राजनीति
2020 में योगी के 20 फैसलों ने यूपी को दिखाई नई राह
उत्तर प्रदेश सरकार के 2020 में लिए गये 20 फैसलों ने यूपी को नई दिशा और दशा दी है। यहां के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने तमाम फैसलों से राज्य को नई राह दिखाने का काम किया है। 2020 में कोरोना के कारण पूरी दुनिया में सब कुछ स्याह दिख रहा था, उस समय भी मुख्यमंत्री के कई फैसलों की देश और दुनिया में सराहना हुई। गुजर रहे साल में ऐसे ही कुछ महत्वपूर्ण फैसलों पर एक नजर। कोरोना के विकराल संकट से जूझती सरकारों के सामने लोगों की जान बचाने के साथ विकास का पहिया पटरी पर बनाए रखने की दोहरी और बेहद कठिन चुनौती थी। लेकिन योगी सरकार की तैयारी हर मुश्किल पर भारी पड़ी। इस दौरान लगातार उन्होंने विकास, तरक्की, रोजगार, शिक्षा, कृषि और स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम किए। उनके साहसिक फैसलों ने जहां एक तरफ कोरोना को मात दी वहीं दूसरी तरफ विकास के पहिये को भी गति मिली।
अयोध्या में राम मंदिर निर्माण से लेकर दुनिया की सबसे बड़ी फिल्म सिटी बनाने के फैसले तक योगी सरकार ने 2020 में 20 ऐसे बड़े फैसले किए जिन्होंने उत्तर प्रदेश की दशा और दिशा बदल दी।
करोड़ों हिदुओं के आराध्य मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के भव्य मंदिर का शिलान्यास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों करवाने के साथ ही योगी सरकार ने अयोध्या और आस पास के तमाम इलाकों के विकास का सबसे बड़ा खाका खींच दिया। अयोध्या और आसपास के क्षेत्रों के कायाकल्प के जरिये वह राज्य को दुनिया में सबसे बड़े पर्यटन स्थलों की सूची में शामिल कराने की तैयारी में जुटे हैं।
लव जेहाद के खिलाफ कानून बनाया। पहचान छिपा कर महिलाओं के साथ छल कर के शादी करने वालों के खिलाफ योगी सरकार ने कड़ा कानून बनाया। जो कि अन्य राज्यों के नजीर बना है।
महिलाओं से छेड़खानी, यौन अपराध करने वालों के चैराहों पर पोस्टर लगाने का फैसला, महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार करने वालों को सबक सिखाने के लिए योगी सरकार ने ऐसे लोगों के पोस्टर चौराहों पर लगाने का फैसला लिया।
महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान के साथ नवरात्रि के पहले दिन से शुरू मिशन शक्ति के जरिए वह उनको स्वावलंबी भी बना रहे हैं। इसके लिए प्रदेश भर में थाने, तहसीलों और ब्लॉकों में महिला हेल्प डेस्क समेत महिलाओं की सुविधा के लिए कई योजनाएं शुरू की।
वर्षों से लोगों के लिए आतंक बने उप्र के माफियाओं और अपराधियों के खिलाफ योगी सरकार ने सबसे बड़ा और प्रभावी अभियान चलाया। अपराधियों की संपत्ति सीज करने के साथ ही उनकी अवैध इमारतों पर सरकार ने बुलडोजर चलावाया।
उपद्रवियों, दंगाइयों द्वारा क्षतिग्रस्त की गई सरकारी संपत्तियों के नुकसान की उन्हीं से वसूली के लिए योगी सरकार ने रिकवरी अध्यादेश जारी किया। दंगे और बेवजह के प्रदर्शन कर शांति व्यवस्था बिगाड़ने वाले उपद्रवियों के पोस्टर चौराहे पर लगाने का फैसला योगी सरकार ने किया। गौ हत्या पर 10 साल की सजा और 5 लाख रुपये के जुर्माने का कानून बना कर गोकशी पर प्रभावी रोक लगाई।
यूपीएसएसएफ का गठन योगी सरकार ने सीआईएसएफ की तर्ज पर यूपी में विशेषाधिकार वाले विशेष सुरक्षा बल का गठन कर सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत किया।
योगी सरकार ने सेना और अर्धसैनिक बलों के शहीद जवानों के परिजनों को सहायता राशि 25 लाख से बढ़ा कर 50 लाख कर दिया।
लखनऊ और नोएडा में पुलिस कमिश्नरी सिस्टम लागू कर पुलिस व्यवस्था को नया रूप देने की कोशिश सरकार ने की।
बैंक सखी योजना के तहत करीब 80 हजार ग्रामीण महिलाओं को रोजगार से जोड़ने की अनूठी शुरूआत हुई है।
कोविड के दौरान प्रवासी मजदूरों को उनके घरों तक पहुंचाने का साहसिक फैसला योगी सरकार ने लिया। बसों और ट्रेनों के जरिये दूसरे प्रदेशों से अपने प्रदेश के लोगों को वापस लाने के साथ ही सरकार ने दूसरे राज्यों के मजदूरों को भी उनके घरों तक पहुंचाया।
लॉकडाउन के दौरान भोजन और दवा के साथ 40 लाख से अधिक मजदूरों को 1 हजार रुपये का भत्ता भी दिया।
नोएडा में दुनिया की सबसे बड़ी और भव्य फिल्म सिटी बनाने का योगी सरकार ने न सिर्फ फैसला किया बल्कि उसके लिए जमीन चिन्हित कर रूपरेखा भी पेश की।
योगी सरकार ने नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट के निर्माण के लिए लोगो और डिजाइन तय करने का काम भी 2020 में किया। इंफ्रास्ट्रक्च र के क्षेत्र में और भी जिन कामों की शुरूआत हुई वे आगे सूबे के विकास में मील का पत्थर साबित होंगे। पूर्वांचल एक्सप्रेस वे, बुंदेलखंड एक्सप्रेस वे, गंगा एक्सप्रेस वे, कुशीनगर इंटरनेशनल एयरपोर्ट के साथ बेहतर एयर कनेक्टिविटी के लिए निमार्णाधीन एयरपोर्ट इसके उदाहरण हैं।
सरकार ने गंगा एक्सप्रेस वे निर्माण के लिए भूमि अधिग्रहण की शुरूआत 2020 में कर इसके निर्माण की राह साफ कर दी।
स्वास्थ्य सेवा बेहतर देने के लिए योगी सरकार ने डाक्टरों के लिए 10 साल तक सरकारी नौकरी अनिवार्य करने का कानून पास किया। इसके तहत हर चिकित्सक को डिग्री प्राप्त करने के बाद सरकारी अस्पतालों में 10 साल की सेवा अनिवार्य रूप से देनी होगी। लोगों को पास में ही ईलाज की अद्यतन सुविधा मिल,े इसके लिए मुख्यमंत्री आरोग्य मेले की भी उन्होंने शुरूआत कराई।
कोरोना के दौरान युवाओं को रोजगार से जोड़ रही योगी सरकार ने 4 लाख से ज्यादा नौकरियां दी। मिशन रोजगार के तहत अब तक 20 लाख से अधिक लोगों को स्वरोजगार मिल चुका है। वित्तीय वर्ष का लक्ष्य 50 लाख का है।
ओडीओपी और एमएसएमई को राज्य के आर्थिक विकास की रीढ़ बनाने का बड़ा फैसला भी 2020 में हुआ। उसका नतीजा रहा कि इस दीपावली को मिट्टी के दीयों की धूम रही।
बिजनौर से बलिया तक की गंगा यात्रा में आस्था के सम्मान के साथ अपनी नदी संकृति के प्रति लोग जागरूक हुए। रिकॉर्ड पौधरोपण से लोगों में पर्यावरण के प्रति जागरूकता आई।
पहली बार उत्तरप्रदेश में डिफेन्स कॉरीडोर को केंद्र में रखकर लखनऊ में डिफेंस एक्सपो का आयोजन हुआ। ‘हर घर नल योजना’ बुंदेलखंड और विंध्य क्षेत्र की प्यास बुझाने के लिए ‘हर घर नल योजना’ की शुरूआत हुई।
अपराध
सुप्रीम कोर्ट से पीएफआई के पूर्व अध्यक्ष अबूबकर को झटका, जमानत देने से किया इनकार
नई दिल्ली, 17 जनवरी। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को प्रतिबंधित पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के पूर्व अध्यक्ष ई. अबूबकर को आतंकवाद विरोधी कानून (यूएपीए) के तहत दर्ज मामले में मेडिकल आधार पर जमानत देने से इनकार कर दिया।
अबूबकर के वकील ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया है। न्यायमूर्ति एमएम सुंदरेश और न्यायमूर्ति राजेश बिंदल की खंडपीठ ने मेडिकल रिपोर्ट देखने के बाद कहा कि इस समय अबू बकर को जमानत नहीं दी जा सकती।
साथ ही खंडपीठ ने अबूबकर के वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकर नारायण की उस याचिका को भी खारिज कर दिया, जिसमें वैकल्पिक तौर पर उन्हें घर पर नजरबंद करने का अनुरोध किया गया था। साथ ही वरिष्ठ अधिवक्ता से कहा कि यदि आगे तबियत खराब होती है तो वह निचली अदालत का दरवाजा खटखटा सकते हैं।
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने अबूबकर को 2022 में संगठन पर बड़े पैमाने पर कार्रवाई के दौरान गिरफ्तार किया था। तभी से वो जेल में बंद हैं।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, इससे पहले दिल्ली हाईकोर्ट ने मेडिकल आधार पर दायर उनकी जमानत याचिका खारिज करते हुए जमानत देने से इनकार कर दिया था। इसके बाद अब सुप्रीम कोर्ट ने भी उनकी याचिका खारिज कर दी है।
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के मुताबिक, पीएफआई, उसके पदाधिकारियों और सदस्यों ने देश के विभिन्न हिस्सों में आतंकी वारदातों को अंजाम देने के लिए धन जुटाने की आपराधिक साजिश रची है और इस उद्देश्य के लिए अपने कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित करने के लिए शिविर आयोजित कर रहे थे।
गौरतलब है कि अबूबकर ने हाईकोर्ट में अपनी दायर याचिका में तर्क दिया था कि यूएपीए के तहत उनके खिलाफ एनआईए के मामले का समर्थन करने के लिए कोई सामग्री नहीं है। इसलिए वह जमानत के हकदार हैं। याचिका में यह भी दावा किया था कि वह 70 वर्ष के हैं, उन्हें पार्किंसंस रोग है और कैंसर के इलाज के लिए उनकी सर्जरी भी हो चुकी है। हालांकि, कोर्ट ने उनकी जमानत याचिका को खारिज कर दिया था।
राष्ट्रीय समाचार
एक्सपायर्ड सैलाइन मामला : 12 डॉक्टरों को सरकार ने किया सस्पेंड, विरोध में आंशिक कार्य बहिष्कार
कोलकाता, 17 जनवरी। पश्चिम बंगाल के पश्चिमी मिदनापुर जिले में सरकारी अस्पताल में 12 डॉक्टरों के निलंबन के विरोध में शुक्रवार को जूनियर और वरिष्ठ डॉक्टरों ने आंशिक रूप से काम बंद कर दिया।
अस्पताल में कथित तौर पर एक्सपायर हो चुके रिंगर लैक्टेट दिए जाने से एक महिला और एक नवजात की मौत के बाद 12 डॉक्टरों को निलंबित कर दिया गया था।
महिला मामोनी रुइदास की मौत 10 जनवरी को हुई थी। वहीं नवजात की मौत गुरुवार सुबह हुई।
पूरा राज्य प्रशासन ब्लैक लिस्टेड इकाई पश्चिम बंगा फार्मास्यूटिकल्स प्राइवेट लिमिटेड द्वारा आपूर्ति की गई एक्सपायर हो चुकी रिंगर लैक्टेट के कारण मौतों के आरोपों पर गुस्से में था। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गुरुवार को इकाई को एक तरह से क्लीन चिट दे दी और 12 डॉक्टरों को निलंबित करने की घोषणा की, जिससे पूरी त्रासदी की जिम्मेदारी उन पर आ गई।
प्रदर्शनकारी डॉक्टरों ने कहा कि जब तक 12 डॉक्टरों, छह जूनियर और छह सीनियर के निलंबन के फैसले को रद्द नहीं किया जाता, तब तक आंशिक रूप से काम बंद रहेगा। हालांकि, प्रदर्शनकारी डॉक्टरों ने पश्चिम मिदनापुर के अस्पताल में आपातकालीन और बाह्य रोगी विभाग (ओपीडी) को चालू रखा है।
निलंबित किए गए 12 डॉक्टरों में अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक-सह-उप-प्रधान और रेजिडेंट चिकित्सा अधिकारी शामिल हैं।
गुरुवार को 12 डॉक्टरों को निलंबित करने और पश्चिम बंगा फार्मास्यूटिकल्स प्राइवेट लिमिटेड को क्लीन चिट देने के फैसले की घोषणा करते हुए मुख्यमंत्री ने तर्क किया कि रिंगर लैक्टेट के इस्तेमाल की बजाय उक्त अस्पताल के डॉक्टरों की लापरवाही इसके लिए अधिक जिम्मेदार है।
मुख्यमंत्री ने गुरुवार को मीडियाकर्मियों से कहा, “अगर ऐसा होता तो राज्य के अन्य अस्पतालों से भी ऐसी ही खबरें आतीं, जहां इसी का इस्तेमाल किया गया था। यहां मामला अलग था। यह सरासर लापरवाही का मामला था। याद रखें, लापरवाही भी एक तरह का अपराध है।”
राष्ट्रीय समाचार
इजरायल-हमास के बीच सीजफायर से जेम और ज्वेलरी एक्सपोर्ट्स बढ़ेगा: जीजेईपीसी
नई दिल्ली, 17 जनवरी। इजरायल और हमास के बीच सीजफायर होने से आने वाले महीनों में जेम्स और ज्वेलरी का निर्यात बढ़ सकता है। यह जानकारी जेम्स और ज्वेलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (जीजेईपीसी) ने शुक्रवार को दी।
जीजेईपीसी के आंकड़ों अनुसरा, दिसंबर में जेम्स और ज्वेलरी का कुल सकल निर्यात 1967.98 मिलियन डॉलर (16,719 करोड़ रुपये) रहा, जो भू-राजनीतिक स्थितियों के बीच आर्थिक अनिश्चितता के कारण पिछले वर्ष के इसी महीने से कम है, क्योंकि खरीदारों ने लाइफस्टाइल पर पैसा खर्च करने के बजाय निवेश के लिए सुरक्षित माने जाने वाले गोल्ड की ओर अधिक झुकाव दिखाया।
काउंसिल ने कहा कि इजरायल और हमास के बीच युद्ध विराम और समझौते की उम्मीदों को देखते हुए, निर्यात धीरे-धीरे गति पकड़ने लगेगा।
दिसंबर में जेम्स और ज्वेलरी का कुल आयात 1526.95 मिलियन डॉलर (12,992.3 करोड़ रुपये) रहा, जो पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में 27.23 प्रतिशत कम है।
रिपोर्ट में कहा गया कि खरीदारों के व्यवहार में बदलाव आ रहा है क्योंकि युवा पीढ़ी और जेनरेशन जेड रोजाना पहनने के लिए कीमती धातुओं से बने हल्की आभूषणों को ज़्यादा पसंद कर रहे हैं। 2025 में इस प्रवृत्ति में काफी तेजी देखने को मिलेगी, जिससे घरेलू मांग में छछाल आएगा।
कामा ज्वेलरी के एमडी कॉलिन शाह के अनुसार, भू-राजनीतिक तनाव व्यापार गतिविधियों के लिए एक प्रमुख बाधा के रूप में कार्य कर रहा है।
उन्होंने कहा,”हालांकि, इजरायल और हमास के बीच सीजफायर समझौता पूरी दुनिया के लिए एक बड़ी राहत के रूप में आया है, जो दोनों देशों के बीच युद्धविराम का मार्ग प्रशस्त करेगा। हमें आने वाले महीनों में व्यापार गतिविधियों में धीरे-धीरे सुधार देखने की उम्मीद है।”
कट और पॉलिश किए गए हीरों के कुल सकल आयात में 64.1 प्रतिशत की गिरावट देखी गई, जो दिसंबर 2024 में पिछले वर्ष की इसी अवधि के 254.18 मिलियन डॉलर की तुलना में 91.26 मिलियन डॉलर रहा।
दिसंबर 2024 में गोल्ड की ज्वेलरी का कुल सकल निर्यात 868.03 मिलियन डॉलर रहा।
रिपोर्ट में बताया गया है कि शादी और छुट्टियों का मौसम खत्म होने वाला है, इसलिए मांग में कमी आ रही है।
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