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Saturday,18-January-2025
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सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से कहा, प्रवासी श्रमिकों तक लाभ पहुंचाने के लिए पंजीकरण में तेजी लाएं

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Supreme-Court

 कोरोनावायरस महामारी को नियंत्रित करने के लिए विभिन्न राज्यों में लगाए गए लॉकडाउन की वजह से प्रवासी मजदूरों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने प्रवासी मजदूरों के लिए पर्याप्त लाभ सुनिश्चित करने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों को तेजी से कदम उठाने की हिदायत दी है।

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि प्रवासी मजदूरों के पंजीकरण की प्रक्रिया काफी धीमी है, जिसे तेज किया जाना चाहिए, ताकि योजनाओं के लाभ उन तक पहुंच पाएं।

शीर्ष अदालत ने सख्त रुख अपनाते हुए कहा कि केंद्र और राज्य सरकारों को प्रवासी श्रमिकों और असंगठित क्षेत्रों में काम करने वालों के पंजीकरण में तेजी लानी चाहिए।

न्यायाधीश अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एम. आर. शाह की पीठ ने केंद्र के वकील से कहा, ” हमारी मुख्य चिंता यह है कि प्रवासी श्रमिकों के लिए लाभ उन तक पहुंचना चाहिए। हमने आपके (केंद्र) हलफनामे पर एक सरसरी (त्वरित) नजर डाली है, लेकिन प्रवासी श्रमिकों के पंजीकरण के बारे में इसमें कुछ भी नहीं है।”

शीर्ष अदालत ने यह भी पूछा कि सरकार उन मजदूरों को सूखा राशन कैसे देगी, जिनके पास राशन कार्ड नहीं हैं?

शीर्ष अदालत ने यह भी पूछा कि असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के बारे में कोई राष्ट्रीय डेटा क्यों नहीं है? अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि लॉकडाउन के दौरान जरूरतमंदों तक लाभ पहुंचाने के लिए डेटा और पोर्टल आवश्यक हैं।

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने शीर्ष अदालत के सुझाव से सहमति व्यक्त की कि प्रवासी श्रमिकों की पहचान और पंजीकरण आवश्यक है, जिससे अन्य लाभों के अलावा सीधे उनके खातों में धन हस्तांतरण में मदद मिलेगी।

शीर्ष अदालत ने केंद्र से यह भी पूछा कि वे सरकारी योजनाएं जो लाभार्थियों तक पहुंच रही है, उनकी निगरानी कौन करेगा। अदालत ने कहा कि इसके लिए पर्यवेक्षण या निगरानी होनी चाहिए कि ये लाभ जरूरतमंदों तक पहुंच रहे हैं या नहीं। इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने नोडल अधिकारियों की नियुक्ति का भी सुझाव दिया।

न्यायमूर्ति शाह ने कहा कि कागजों पर हमने देखा है कि सरकार ने हजारों करोड़ खर्च किए हैं, लेकिन चिंता यह है कि क्या यह जरूरतमंद लोगों तक लाभ पहुंच भी रहा है?

पीठ ने कहा, ” सरकार को उन्हें (प्रवासी श्रमिकों) को पंजीकृत कराने के लिए उनसे संपर्क करना चाहिए। पीठ ने कहा कि सरकारें ऐसे प्रवासी कामगारों को लाभ दे सकती हैं, जिन्होंने महामारी के बीच रोजगार खो दिया है, अगर वे पंजीकृत हैं। ”

पीठ ने जोर देकर कहा, ” यह एक मुश्किल काम है, लेकिन इसे करना ही होगा। अदालत ने कहा कि केंद्र और राज्यों को असंगठित क्षेत्रों में काम करने वालों के साथ-साथ प्रवासी श्रमिकों के पंजीकरण में तेजी लानी चाहिए।”

अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि प्रवासी श्रमिक न केवल निर्माण श्रमिक हैं, बल्कि रिक्शा चालक, छोटे विक्रेता और फेरीवाले भी हैं, जो महामारी के कारण बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। भूषण ने प्रस्तुत किया कि उन्हें सहायता प्रदान करने के लिए नकद हस्तांतरण आवश्यक है।

पीठ ने भूषण की दलील से सहमति जताई कि प्रवासी श्रमिकों के पंजीकरण की प्रक्रिया बहुत धीमी है। न्यायमूर्ति भूषण ने सभी असंगठित श्रमिकों के पंजीकरण पर जोर दिया, ताकि वे योजनाओं का लाभ उठा सकें। हालांकि, पीठ ने स्पष्ट किया कि वह नकद हस्तांतरण का आदेश नहीं देगी, जो कि एक नीतिगत निर्णय है।

शीर्ष अदालत ने कहा कि पहले के लॉकडाउन और चल रहे लॉकडाउन अलग हो सकते हैं, लेकिन प्रवासी श्रमिकों की मानसिकता वही होगी, मनोवैज्ञानिक रूप से वे अपने घर जाना चाहेंगे और यह नहीं कहा जा सकता है कि उन्हें किसी मदद की आवश्यकता नहीं है।

शीर्ष अदालत ने गुजरात सरकार से यह भी पूछा कि निरक्षर (बिना पढ़े लिखे) श्रमिक सरकारी पोर्टल पर कैसे पंजीकरण करेंगे और सुझाव दिया कि सरकार को उन तक पहुंचना चाहिए।

पीठ ने इस बात पर जोर दिया कि प्रवासी कामगारों के सभी पंजीकरण राष्ट्रीय डेटाबेस पर आने चाहिए और इसे स्थानीयकृत नहीं किया जाना चाहिए।

शीर्ष अदालत ने कहा कि वह सोमवार की शाम तक इस संबंध में आदेश पारित करेगी।

शीर्ष अदालत ने ये टिप्पणियां एक्टिविस्ट हर्ष मंदर, अंजलि भारद्वाज और जगदीप छोक्कर के एक आवेदन की सुनवाई के दौरान की, जिन्होंने अधिवक्ता प्रशांत भूषण के माध्यम से एक तत्काल आवेदन दायर करके यह सुनिश्चित करने के लिए निर्देश जारी करने की मांग की थी कि प्रवासी श्रमिक राशन और खाद्य सुरक्षा से वंचित न हों और वे बहुत ही कम लागत पर अपने घर वापस जाने में भी सक्षम हो सके।

राष्ट्रीय स्तर के लॉकडाउन के दौरान प्रवासी मजदूर संकट को दूर करने के लिए पिछले साल शीर्ष अदालत द्वारा उठाए गए स्वत: संज्ञान मामले में आवेदन दायर किया गया था।

राजनीति

शहरी यातायात के लिए एकीकृत टिकट प्रणाली – मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस

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मुंबई प्रतिनिधि : सार्वजनिक परिवहन प्रणाली को एक ही मोबिलिटी प्लेटफॉर्म पर लाने का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सपना है और इस दिशा में मुंबई में बुनियादी ढांचे के विकास के प्रयास जारी हैं। इसके माध्यम से यात्रियों को केवल 300 से 500 मीटर चलकर सार्वजनिक परिवहन सुविधाओं का लाभ मिलेगा। एक छोर से दूसरे छोर तक तेज और सुगम परिवहन सेवा प्रदान करने का यह महत्वाकांक्षी प्रकल्प है, ऐसा मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने बताया।

मुख्यमंत्री फडणवीस और केंद्रीय रेलवे मंत्री अश्विनी वैष्णव की उपस्थिति में मुंबई में एकीकृत टिकट सेवा प्रणाली पर चर्चा की गई। इस बैठक में मित्रचे के मुख्य कार्यकारी अधिकारी प्रविणसिंह परदेशी, मुख्यमंत्री कार्यालय के सचिव डॉ. श्रीकर परदेशी, मध्य, पश्चिम रेलवे और मुंबई मेट्रो के अधिकारी उपस्थित थे।

मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा, “मुंबई के लिए लोकल रेल जीवनधारा है। एकीकृत सेवा प्रणाली से यात्रियों के लिए कनेक्टिविटी तेज और सुगम हो जाएगी और साथ ही सार्वजनिक सेवाओं का अधिकतम उपयोग और राजस्व वृद्धि होगी। तकनीकी का उपयोग करके टैक्सी और अन्य सेवाओं के साथ इस प्रणाली के एकीकरण के प्रयास किए जा रहे हैं।” इसके माध्यम से यात्रियों को एक ही प्लेटफॉर्म पर सभी परिवहन सुविधाएं आसानी से उपलब्ध होंगी। यातायात का सरल होना और यात्रियों का समय बचना संभव होगा, साथ ही यातायात व्यवस्था में आने वाली बाधाओं को भी दूर किया जाएगा।

केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि, “मुंबई में वर्तमान में 3,500 लोकल सेवाएं कार्यरत हैं। आने वाले समय में 300 और लोकल सेवाओं को शुरू करने के लिए रेलवे द्वारा 17,107 करोड़ रुपये की निवेश की जाएगी। महाराष्ट्र के रेलवे प्रकल्पों में 1.70 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया गया है। केंद्र और राज्य सरकार मुंबई के समग्र विकास के लिए प्रतिबद्ध हैं।”

महाराष्ट्र सरकार शहरी यातायात के लिए एकीकृत टिकट प्रणाली को लागू करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठा रही है। इस उपक्रम का नेतृत्व महाराष्ट्र इंस्टीट्यूशन फॉर ट्रांसफॉर्मेशन (MITRA) करेगा। इसका उद्देश्य विभिन्न सार्वजनिक परिवहन सेवाओं के लिए टिकट प्रक्रिया को एकीकृत और सुगम बनाना है। इसके लिए ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स (ONDC) प्लेटफॉर्म की तकनीकी सहायता ली जाएगी।

नवीन एकीकृत टिकट प्रणाली के माध्यम से मुंबई की सार्वजनिक यातायात सेवा अधिक सुगम और कार्यक्षम होगी।

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महाराष्ट्र

गढ़-किलों पर अतिक्रमण हटाया जाएगा आशिष शेलार की घोषणा – 1 फरवरी से 31 मई तक चलेगा अभियान

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मुंबई प्रतिनिधि : महाराष्ट्र के ऐतिहासिक गढ़-किलों पर हो रहे अतिक्रमण का मुद्दा फिर से चर्चा में आ गया है। विशाळगढ़ पर अतिक्रमण के विवाद ने इस समस्या को गंभीर रूप दिया था। इसके बाद गढ़-किलों के संरक्षण के लिए राज्य सरकार ने ठोस कदम उठाने का फैसला किया है। सांस्कृतिक कार्य मंत्री आशिष शेलार ने घोषणा की है कि 1 फरवरी से 31 मई के बीच गढ़-किलों पर हो रहे अतिक्रमण को हटाने का कार्य किया जाएगा।

गढ़-किलों के संरक्षण के लिए जिलास्तरीय समिति का गठन

गढ़-किलों के संरक्षण और अतिक्रमण रोकने के लिए जिलाधिकारी की अध्यक्षता में जिलास्तरीय समिति का गठन किया गया है। इस समिति में संबंधित पुलिस अधिकारी, जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी, वन विभाग के उप वन संरक्षक, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के अधिकारी और अन्य संबंधित विभागों के अधिकारी सदस्य होंगे।

महाराष्ट्र के गढ़-किलों की स्थिति

महाराष्ट्र में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के अंतर्गत 47 केंद्र संरक्षित किले हैं, जबकि राज्य पुरातत्व एवं संग्रहालय संचालनालय के अंतर्गत 62 राज्य संरक्षित किले हैं। इसके अलावा, लगभग 300 असंरक्षित गढ़-किले भी हैं। गढ़-किलों पर हो रहे अतिक्रमण के कारण उनका सांस्कृतिक महत्व कम हो रहा है और कानून-व्यवस्था पर भी खतरा मंडरा रहा है।

कार्यवाही के लिए समय सीमा

समिति को 31 जनवरी 2025 तक सभी गढ़-किलों पर अतिक्रमण की सूची तैयार करने और इसे राज्य सरकार को सौंपने का निर्देश दिया गया है। 1 फरवरी से 31 मई के बीच अतिक्रमण हटाने का अभियान चलाया जाएगा।

उद्देश्य और कार्ययोजना

  1. गढ़-किलों पर से अतिक्रमण हटाना।
  2. ऐतिहासिक धरोहरों का सौंदर्य और सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करना।
  3. नए अतिक्रमण को रोकने के लिए सख्त उपाय अपनाना।
  4. केंद्र और राज्य संरक्षित किलों के संरक्षण पर विशेष ध्यान देना।

जिम्मेदार संस्थाएं और विभाग

  • जिलाधिकारी (अध्यक्ष)
  • पुलिस आयुक्त / जिला पुलिस अधीक्षक
  • जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी
  • संबंधित वन विभाग के अधिकारी
  • भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग
  • राज्य पुरातत्व एवं संग्रहालय संचालनालय

सरकार के निर्देशानुसार कार्यवाही

मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के मार्गदर्शन में अतिक्रमण हटाने के अभियान को तेज किया जाएगा। समिति को समय-समय पर की गई कार्यवाही की रिपोर्ट सरकार को प्रस्तुत करनी होगी।

गढ़-किलों के संरक्षण की दिशा में बड़ा कदम

राज्य सरकार के इस कदम से महाराष्ट्र के ऐतिहासिक गढ़-किलों का संरक्षण होगा और उनकी सांस्कृतिक विरासत संरक्षित रहेगी। राज्य की जनता को भी इस अभियान में सहयोग देने की अपील की गई है।

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महाराष्ट्र

दलवाई का शिवसेना पर निशाना: “मराठी मुद्दा छोड़ हिंदुत्व अपनाना सबसे बड़ी गलती”

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कांग्रेस नेता हुसैन दलवाई ने शिवसेना पर तीखा हमला बोलते हुए कहा है कि मराठी मानुस के मुद्दे को छोड़कर हिंदुत्व को अपनाना शिवसेना की सबसे बड़ी गलती थी। दलवाई के अनुसार, इस गलती के कारण महाराष्ट्र पर संकट आया और मुंबई का गुजरातीकरण तेजी से हुआ। उन्होंने शिवसेना को मराठी मुद्दा दोबारा उठाने की सलाह दी है।

उन्होंने कहा कि शिवसेना की स्थापना के समय महाराष्ट्र और मराठी लोगों का मुद्दा प्राथमिकता में था। लेकिन बाद में शिवसेना ने हिंदुत्व को अपनाकर भाजपा से गठबंधन किया और सत्ता हासिल की। दलवाई का मानना है कि इस कदम से भाजपा को फायदा हुआ और शिवसेना अपने मूल सिद्धांत से भटक गई।

महाविकास अघाड़ी के गठन के दौरान शिवसेना, कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस ने मिलकर सरकार बनाई थी। हालांकि, एकनाथ शिंदे के विद्रोह के बाद सरकार गिर गई और शिवसेना दो गुटों में बंट गई। दलवाई के इस बयान के बाद महाविकास अघाड़ी में तनाव बढ़ने की अटकलें लगाई जा रही हैं।

दलवाई के बयान ने राजनीतिक हलकों में बहस छेड़ दी है। शिवसेना को अपनी पुरानी पहचान वापस लाने की सलाह सही है या नहीं, इस पर नेताओं और विशेषज्ञों की अलग-अलग राय सामने आ रही है।

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