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Thursday,16-October-2025
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भोपाल में संघ की बैठक के बाद कई प्रचारकों के दायित्व में हो सकता है फेरबदल

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की भोपाल में बुधवार से शुरू हुई तीन दिवसीय उच्चस्तरीय बैठक के बाद कुछ प्रचारकों के कार्यक्षेत्र में परिवर्तन हो सकता है। संघ के तीन दर्जन से अधिक संगठनों में काम कर रहे कई प्रचारकों को नई जिम्मेदारी मिल सकती है। संघ सूत्रों का कहना है कि जुलाई वह समय होता है, जब संगठन की ओर से तैयार हुए नए प्रचारकों को भी दायित्व देने की तैयारी होती है। इस वजह से एक संगठन से दूसरे संगठनों में प्रचारक भेजे जाते हैं।

संघ की हर साल जुलाई में होने वाली तीन दिनों की बैठक कई मायनों में खास होती है। वजह कि इस बैठक के बाद संघ अपने सहयोगी संगठनों (अनुषांगिक) में प्रचारकों के कार्यक्षेत्र में फेरबदल करता है। प्रचारक जरूरत के हिसाब से एक संगठन से दूसरे संगठन में भेजे जाते हैं। सेवा भारती, आरोग्य भारती, संस्कृत भारती सहित संघ परिवार के पास 36 से अधिक सहयोगी संगठन हैं। इन संगठनों का संचालन संघ से निकलने वाले स्वयंसेवक ही करते हैं। संघ सूत्रों ने बताया कि संघ के सर संघचालक मोहन भागवत की अध्यक्षता में शुरू हुई इस जुलाई बैठक के बाद संघ और अनुषांगिक संगठनों में कार्यरत कुछ प्रचारक नई भूमिकाओं में दिख सकते हैं। भोपाल में हो रही इस बैठक में सर कार्यवाह सुरेश भैय्याजी जोशी, सह सर कार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले, डॉ. कृष्णगोपाल प्रमुख रूप से हिस्सा ले रहे हैं।

नागपुर के संघ विचारक दिलीप देवधर आईएएनएस से कहते हैं कि आरएसएस की हर वर्ष तीन प्रमुख बैठक होती है। जिस पर सभी की निगाहें होती हैं। मार्च में अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक होती है। इसमें संघ नीतिगत फैसले के साथ अपनी आंतरिक संरचना में बदलाव से जुड़े निर्णय लेता है। जुलाई की बैठक में संघ अपने 36 सहयोगी संगठनों से जुड़े प्रचारकों की जिम्मेदारियों में जरूरत के हिसाब से परिवर्तन का निर्णय करता है। वहीं दीपावली के आसपास होने वाली तीसरी महत्वपूर्ण बैठक में स्वयंसेवकों के व्यक्तित्व विकास पर चर्चा होती है। जुलाई की बैठक में सिर्फ प्रांत प्रचारक और इससे ऊपर के पूर्णकालिक प्रचारक हिस्सा लेते हैं, वहीं दीवाली की बैठक में पूर्णकालिक और गृहस्थ दोनों प्रकार के पदाधिकारी भाग लेते हैं।

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राजनीति

बिहार: एसआईआर से जुड़ी याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई टली, चुनाव आयोग और प्रशांत भूषण में हुई तीखी बहस

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SUPRIM COURT

नई दिल्ली, 16 अक्टूबर: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को बिहार में मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण (एसआईआर) से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई 4 नवंबर तक के लिए स्थगित कर दी। इस दौरान अदालत में चुनाव आयोग और एडीआर (एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स) के वकील प्रशांत भूषण के बीच तीखी नोकझोंक भी हुई।

सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग की ओर से वकील राकेश द्विवेदी ने प्रशांत भूषण पर आरोप लगाते हुए कहा कि वे अदालत को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं और दस्तावेजों में हेराफेरी और गलत बयानों का सहारा ले रहे हैं।

प्रशांत भूषण ने इसका जवाब देते हुए कहा कि उन्होंने जो नाम अदालत में प्रस्तुत किए थे, वे ड्राफ्ट मतदाता सूची में मौजूद थे। उन्होंने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग ने मतदाता सूची से 65 लाख नाम हटाने के बाद भी कई नए नाम गुपचुप तरीके से डिलीट किए हैं, लेकिन अब तक इन नामों का पूरा ब्योरा और कारणों सहित सूची सार्वजनिक नहीं की गई है।

प्रशांत भूषण ने अदालत से मांग की कि आयोग को हर उस नाम की विस्तृत जानकारी देनी चाहिए, जिसका नाम सूची से हटाया गया है और उसका कारण बताना चाहिए। यह सूची वेबसाइट पर सार्वजनिक रूप से अपलोड की जानी चाहिए।

इस पर चुनाव आयोग की ओर से वकील राकेश द्विवेदी ने कहा, “अभी अंतिम सूची जारी करने की प्रक्रिया चल रही है। पहले चरण के चुनाव के लिए नामांकन की अंतिम तारीख 17 अक्टूबर है और दूसरे चरण के लिए 20 अक्टूबर। इसलिए मतदाता सूची को इन तारीखों तक फ्रीज किया जाएगा।”

राकेश द्विवेदी ने कहा कि आयोग अपनी जिम्मेदारी निभा रहा है और अंतिम मतदाता सूची प्रकाशित की जाएगी। उन्होंने सवाल उठाया कि जब आयोग खुद यह प्रक्रिया कर रहा है तो याचिकाकर्ता न्यायालय से ऐसा निर्देश क्यों मांग रहे हैं?

इस पर जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, “हमें कोई संदेह नहीं कि चुनाव आयोग अपनी जिम्मेदारी निभाएगा। नाम जोड़ने और हटाने के बाद सूची प्रकाशित करना उसकी संवैधानिक बाध्यता है। यह मामला अभी बंद नहीं हुआ है।”

अदालत ने चुनाव आयोग के वकील से कहा कि उसका जवाबी हलफनामा याचिकाकर्ता प्रशांत भूषण को सौंपा जाए और भूषण को आदेश दिया कि वे 10 दिनों के भीतर अपना प्रत्युत्तर दाखिल करें।

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र की अंतिम मतदाता सूची सभी राजनीतिक दलों और मतदान एजेंटों को उपलब्ध कराई जानी चाहिए।

इस बीच अन्य याचिकाकर्ताओं के वकील, गोपाल शंकरनारायणन और वृंदा ग्रोवर, ने सवाल उठाया कि क्या चुनाव आयोग के पास एसआईआर जैसी प्रक्रिया चलाने का अधिकार है। इस पर अदालत ने आयोग को लिखित नोट दाखिल करने का निर्देश दिया।

वहीं, सुप्रीम कोर्ट के वकील अश्विनी उपाध्याय ने मिडिया से कहा, “आज सुप्रीम कोर्ट ने साफ कह दिया है कि आधार नागरिकता का प्रूफ नहीं है। आज बिहार एसआईआर मामले को लेकर सुनवाई हो रही थी तो हमने कहा कि आधार को 12वें डॉक्यूमेंट के रूप में अनुमति दी गई है, वह ठीक नहीं है। वह आधार एक्ट के खिलाफ है। अभी दो विषय और बचे हुए हैं, मुझे उम्मीद है कि अगली सुनवाई के दौरान उस पर भी फैसला आ जाएगा।”

एडीआर की याचिका पर बोलते हुए उन्होंने कहा, “सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को कहा है कि जो भी आपको काउंटर जवाब देना है, दे दीजिए। एडीआर की ओर से कुछ आपत्तियां दाखिल की गई थीं, जिस पर चुनाव आयोग ने कहा है कि ये पूरी तरीके से हवा में बातें हो रही हैं। धरातल पर ऐसा कुछ भी नहीं है। न तो कोई बिहार में अपील फाइल कर रहा है, न कोई कंप्लेन फाइल कर रहा है, न कोई रिवीजन फाइल कर रहा है। सब कुछ दिल्ली में ही चल रहा है। यह चुनाव आयोग का कहना था।”

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राष्ट्रीय समाचार

समुद्र में साइबर अटैक से बचने के लिए नौसेना प्रमुख ने दिए दो अहम सुझाव

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नई दिल्ली, 16 अक्टूबर: नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के. त्रिपाठी ने समुद्री साइबर हमलों के प्रति सचेत करते हुए कहा कि डिजिटल क्रांति जहां एक ओर अभूतपूर्व दक्षता ला रही है, वहीं यह नई कमजोरियां भी उत्पन्न कर रही है। उन्होंने कहा, ”जहां इंटरनेट ऑफ थिंग्स प्रगति का प्रतीक है, वहीं हर वस्तु के हथियारीकरण के जोखिम की परिभाषा भी बन चुकी है।”

उन्होंने कहा कि ये हमले केवल सिस्टम पर नहीं, बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था की धमनियों पर प्रहार हैं। समुद्री क्षेत्र में किसी बड़े पोर्ट या जहाज पर साइबर व्यवधान के प्रभाव सीमाओं से परे जाकर पूरी आपूर्ति शृंखला, वैश्विक बाजारों और राजनयिक समीकरणों को प्रभावित कर सकते हैं।

उन्होंने बताया कि भारत जैसे विशाल समुद्री राष्ट्र, जिसके पास 12 प्रमुख बंदरगाह, 200 से अधिक गैर-प्रमुख पोर्ट्स और 11,000 किमी लंबी तटरेखा है, ऐसे में साइबर खतरों के परिणाम अत्यंत गंभीर हो सकते हैं। उन्होंने एक वैश्विक उदाहरण देते हुए कहा कि 2021 में स्वेज नहर की छह दिन की बाधा ने हर दिन लगभग 10 अरब डॉलर के व्यापार को रोक दिया था। कल्पना कीजिए यदि ऐसी स्थिति एक अटके जहाज से नहीं, बल्कि एक साइबर कोड से उत्पन्न हो।

उन्होंने बताया कि नवंबर 2023 में ऑस्ट्रेलिया की डीपी वर्ल्ड पर हुए साइबर हमले से देश के लगभग 40 प्रतिशत कंटेनर व्यापार पर असर पड़ा। इसी प्रकार 2024 की मैरीटाइम साइबर सिक्योरिटी रिपोर्ट के अनुसार विश्वभर में 50 अरब से अधिक फायरवॉल घटनाएं दर्ज की गईं, 1800 जहाज साइबर हमलों का शिकार हुए और 178 रैनसमवेयर घटनाओं में प्रति घटना औसतन आधा मिलियन डॉलर का नुकसान हुआ।

नौसेना प्रमुख ने गुरुवार को नई दिल्ली में ‘समुद्री क्षेत्र पर साइबर हमलों का प्रभाव तथा राष्ट्रीय सुरक्षा और अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर उसके परिणाम’ विषय पर आयोजित सम्मेलन को संबोधित किया। नौसेना प्रमुख ने कहा, ”प्रधानमंत्री के ‘डिजिटल इंडिया’ दृष्टिकोण को आगे बढ़ाते हुए, साइबर सुरक्षा को राष्ट्रीय सुरक्षा का अभिन्न अंग बनाना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए।”

उन्होंने दो प्रमुख सुझाव प्रस्तुत किए। पहला यह कि साइबर सुरक्षा को समुद्री संचालन की मूल संरचना में प्रारंभ से ही सम्मिलित किया जाए, न कि इन्हें बाद में एक सहायक तत्व के रूप में जोड़ा जाए। सभी प्रणालियां, डिजाइन से लेकर संचालन तक, वैकल्पिक व्यवस्था और सुदृढ़ सुरक्षा के सिद्धांतों पर आधारित हों।

दूसरा सुझाव यह था कि स्पीड और पारस्परिक सहयोग को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाए। साइबर खतरों के प्रति त्वरित रेस्पॉन्स, सूचना का वास्तविक समय में आदान-प्रदान और सभी एजेंसियों के बीच अनुभव साझा करने की संस्कृति ही हमारी सामूहिक मजबूती तय करेगी।

एडमिरल त्रिपाठी ने कहा कि भारतीय नौसेना साइबर प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए कई ठोस कदम उठा रही है। यह संगोष्ठी उसी दिशा में एक ईमानदार प्रयास है, जिसमें नीति निर्माता, तकनीकी विशेषज्ञ, उद्योग जगत और कार्यान्वयनकर्ता सभी को एक मंच पर लाया गया है।

उन्होंने डायरेक्टरेट ऑफ इन्फॉर्मेशन वॉरफेयर एवं आयोजक दल की सराहना करते हुए कहा कि यह संगोष्ठी विचार-विमर्श के माध्यम से न केवल समुद्री साइबर सुरक्षा की समझ को गहरा करेगी, बल्कि ठोस कार्रवाइयों को प्रेरित करेगी, जिससे भारत डिजिटल रूप से जुड़े समुद्री क्षेत्र में अवसरों और चुनौतियों का आत्मविश्वास से सामना कर सके।

कार्यक्रम में इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी तथा वाणिज्य एवं उद्योग राज्य मंत्री जितिन प्रसाद भी मौजूद रहे।

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राजनीति

गुजरात: शुक्रवार को सीएम भूपेंद्र पटेल के मंत्रिमंडल का विस्तार, महात्मा मंदिर में होगा शपथ ग्रहण समारोह

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गांधीनगर, 16 अक्टूबर: गुजरात में मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल की सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार का इंतजार अब खत्म होने जा रहा है। राज्य में नई राजनीतिक हलचल के बीच शुक्रवार को सुबह 11:30 बजे गांधीनगर स्थित महात्मा मंदिर में नए मंत्रियों का शपथ ग्रहण समारोह आयोजित किया जाएगा।

राज्यपाल आचार्य देवव्रत इस समारोह में शामिल नए मंत्रियों को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाएंगे। इस शपथ ग्रहण के साथ ही मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल का मंत्रिमंडल और व्यापक हो जाएगा।

राज्य सरकार के सूत्रों के अनुसार, इस मंत्रिमंडल विस्तार में कुछ नए चेहरों को शामिल किए जाने की संभावना है, जबकि कुछ पुराने मंत्रियों को भी पुनः जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है। पार्टी संगठन और नेतृत्व के बीच बीते कुछ दिनों से लगातार बैठकों का दौर चल रहा था, जिसके बाद अब मंत्रिमंडल विस्तार की तारीख और समय तय कर दिया गया है।

शपथ ग्रहण समारोह की तैयारियां गांधीनगर के महात्मा मंदिर में जोर-शोर से की जा रही हैं। यहां सुरक्षा व्यवस्था को लेकर पुलिस और प्रशासन ने विशेष बंदोबस्त किए हैं। मुख्यमंत्री कार्यालय ने पुष्टि की है कि कार्यक्रम में वरिष्ठ मंत्री, पार्टी पदाधिकारी, विधायक, सांसद, और अन्य गणमान्य नागरिक उपस्थित रहेंगे।

अधिकांश विधायकों के गुरुवार दोपहर तक गांधीनगर पहुंचने की उम्मीद है। चूंकि वर्तमान मंत्रिमंडल से हटाए जाने वाले विधायकों के इस्तीफे आज स्वीकार किए जाने हैं, इसलिए मंत्रिमंडल के सभी सदस्य उत्साह के साथ गांधीनगर पहुंच रहे हैं।

पार्टी हाईकमान के निर्देश के बाद अब सरकार का यह बहुप्रतीक्षित विस्तार 17 अक्टूबर को होने जा रहा है।

राजनीतिक हलकों में यह माना जा रहा है कि नए मंत्रियों के जुड़ने से सरकार को विकास योजनाओं के तेज क्रियान्वयन में नई ऊर्जा मिलेगी।

शपथ ग्रहण के बाद मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल की अध्यक्षता में जल्द ही नए मंत्रिमंडल की पहली बैठक भी आयोजित की जाएगी, जिसमें विभागों के पुनर्वितरण और प्राथमिक नीतिगत निर्णय लिए जाने की संभावना है।

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