अपराध
सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब के पूर्व डीजीपी की गिरफ्तारी पर रोक लगाई

सुप्रीम कोर्ट ने बलवंत सिंह मुल्तानी के 1991 के अपहरण-हत्या मामले में सेवानिवृत्त पंजाब के पुलिस महानिदेशक सुमेध सिंह सैनी को मंगलवार को तीन सप्ताह के लिए गिरफ्तारी से अंतरिम राहत दी है। न्यायाधीश अशोक भूषण, आर. सुभाष रेड्डी और एम.आर. शाह की पीठ ने पंजाब सरकार से सैनी की अग्रिम जमानत याचिका पर अपना जवाब दाखिल करने को कहा। वहीं इसके साथ ही अदालत ने सैनी को जांच में सहयोग करने को कहा है। पीठ ने सैनी की याचिका पर नोटिस जारी किया, जिस पर तीन सप्ताह में जवाब आ सकता है।
अदालत में सैनी का प्रतिनिधित्व वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने किया। वहीं दूसरी ओर वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा ने सैनी की जमानत याचिका का विरोध किया। लूथरा ने दलील देते हुए कहा कि पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने उल्लेख किया था कि पूर्व पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) सैनी ने अपनी शक्तियों का दुरुपयोग किया था।
इस पर पीठ ने पूछा कि 1991 के एक मामले में लगभग 30 साल बाद सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी को गिरफ्तार करने की इतनी जल्दी क्या लगी हुई है।
लूथरा ने जोर देकर कहा कि अदालत ने नोट किया कि एक व्यक्ति (मुल्तानी) ने सैनी द्वारा अमानवीय व्यवहार के बाद चोटों के कारण दम तोड़ दिया था। इसके साथ ही लूथरा ने कहा कि उनकी सेवानिवृत्ति के बाद भी आरोपी अधिकारी के पास खुद के नियंत्रण में कुछ आधिकारिक फाइलें थीं।
वहीं मुल्तानी के भाई का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता के.वी. विश्वनाथन ने दलील दी कि सैनी एक ‘कुख्यात पुलिस अधिकारी’ थे। उन्होंने आरोप लगाया कि उनके मुवक्किल का भाई याचिकाकर्ता के हाथों मारा गया था।
शीर्ष अदालत ने कहा कि इस मामले में पंजाब सरकार का जवाब सुने जाने से पहले कोई गिरफ्तारी नहीं हो सकती।
मालूम हो कि पंजाब के पूर्व डीजीपी सुमेध सिंह सैनी ने सुप्रीम कोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका दाखिल की है और पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी है। हालांकि, पंजाब सरकार ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में कैवियट याचिका दाखिल कर रखी है। पंजाब सरकार ने कोर्ट में अर्जी दखिल कर कहा है कि अदालत राज्य सरकार के पक्ष को सुने बिना कोई आदेश जारी न करे।
इससे पहले सात सितंबर को अग्रिम जमानत और जांच सीबीआई या किसी अन्य एजेंसी से करवाने की मांग को लेकर दाखिल दो अलग-अलग याचिकाओं को खारिज करते हुए पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने सैनी को बड़ा झटका दिया था। न्यायाधीश फतेहदीप सिंह ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रखा था और फिर अपना फैसला सुनाते हुए सैनी की दोनों याचिकाओं को खारिज कर दिया था।
बता दें कि 1991 के बलवंत सिंह मुल्तानी अपहरण मामले में पूर्व डीजीपी सुमेध सिंह सैनी आरोपी हैं। पहली याचिका में सैनी ने मामले की पंजाब से बाहर किसी अन्य जांच एजेंसी या सीबीआई से जांच की मांग की थी। सैनी ने याचिका दायर कर आरोप लगाया है कि उनके खिलाफ मोहाली पुलिस ने मटौर थाने में छह मई को एफआईआर दर्ज की है। यह पूरी तरह से राजनीतिक रंजिश के तहत दायर की गई है। इस एफआईआर पर पंजाब पुलिस निष्पक्ष जांच नहीं कर सकती है, लिहाजा इस मामले की सीबीआई या राज्य के बाहर की किसी जांच एजेंसी से जांच करवाई जाए।
सैनी ने दूसरी याचिका मोहाली की ट्रायल कोर्ट द्वारा एक सितंबर को उनकी अंतरिम जमानत को खारिज किए जाने के खिलाफ दायर की थी। सैनी ने न्यायालय से अग्रिम जमानत की अपील की थी।
अपराध
नासिक : धार्मिक स्थल को लेकर उड़ी अफवाह के बाद बवाल, पथराव में कई घायल

नासिक, 16 अप्रैल। नासिक के काठे गली इलाके में मंगलवार रात पुलिस पर पथराव किया गया। यह घटना तब हुई जब क्षेत्र में बिजली कट गई और इसी अंधेरे का फायदा उठाकर भीड़ ने अचानक पुलिस और आसपास खड़े वाहनों पर पत्थर बरसाने शुरू कर000000 दिए। इस हिंसक घटनाक्रम में तीन से चार पुलिसकर्मी घायल हो गए, जबकि पांच वाहन भी क्षतिग्रस्त हो गए हैं। हंगामे की वजह एक धार्मिक स्थल को लेकर उड़ी अफवाह बताई जा रही है।
स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए पुलिस को तत्काल कार्रवाई करनी पड़ी। रात में करीब 500 पुलिसकर्मियों को मौके पर तैनात किया गया ताकि हालात और न बिगड़ें। बताया जा रहा है कि हंगामे के समय करीब 400 से 500 लोग मौजूद थे। पुलिस ने किसी भी अप्रिय स्थिति से बचने के लिए इलाके में ट्रैफिक मार्गों में बदलाव भी कर दिए हैं। प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों ने मिलकर हालात पर कड़ी नजर रखी और रात भर गश्त जारी रही।
सूत्रों ने बताया कि इस पूरे मामले की जड़ एक विवादास्पद धार्मिक स्थल है, जिस पर पिछले कुछ दिनों से तनाव की स्थिति बनी हुई थी। नगरपालिका ने 1 अप्रैल को अदालत के आदेश के बाद एक अनधिकृत निर्माण पर नोटिस दिया था, जिसमें कहा गया था कि यदि निर्माण को स्वयं नहीं हटाया गया तो प्रशासन उचित कार्रवाई करेगा। इस चेतावनी के बावजूद धार्मिक स्थल को नहीं हटाया गया, जिससे स्थानीय लोगों में असंतोष और तमाम तरह की अफवाह फैल गई।
अधिकारियों ने बताया कि इस क्षेत्र में कुछ धार्मिक स्थलों का निर्माण बिना अनुमति के किया गया था और इन्हें हटाने के लिए नोटिस दिया गया था, जिसके बाद यह घटना हुई है। अगले दो दिनों में ऐसे सभी अनधिकृत धार्मिक स्थलों को हटाया जाएगा। नासिक पुलिस का कहना है पुलिस पूरे इलाके में शांति बनाए रखने के लिए कार्रवाई कर रही है। पुलिस और प्रशासनिक अमले की मौजूदगी अब भी इलाके में बनी हुई है और स्थिति पर नजर रखी जा रही है।
अपराध
जयपुर: ईडी ने पूर्व मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास के आवास पर छापेमारी की

जयपुर, 15 अप्रैल। केंद्रीय प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मंगलवार को जयपुर में बड़ी कार्रवाई करते हुए पूर्व मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास के आवास पर छापेमारी शुरू की। प्रताप सिंह राजस्थान की पूर्ववर्ती अशोक गहलोत सरकार में कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं।
यह कार्रवाई प्रदेश के चर्चित 2,850 करोड़ रुपये के पीएसीएल घोटाले से जुड़ी बताई जा रही है। कांग्रेस नेता प्रताप सिंह पर आरोप है कि घोटाले की कुछ राशि उनके पास भी है।
सुप्रीम कोर्ट ने 2 फरवरी 2016 को सेवानिवृत्त सीजेआई आरएम लोढ़ा की अध्यक्षता में कमेटी का गठन किया था। कोर्ट ने कमेटी से कहा था कि पीएसीएल की संपत्तियों को नीलाम करके 6 माह में लोगों को ब्याज सहित भुगतान करें। सेबी के आकलन के अनुसार, पीएसीएल की 1.86 लाख करोड़ रुपये की संपत्ति है, जो निवेशकों की जमा राशि की तुलना में 4 गुना है।
पीएसीएल कंपनी की योजनाओं को अवैध मानते हुए सेबी ने 22 अगस्त 2014 को कंपनी के कारोबार बंद कर दिए थे, जिसके चलते निवेशकों की पूंजी कंपनी के पास जमा रह गई। इसके बाद कंपनी और सेबी के बीच सुप्रीम कोर्ट में केस चला और सेबी केस जीत गई। 17 साल तक राज्य में रियल एस्टेट में निवेश का काम करने वाली पीएसीएल में प्रदेश के 28 लाख लोगों ने करीब 2,850 करोड़ और देश के 5.85 करोड़ लोगों ने कुल 49,100 करोड़ का निवेश किया था।
कंपनी पर बिहार, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, असम, कर्नाटक, जयपुर ग्रामीण, उदयपुर, आंध्र प्रदेश, पंजाब, छत्तीसगढ़ समेत आधे से ज्यादा राज्यों में मुकदमे दर्ज हैं। इस घोटाले का पहला खुलासा जयपुर में ही हुआ था, जब 2011 में चौमू थाने में ठगी और चिट फंड एक्ट के तहत पहला केस दर्ज किया गया। मामले में प्रताप सिंह की भागीदारी 30 करोड़ के आसपास बताई जा रही है, जिसको लेकर अब ईडी जांच कर रही है।
अपराध
सलमान खान को फिर मिली जान से मारने की धमकी

मुंबई: फिल्म अभिनेता सलमान खान को एक बार फिर जान से मारने की धमकी मिली है। सलमान खान लॉरेंस बिश्नोई गैंग के निशाने पर हैं और लॉरेंस गैंग सलमान को जान से मारने की धमकी भी दे चुका है, जिसके बाद से सलमान खान को सोशल मीडिया पर लगातार जान से मारने की धमकियां मिल रही हैं। मुंबई ट्रैफिक कंट्रोल रूम को एक व्हाट्सएप संदेश मिला जिसमें सलमान खान को उनके घर में घुसकर जान से मारने और उनकी कार को बम से उड़ाने की धमकी दी गई है। यह धमकी भरा संदेश मिलने के बाद वर्ली पुलिस ने ट्रैफिक पुलिस की शिकायत पर अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ धमकी का मामला दर्ज कर लिया है।
मुंबई पुलिस अब इस बात की जांच कर रही है कि सलमान खान को धमकी देने वाला शख्स किसी गिरोह से जुड़ा है या फिर किसी ने शरारत में यह धमकी दी है। धमकी भरे संदेश के बाद पुलिस भी अलर्ट पर है। सलमान खान के घर के आसपास सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। इसके साथ ही सलमान खान को वाई प्लस सुरक्षा भी प्राप्त है। ऐसे में पुलिस ने भी इस धमकी को गंभीरता से लिया है।
मुंबई पुलिस आयुक्त विवेक पंचालकर ने भी पुलिस को धमकी भरे फोन कॉल, व्हाट्सएप या सोशल मीडिया पर धमकी भरे संदेशों को लेकर सतर्क रहने का आदेश दिया है। मुंबई पुलिस और क्राइम ब्रांच भी इस मामले की जांच कर रही है। सलमान खान की जान को खतरा है, इसलिए पुलिस किसी भी तरह की लापरवाही नहीं बरतना चाहती है और पुलिस ने इस मामले में जांच भी शुरू कर दी है। सलमान खान को इससे पहले भी कई बार जान से मारने की धमकियां मिल चुकी हैं। पुलिस ने इस मामले में तीन लोगों को गिरफ्तार भी किया है।
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