राजनीति
मध्यप्रदेश भाजपा अध्यक्ष शर्मा को अस्पताल से छुट्टी मिली

भारतीय जनता पार्टी की मध्यप्रदेश इकाई के अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा को शुक्रवार को अस्पताल से छुट्टी मिल गई। उन्हें कोरोना पॉजिटिव पाए जाने पर कोविड सेंटर में भर्ती कराया गया था। अस्पताल से छुट्टी दिए जाने के साथ उन्हें सात दिन एहतियात बरतने को कहा गया है। भाजपा के मीडिया विभाग प्रमुख लोकेंद्र पाराशर ने बताया कि मध्यप्रदेश भाजपा के अध्यक्ष कोरोना को मात देकर अस्पताल से अपने घर के लिए रवाना हो गए। कोविड-19 की गाइडलाइन के मुताबिक, वह सात दिन तक घर में सावधानीपूर्वक रहेंगे, उसके बाद संगठन के कार्यो को प्रत्यक्ष रूप से संपादित करेंगे ।
ज्ञात हो कि पिछले दिनों राज्यपाल लालजी टंडन के निधन पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सहित चार भाजपा नेता लखनऊ गए थे। उनमें सबसे पहले मंत्री अरविंद भदौरिया कोरोना पॉजिटिव हुए और उसके बाद मुख्यमंत्री, फिर भाजपा प्रदेशाध्यक्ष शर्मा व महामंत्री (संगठन) सुहास भगत भी कोरोना पॉजिटिव हुए थे। मुख्यमंत्री चौहान को पांच अगस्त को अस्पताल से छुट्ट मिली और शुक्रवार को शर्मा अस्पताल से डिस्चार्ज हुए।
राष्ट्रीय समाचार
मुंबई: भारी बारिश के बीच तकनीकी खराबी के कारण वडाला के पास फंसी मोनोरेल, 17 यात्रियों को बचाया गया; एक महीने में दूसरी घटना

Monorail
मुंबई: सोमवार सुबह मुंबई की मोनोरेल सेवा बाधित हुई जब वडाला के पास एक रेक तकनीकी खराबी के कारण रुक गया। घटनास्थल से प्राप्त वीडियो में शहर में भारी बारिश के बीच एलिवेटेड ट्रैक के घुमावदार हिस्से पर ट्रेन फंसी हुई दिखाई दे रही है। मौके पर एक दमकलकर्मी का ट्रक बचाव कार्य की तैयारी में लगा हुआ दिखाई दिया। दमकल अधिकारियों ने उसमें सवार 17 यात्रियों को बचा लिया।
अधिकारियों के अनुसार, गाडगे महाराज स्टेशन से चेंबूर जाते समय मुकुंदराव अंबेडकर रोड जंक्शन के पास आज सुबह करीब सात बजे मोनोरेल में तकनीकी खराबी आ गई।
मोनोरेल की तकनीकी टीम ने मुंबई अग्निशमन विभाग को सूचित किया, जिसने एक विशेष गाड़ी को मौके पर भेजा। उनके पहुँचने तक, तकनीकी कर्मचारियों ने सभी 17 यात्रियों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया था। एक अग्निशमन अधिकारी ने कहा, “किसी के हताहत होने की सूचना नहीं है, और ट्रेन को कपलिंग के ज़रिए वडाला ले जाया जा रहा है। ऑपरेशन पूरा हो गया है।”
एमएमआरडीए के एक प्रवक्ता ने बताया, “वडाला में मोनोरेल में तकनीकी खराबी आने के बाद सत्रह यात्रियों को सुरक्षित बाहर निकाला गया। यात्रियों को सुबह 7:45 बजे निकाला गया।” खराबी ठीक होने के बाद सेवाएँ फिर से शुरू हो गईं।
यह घटना कुछ हफ़्ते पहले हुई एक गंभीर खराबी के तुरंत बाद हुई है, जब चेंबूर और वडाला के बीच दो मोनोरेल फंस गए थे, जिससे 500 से ज़्यादा यात्री कई घंटों तक फँसे रहे, जब तक कि बचाव दल ने हस्तक्षेप नहीं किया। इस घटना ने शहर की मोनोरेल परियोजना की विश्वसनीयता को पहले ही सवालों के घेरे में ला दिया था।
19 अगस्त को, मैसूर कॉलोनी स्टेशन के पास बिजली आपूर्ति बाधित होने के कारण एक और मोनोरेल फंस गई। लगभग 582 यात्री तीन घंटे से ज़्यादा समय तक फंसे रहे, जब तक कि उन्हें खिड़कियों के शीशे तोड़कर और क्रेन, सीढ़ियों और ट्रकों पर लगे कैंची लिफ्टों की मदद से बाहर नहीं निकाला गया। बचाए गए यात्रियों को ले जाने के लिए चार बसों का इंतज़ाम किया गया। कम से कम 14 यात्रियों ने दम घुटने की शिकायत की, जिनमें से तीन को सायन और केईएम अस्पतालों में इलाज की ज़रूरत पड़ी।
अधिकारियों ने बाद में खुलासा किया कि मैसूर कॉलोनी में हुई इस दुर्घटना का मुख्य कारण अत्यधिक भीड़भाड़ थी। 104 टन भार ढोने के लिए डिज़ाइन की गई इस ट्रेन में कथित तौर पर 109 टन से ज़्यादा भार था। इससे पावर रेल-करंट कलेक्टर सिस्टम में खराबी आ गई, जिससे बिजली आपूर्ति बाधित हो गई और ट्रेन बीच रास्ते में ही रुक गई। ब्रेक भी जाम हो गए, जिससे ट्रेन को खींचने की कोशिशें मुश्किल हो गईं।
अगस्त की घटना के बाद, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने यात्रियों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देने का आश्वासन दिया था। उन्होंने कहा कि एमएमआरडीए, अग्निशमन विभाग, नगर निगम के कर्मचारी और पुलिस सभी बचाव कार्यों में जुट गए हैं। फडणवीस ने खराबी के कारणों की जाँच की भी घोषणा की और ज़ोर देकर कहा कि निवारक उपाय किए जाएँगे।
मुंबई प्रेस एक्सक्लूसिव न्यूज
वक्फ बिल ऑर्डर ! जाने किन चीजों पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई है रोक

SUPRIM COURT
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को वक़्फ़ (संशोधन) अधिनियम 2025 को लेकर एक अहम फैसला सुनाया। अदालत ने अधिनियम को पूरी तरह से रद्द या स्थगित करने से इनकार कर दिया, लेकिन इसके कई विवादित प्रावधानों पर अस्थायी रोक लगा दी है। यह फैसला देशभर में चर्चा का विषय बन गया है क्योंकि वक़्फ़ कानून लंबे समय से राजनीतिक और सामाजिक बहस के केंद्र में रहा है।
कौन-कौन से प्रावधान निलंबित हुए?
- पांच साल से इस्लाम का पालन करने की शर्त
अधिनियम में कहा गया था कि कोई भी व्यक्ति वक़्फ़ बनाने के लिए कम से कम पाँच वर्ष से “प्रैक्टिसिंग मुस्लिम” होना चाहिए। अदालत ने इस पर रोक लगाते हुए कहा कि जब तक इस शब्द की स्पष्ट परिभाषा तय नहीं होती, इसे लागू नहीं किया जा सकता। - ज़िला कलेक्टर की भूमिका
कानून में ज़िला कलेक्टर को यह अधिकार दिया गया था कि वे यह तय करें कि कोई संपत्ति वक़्फ़ है या नहीं। सुप्रीम कोर्ट ने इस प्रावधान पर रोक लगाई है, यह कहते हुए कि इससे नागरिकों के अधिकारों और न्यायिक प्रक्रिया पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है। - वक़्फ़ बोर्ड और परिषद में गैर-मुस्लिम सदस्यों की संख्या पर सीमा
संशोधन में प्रावधान था कि राज्य वक़्फ़ बोर्ड में अधिकतम 3 और केंद्रीय वक़्फ़ परिषद में अधिकतम 4 गैर-मुस्लिम सदस्य शामिल किए जा सकेंगे। अदालत ने इस प्रावधान को भी निलंबित कर दिया है। - वक़्फ़ बोर्ड के CEO का मुस्लिम होना
अधिनियम में कहा गया था कि यथासंभव वक़्फ़ बोर्ड के CEO मुस्लिम समुदाय से हों। सुप्रीम कोर्ट ने इस प्रावधान पर भी रोक लगा दी।
पीठ ने स्पष्ट किया कि कानून को पूरी तरह से निलंबित करना उचित नहीं होगा, परंतु जिन धाराओं को चुनौती दी गई है, उन पर सुनवाई पूरी होने तक रोक लगाई जाती है। अदालत ने सभी पक्षों को अगली सुनवाई में विस्तृत बहस का अवसर देने की बात कही है।
इस फैसले को लेकर राजनीतिक हलकों में हलचल तेज हो गई है। विरोधी दलों ने सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय को न्याय और संवैधानिक मूल्यों की जीत बताया है, वहीं सरकार का मानना है कि कानून का उद्देश्य वक़्फ़ संपत्तियों के प्रबंधन को अधिक पारदर्शी और जवाबदेह बनाना था।
फिलहाल यह आदेश अंतरिम है और अंतिम फैसला आने तक लागू रहेगा। सुप्रीम कोर्ट की अगली सुनवाई में यह तय होगा कि इन प्रावधानों को स्थायी रूप से रद्द किया जाएगा या इनमें संशोधन की गुंजाइश होगी।
यह फैसला वक़्फ़ प्रबंधन और इससे जुड़े समुदायों पर गहरा असर डालने वाला माना जा रहा है, और आने वाले समय में इस पर देशव्यापी बहस और तेज हो सकती है।
मुंबई प्रेस एक्सक्लूसिव न्यूज
सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 की प्रमुख धाराओं पर लगाई रोक

SUPRIM COURT
नई दिल्ली, 15 सितम्बर: सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में लागू किए गए वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 की कुछ धाराओं पर अंतरिम रोक लगा दी है। अदालत यह आदेश अधिनियम की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान दिया।
अदालत ने उस प्रावधान पर रोक लगाई है जिसमें कहा गया था कि केवल मुस्लिम सदस्य ही वक्फ बोर्ड में नियुक्त किए जा सकते हैं और वह भी न्यूनतम पाँच साल की अवधि के लिए। न्यायालय ने माना कि यह प्रावधान बहिष्करण संबंधी सवाल खड़े करता है और इस पर विस्तृत विचार आवश्यक है।
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि फिलहाल किसी भी वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्यों की संख्या अधिकतम तीन तक सीमित रहेगी। यह व्यवस्था अंतिम निर्णय तक लागू रहेगी।
याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि यह संशोधन भेदभावपूर्ण है और संविधान द्वारा दिए गए समानता के अधिकार के खिलाफ है। वहीं, केंद्र सरकार ने अधिनियम का बचाव करते हुए कहा कि इसका उद्देश्य देशभर में वक्फ संस्थाओं के कामकाज में पारदर्शिता और सुधार लाना है।
न्यायालय ने यह भी कहा कि इस अंतरिम आदेश से वक्फ बोर्ड के मौजूदा प्रशासनिक कार्य प्रभावित नहीं होंगे, केवल विवादित धाराएं फिलहाल लागू नहीं की जाएंगी।
मामले की विस्तृत सुनवाई आने वाले हफ्तों में होगी।
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