खेल
नही चाहता कि 2020 आईपीएल के बिना खत्म हो : गांगुली

बीसीसीआई अध्यक्ष सौरव गांगुली ने कहा कि वह इस साल आईपीएल के 13वें सीजन का आयोजन कराना चाहते हैं और उनकी प्राथमिकता अपने देश में ही आईपीएल कराने की है।
आईपीएल की शुरुआत पहले 29 मार्च से होनी थी लेकिन कोरोनावायरस के कारण इसे अनिश्चितकाल तक के लिए टाल दिया गया है।
गांगुली ने इंडिया टुडे से शो पर कहा, “हम आईपीएल कराना चाहते हैं, जैसा मैंने कहा कि क्रिकेट की वापसी की जरूरत है। हमारे लिए यह ऑफ सीजन है जिसने हमारी मदद की। हमने मार्च में अपना घरेलू सत्र खत्म कर दिया था। इसके बाद हमें आईपीएल को स्थगित करना पड़ा, जो हमारे घरेलू सीजन का अहम हिस्सा है।”
उन्होंने कहा, “हम चाहते हैं कि आईपीएल हो क्योंकि जीवन को सामान्य स्तर पर और क्रिकेट को भी सामान्य स्तर पर लाने की जरूरत है, लेकिन हमारे पास टी-20 विश्व कप को लेकर आईसीसी से कोई जवाब नहीं आया है।”
ऐसी खबरें हैं कि आईपीएल इस साल बाहर जा सकता है क्योंकि देश में वायरस का संक्रमण कम नहीं हो रहा है और दिन प्रतिदिन स्थिति बिगड़ती जा रही है। गांगुली ने हालांकि कहा है कि उनकी प्राथमिकता आईपीएल को देश में ही कराने की है।
पूर्व कप्तान ने कहा, “हम मीडिया के जरिए कई तरह की चीजें सुनते रहते हैं लेकिन अभी तक आधिकारिक तौर पर बोर्ड के सदस्यों को इस बारे में नहीं बताया गया है। हम हालांकि इसे भारत में ही कराना चाहते हैं। यह हमारी प्राथमिकता है। हमें जो भी समय मिलेगा, अगर हमें 35-40 दिन भी मिलते हैं तो हम इसे कराएंगे।”
उन्होंने कहा, “मुंबई, दिल्ली, कोलाकाता, चेन्नई.. यह आईपीएल की बड़ी टीमें हैं और इस समय मैं नहीं समझता कि आप अपने दिल पर हाथ रखकर यह नहीं कह सकते कि इन जगहों पर क्रिकेट होगा।”
उन्होंने कहा, “हम अहमदाबाद में बने नए स्टेडियम में जाने को लेकर उत्सुक हैं, लेकिन मैं नहीं समझता कि हम वहां जा पाएंगे या नहीं। इस समय यह कहना आसान नहीं है कि हम भारत में इसकी मेजबानी कर सकते हैं।”
गांगुली ने हालांकि कहा कि भारत के बाहर जाना काफी खर्चीला हो सकता है।
उन्होंने कहा, “क्या यह भारत में होगा? अगर नहीं तो हम बाहर जाने के बारे में सोचेंगे लेकिन कहां? क्योंकि मौजूदा कन्वर्जन रेट के तहत बाहर जाना बोर्ड और फ्रेंचाइजियों के लिए काफी ख्रर्चीला हो जाएगा।”
उन्होंने कहा, “इसलिए हम चीजों पर नजर रख रहे हैं और हम इसकी मेजबानी करने को लेकर उतारू हूं। हमें उम्मीद है, हम साल 2020 बिना आईपीएल के नहीं चाहते।”
राष्ट्रीय
जम्मू-कश्मीर : पुंछ में एसआईए का छापा, नार्को टेररिज्म से जुड़ा मामला

जम्मू, 23 मई। जम्मू कश्मीर में स्टेट इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (एसआईए) ने पुंछ में कई जगहों पर छापेमारी की है। मामला नार्को टेररिज्म से जुड़ा बताया जा रहा है। पिछले कुछ दिनों से आतंक विरोधी गतिविधियों पर पुलिस बल नजर बनाए हुए है।
दरअसल, पिछले कुछ महीनों से जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद को जिंदा रखने के लिए पाकिस्तान नार्को टेररिज्म का सहारा ले रहा है। इसके तहत आतंकियों के साथ जम्मू-कश्मीर में मादक पदार्थों को भेज कर उससे अर्जित राशि का इस्तेमाल आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए किया जा रहा है।
राज्य जांच एजेंसी (एसआईए) ने शुक्रवार को जम्मू-कश्मीर के पुंछ में कई जगहों पर छापेमारी की। आतंकियों से कथित तौर पर जुड़े एक घर पर छापेमारी की जा रही है। 17 मई को राज्य जांच एजेंसी (एसआईए) ने मध्य और उत्तरी कश्मीर में करीब 11 जगहों पर व्यापक छापे मारे थे। इससे पहले 11 मई को एसआईए ने अनंतनाग, पुलवामा, कुलगाम और शोपियां समेत 20 स्थानों पर छापे मारे थे।
स्लीपर सेल मॉड्यूल की चल रही जांच के तहत दक्षिण कश्मीर में ये छापेमारी की गई थी। ये सेल व्हाट्सएप, टेलीग्राम और सिग्नल जैसे एन्क्रिप्टेड मैसेजिंग प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल कर भारतीय सुरक्षा बलों और प्रमुख प्रतिष्ठानों से जुड़ी संवेदनशील और रणनीतिक सूचनाएं प्रसारित करते पाए गए। इसे लेकर एक बयान भी एसआईए की ओर से जारी किया गया था। जिसमें बताया गया कि ये छापेमारी विभिन्न धाराओं के तहत दर्ज मामलों की जांच के लिए की गई।
अधिकारियों ने बताया था कि छापेमारी के दौरान काफी मात्रा में आपत्तिजनक सामग्री जब्त की गई और संदिग्धों को आगे की पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया। प्रारंभिक जांच से पता चला कि ये आतंकी सहयोगी आतंकवादी साजिश में सक्रिय रूप से शामिल थे, भारत विरोधी आख्यानों का प्रचार और प्रसार कर रहे थे, जिसका उद्देश्य न केवल भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को चुनौती देना है, बल्कि असंतोष, सार्वजनिक अव्यवस्था और सांप्रदायिक घृणा को भड़काना भी था।
अंतरराष्ट्रीय
पाकिस्तानी सेना फिर बेनकाब, बोल रही आतंकी हाफिज सईद की ही जुबान, सिंधु जल समझौते पर दिया विवादित बयान

इस्लामाबाद, 23 मई। पाकिस्तानी सेना ने एक बार फिर जाहिर कर दिया है कि वो आतंकियों की बोली बोलती है। सैन्य प्रवक्ता लेफ्टिनेंट जनरल अहमद शरीफ चौधरी ने लश्कर ए तैयबा (एलईटी) के आतंकी हाफिज सईद की ही तरह सिंधु जल समझौते को लेकर भारत के खिलाफ जहर उगला है।
चौधरी ने एक सार्वजनिक सभा में सिंधु जल संधि स्थगित करने के फैसले पर चेतावनी भरे अंदाज में कहा कि “यदि आप हमारा पानी रोकेंगे, तो हम आपकी सांसें रोक देंगे।” ये अंदाज और बोल ठीक वैसे ही हैं जैसे हाफिज सईद ने हाल ही में उगले थे।
शरीफ चौधरी सिंधु जल संधि को तब तक स्थगित रखने के भारत के फैसले पर बोल रहे थे। दरअसल, भारत पहले ही कह चुका है कि जब तक इस्लामाबाद आतंकवाद को समाप्त नहीं कर देता और अपनी धरती से उत्पन्न होने वाले आतंकवादी समूहों को सहायता, वित्त पोषण और समर्थन बंद नहीं कर देता, तब तक सिंधु जल संधि स्थगित ही रहेगी।
चौधरी ने कथित तौर पर पाकिस्तान के एक विश्वविद्यालय में भाषण के दौरान यह टिप्पणी की। उनका बयान लश्कर-ए-तैयबा के संस्थापक हाफिज सईद द्वारा इस्तेमाल की गई बयानबाजी से हूबहू मेल खाता है। सईद 2008 के मुंबई आतंकवादी हमलों का मास्टरमाइंड है। वह भारत और अमेरिका के खिलाफ अपने भड़काऊ भाषणों के लिए जाना जाता है।
सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे एक वीडियो में हाफिज सईद को यही शब्द कहते हुए सुना जा सकता है। ये बयान ऐसे समय में आए हैं जब भारत ने 23 अप्रैल को सिंधु जल संधि के कुछ हिस्सों को निलंबित कर दिया था। यह संधि पहलगाम में हुए आतंकी हमले के एक दिन बाद की है जिसमें 26 लोगों की निर्मम हत्या कर दी गई थी।
1960 में हस्ताक्षरित और विश्व बैंक द्वारा मध्यस्थता की गई यह संधि सिंधु नदी और उसकी सहायक नदियों के जल के बंटवारे को दोनों देशों के बीच नियंत्रित करती है।
इस बीच, नई दिल्ली ने बार-बार कहा है कि “खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते; बातचीत और आतंक एक साथ नहीं चल सकते,” जो सीमा पार आतंकवाद के लिए पाकिस्तान के कथित समर्थन पर सख्त रुख का संकेत देता है।
निलंबन इस्लामाबाद के खिलाफ उठाए गए जवाबी उपायों का एक हिस्सा था, जिसमें 7 मई को “ऑपरेशन सिंदूर” भी शामिल था, जिसमें पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में नौ आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया गया था।
भारत के विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को घोषणा की कि पाकिस्तान के साथ भविष्य की कोई भी बातचीत केवल जम्मू और कश्मीर में अवैध रूप से कब्जे वाले भारतीय क्षेत्र को खाली करने पर केंद्रित होगी।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने दृढ़ता से कहा कि “आतंकवाद और बातचीत एक साथ नहीं हो सकते,” उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि भारत केवल वांछित आतंकवादियों के प्रत्यर्पण पर चर्चा को तैयार है, जिन्हें पहले से ही सूचीबद्ध किया गया है और इस्लामाबाद के साथ साझा किया गया है।
कश्मीर मुद्दे पर भारत के रुख को स्पष्ट करते हुए, जायसवाल ने रेखांकित किया, “कोई भी द्विपक्षीय चर्चा केवल पाकिस्तान द्वारा अवैध रूप से कब्जाए गए भारतीय क्षेत्र को खाली करने पर होगी।”
निलंबित सिंधु जल संधि (आईडब्ल्यूटी) पर जायसवाल ने पुष्टि की कि जब तक पाकिस्तान आतंकवाद का समर्थन बंद करने के लिए विश्वसनीय और अपरिवर्तनीय कदम नहीं उठाता, तब तक यह समझौता स्थगित रहेगा।
उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी के बयान को दोहराया: “पानी और खून एक साथ नहीं बह सकते,” जो ऐतिहासिक जल-समझौते पर भारत की स्थिति के सख्त होने का संकेत देता है।
राष्ट्रीय
उज्जैन : विरोध कर रहे लोगों को समझाने के बाद अतिमक्रमण के खिलाफ कार्रवाई शुरू

उज्जैन, 23 मई। मध्य प्रदेश के उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर के पास स्थित बेगमबाग इलाके में अतिक्रमण ध्वस्त करने पहुंची उज्जैन विकास प्राधिकरण और पुलिस की टीम ने विरोध प्रदर्शन कर रहे लोगों को समझाया। इसके बाद स्थानीय लोगों और उज्जैन विकास प्राधिकरण की टीम ने अतिक्रमण के खिलाफ समन्वय के साथ कार्रवाई करने का फैसला किया। टीम ने ध्वस्तीकरण के खिलाफ चिन्हित किए गए कुल 28 प्रॉपर्टी में से 3 को ध्वस्त करने का फैसला आज (23 मई) किया है।
इससे पहले जब उज्जैन विकास प्राधिकरण की टीम पुलिस के साथ बेगमबाग इलाके में अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई करने पहुंची थी, तो स्थानीय लोगों ने इसका विरोध किया था।
वहीं इस बारे में जानकारी देते हुए उज्जैन विकास प्राधिकरण के सीईओ संदीप सोनी ने मिडिया को बताया कि यह पूरा क्षेत्र लोगों को रहने के लिए लीज पर साल 1998 में दिया गया था। लेकिन, लोगों ने इसका बाद में व्यापारिक गतिविधियों के लिए इस्तेमाल करना शुरू कर दिया। इसके अलावा, कई लोगों ने इसे रिन्यू भी नहीं कराया, जो पूरी तरह से लीज का उल्लंघन है।
उन्होंने कहा कि इस बारे में कई बार उज्जैन विकास प्राधिकरण की तरफ से यहां के लोगों को नोटिस भी दिया गया कि वे इसका रिन्यू करा लें, लेकिन लोगों ने इसे अनदेखा किया। इसके बाद अब इस लीज को खत्म कर दिया गया है। अब लीज खत्म होने के बाद संपत्ति दोबारा से प्राधिकरण की हो जाती है। ऐसी स्थिति में अब यह संपत्ति प्राधिकरण की मानी जाएगी, जिस पर अगर कोई दूसरा व्यक्ति कोई काम करेगा, तो उसे अतिक्रमण ही माना जाएगा।
उन्होंने आगे कहा कि यहां पर व्यापारिक गतिविधियां चल रही हैं, जिसे देखते हुए पहले प्राधिकरण की तरफ से सभी सामानों को हटाया जा रहा है। इसके बाद ध्वस्तीकरण की कार्रवाई शुरू की जाएगी।
उन्होंने कहा कि वैसे तो प्राधिकरण की तरफ से 28 संपत्तियों को ध्वस्त करने का फैसला किया गया है, लेकिन अभी महज सिर्फ तीन संपत्तियों को ध्वस्त किया जाएगा, क्योंकि बाकी की प्रॉपर्टी का मामला कोर्ट में विचाराधीन है। जैसे ही कोर्ट की तरफ से इसे लेकर फैसला आ जाएगा, हम कार्रवाई शुरू कर देंगे।
एसीपी नितेश भार्गव ने बताया कि यहां उज्जैन विकास प्राधिकरण की टीम अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई करने पहुंची। पुलिस की टीम भी आई है, ताकि किसी भी प्रकार की अप्रिय स्थिति पैदा न हो। अभी मौके पर 150 पुलिस के जवान मौजूद हैं। हालांकि, पहले कुछ लोगों ने अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई का विरोध किया था। लेकिन, बाद में इन लोगों को समझाया गया।
उन्होंने कहा कि सुबह पांच बजे से उज्जैन विकास प्राधिकरण और पुलिस की टीम यहां पर मौजूद है। लोगों को समझाया जा रहा है। कई लोग मान भी गए हैं, जिसके बाद वे स्वेच्छा से अपना घर खाली करके टीम का सहयोग कर रहे हैं।
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