अपराध
मप्र : देवास में महिला ने अतिक्रमण हटाने गई टीम के सामने आग लगाई

मध्यप्रदेश के देवास जिले में अतिक्रमण हटाने गई टीम और अतिक्रमण करने वालों के बीच विवाद हो गया। सरकारी अमले ने जब फसल को जेसीबी से रौंदा डाला तब महिला आक्रोशित हो गई और उसने अपने ऊपर कोई ज्वलनशील पदार्थ डालकर आग लगा ली। महिला मामूली तौर पर झुलस गई। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होते ही कांग्रेस ने प्रदेश की शिवराज सरकार पर हमला बोला। बताया गया है कि सतवास थाना क्षेत्र के अतवास गांव में सरकारी अमला सरकारी जमीन से अतिक्रमण हटाने सरकारी अमला गया। इस सरकारी अमले पर कुछ लोगों ने पथराव भी कर दिया। जब जेसीबी मशीन को फसल पर चलाया गया तो सावरा नामक महिला सामने आई और विरोध करते हुए उसने ज्वलनशील पदार्थ अपने ऊपर डालकर आग लगा ली। इससे वहां हड़कंप मच गया। महिला मामूली तौर पर झुलसी है। इस घटना का वीडियो वायरल होते ही कांग्रेस ने सरकार पर हमला बोला है।
पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ ने घटनाक्रम का वीडियो साझा करते हुए ट्वीट किया, “बेहद दुखद तस्वीर। जो खुद को मामा कहलवाते हैं, उनके राज में आज एक बहन खुद को आग के हवाले कर रही है।”
उन्होंने आगे लिखा है, “मैं सरकार से मांग करता हूं कि पूरे मामले की जांच करवाकर दोषियों पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई हो। घायल महिला का संपूर्ण इलाज सरकार करवाए, पीड़ित परिवार की हर संभव मदद की जाए।”
इसी तरह कांग्रेस के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष अरुण यादव ने कहा कि देवास जिले के सतवास की घटना में प्रशासन ने एक किसान की खड़ी फसल पर जेसीबी चला दी, जिसकी वजह से किसान की पत्नी ने आत्मघाती कदम उठाते हुए स्वयं को आग के हवाले कर दिया। शिवराज सिंह, खड़ी फसल पर जेसीबी चलाना कहां का न्याय है?
यादव ने आगे कहा एक तो किसान पहले से ही प्रकृति की मार झेल रहे हैं और दूसरा कोरोना महामारी के चलते आर्थिक तंगी का माहौल है, ऐसे में भाजपा सरकार किसानों को सहायता करना तो दूर, उनके खेतों में खड़ी फसलों को उजाड़ने का काम कर रही है।
एक प्रशासनिक अधिकारी ने बताया कि महिला को अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
अपराध
मुंबई: बोरीवली पुलिस ने कांदिवली में कथित ज़मीन धोखाधड़ी के लिए डेवलपर के उत्तराधिकारियों पर मामला दर्ज किया

CRIME
मुंबई: बोरीवली पुलिस ने एक डेवलपर के उत्तराधिकारियों के खिलाफ बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) को कथित रूप से जाली दस्तावेज प्रस्तुत करने के आरोप में मामला दर्ज किया है। यह डेवलपर अतिरिक्त फ्लोर स्पेस इंडेक्स (एफएसआई) के लिए बीएमसी को पूर्व में सौंपी गई 2.5 एकड़ भूमि को पुनः प्राप्त करने का प्रयास कर रहा था।
बीएमसी की शिकायत के बाद 4 अगस्त को दर्ज इस मामले की जाँच क्राइम ब्रांच कर रही है। एफआईआर के अनुसार, 1967 के बीएमसी रिकॉर्ड बताते हैं कि कांदिवली पश्चिम में 67,932.75 वर्ग मीटर ज़मीन नानूभाई भट की थी। इसमें से 29,696.34 वर्ग मीटर ज़मीन बीएमसी ने स्कूल, अस्पताल और पार्क जैसी नागरिक सुविधाओं के लिए आरक्षित की थी। 1973 में, भट ने अपने पाँच बच्चों के साथ मिलकर मेसर्स इंडियन प्लाबांगो नामक कंपनी बनाई।
23 मार्च, 1978 को, कंपनी ने बीएमसी को सूचित किया कि वह अतिरिक्त एफएसआई के लिए आरक्षित भूमि सौंप देगी। 15 मई, 1978 को, भूमि बीएमसी को हस्तांतरित कर दी गई, जिसने भट की कंपनी को आरक्षित भूखंडों पर 50% एफएसआई और डीपी रोड पर 100% एफएसआई प्रदान करने वाली रसीद जारी की। भट की कंपनी ने जीबीजेजे कोऑपरेटिव हाउसिंग सोसाइटी के लिए अनारक्षित पाँच एकड़ भूमि पर 18 आवासीय भवन बनाए।
बीएमसी ने समर्पित ज़मीन का स्वामित्व हस्तांतरित करने और चारदीवारी बनाने का आदेश दिया था, लेकिन कंपनी ने इसका पालन नहीं किया। 2002 में, भट के पाँच बच्चों—जगदीश भट, सुरेशचंद्र भट, गिरीश भट, वत्सला जोशी और मालिनी दवे—ने कथित तौर पर विवादित ज़मीन पर अपने नाम बीएमसी की जानकारी के बिना जोड़ दिए, जबकि कंपनी ने पहले ही ज़मीन समर्पित कर दी थी।
एफआईआर में आरोप लगाया गया है कि 19 फ़रवरी, 2004 को उत्तराधिकारियों ने मेसर्स शाह एंड संस के साझेदारों वादीलाल शाह और विजय सेठ को दिए गए पावर ऑफ अटॉर्नी के ज़रिए बीएमसी द्वारा अधिग्रहित ज़मीन को धोखाधड़ी से तीसरे पक्ष को सौंप दिया। अक्टूबर 2024 में, वादीलाल शाह ने यह पावर ऑफ अटॉर्नी अपनी पत्नी भावना शाह को हस्तांतरित कर दी, जिन्होंने अपने बेटे रिंकेश शाह के साथ मिलकर उस ज़मीन की खरीद-फरोख्त की, जो पहले से ही सार्वजनिक सुविधाओं के लिए बीएमसी के कब्जे में थी।
आरसेंट्रल वार्ड के 41 वर्षीय सहायक अभियंता सुनील शेटे ने बीएमसी की ओर से शिकायत दर्ज कराई है। आरोपियों पर भारतीय न्याय संहिता की धारा 316(2) (आपराधिक विश्वासघात), 318(4) (धोखाधड़ी), 336(3) (जालसाजी), 338 (मूल्यवान प्रतिभूति की जालसाजी) और अन्य संबंधित धाराओं के तहत आरोप लगाए गए हैं।
अपराध
मुंबई क्राइम ब्रांच ने एक आरोपी को किया गिरफ्तार, पिस्तौल और कारतूस बरामद

CRIME
मुंबई, 15 सितंबर। मुंबई क्राइम ब्रांच ने बांद्रा के कुरैशी नगर इलाके से एक 38 वर्षीय व्यक्ति को गिरफ्तार किया है, जिसके पास से एक देसी पिस्तौल और तीन जिंदा कारतूस बरामद किए गए हैं।
मुंबई पुलिस के मुताबिक, गिरफ्तार आरोपी की पहचान अमरावती निवासी प्रफुल्ल विष्णु बावने उर्फ सचिन (38) के रूप में हुई है, जो मुंबई के मोहम्मद अली रोड इलाके में रहता था।
क्राइम ब्रांच यूनिट 9 के अधिकारी सचिन पुराणिक को मिली गुप्त सूचना के आधार पर टीम ने कुरैशी नगर कंपाउंड में छापा मारा। इस कार्रवाई के दौरान क्राइम ब्रांच ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया।
पुलिस ने आरोपी के पास मौजूद एक बैग से स्टील की देसी पिस्तौल और तीन जिंदा कारतूस बरामद किए।
पुलिस ने बताया कि आरोपी के खिलाफ मुंबई के बांद्रा पुलिस स्टेशन में आर्म्स एक्ट की धारा 3 और 25 तथा मुंबई पुलिस एक्ट की धारा 37(1)(ए) और 135 के तहत मामला दर्ज किया गया है।
साथ ही मुंबई क्राइम ब्रांच के अधिकारी जांच में जुटे हैं कि यह पिस्तौल कहां से लाई गई थी और आरोपी मुंबई किसी को हथियार देने के इरादे से आया था या किसी अन्य मकसद से आया था।
इससे पहले, मुंबई क्राइम ब्रांच ने 10 सितंबर को एक नेवी कर्मचारी की राइफल और गोलियां चुराने वाले दो आरोपियों को गिरफ्तार करने में सफलता प्राप्त की थी।
दोनों आरोपियों को तेलंगाना के आसिफाबाद जिले से पकड़ा गया। गिरफ्तार लोगों के नाम राकेश दुबला और उमेश दुबला हैं, जो एक ही गांव से ताल्लुक रखते हैं।
यह घटना 6 सितंबर की रात को हुई, जब एक संवेदनशील रक्षा क्षेत्र नेवी नगर में एक शख्स नेवी की वर्दी पहनकर अंदर घुसा। उसने ड्यूटी पर तैनात कर्मचारी से कहा कि वह उसे शिफ्ट से राहत देने आया है। भरोसा दिलाकर उसने कर्मचारी की राइफल और गोलियां ले लीं। इसके बाद उसने हथियार और गोलियां कंपाउंड के बाहर फेंक दीं। बाहर उसका साथी पहले से मौजूद था, जिसने राइफल और गोलियां उठा लीं।
इसके बाद दोनों मौके से फरार हो गए और तेलंगाना भाग निकले।
क्राइम ब्रांच ने इस वारदात की जानकारी मिलते ही जांच शुरू की। पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज और अन्य सुरागों की मदद से आरोपियों का पीछा किया और उन्हें तेलंगाना में दबोच लिया।
अपराध
दिल्ली दंगा मामला : सुप्रीम कोर्ट में शरजील इमाम और अन्य की जमानत याचिका पर सुनवाई टली

SUPRIM COURT
नई दिल्ली, 12 सितंबर। सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को 2020 के दिल्ली दंगों से संबंधित मामले में आरोपी शरजील इमाम, उमर खालिद, मीरान हैदर और गुलफिशा फातिमा की जमानत याचिका पर सुनवाई टल गई है। अब इस मामले की अगली सुनवाई 19 सितंबर को होगी।
चारों आरोपियों ने दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। इन सभी पर 2020 के दंगों के मुख्य षड्यंत्रकारी होने के आरोप में गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया था।
जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस एनवी अंजारिया की पीठ शरजील इमाम, उमर खालिद और गुलफिशा फातिमा की याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है।
नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के खिलाफ व्यापक विरोध प्रदर्शनों की पृष्ठभूमि में भड़के 2020 के दिल्ली दंगों में 50 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी और सैकड़ों लोग घायल हो गए थे।
दिल्ली पुलिस ने आरोप लगाया था कि यह हिंसा एक पूर्व-नियोजित साजिश थी, जिसे सीएए के खिलाफ जारी विरोध-प्रदर्शन के दौरान अंजाम दिया गया था।
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के पूर्व छात्र शरजील इमाम को 28 जनवरी, 2020 को बिहार के जहानाबाद से जामिया मिलिया इस्लामिया और अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में कथित तौर पर भड़काऊ भाषण देने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।
जेएनयू के पूर्व छात्र उमर खालिद ने भी यूएपीए मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा उनकी जमानत याचिका खारिज किए जाने के बाद 10 सितंबर को सर्वोच्च न्यायालय का रुख किया था। गुलफिशा फातिमा और मीरान हैदर भी यूएपीए के तहत इसी तरह के आरोपों का सामना कर रहे हैं।
आरोपों की प्रकृति और अभियुक्तों की लंबी कैद के कारण इस मामले ने राष्ट्रीय स्तर पर ध्यान आकर्षित किया है।
गुलफिशा फातिमा नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ हुए प्रदर्शनों की एक प्रमुख आयोजक मानी जाती हैं। उसे 9 अप्रैल 2020 को गिरफ्तार किया गया था और तब से वह यूएपीए (गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम) के तहत जेल में बंद है। और बाद में दंगों में उसकी कथित भूमिका के लिए यूएपीए के तहत मामला दर्ज किया गया था।
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