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Wednesday,03-December-2025
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अमेरिकी चुनावी नतीजे भारत से संबंध पर असर नहीं डालेंगे: वरिष्ठ अधिकारी

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S-Jaishankar

एक वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारी ने कहा है कि उन्हें लगता है कि 3 नवंबर के राष्ट्रपति चुनावों के नतीजों का भारत के साथ संबंध पर असर नहीं होगा क्योंकि “यह संबंध किसी भी एक राजनीतिक दल से ज्यादा बड़ा है।”

अमेरिका के उप विदेश सचिव स्टीफन बेगन ने मंगलवार को कहा, “अमेरिका-भारत संबंधों को लेकर खास बात यह है कि अमेरिका के प्रत्येक राष्ट्रपति ने अपने पूर्ववर्ती से विरासत में मिले रिश्ते को और बेहतर बनाया है और यह एक अद्भुत विरासत है।”

उन्होंने कहा, “अक्सर हम देखते हैं कि अमेरिका में राजनीतिक बदलाव होने के साथ अंतरराष्ट्रीय संबंधों में बदलाव आता है लेकिन भारत के मामले में यह हमेशा स्थिर रहा है। दुनिया को लेकर संयुक्त राज्य अमेरिका और भारत कई एक जैसी चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। ऐसे में यह भी हमें एक साथ लाता है।”

बेगन ने पिछले हफ्ते भारत यात्रा के दौरान विदेश मंत्री एस. जयशंकर और विदेश सचिव हर्ष श्रृंगला के साथ हुई बैठकों के बाद लंदन में पत्रकारों से बातचीत की। इस बातचीत में उन्होंने नई दिल्ली-वॉशिंगटन के रिश्तों को लेकर आश्वस्त किया।

दरअसल, सवाल उठ रहे हैं कि आगामी राष्ट्रपति प्रगतिशील तबके के दबाव में आकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कश्मीर नीति के अहम मुद्दे को प्राथमिकता देगा या भारत से जुड़े अन्य मुद्दों को। इसे लेकर वाशिंगटन के एक पब्लिक पॉलिसी विशेषज्ञ अनिक जोशी ने एक वेबसाइट पर लिखा है, “यदि बाइडन जीतते हैं तो उनके प्रशासन के सख्त रुख अपनाने की संभावना है, जो राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के रुख की तुलना में ज्यादा सख्त होगा।”

उन्होंने हैरिस द्वारा की गई कश्मीर की नीति की आलोचना की ओर ध्यान दिलाते हुए लिखा, “पूर्व उपराष्ट्रपति बाइडेन खुद भी भारतीय राजनीतिक निर्णयों की आलोचना करने के लिए तैयार रहे हैं। अपने ‘मुस्लिम-अमेरिकी समुदायों के एजेंडे’ पर बाइडन ने कहा था कि भारत सरकार को कश्मीर के सभी लोगों के अधिकारों को बहाल करने के लिए जरूरी कदम उठाने चाहिए। वरना आगे जाकर ऐसे प्रतिबंध लोकतंत्र को कमजोर करते हैं।”

अपने ब्रीफिंग में बेगन ने कहा कि उनकी यात्रा “सुरक्षा मुद्दों पर बात करने के लिए थी। हम स्वतंत्र और खुले इंडो-पैसिफिक रिश्तों को बढ़ावा देने के लिए कई भागीदारों के साथ काम कर रहे हैं, जो राष्ट्रों की संप्रभुता और समृद्धि को बढ़ावा देने वाले हैं।”

उन्होंने यह भी कहा कि “कोविड-19 महामारी को लेकर उठाए गए कदमों ने भारत और अमेरिका के बीच के सहयोग और रिश्तों को और गहरा किया है। श्रृंगला और मैंने कोविड-19 महामारी के खिलाफ काम करने के लिए आपसी समन्वय बनाए रखा ताकि कई अन्य इंडो-पैसिफिक साझेदारों के साथ एक स्थिर जुड़ाव बना रहे और हम देख रहे हैं कि हम इस महामारी से कैसे उबरते हैं।”

उन्होंने कहा कि दोनों देशों ने यह सुनिश्चित करने में सहयोग किया है कि उनके बीच जीवनरक्षक दवाइयां और व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण का आदान-प्रदान हो सके और उन नागरिकों की देश वापसी कराई जा सके जो यात्रा प्रतिबंधों के कारण विदेश में फंसे थे।

अंतरराष्ट्रीय समाचार

संयुक्त राष्ट्र के प्रमुख ने प्रशासनिक ढांचा बदलने का दिया प्रस्ताव, खर्चों में बड़ी कटौती का लक्ष्य

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संयुक्त राष्ट्र, 2 दिसंबर: संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कामकाज को अधिक कुशल और कम खर्चीला बनाने के लिए एक बड़े प्रशासनिक सुधार की घोषणा की है। उन्होंने प्रस्ताव दिया है कि संयुक्त राष्ट्र सचिवालय की विभिन्न इकाइयों को अलग-अलग तरीके से मिलने वाली प्रशासनिक सेवाओं को अब एक कॉमन एडमिनिस्ट्रेटिव प्लेटफॉर्म के तहत जोड़ा जाए। इससे काम की गति बढ़ेगी और खर्चों में भारी कटौती होगी।

गुटेरेस ने संयुक्त राष्ट्र महासभा की पांचवीं समिति को बताया कि इसे न्यूयॉर्क और बैंकॉक स्टेशनों से शुरू किया जाएगा। उन्होंने 2026 के लिए प्रस्तावित प्रोग्राम बजट और 2025/26 की अवधि के लिए पीसकीपिंग ऑपरेशन के सपोर्ट अकाउंट से जुड़ी एक रिवाइज्ड एस्टिमेट रिपोर्ट पेश की

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने कहा कि अभी अलग-अलग इकाइयां एक जैसा काम करती हैं, जिससे समय और धन दोनों की अधिक खपत होती है। ये नया मॉडल हमारी दक्षता को काफी बढ़ाएगा।

यूएन प्रमुख ने पूरे यूएन सिस्टम की पेरोल प्रोसेसिंग को एक ग्लोबल टीम के तहत लाने का एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। यह टीम तीन प्रमुख केंद्रों से काम करेगी, जिनमें यूएन मुख्यालय (न्यूयॉर्क), रीजनल सर्विस सेंटर, एंटेब्बे (युगांडा) यूएन ऑफिस, नैरोबी (केन्या) शामिल हैं। इससे प्रक्रिया सरल होगी और खर्च भी कम होगा।

उन्होंने पेरोल प्रोसेसिंग को एक सिंगल ग्लोबल टीम में कंसॉलिडेट करने का भी प्रस्ताव रखा, जो तीन सेंटर्स — UN हेडक्वार्टर, एंटेबे में रीजनल सर्विस सेंटर और नैरोबी में यूनाइटेड नेशंस ऑफिस में काम करेगी।

इसके अलावा, गुटेरेस ने न्यूयॉर्क और जिनेवा में एंटिटीज द्वारा उन कामों की की व्यवस्थित समीक्षा करने का प्रस्ताव रखा, जिन्हें कम लागत वाले ड्यूटी स्टेशनों में प्रभावी ढंग से किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि यह हमारे कमर्शियल फुटप्रिंट को कम करने और लंबे समय में लागत में कमी लाने की एक बड़ी रणनीति का हिस्सा है।

यूएन प्रमुख के अनुसार, 2017 से न्यूयॉर्क में व्यावसायिक लीज खत्म करने और दफ्तरों के समेकन के जरिए यूएन सचिवालय ने 126 मिलियन डॉलर की बचत की है।

अब दो और इमारतों की लीज 2027 तक समाप्त की जाएगी, जिससे 2028 से हर साल 24.5 मिलियन डॉलर की अतिरिक्त बचत होने का अनुमान है।

गुटेरेस द्वारा पेश रिपोर्ट के अनुसार, यूएन का 2026 का नियमित बजट 3.238 बिलियन डॉलर प्रस्तावित है, जो 2025 की तुलना में 15.1 प्रतिशत कम है।

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अंतरराष्ट्रीय समाचार

एक दिन में पाकिस्तान और ईरान से निकाले गए 4000 अफगान रिफ्यूजी

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काबुल, 1 दिसंबर: 4000 से ज्यादा अफगान शरणार्थियों को ईरान और पाकिस्तान ने एक ही दिन में चलता कर दिया। इन्हें जबरदस्ती देश से निकाला गया और इसकी जानकारी तालिबान के हवाले से अफगान मीडिया ने दी।

पझवोक अफगान न्यूज ने अपनी रिपोर्ट में तालिबान के उप प्रवक्ता हमदुल्ला फितरत के एक्स पोस्ट का जिक्र किया। फितरत ने सोशल प्लेटफॉर्म पर प्रवासी मुद्दों को सुलझाने के लिए गठित उच्चायुक्त की रिपोर्ट शेयर की, जिसमें रविवार को 4,834 सदस्यों वाले 1,053 परिवारों के अफगानिस्तान लौटने का जिक्र था।

पोस्ट के मुताबिक, रिफ्यूजी नंगरहार में तोरखम क्रॉसिंग, हेरात में इस्लाम कला क्रॉसिंग, निमरोज में पुल-ए-अब्रेशम, कंधार में स्पिन बोल्डक और हेलमंद में बहरामचा के जरिए अफगानिस्तान में दाखिल हुए।

फितरत ने कहा कि 6,566 सदस्यों वाले 1,160 परिवारों को उनके अपने इलाकों में ले जाया गया, जबकि 780 परिवारों को मानवीय मदद दी गई। इसके अलावा, अफगानिस्तान लौटने वाले अफगान रिफ्यूजी को 827 सिम कार्ड दिए गए।

हमदुल्ला फितरत ने कहा कि शनिवार को पाकिस्तान और ईरान से 1,188 परिवारों (जिनमें 6,553 लोग शामिल थे) को जबरदस्ती अफगानिस्तान वापस भेज दिया गया।

पिछले हफ्ते, अफगान मीडिया ने बताया कि इस्लामाबाद पुलिस ने पाकिस्तान की राजधानी स्थित अर्जेंटीना पार्क में रात भर छापा मारा। कई अफगान शरणार्थियों और महिला एक्टिविस्ट्स को पहले पीटा गया, फिर उन्हें हिरासत में लिया गया।

अफगान मीडिया आउटलेट अमू टीवी ने सूत्रों के हवाले से बताया कि पुलिस ने रात में पूर्व सूचना के बगैर पार्क को घेर लिया और लगभग 200 अफगान परिवारों और एक्टिविस्ट्स के लगाए तंबू निकाल फेंके और उन्हें जबरदस्ती हटा दिया। सभी लगभग चार महीने से वहां रह रहे थे।

वीडियो संदेश में, एक प्रवासी ने कहा, “वे आए, सबको इकट्ठा किया, सारे टेंट हटा दिए और हमें गाड़ियों में भर दिया। कुछ बच्चे घायल हैं। हमें नहीं पता कि वे हमें कहां ले जा रहे हैं।”

एक और समाजसेवी, जिसकी आंख और माथे पर चोट थी, ने कहा कि पुलिस ने उसे पीटा। अमू टीवी ने उसके हवाले से कहा, “मैं अफगान हूं, और क्योंकि मैं एक महिला हूं, इसलिए यहां महिला अधिकारों और मानवाधिकार के लिए हूं। “

अफगान रिफ्यूजी और सामाजिक कार्यकर्ता ने कहा कि पुलिस ने लगभग 400 निर्बल परिवारों को जबरदस्ती अफगानिस्तान भेजने की धमकी दी। अधिकार समूहों ने इन कार्रवाइयों पर फिक्र जताते हुए कहा कि यह कार्रवाई शरणार्थी संरक्षण के अंतरराष्ट्रीय मानकों का उल्लंघन है।

मानवाधिकार समूहों के कार्यकर्ताओं ने अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार समूहों और मीडिया से अफगान शरणार्थियों के लिए आवाज उठाने की अपील की और इस मुद्दे पर लगातार चुप्पी को खतरनाक बताया। कहा, इस खामोशी का मतलब साफ है कि हम “उन लोगों का साथ छोड़ रहे हैं जिनका एकमात्र हथियार इंसाफ के लिए अपनी आवाज उठाना है। “

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अंतरराष्ट्रीय समाचार

2026 में 35 देशों के फोरम इंटरनेशनल आईडीईए का नेतृत्व करेंगे सीईसी ज्ञानेश कुमार

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नई दिल्ली, 27 नवंबर: मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार 2026 के लिए अंतरराष्ट्रीय लोकतंत्र और चुनावी सहायता संस्थान (इंटरनेशनल आईडीईए) के अध्यक्ष बनेंगे। वे 3 दिसंबर, 2025 को स्टॉकहोम, स्वीडन में होने वाली सदस्य देशों की परिषद की बैठक में इस पद का कार्यभार ग्रहण करेंगे।

मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार अध्यक्ष के रूप में 2026 के दौरान सभी परिषद बैठकों की अध्यक्षता भी करेंगे।

इंटरनेशनल आईडीईए एक अंतर-सरकारी संगठन है, जिसे 1995 में स्थापित किया गया था। इसका मुख्य उद्देश्य विश्वभर में लोकतांत्रिक संस्थाओं और प्रक्रियाओं को मजबूत करना है। वर्तमान में इसके 35 सदस्य देश हैं, जबकि संयुक्त राज्य अमेरिका और जापान जैसे देशों को पर्यवेक्षक का दर्जा प्राप्त है। यह संगठन समावेशी, लचीली और जवाबदेह लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं को बढ़ावा देने का काम करता है।

भारत की अध्यक्षता निर्वाचन आयोग की वैश्विक पहचान और सफलता का प्रतीक है। भारत ने शुरुआत से ही इस संगठन के संचालन, लोकतांत्रिक संवाद और संस्थागत पहल में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। ज्ञानेश कुमार के नेतृत्व में भारत का उद्देश्य इस संगठन के वैश्विक एजेंडे को आकार देना और चुनावी सुधारों को बढ़ावा देना है।

भारत का निर्वाचन आयोग, जो दुनिया का सबसे बड़ा और सबसे विश्वसनीय चुनाव प्रबंधन निकाय है, अपनी सर्वश्रेष्ठ पद्धतियों को दुनिया भर के निर्वाचन निकायों के साथ साझा करेगा।

इसके अलावा, आईआईआईईडीएम (भारत अंतर्राष्ट्रीय लोकतंत्र और चुनाव प्रबंधन संस्थान) और आईआईडीईए के सहयोग से चुनावी हिंसा, गलत सूचना और मतदाताओं के विश्वास में कमी जैसी समस्याओं से निपटने के लिए वैश्विक स्तर पर कार्य किए जाएंगे।

अब तक, आईआईआईडीईएम ने 28 देशों के साथ समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए हैं और लगभग 142 देशों के 3,169 चुनाव अधिकारियों को प्रशिक्षित किया है। इस सहयोग के जरिए भारत निर्वाचन आयोग के नवाचारी प्रौद्योगिकीय उपायों और सर्वोत्तम पद्धतियों को वैश्विक स्तर पर बढ़ावा मिलेगा।

मुख्य निर्वाचन आयुक्त के नेतृत्व में इंटरनेशनल आइडिया और निर्वाचन आयोग मिलकर ईसीआई की तकनीकी एवं प्रशासनिक इनोवेटिव तथा सर्वश्रेष्ठ प्रथाओं को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर दस्तावेजीकृत कर प्रसारित करेंगे। यह अध्यक्षता भारत की मजबूत लोकतांत्रिक परंपरा और निर्वाचन प्रबंधन में उसकी वैश्विक नेतृत्व क्षमता का प्रमाण है।

मुख्य चुनाव आयुक्त के नेतृत्व में इंटरनेशनल आईडीईए और चुनाव आयोग मिलकर ईसीआई के तकनीकी और प्रशासनिक नवाचारों तथा सर्वोत्तम प्रथाओं को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर दस्तावेजित और प्रसारित करेंगे।

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