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पूर्वाचल का कालानमक भी बनेगा बासमती जैसा ब्रांड

खुशबू और स्वाद में बेमिसाल, आयरन और जिंक की प्रचुरता के नाते परंपरागत चावल से तुलनात्मक रूप से पौष्टिक, भगवान बुद्ध का प्रसाद और पूर्वाचल की शान कालानमक भी अब हरियाणा, पंजाब और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बासमती धान की तरह देश और दुनिया में ब्रांड बनेगा। यह सब हो रहा है उत्तर प्रदेश और केंद्र सरकार के प्रयासों से।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पहले से ही कालानमक के मुरीद हैं। उनकी पहल पर जनवरी, 2018 में ही इसे सिद्धार्थनगर का एक जिला एक उत्पाद (ओडीओपी) घोषित किया गया। हाल में ही केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने सिद्धार्थनगर समेत महराजगंज, गोरखपुर, बस्ती और संतकबीर नगर का ओडीओपी घोषित कर पूर्वाचल के संबंधित जिलों के लाखों किसानों को सौगात दी है। तय है कि सात अगस्त को हुई इस घोषणा के बाद कालानमक को प्रोत्साहन देने की योजना भी आएगी। इसका लाभ इन जिलों के किसानों को मिलेगा।
अपनी घोषणा में मंत्रालय ने उन प्रजातियों कालानमक-101, केएन-3 और किरन की भी संस्तुति की है जो परंपरागत प्रजाति की तुलना में बौनी, यानी कम समय में अधिक उपज देने वाली हैं।
कालानमक पर लंबे समय से काम कर रहे और इन प्रजातियों को विकसित करने वाले डॉक्टर आर.सी. चौधरी ने बताया कि बेहतर होता कि केंद्र सरकार कालानमक को उन सभी जिलों बस्ती, संत कबीरनगर, सिद्धार्थनगर, बहराइच, बलरामपुर, गोंडा, श्रावस्ती, गोरखपुर, देवरिया, कुशीनगर और महराजगंज का ओडीओपी उत्पाद होता, जिनके लिए इसे जियोग्रैफिकल इंडिकेशन (जीआई) मिला है, पर शुरुआत अच्छी है। प्रदेश के साथ केंद्र सरकार द्वारा प्रोत्साहन मिलने से न केवल रकबा बढ़ेगा, बल्कि निर्यात की संभावनाएं भी।
मालूम हो कि योगी सरकार कालानमक धान को सिद्धार्थनगर का ओडीओपी घोषित करने के साथ ही इसके प्रोत्साहन का काम कर रही है।
सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग के अपर मुख्य सचिव नवनीत सहगल खुद सिद्धार्थनगर जाकर किसानों, उद्यमियों, स्थानीय प्रशासन और कृषि विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक कर चुके हैं। वाराणसी स्थित अंतर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान केंद्र के साथ कालानमक के प्रोत्साहन के लिए प्रदेश सरकार एक मेमोरंडम अफ अंडरस्टैंडिंग पर भी दस्तखत कर चुकी है। सरकार के प्रयास से कालानमक का रकबा भी बढ़ा है। जिन जिलों के लिए कालानमक को जीआई मिली है, उनमें खरीफ के मौजूदा सीजन में करीब 50 हजार हेक्टेएयर में कालानमक बोया गया है। अकेले 10 हजार हेक्टेयर का रकबा सिद्धार्थनगर में हैं।
गोरखपुर, महराजगंज, बस्ती और संत कबीरनगर में इसका रकबा क्रमश: 9000, 8000,5000 और 3000 हेक्टेयर है। अगले छह महीने में प्रदेश सरकार सिद्धार्थनगर में कालानमक के लिए एक कॉमन फैसिलिटी सेंटर भी स्थापित करने जा रही है। पिछले दिनों मुख्यमंत्री ने इसका ऑनलाइन शिलान्यास भी किया।
नवनीत सहगल के अनुसार, सीएफसी में प्रसंस्करण करने वाली अत्याधुनिक मिल, नमी और तापमान को नियंत्रित करने वाला गोदाम और वैक्यूम पैकेजिंग की सुविधा होगी। इससे कालानमक चावल की बिक्री और निर्यात में करीब 4 गुना और किसानों की आय में 25 से 30 फीसद की वृद्धि होगी। इससे किसानों की संख्या में 30 हजार तक की वृद्धि होगी। प्रदेश के साथ केंद्र से मिलने वाले प्रोत्साहन के कारण यकीन यह संख्या लाखों में हो जाएगी।
प्रवासियों के लिए काम करने वाली संस्था उत्तर प्रदेश डेवलपमेंट फोरम ने खेतीबाड़ी में केंद्र के क्लस्टर एप्रोच की सराहना की। मालूम हो कि संस्था के राष्ट्रीय महासचिव और चार्टर्ड अकाउंटेंट पंकज जायसवाल पहले भी प्रदेश सरकार से कालानमक को महराजगंज का भी ओडीओपी घोषित करने की मांग कर चुकी है।
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यमन के हूती समूह ने दागी बैलेस्टिक मिसाइल, इजरायली सेना ने हवा में किया नष्ट

सना, 26 सितंबर। यमन के हूती समूह ने गुरुवार रात इजरायल पर मिसाइल दागी। इसके बाद बेन गुरियन हवाई अड्डे पर हवाई यातायात अस्थायी रूप से रोक दिया गया। जान बचाने के लिए हजारों इजरायली लोगों को शरण लेने के लिए मजबूर होना पड़ा।
शुक्रवार को हूती द्वारा संचालित अल-मसीरा टीवी पर प्रसारित एक बयान में, हूती सैन्य प्रवक्ता याह्या सरिया ने कहा कि गुरुवार रात दक्षिणी तेल अवीव के जाफा क्षेत्र में एक ‘संवेदनशील लक्ष्य’ की ओर हाइपरसोनिक बैलिस्टिक मिसाइल दागी गई।
यह मिसाइल हमला गाजा पट्टी के फिलिस्तीनी क्षेत्र पर इजरायल के अटैक और यमन की राजधानी सना पर कुछ घंटे पहले हुए इजरायली हवाई हमलों के जवाब में किया गया था।
समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, सरिया ने चेतावनी दी कि बाब अल-मंडेब जलडमरूमध्य और लाल सागर के संकरे पानी से गुजरने वाले सभी वाणिज्यिक और सैन्य जहाजों को हूती बलों को अपनी पहचान बतानी होगी। ऐसा नहीं करने पर उन पर हमला किया जाएगा।
गुरुवार रात एक बयान में इजरायली रक्षा बलों (आईडीएफ) ने कहा कि हवाई रक्षा प्रणालियों ने यमन में हूतियों द्वारा दागी गई एक मिसाइल को रोक दिया।
यह हमला गुरुवार शाम सना में हूती ठिकानों पर इजरायल के कई हवाई हमलों के कुछ घंटों बाद हुआ, जिसमें आठ लोगों की मौत हो गई और 142 लोग घायल हो गए।
आईडीएफ ने कहा कि सना पर हमले दक्षिणी इजरायली शहर ईलात पर 25 सितंबर को हूती ड्रोन हमले के जवाब में किए गए, जिसमें 20 लोग घायल हो गए थे।
सरकारी प्रसारक कान के अनुसार, ड्रोन एक बड़े समुद्र तट परिसर में फटा था। इजरायल की वायु रक्षा प्रणाली ने ड्रोन को रोकने का दो बार प्रयास किया, लेकिन असफल रही थी। यह हमला यहूदी नववर्ष रोश हशाना के दौरान हुआ था, जब ईलात में इजरायली पर्यटकों की भीड़ थी।
राजधानी सना सहित उत्तरी यमन के अधिकांश हिस्से पर नियंत्रण रखने वाले हूती नवंबर 2023 से इजरायल पर मिसाइल और ड्रोन हमले कर रहा है और लाल सागर में इजरायल से जुड़े जहाजों को निशाना बना रहा है।
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पश्चिम रेलवे आरपीएफ, जीआरपी ने मीरा रोड स्टेशन पर महिला क्लर्क के साथ दुर्व्यवहार करने के आरोपी को पकड़ा

मुंबई: भयंदर स्थित पश्चिम रेलवे की आरपीएफ टीम ने वसई रोड स्थित राजकीय रेलवे पुलिस (जीआरपी) टीम के साथ मिलकर हाल ही में मीरा रोड रेलवे स्टेशन पर एक महिला वाणिज्यिक बुकिंग क्लर्क के साथ दुर्व्यवहार करने वाले एक आरोपी का पता लगाया और उसे पकड़ लिया।
पश्चिम रेलवे के अनुसार, भयंदर चौकी की आरपीएफ टीम और वसई रोड जीआरपी ने मिलकर बदमाश की तलाश में एक संयुक्त अभियान चलाया। आरोपी की पहचान मीरा रोड (पूर्व) निवासी 48 वर्षीय अशलम अनवर खान के रूप में हुई है।
पूछताछ के दौरान आरोपी ने घटना में अपनी संलिप्तता स्वीकार कर ली। इसके बाद, जीआरपी/वसई रोड के पुलिस निरीक्षक ने आगे की कानूनी कार्रवाई करते हुए उसे 10 सितंबर, 2025 को भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की संबंधित धाराओं के तहत गिरफ्तार कर लिया।
आरपीएफ भयंदर और जीआरपी वसई रोड द्वारा की गई यह त्वरित और समन्वित कार्रवाई, न केवल यात्रियों, बल्कि कर्मचारियों की सुरक्षा, संरक्षा और सम्मान सुनिश्चित करने के प्रति पश्चिम रेलवे की अटूट प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
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बिहार एसआईआर मामला: सुप्रीम कोर्ट से विपक्ष को बड़ा झटका, ड्राफ्ट वोटर लिस्ट की समय सीमा बढ़ाने से इनकार

नई दिल्ली, 1 सितंबर: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को बिहार एसआईआर (में विशेष गहन पुनरीक्षण) मामले में विपक्षी दलों को बड़ा झटका दिया है। कोर्ट ने ड्राफ्ट वोटर लिस्ट पर दावे और आपत्ति दर्ज करने की समय सीमा 1 सितंबर से आगे बढ़ाने की मांग को खारिज कर दिया है। हालांकि, कोर्ट ने आयोग के आश्वासन को रिकॉर्ड पर लिया कि 1 सितंबर की समय सीमा के बाद भी लोग अपनी आपत्तियां और दावे दर्ज कर सकेंगे।
आयोग ने स्पष्ट किया कि नामांकन की अंतिम तारीख तक मतदाता सूची में नाम जोड़ने और हटाने का काम जारी रहेगा। इस मामले में अगली सुनवाई 8 सितंबर को होगी।
चुनाव आयोग के वकील एकलव्य द्विवेदी ने कहा, “आज की सुनवाई में दो याचिकाएं दायर की गईं। मुख्य मांग थी कि आधार कवरेज को 65 प्रतिशत की बजाय सभी 7.2 करोड़ मतदाताओं तक बढ़ाया जाए और समयसीमा को भी बढ़ाया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने दोनों मांगों को खारिज कर दिया है। साथ ही, सुप्रीम कोर्ट ने ईसीआई का डाटा नोट किया है कि 99.5 प्रतिशत लोगों का आवेदन हो चुका है और कोर्ट ने आयोग के आश्वासन को रिकॉर्ड पर लिया है कि 1 सितंबर की डेडलाइन के बाद भी ड्राफ्ट वोटर लिस्ट को लेकर लोग अपनी आपत्ति या दावा पेश कर सकते हैं।”
उन्होंने कहा, “सुप्रीम कोर्ट ने आधार की मांग को भी नकारा है। कोर्ट ने माना है कि आधार का उद्देश्य नागरिकता को साबित करने का नहीं बल्कि पहचान को साबित करने का है। आधार कार्ड को ‘डेट ऑफ बर्थ’ का आधार माना जा सकता है।”
चुनाव आयोग ने कोर्ट को बताया कि ड्राफ्ट वोटर लिस्ट जिला निर्वाचन अधिकारियों और बिहार के मुख्य निर्वाचन अधिकारी की वेबसाइट पर प्रकाशित की गई है। समाचार पत्रों में विज्ञापन भी जारी किए गए हैं। आयोग ने कहा कि 1 सितंबर से 25 सितंबर तक दावे और आपत्तियां दर्ज करने के लिए पर्याप्त समय है और इसके बाद भी कोई रोक नहीं है।
आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि 30 सितंबर के बाद भी आवेदन स्वीकार किए जाएंगे और सही दावों को मतदाता सूची में शामिल किया जाएगा।
वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने ‘बिहार स्टेट लीगल सर्विस अथॉरिटी’ के चेयरमैन को निर्देश दिया कि वे पैरा-लीगल वॉलेंटियर्स को मतदाताओं की मदद के लिए नोटिफिकेशन जारी करें, ताकि दावे और आपत्तियां दर्ज करने में सहायता मिल सके।
याचिकाकर्ताओं ने मांग की थी कि आधार कार्ड को स्वीकार करने का आदेश केवल 65 लाख लोगों तक सीमित नहीं रहना चाहिए। इस पर कोर्ट ने कहा कि यदि आधार कार्ड के कारण किसी का नाम मतदाता सूची में शामिल नहीं हुआ, तो उनकी सूची 8 सितंबर को कोर्ट के समक्ष पेश की जाए।
इससे पहले, याचिकाकर्ता प्रशांत भूषण ने उच्च न्यायालय में तर्क दिया कि 22 अगस्त को कोर्ट ने आधार कार्ड को दस्तावेज के रूप में स्वीकार करने का आदेश दिया था, लेकिन चुनाव आयोग पारदर्शिता के अपने निर्देशों का पालन नहीं कर रहा।
उन्होंने आशंका जताई कि कई ‘रिन्यूमेरेशन फॉर्म’ ब्लॉक लेवल ऑफिसर्स (बीएलओ) द्वारा भरे गए हैं। भूषण ने यह भी कहा कि आयोग कुछ मतदाताओं को नोटिस जारी कर रहा है, जिसमें दस्तावेजों में कमी का हवाला दिया जा रहा है।
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि ड्राफ्ट वोटर लिस्ट में छूट गए लोग आधार कार्ड के साथ दावा पेश कर सकते हैं। हालांकि, आधार की अहमियत को मौजूदा कानूनी प्रावधानों से अधिक नहीं बढ़ाया जा सकता। कोर्ट ने यह भी कहा कि आयोग को कानून के तहत आधार की वैधानिकता को स्वीकार करना होगा।
इस मामले की अगली सुनवाई 8 सितंबर को होगी, जिसमें कोर्ट आधार कार्ड के आधार पर मतदाता सूची में शामिल न किए गए लोगों की सूची पर विचार करेगा।
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