अंतरराष्ट्रीय
मेलबर्न टेस्ट : भारत ने ऑस्ट्रेलिया पर कसा शिकंजा

भारत ने यहां मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड (एमसीजी) पर आस्ट्रेलिया के खिलाफ खेले जा रहे दूसरे टेस्ट मैच में अपना शिकंजा कस दिया है और काफी मजबूत स्थिति में है। आस्ट्रेलिया ने किसी तरह भारत द्वारा ली गई 131 रनों की लीड को पार कर लिया है और तीसरे दिन सोमवार का खेल खत्म होने तक उसने छह विकेट खोकर 133 रन बना कर मेहमान टीम पर दो रनों की बढ़त ले ली है। हालांकि आस्ट्रेलियाई टीम जिस स्थिति में है उसे देखकर लगता नहीं है कि वह भारत के सामने कोई मजबूत लक्ष्य रख पाएगी।
भारत ने पहली पारी में आस्ट्रेलिया को 195 रनों पर ऑल आउट कर दिया था, फिर अपनी पहली पारी में 326 रन बनाकर बढ़त ली। दूसरी पारी में एक समय आस्ट्रेलिया का स्कोर छह विकेट पर 99 रन था। यहां लग रहा था कि वह पारी से हार सकती है, लेकिन हरफमनमौला खिलाड़ी कैमरून ग्रीन और पैट कमिंस ने उसे बचा लिया। दिन का खेल खत्म होने तक ग्रीन 17 रन बनाकर और कमिंस 15 रन बनाकर नाबाद हैं।
दोनों के बीच अभी तक 34 रनों की साझेदारी हो चुकी है। इस मैच में भारत का दबदबा पहले दिन से दिखा। गेंदबाजों ने पहली पारी में दम दिखाया और दूसरी पारी में भी। दूसरी पारी में भारत का एक गेंदबाज कम था। उमेश यादव पिंडली में दर्द के कारण मैदान से बाहर चले गए। उनकी कमी भारत को नहीं खली क्योंकि जसप्रीत बुमराह, मोहम्मद सिराज, रविचंद्रन अश्विन, रवींद्र जडेजा ने आस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों का पिच पर टिकना दूभर कर दिया।
शुरू से लेकर आखिरी तक आस्ट्रेलियाई बल्लेबाज सहज नहीं लगे। 40 रन बनाने वाले मैथ्यू वेड और 28 रन बनाने वाले मार्नस लाबुशैन ने किसी तरह भारतीय गेंदबाजों का सामना करने की कोशिश की। लेकिन एक समय बाद उनका संघर्ष भी जवाब दे गया।
भारत को विकेट दिलाने की शुरुआत उमेश यादव ने की। उन्होंने जोए बर्न्स (4) को आउट किया। इसके बाद वह पिंडली में दर्द के कारण बाहर चले गए।
लाबुशैन ने फिर वेड के साथ मिलकर 38 रन जोड़े। लगा कि यह साझेदारी मेजबान टीम के लिए अच्छी तरह फल-फूल सकती है तभी अश्विन की एक बेहतरीन गेंद लाबुशैन के बल्ले का किनारा लेकर स्लिप में खड़े रहाणे के हाथों में गई। कप्तान ने गलती नहीं की। पहले सत्र में आस्ट्रेलिया ने यही दो विकेट खोए थे।
तीसरे सत्र में उसकी स्थिति और खराब हो गई। दबाव इसलिए भी बढ़ गया क्योंकि टीम के मुख्य बल्लेबाज और टेस्ट रैंकिंग में नंबर-1 स्टीव स्मिथ एक बार फिर विफल रहे। बुमराह ने उन्हें आठ के निजी स्कोर पर बोल्ड किया। यह बड़ा विकेट था और यहां से आस्ट्रेलिया पर दबाव बनने लगा जिसके सामने उसके बल्लेबाज एक-एक कर ढेर होते चले गए।
वेड अर्धशतक पूरा नहीं कर पाए। जडेजा की गेंद पर वह एलबीडब्ल्यू हो गए। वेड का विकेट 98 के कुल स्कोर पर गिरा। सिराज ने फिर ट्रेविस हेड (17) को इसी स्कोर पर आउट किया। टिम पेन इस पारी में सिर्फ एक रन ही बना सके। उन्हें जडेजा ने अपना शिकार बनाया।
यहां लगा था कि तीसरे दिन ही भारत पारी से यह मैच जीत लेगा, लेकिन कमिंस और ग्रीन ने अभी तक आस्ट्रेलिया को बचाए रखा है।
इससे पहले, भारत ने दिन की शुरुआत पांच विकेट के नुकसान पर 277 के कुल स्कोर के साथ की थी। रहाणे ने अपने दूसरे दिन के स्कोर 104 में आठ रन का और इजाफा किया और फिर दुर्भाग्यपूर्ण तरीके से रन आउट हो गए।
जडेजा अपने अर्धशतक से एक रन दूर थे। उन्होंने कवर्स की दिशा में गेंद को खेला और रन के लिए दौड़ पड़े। रहाणे स्ट्राइकर छोर पर कुछ सेंटीमीटर की दूरी से क्रीज में पहुंचने से रह गए। रहाणे ने अपनी 112 रनों की पारी में 223 गेंदों का सामना करते हुए 12 चौके मारे।
कुछ देर बाद जडेजा ने अर्धशतक तो पूरा कर लिया लेकिन मिशेल स्टार्क के बाउंसर के जाल में फंस कर 57 के निजी स्कोर पर पैट कमिंस को कैच दे बैठे। उन्होंने 159 गेंदें खेलीं और सिर्फ तीन चौके लगाए। यहां भारत का स्कोर सात विकेट पर 306 रन हो गया था। आखिरी के तीन खिलाड़ी – उमेश यादव (9), रविचंद्रन अश्विन (14) और जसप्रीत बुमराह (0) 20 रनों के भीतर पवेलियन लौट गए।
आस्ट्रेलिया के लिए स्टार्क और ऑफ स्पिनर नाथन लॉयन ने तीन-तीन विकेट लिए। पैट कमिंस ने दो और जोश हेजलवुड ने एक सफलता अर्जित की।
अंतरराष्ट्रीय
युद्ध तेज होने के बीच ईरान ने दक्षिणी इजराइल के सोरोका अस्पताल पर हमला किया; कई लोग घायल, कई के मलबे में फंसे होने की आशंका

तेल अवीव: इजराइल और ईरान एक दूसरे के प्रमुख शहरों को निशाना बनाना जारी रखे हुए हैं। ईरान के ताजा हमलों में गुरुवार को दक्षिणी इजराइल के सबसे बड़े अस्पताल पर ईरानी बैलिस्टिक मिसाइल से हमला हुआ। सोरोका अस्पताल को भारी नुकसान पहुंचा है। हमले में कई लोगों के घायल होने की खबर है।
उल्लेखनीय है कि सोरोका मेडिकल सेंटर इजरायल के दक्षिणी क्षेत्र का सबसे बड़ा अस्पताल है। ईरानी हमले के बाद इलाके में धुएं का गुबार छाने के कई वीडियो ऑनलाइन सामने आए हैं। क्षतिग्रस्त इमारत के मलबे में कई लोगों के फंसे होने की आशंका है।
मिडिया रिपोर्ट के अनुसार, बीर शीबा स्थित सोरोका मेडिकल सेंटर के प्रवक्ता ने कहा कि अस्पताल को विभिन्न क्षेत्रों में “व्यापक क्षति” हुई है तथा हमले में लोग घायल हुए हैं।
अभी तक अस्पताल पर हुए मिसाइल हमले में किसी के हताहत होने की कोई खबर नहीं है। अस्पताल की वेबसाइट के अनुसार, सोरोका अस्पताल में 1,000 से ज़्यादा बिस्तर हैं और यह इज़राइल के दक्षिणी हिस्से के लगभग 10 लाख निवासियों को सेवाएँ प्रदान करता है।
अंतरराष्ट्रीय
इजरायली सेना की उपलब्धियों से वर्ल्ड लीडर्स प्रभावित: नेतन्याहू

तेल अवीव, 19 जून। इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के अनुसार वर्ल्ड लीडर्स ने इजरायली सेना के दृढ़ संकल्प और उपलब्धियों को सराहा है।
इजरायल और ईरान के बीच बढ़ते संघर्ष की शुरुआत बीते शुक्रवार से हुई। नेतन्याहू ने ईरान के खिलाफ ‘ऑपरेशन राइजिंग लायन’ शुरू करने की घोषणा की, जो ईरान के परमाणु हथियारों के खतरे को कम करने के लिए एक टारगेटेड सैन्य अभियान है।
इसके बाद तेहरान की ओर से तीव्र और आक्रामक जवाबी कार्रवाई शुरू हुई, जिससे क्षेत्र एक व्यापक युद्ध के कगार पर पहुंच गया।
नेतन्याहू ने बुधवार को राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा “मुझे आपको बताना चाहिए कि मैं विश्व नेताओं से बात करता हूं। वह हमारे दृढ़ संकल्प और हमारी सेना की उपलब्धियों से बहुत प्रभावित हैं। वह आपसे, इजरायल के नागरिकों से, आपकी दृढ़ भावना और आपकी दृढ़ता से भी बहुत प्रभावित हैं।”
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मिले उनके समर्थन को लेकर इजरायली प्रधानमंत्री ने कहा, “मैं इजरायल के एक महान मित्र राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को हमारे साथ खड़े होने और इजरायल के एयरस्पेस की रक्षा में मदद करने में अमेरिका के सपोर्ट के लिए धन्यवाद देता हूं। हम अक्सर बात करते हैं, जिसमें पिछली रात की बातचीत भी शामिल है। हमारी बातचीत बहुत गर्मजोशी से हुई। मैं ट्रंप को उनके समर्थन के लिए धन्यवाद देता हूं।”
नेतन्याहू ने कहा कि ईरान के खिलाफ ‘ऑपरेशन राइजिंग लॉयन’ अभियान का उद्देश्य इजरायल के लिए दो अस्तित्वगत खतरों को दूर करना था। हम पर परमाणु खतरा और बैलिस्टिक मिसाइल का खतरा है। इजरायल इन खतरों को दूर करने के लिए कदम-दर-कदम आगे बढ़ रहा है।
उन्होंने कहा, “हम तेहरान के एयरस्पेस को कंट्रोल करते हैं। हम अयातुल्ला शासन पर बहुत जोरदार हमला कर रहे हैं। हम न्यूक्लियर इंस्टॉलेशन्स, मिसाइल्स, कमांड सेंटर्स और शासन के प्रतीकों पर हमला कर रहे हैं। हमें बहुत नुकसान हो रहा है लेकिन हम देखते हैं कि घरेलू मोर्चा मजबूत है। लोग मजबूत हैं, और इजरायल राज्य पहले से कहीं अधिक मजबूत है। मैंने सरकारी मंत्रालयों को उन सभी लोगों की सहायता करने का निर्देश दिया है, जिन्हें नुकसान पहुंचा है।”
नेतन्याहू ने यह भी उल्लेख किया है कि गाजा पट्टी में ‘तीव्र लड़ाई’ जारी है। उन्होंने कहा कि इजरायल पीछे नहीं हटेगा। वह दो कार्यों को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है- “हमास को हराना और हमारे सभी बंधकों को वापस लाना, चाहे वह जीवित हों या मृत। खेद के साथ इतना जरूर कहूंगा कि, हाल के दिनों में भी हमारे वीर सैनिक मारे गए हैं। मैं परिवारों के दुख में शामिल हूं। हम सरकार और पूरे देश की ओर से उन्हें संवेदनाएं भेजते हैं। हम तब तक संघर्ष जारी रखेंगे, जब तक हमास को हरा नहीं देते।”
अंतरराष्ट्रीय
ईरान में फंसी भारतीय पर्वतारोही फल्गुनी डे वीजा संबंधी उलझन के कारण अस्तारा सीमा पर फंसी

कोलकाता: संघर्ष प्रभावित तेहरान से 500 किलोमीटर की जोखिम भरी सड़क यात्रा के बाद फंसे हुए भारतीय पर्यटक फल्गुनी डे मंगलवार शाम को अजरबैजान से लगती ईरान की अस्तारा सीमा पर पहुंच गए, लेकिन उनकी परेशानी अभी खत्म नहीं हुई है।
डे अब अज़रबैजान पार करने और बाकू पहुंचने के लिए आवश्यक जटिल कागजी कार्रवाई के जाल में फंस गए हैं, जहां से वह घर लौटने की योजना बना रहे हैं।
डे ने पीटीआई को एक वॉयस मैसेज के जरिए बताया, “मैं इस यात्रा के जरिए तेहरान में बमों से बचने में कामयाब हो गया, लेकिन अब मैं ईरान की अस्तारा सीमा पर फंस गया हूं, क्योंकि अजरबैजान के अधिकारी मुझे उस सरकार द्वारा जारी विशेष माइग्रेशन कोड के बिना अपने देश में स्वीकार नहीं करेंगे और मेरा ई-वीजा काम नहीं करेगा।”
कोलकाता के इस कॉलेज प्रोफेसर ने कहा, “मेरे लाख समझाने के बावजूद मुझे बताया गया कि उस कोड को आने में कम से कम एक पखवाड़ा और लगेगा, और मुझे नहीं पता कि मैं ईरान में इतने लंबे समय तक कैसे जीवित रह पाऊंगा।”
वास्तविकता में इसका मतलब यह है कि उत्तर-पूर्वी ईरान में कैस्पियन सागर के पास अस्तारा से बाकू में एक होटल के कमरे की सुरक्षा तक 300 किलोमीटर की अतिरिक्त यात्रा अब डे के लिए एक दूर का सपना बनकर रह गई है।
पीटीआई ने मंगलवार को डे की दुर्दशा के बारे में रिपोर्ट की थी। डे भी एक शौकिया पर्वतारोही हैं। वे माउंट दामावंद के ज्वालामुखी शिखर पर चढ़ने के लिए 5 जून को तेहरान पहुंचे थे। वे इजरायली मिसाइलों के कारण 17 जून तक तेहरान में फंसे रहे। इसके बाद उन्होंने सड़क मार्ग से शहर से भागने और अजरबैजान सीमा तक पहुंचने का हताश प्रयास किया।
डे ने लगभग रोते हुए कहा, “मैं इस समय शारीरिक और भावनात्मक रूप से पूरी तरह से थक चुका हूँ। इसके अलावा, मैं पैसों की भारी कमी से जूझ रहा हूँ और घर पहुँचने की अनिश्चितता मुझे परेशान कर रही है। मुझे सुरक्षित निकालने के लिए मेरे सारे प्रयास और मेरे परिवार और दोस्तों द्वारा खर्च किया गया पैसा बेकार हो गया है।”
डे ने बताया कि कोलकाता से उनके परिवार द्वारा बाकू में होटल की बुकिंग की गई थी, जहां डे को बुधवार सुबह पहुंचना था, लेकिन सीमा चौकी पर जटिलताओं के कारण उन्हें सीमा पार नहीं कर पाने के कारण बुकिंग रद्द करनी पड़ी।
उन्होंने कहा, “यहां तक कि बाकू से मुंबई जाने वाली उड़ान, जिसके लिए मैंने टिकट बुक किया था, भी चारों ओर व्याप्त अनिश्चितताओं के कारण रद्द कर दी गई है।”
डे ने कहा, “तेहरान में किसी ने मुझे नहीं बताया कि मेरा ई-वीज़ा ज़मीन के रास्ते अज़रबैजान जाने के लिए पर्याप्त नहीं है और मुझे इस विशेष प्रवासन पास कोड की भी ज़रूरत है, ख़ास तौर पर इस तरह की युद्ध स्थिति में। मैंने उस कोड के लिए आवेदन प्रक्रिया शुरू करने में कोई समय बर्बाद नहीं किया, लेकिन अधिकारियों ने मुझे ई-मेल के ज़रिए जवाब दिया कि इस प्रक्रिया को पूरा होने में कम से कम 15 दिन लगेंगे।”
उन्होंने आगे कहा, “मैं ऐसी जगह पर इतना लंबा इंतजार कैसे कर सकता हूं? यहां विदेशियों की लंबी कतार है और उनके पास हर तरह के वीजा हैं। मैं उन्हें अपने-अपने वतन लौटने के लिए सीमा पार करते हुए देख सकता हूं। लेकिन मेरे जैसे भारतीयों को बताया गया है कि सीमा पार करने के लिए हमारे पास माइग्रेशन कोड होना अनिवार्य है।”
हालांकि, डे पर मंडरा रहे इस काले बादल के बीच अच्छी बात यह है कि उन्हें अपने देश में मित्रों और परिवार के सदस्यों तथा इस सुदूर देश में अजनबियों से भी निरंतर समर्थन मिल रहा है।
डे ने कहा, “कलकत्ता विश्वविद्यालय की कुलपति सांता दत्ता लगातार मेरे संपर्क में हैं। वह दूतावास से संपर्क करने और मेरे सुरक्षित बाहर निकलने के लिए अधिकारियों से संपर्क करने में मेरी मदद कर रही हैं। पर्वतारोही देबाशीष बिस्वास भी ऐसा ही कर रहे हैं। तेहरान में भारतीय दूतावास की सांस्कृतिक शाखा के एक वरिष्ठ अधिकारी बलराम शुक्ला भी मेरी मदद कर रहे हैं।”
उन्होंने पीटीआई को बताया कि तेहरान और बाकू दोनों स्थानों पर दूतावास के अधिकारी ईरान में फंसे भारतीयों की मदद के लिए युद्ध स्तर पर मिलकर काम कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, “दूतावासों ने अब मेरे दस्तावेज अज़रबैजानी अधिकारियों को भेज दिए हैं ताकि मैं इस देश से बाहर निकल सकूं, क्योंकि मैं अभी भी विशेष स्थिति में फंसा हुआ हूं।”
डे ने बताया कि जिस कार से वे तेहरान से अस्तारा जा रहे थे, उसे भोजन, शौचालय और ईंधन भरने के लिए कई बार रुकना पड़ा।
डे ने कहा, “ईरान में फिलहाल कार ईंधन की सीमा तय है। एक निर्धारित सीमा से अधिक ईंधन भरना संभव नहीं है। इसलिए हमें ईंधन भरने के लिए कई बार रुकना पड़ा।”
हालांकि, परेशान पर्यटक ने अपनी स्थानीय ट्रैवल एजेंसी के ड्राइवर दम्पति के प्रति गहरा आभार व्यक्त किया, जो उसकी सुरक्षा का ख्याल रखने के लिए अस्तारा सीमा टर्मिनल तक उसके साथ आए, उसे भावनात्मक समर्थन दिया और यहां तक कि उसके लिए फल और चाय भी लाये।
वर्तमान अनिश्चितता को देखते हुए डे ने कहा कि अब वह अर्मेनिया सीमा तक आठ घंटे की अतिरिक्त यात्रा करने के विकल्प पर विचार कर रहे हैं, ताकि वहां जाने के लिए अपनी किस्मत आजमा सकें।
इस बीच, डे को अपने शुभचिंतकों की प्रार्थनाओं पर ही भरोसा है।
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