष्य और सार्वजनिक आक्रोश के बावजूद इन लोगों की तुरन्त रिहाई ने राजनीतिक रूप से संवेदनशील घटनाओं, खासकर भाषा-संबंधी हिंसा से जुड़ी घटनाओं से निपटने के राज्य के तरीके पर गंभीर चिंताएँ पैदा कर दी हैं। अभी तक पुलिस ने आगे कोई कार्रवाई की पुष्टि नहीं की है।

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अपराध

मुंबई: बांद्रा पुलिस ने स्कूली बच्चों के अपहरण की कोशिश करने के आरोप में दो महिलाओं पर मामला दर्ज किया

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मुंबई: बांद्रा पुलिस ने गुरुवार को एक प्रतिष्ठित स्कूल के दो छात्रों का अपहरण करने की कोशिश करने के आरोप में दो महिलाओं के खिलाफ मामला दर्ज किया है। पुलिस इस कोशिश के पीछे के मकसद का पता लगाने के लिए सीसीटीवी फुटेज खंगाल रही है।

हालांकि संदिग्धों की पहचान नहीं हो पाई है, लेकिन पुलिस का मानना ​​है कि यह आपसी रंजिश का मामला हो सकता है। एक अधिकारी ने बताया कि घटना बांद्रा के चैपल रोड स्थित एक कॉन्वेंट स्कूल में हुई, जहां संदिग्ध महिलाओं ने बुधवार को स्कूल काउंटर पर आवेदन जमा किया था।

पत्र में महिला ने पांच और सात साल के दो नाबालिग भाइयों को स्कूल से ले जाने की अनुमति मांगी और दावा किया कि वे उनकी दादी और चाची हैं। हालांकि, स्कूल के कर्मचारियों को संदेह हुआ और उन्होंने बच्चों के रिश्तेदारों को सत्यापन के लिए बुलाया। बच्चों के असली माता-पिता ने दोनों महिलाओं के बारे में कोई जानकारी देने या उनकी पहचान बताने से इनकार कर दिया।

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महाराष्ट्र

वसई-विरार निर्माण घोटाला: ईडी ने ₹12.71 करोड़ फ्रीज किए, ₹26 लाख नकद जब्त किए; बिल्डरों, आर्किटेक्ट्स और नगर निगम अधिकारियों के बीच सांठगांठ का भंडाफोड़

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पालघर, महाराष्ट्र: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मंगलवार को वसई-विरार निर्माण घोटाले में आर्किटेक्ट, बिल्डरों और चार्टर्ड अकाउंटेंट के आवासों पर छापेमारी की, जिसमें करोड़ों रुपये का घोटाला सामने आया और अत्यंत महत्वपूर्ण एवं गोपनीय दस्तावेज जब्त किए गए।

कार्रवाई के दौरान, 12 करोड़ रुपये के बैंक फंड और फिक्स्ड डिपॉजिट को फ्रीज कर दिया गया और 26 लाख रुपये नकद जब्त कर लिए गए। ईडी को इस व्यापक बिल्डिंग धोखाधड़ी में नगर निगम के अधिकारियों, निर्माण डेवलपर्स और आर्किटेक्ट्स के बीच गहरी सांठगांठ के सबूत मिले हैं।

ईडी ने नालासोपारा में 41 अनधिकृत इमारतों के संबंध में कार्रवाई शुरू की। मई में पहले की गई छापेमारी में, निलंबित टाउन प्लानिंग उप निदेशक वाईएस रेड्डी के आवास से लगभग ₹9 करोड़ नकद और ₹23 करोड़ सोना जब्त किया गया था।

इसके बाद मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया गया और जांच शुरू की गई। रेड्डी से पूछताछ के दौरान मिली जानकारी से शहर के प्रमुख बिल्डरों, आर्किटेक्ट्स और चार्टर्ड अकाउंटेंट्स के नाम सामने आए, जिसके बाद मंगलवार को 16 जगहों पर समन्वित छापेमारी की गई। अब तक ₹12.71 करोड़ के बैंक बैलेंस, फिक्स्ड डिपॉजिट और म्यूचुअल फंड फ्रीज किए जा चुके हैं और ₹26 लाख नकद जब्त किए गए हैं।

छापेमारी के दौरान ईडी अधिकारियों ने कई लैपटॉप, आईपैड और मोबाइल फोन जब्त किए। इन डिवाइस में गोपनीय दस्तावेज, संपत्ति के दस्तावेज, रसीदें, समझौते और ऑडियो रिकॉर्डिंग समेत कई महत्वपूर्ण सबूत मौजूद थे।

ईडी अधिकारियों ने कहा कि इस साक्ष्य के आधार पर कई व्यक्तियों की जांच की जा सकती है। ईडी ने संकेत दिया है कि इन निष्कर्षों से शहर में इमारतों के निर्माण की अनुमति प्राप्त करने के लिए व्यापक वित्तीय लेन-देन का पता चलता है। एजेंसी ने पाया है कि निर्माण घोटाले से प्राप्त काला धन नगर पालिका में भेजा जा रहा था।

नगर निगम अधिकारी, बिल्डर, आर्किटेक्ट मिलीभगत में

ईडी ने बताया है कि भू-माफियाओं ने नगर निगम के अधिकारियों के साथ मिलकर 41 अवैध इमारतें बनाईं। इस मामले की जांच में नगर निगम के अधिकारियों, निर्माण डेवलपर्स, चार्टर्ड अकाउंटेंट और आर्किटेक्ट्स से जुड़े बड़े पैमाने पर रैकेट का खुलासा हुआ है। यह नेटवर्क करोड़ों रुपये के काले धन के अवैध कारोबार में शामिल था।

ईडी का ध्यान भूमि आरक्षण हटाने पर केंद्रित

भू-माफियाओं ने नालासोपारा में उन भूखंडों पर 41 अनधिकृत इमारतों का निर्माण कर लिया था, जो मूल रूप से कचरा डंप (डंपिंग ग्राउंड) और सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) के लिए आरक्षित थे।

उन्होंने धोखाधड़ी से फर्जी प्रारम्भ प्रमाण पत्र (सीसी) और अधिभोग प्रमाण पत्र (ओसी) प्राप्त किए और लगभग 2,500 परिवारों को मकान बेच दिए।

नगर निगम ने अदालत को बताया था कि सीवेज और अपशिष्ट निपटान परियोजनाओं के लिए भूमि की आवश्यकता थी। नतीजतन, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद, जनवरी 2015 में इन 41 इमारतों को ध्वस्त कर दिया गया।

जबकि इन परियोजनाओं के शुरू होने की उम्मीद थी, उसी साल फरवरी में दोनों आरक्षणों को हटाने का प्रस्ताव तुरंत पेश किया गया। इस प्रस्ताव पर तत्कालीन नगर नियोजन उपनिदेशक वाईएस रेड्डी के हस्ताक्षर थे।

पूर्व पार्षद धनंजय गावड़े ने आरोप लगाया था कि भू-माफियाओं को लाभ पहुंचाने के लिए ये आरक्षण हटाए गए, जिसके बाद ईडी का ध्यान इस मामले की ओर गया। कई आपराधिक मामले दर्ज होने के बाद ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज कर जांच शुरू की।

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