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Tuesday,08-July-2025
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महाराष्ट्र

बंबई हाईकोर्ट ने खराब वेंटिलेटर के प्रयोग को लेकर केंद्र सरकार को चेताया

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बंबई हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि पीएम केयर्स फंड के माध्यम से गुजरात स्थित किसी कंपनी द्वारा आपूर्ति किए गए किसी भी दोषपूर्ण वेंटिलेटर के कारण कोविड-19 से अगर कोई व्यक्ति दम तोड़ देता है तो यह केंद्र की जिम्मेदारी होगी। बुधवार को अपने फैसले में न्यायमूर्ति रवींद्र घुगे और न्यायमूर्ति बी. यू. देबद्वार ने कहा कि वे ऐसे वेंटिलेटर के प्रयोग की अनुमति नहीं देंगे, जिनकी बड़े स्तर पर मरम्मत हुई है, क्योंकि इससे रोगियों के लिए जोखिम/स्वास्थ्य को खतरा होगा और दुर्भाग्य से ऐसे वेंटिलेटर के उपयोग से उनके जीवन को भी हानि हो सकती है, जिसे टाला जाना चाहिए।

भारत के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह ने प्रस्तुत किया कि नई दिल्ली की एक टीम, जिसमें राम मनोहर लोहिया अस्पताल और सफदरजंग अस्पताल से एक-एक विशेषज्ञ डॉक्टर शामिल हैं, आज सरकारी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल औरंगाबाद (जीएमसीएच) का दौरा करेंगे। वह खराब वेंटिलेटर के निरीक्षण करने के लिए वहां का दौरा जाएंगे। इसके बाद अदालत ने मामले को आगे की सुनवाई के लिए 7 जून का दिन निर्धारित कर दिया।

मामला अप्रैल में पीएम केयर फंड के तहत जीएमसीएच को प्रदान किए गए 150 वेंटिलेटर से संबंधित है, जिनकी आपूर्ति राजकोट स्थित ज्योति सीएनसी द्वारा की गई थी, जिनमें से लगभग 133 दोषपूर्ण या खराब पाए गए थे। आईएएनएस ने इस संबंध में 18 मई को अपनी रिपोर्ट में जानकारी दी थी।

एक जीएमसीएच समिति ने वेंटिलेटर पर एक रिपोर्ट सौंपी थी, जो मरम्मत के बाद भी लगातार खराब चल रहे थे और इसलिए मशीनों का इस्तेमाल एहतियात के तौर पर नहीं किया जा रहा था। महाराष्ट्र कांग्रेस के प्रवक्ता सचिन सावंत ने इस मुद्दे को बड़े पैमाने पर उठाया था।

औरंगाबाद पीठ में दायर आपराधिक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायाधीशों ने कहा, यदि निरीक्षण/मरम्मत के बाद भी वेंटिलेटर खराब पाए जाते हैं, तो प्रोड्यूसर को उत्तरदायी ठहराया जाएगा और भारत संघ ऐसे दोषपूर्ण वेंटिलेटर को बदलने के लिए दबाव डालेगा। यह ध्यान में रखते हुए कि ऐसे प्रत्येक वेंटिलेटर के संबंध में एक साल की प्रोड्यूसर की वारंटी मौजूद है।

इसके पर सिंह ने कहा कि कोई हताहत नहीं होगा, क्योंकि इन वेंटिलेटर को मरीजों के इलाज में तब तक चालू नहीं किया जाएगा, जब तक कि जीएमसीएच औरंगाबाद (आज) जाने वाले डॉक्टरों की टीम और प्रोड्यूसर के प्रतिनिधि यह सुनिश्चित नहीं कर लेते कि वेंटिलेटर वांछनीय परिचालन मानकों पर खरे हैं या नहीं।

मुख्य लोक अभियोजक (सीपीपी) डी. आर. काले ने अदालत को सूचित किया कि चूंकि इन दोषपूर्ण वेंटिलेटर का उपयोग करना बेहद जोखिम भरा होगा, जीएमसीएच औरंगाबाद और अंबेजोगाई (बीड) उनका उपयोग तब तक नहीं करेंगे, जब तक कि वे पूरी तरह से आश्वस्त नहीं हो जाते कि मशीनें पूरी तरह से काम कर रही हैं और वह मरीजों का इलाज करते हुए वांछित परिणाम दे सकती हैं।

सीपीपी काले ने कहा, चूंकि जीएमसीएच का औरंगाबाद या बीड में कोई सेवा केंद्र नहीं है, इसलिए प्रोड्यूसर (ज्योति सीएनसी, राजकोट) को इन्हें अपने स्वयं के मरम्मत केंद्रों पर ले जाना चाहिए।

न्यायमूर्ति घुगे और न्यायमूर्ति देबद्वार ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि केंद्र ऐसे खराब वेंटिलेटर की आपूर्ति के लिए प्रोड्यूसर के साथ सख्त रहेगा और यदि आवश्यक हो, तो अदालत उनकी वापसी का आदेश देगी।

अदालत ने कहा, ऐसी स्थिति में, यह सुनिश्चित करने के लिए भारत संघ की जिम्मेदारी होगी कि दोषपूर्ण वेंटिलेटर को नए कार्यात्मक वेंटिलेटर से बदल दिया जाए।

अप्रैल में कांग्रेस और सावंत द्वारा इस मुद्दे को उठाए जाने के बाद, 15 मई को, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पीएमसीएफ के माध्यम से देश भर में आपूर्ति किए गए सभी वेंटिलेटर की स्थापना और संचालन के ऑडिट का आदेश दिया था।

ज्योति सीएनसी, राजकोट द्वारा महाराष्ट्र को पीएमसीएफ के तहत आपूर्ति किए गए 150 वेंटिलेटर में से 58 स्थापित किए गए थे, लेकिन सभी मरम्मत के बावजूद अप्रयुक्त पड़े हैं और उन्हें काम में नहीं लिया जा सका है। पिछले महीने जीएमसीएच रिपोर्ट के अनुसार, कंपनी ने इसके बाद 37 अन्य वेंटिलेटर स्थापित किए, जबकि शेष 55 को बीड, परभणी, उस्मानाबाद और हिंगोली के अस्पतालों में वितरित किया गया।

महाराष्ट्र

संजय राउत ने निशिकांत दुबे की टिप्पणी की निंदा की, सीएम फडणवीस और डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे पर निशाना साधा।

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शिवसेना सांसद संजय राउत ने मंगलवार को मराठी-हिंदी भाषा को लेकर भाजपा सांसद निशिकांत दुबे की टिप्पणी पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और उनके मंत्रिमंडल की “चुप्पी” पर आश्चर्य व्यक्त किया। मीडिया को संबोधित करते हुए संजय राउत ने हिंदी भाषी नेताओं से निशिकांत दुबे की टिप्पणी की निंदा करने की अपील की और सीएम फडणवीस और डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे पर निशाना साधा।संजय राउत ने कहा, “सबसे पहले, यह दुबे कौन है? मैं यहां हिंदी भाषी नेताओं से अपील करता हूं कि वे दुबे द्वारा दिए गए बयान की निंदा करें। तभी मैं कह सकता हूं कि आप महाराष्ट्र से हैं। मुझे आश्चर्य है कि जब भाजपा का एक सांसद मराठी लोगों के खिलाफ बयान दे रहा है, तब महाराष्ट्र के सीएम और उनका मंत्रिमंडल चुप है। वह किस तरह का सीएम है? उन्हें छत्रपति शिवाजी महाराज और बालासाहेब ठाकरे का नाम लेने का कोई अधिकार नहीं है।” उन्होंने कहा, “खुद को डुप्लीकेट शिवसेना का नेता मानने वाले एकनाथ शिंदे को अपनी दाढ़ी कटवा लेनी चाहिए। उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए। उन्हें मोदी और शाह से पूछना चाहिए कि महाराष्ट्र में क्या हो रहा है।”

संजय राउत की यह टिप्पणी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) प्रमुख राज ठाकरे के बयान पर भाजपा सांसद निशिकांत दुबे की तीखी प्रतिक्रिया से उपजे राजनीतिक विवाद के मद्देनजर आई है। राज ठाकरे द्वारा अपने पार्टी कार्यकर्ताओं को दिए गए विवादित निर्देश, “पीटो लेकिन वीडियो मत बनाओ” पर दुबे ने कटाक्ष करते हुए कहा, “तुम क्या कर रहे हो, किसकी रोटी खा रहे हो? तुम लोग हमारे पैसे से जी रहे हो। तुम्हारे पास किस तरह के उद्योग हैं? झारखंड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और ओडिशा में हमारी सभी खदानें हैं। तुम्हारे पास कौन सी खदानें हैं? सभी सेमीकंडक्टर रिफाइनरियाँ गुजरात में हैं।” उन्होंने हिंदी भाषी व्यक्तियों को निशाना बनाने वालों को चुनौती देते हुए कहा, “अगर तुम हिंदी बोलने वालों को पीटने की हिम्मत रखते हो, तो उर्दू, तमिल और तेलुगु बोलने वालों को भी पीटना। अगर तुम इतने ‘बॉस’ हो, तो महाराष्ट्र से बाहर निकलो–बिहार, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु में आओ। ‘तुमको पटक पटक के मारेंगे’…”

दुबे ने आगे कहा, “हम सभी मराठी और महाराष्ट्र के लोगों का सम्मान करते हैं, जिन्होंने भारत की आज़ादी के लिए लड़ाई लड़ी। हम सभी स्वतंत्रता सेनानियों का सम्मान करते हैं – छत्रपति शिवाजी, तात्या टोपे, लाला लाजपत राय, गोपाल कृष्ण गोखले – महाराष्ट्र ने हमारी आज़ादी और स्वाधीनता में बहुत योगदान दिया है।” महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भाजपा सांसद निशिकांत दुबे को जवाब देते हुए कहा, “निशिकांत दुबे ने जो कुछ भी कहा है, वह आम मराठी लोगों के लिए नहीं कहा है, बल्कि उन संगठनों के लिए कहा है, जिन्होंने इस विवाद को हवा दी है।” हालांकि, मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि वह दुबे की टिप्पणी की विषय-वस्तु से पूरी तरह सहमत नहीं हैं और कहा, ”मेरा मानना ​​है कि निशिकांत दुबे का बयान पूरी तरह सही नहीं है।” मुख्यमंत्री ने भारत के विकास में महाराष्ट्र के महत्वपूर्ण योगदान पर प्रकाश डाला और कहा, ”देश की प्रगति में महाराष्ट्र के योगदान को कोई नकार नहीं सकता या भूल नहीं सकता और अगर कोई ऐसा करता है तो यह पूरी तरह गलत होगा।”

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महाराष्ट्र

मनसे कार्यकर्ताओं को मीरा-भायंदर क्षेत्र में विरोध मार्च निकालने की अनुमति नहीं दी : मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस

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मुंबई : महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मंगलवार को ठाणे के मीरा-भायंदर इलाके में स्थानीय व्यापारियों के खिलाफ महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) को विरोध मार्च की अनुमति न देने के लिए पुलिस का बचाव किया। गौरतलब है कि मनसे कार्यकर्ताओं द्वारा आज सुबह 10 बजे बालाजी होटल से मार्च निकाला जाना था।

पत्रकारों से बात करते हुए फडणवीस ने कहा कि उन्होंने इलाके में मौजूदा हालात के बारे में पुलिस कमिश्नर से चर्चा की है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के अनुसार, कमिश्नर ने उन्हें बताया कि मनसे रैली को ऐसे रास्ते से निकालने पर अड़ी हुई है जिससे इलाके के लोगों को असुविधा होगी। फडणवीस ने मीडिया को बताया कि पुलिस ने मनसे कार्यकर्ताओं से अपना रास्ता बदलने का अनुरोध किया, लेकिन वे इसके लिए तैयार नहीं हुए। फडणवीस ने कहा, “महाराष्ट्र में हर किसी को मार्च निकालने का अधिकार है। वे पुलिस की अनुमति के बाद ही विरोध मार्च निकाल सकते हैं। यातायात संबंधी समस्याएं, भगदड़ का खतरा आदि हैं, जिन पर विचार करने की जरूरत है।”

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री ने संवाददाताओं से कहा, “जो कोई भी रैली निकालना चाहता है, वह ऐसा कर सकता है, लेकिन इसके लिए उसे अनुमति लेनी होगी। यदि यातायात संबंधी समस्या या भगदड़ की आशंका है, तो पुलिस प्रदर्शनकारियों से रैली का मार्ग बदलने के लिए कह सकती है। जब मैंने पुलिस आयुक्त से पूछा, तो उन्होंने मुझे बताया कि उन्होंने उनसे (मनसे नेताओं से) मार्ग बदलने के लिए कहा था, लेकिन वे उसी मार्ग पर जाने पर अड़े रहे। यही कारण है कि पुलिस ने अनुमति देने से इनकार कर दिया।”

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सांसद निशिकांत दुबे के ‘पटक पटक के मारेंगे’ बयान पर टिप्पणी करते हुए फडणवीस ने कहा कि उनकी पार्टी के नेता ने आम मराठी लोगों को धमकाया नहीं है, बल्कि उन्होंने केवल उन संगठनों को निशाना बनाया है, जिन्होंने यह विवाद शुरू किया। फडणवीस ने कहा, “निशिकांत दुबे ने जो कुछ भी कहा है, वह आम मराठी लोगों के लिए नहीं कहा है, बल्कि उन संगठनों के लिए कहा है जिन्होंने इस विवाद को हवा दी है।” महाराष्ट्र के सीएम ने कहा, “मेरा मानना ​​है कि निशिकांत दुबे का बयान पूरी तरह से सही नहीं था। देश की प्रगति में महाराष्ट्र के योगदान को कोई नकार नहीं सकता या भूल नहीं सकता और अगर कोई ऐसा करता है तो यह पूरी तरह से गलत होगा।” इससे पहले दिन में पुलिस ने मनसे के मार्च की अनुमति देने से इनकार कर दिया था। अधिकारियों ने इलाके में धारा 144 भी लगा दी थी। पुलिस ने अविनाश जाधव समेत पार्टी के कई पदाधिकारियों को हिरासत में लिया।

पुलिस द्वारा मनसे कार्यकर्ताओं को हिरासत में लेने की तस्वीरें भी ऑनलाइन सामने आईं। मनसे कार्यकर्ताओं ने अधिकारियों से व्यापारियों को विरोध मार्च निकालने की अनुमति देने और उन्हें अनुमति न देने पर सवाल उठाया। पिछले हफ़्ते 44 वर्षीय बाबूलाल चौधरी को सात एमएनएस सदस्यों द्वारा थप्पड़ मारने और धमकी देने के बाद विवाद शुरू हुआ। चौधरी मीरा रोड में ‘जोधपुर स्वीट शॉप’ चलाते हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, विवाद तब शुरू हुआ जब चौधरी के एक कर्मचारी ने एमएनएस सदस्यों से हिंदी में बात की। घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। इस घटना से क्षेत्र में मनसे के खिलाफ भारी आक्रोश फैल गया।

दुबे ने इस मामले में शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे और उनके चचेरे भाई मनसे प्रमुख राज ठाकरे को भी धमकाया और चुनौती दी कि वे एक बार उत्तर प्रदेश और बिहार आएं। दुबे ने कहा, “यूपी, बिहार या तमिलनाडु आ जाओ। तुम्हें पटक-पटक के मारेंगे।”

उल्लेखनीय है कि भाजपा का मुकाबला करने के लिए मराठी भाषा के मुद्दे पर ठाकरे भाई दो दशक बाद फिर से एकजुट हुए हैं।

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महाराष्ट्र

मुंबई मानखुर्द शिवाजी नगर पुल को वाहनों के वजन के लिए शुरू किया जाना चाहिए, अबू आसिम आजमी

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abu asim aazmi

मुंबई: महाराष्ट्र समाजवादी पार्टी के नेता और विधायक ने विधानसभा में मांग की है कि मानखुर्द शिवाजी नगर में जानलेवा हादसों पर लगाम लगाने के लिए भारी वाहनों के लिए फ्लाईओवर ब्रिज शुरू किया जाना चाहिए। मानखुर्द शिवाजी नगर में हर महीने जानलेवा हादसे हो रहे हैं। पहले जीएम लिंक रोड पर बने ब्रिज पर हाईटेंशन तार थे, फिर भारी वाहनों के कारण ब्रिज को बंद कर दिया गया था। बाद में तार भी हटा दिए गए और फ्लाईओवर विभाग ने भारी वाहनों को गुजरने की इजाजत भी दे दी है, हालांकि अभी भी भारी वाहनों की आवाजाही नहीं होने दी जा रही है। आज सदन में इस ब्रिज पर भारी वाहनों की आवाजाही शुरू करने की मांग की गई। अबू आसिम आज़मी ने कहा कि हाल ही में यहां एक दुखद हादसा हुआ जिसमें तीन लोगों की मौत हो गई।

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