राजनीति
ऑप्ट-आउट विकल्प के खिलाफ याचिका पर आईसीएआई से जवाब तलब
चार्टर्ड अकाउंटेंट (सीए) की परीक्षाओं के लिए कोरोनावायरस महामारी के बीच इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (आईसीएआई) संस्थान द्वारा दी गई ऑप्ट-आउट योजना पर रोक लगाने का अनुरोध करने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने आईसीएआई से जवाब मांगा है। न्यायाधीश ए.एम. खानविलकर और दिनेश माहेश्वरी की पीठ ने सोमवार तक मामले पर प्रतिक्रिया मांगी है। इंडिया वाइड पेरेंट्स एसोसिएशन की अध्यक्ष द्वारा जनहित याचिका दायर की गई है। याचिकाकर्ता की ओर से अदालत से परीक्षा के लिए ‘ऑप्ट आउट’ स्कीम पर रोक लगाने की मांग की गई है।
आईसीएआई के वकील ने पीठ के समक्ष दलील दी कि अधिसूचना किसी भी छात्र के खिलाफ पक्षपात नहीं करती है और याचिकाकर्ता की इस संबंध में गलत धारणा है।
चार्टर्ड अकाउंटेंट की इस साल मई में होने वाली परीक्षाएं 29 जुलाई से 16 अगस्त के बीच होनी हैं। याचिका में कहा गया है कि इस परीक्षा के लिए ‘ऑप्ट आउट’ विकल्प मनमाना और भेदभावपूर्ण कदम है। वहीं आईसीएआई ने मामले में हलफनामा दायर करने के लिए समय मांगा है।
संक्षिप्त सुनवाई के बाद शीर्ष अदालत ने मामले की आगे की सुनवाई सोमवार के लिए सूचीबद्ध की है।
याचिकाकर्ता की ओर से वकील अलख आलोक श्रीवास्तव ने कहा कि अगर कोई छात्र कोरोना की वजह से ‘ऑप्ट आउट’ स्कीम लेता है तो उसका इस साल का प्रयास रद्द माना जाएगा और वे छात्र मई 2020 की परीक्षा से भी वंचित हो जाएंगे।
याचिकाकर्ता ने शीर्ष अदालत से ऑप्ट-आउट विकल्प के साथ अधिसूचना को रद्द करने का आग्रह करते हुए कहा कि यह संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 के तहत मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।
राजनीति
दुर्व्यवहार मामले में सीजेआई ने राकेश किशोर को किया माफ तो अवमानना की कार्रवाई से सुप्रीम कोर्ट ने किया इनकार

suprim court
नई दिल्ली, 27 अक्टूबर: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को वकील राकेश किशोर के खिलाफ चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) बीआर गवई के खिलाफ अभद्र व्यवहार के मामले में अपराधी अवमानना की कार्रवाई शुरू करने से इनकार कर दिया।
कोर्ट ने कहा कि सीजेआई ने उदारता दिखाते हुए राकेश किशोर को माफ कर दिया है, इसलिए इस मामले को समाप्त माना जाएगा। हालांकि, अदालत ने ऐसे कृत्यों के महिमामंडन और भविष्य में रोक लगाने के लिए दिशानिर्देश जारी करने पर विचार जारी रखने का संकेत दिया।
सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) के अध्यक्ष विकास सिंह ने कहा कि शुरुआत में मामला समाप्त हो गया था. जब सीजेआई ने किशोर को माफ कर दिया था, लेकिन राकेश किशोर ने मीडिया से कहा कि ‘भगवान ने मुझसे ऐसा करवाया’ और इस पर सोशल मीडिया पर मीम्स बन रहे हैं, जिससे न्यायपालिका का मजाक बन रहा है।
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की पीठ एससीबीए की याचिका पर सुनवाई की थी, जिसमें किशोर के खिलाफ आपराधिक अवमानना और सोशल मीडिया पर महिमामंडन रोकने के लिए आदेश की मांग की गई थी। विकास सिंह ने बताया कि राकेश किशोर ने मीडिया को इंटरव्यू देते हुए अपने कृत्य को दोहराने की कसम भी खाई।
इस पर जस्टिस सूर्यकांत ने स्वीकार किया कि राकेश किशोर का व्यवहार ‘गंभीर आपराधिक अवमानना’ जैसा है, लेकिन जब सीजेआई ने माफ कर दिया, तो यह मामला आगे नहीं बढ़ सकता। जस्टिस बागची ने स्पष्ट किया कि न्यायालय की अवमानना के मामलों में अवमानना कार्रवाई का निर्णय संबंधित जज पर निर्भर होता है।
विकास सिंह ने तर्क दिया कि सीजेआई की माफी उनकी व्यक्तिगत क्षमता में थी और इसे संस्थागत कार्रवाई के रूप में नहीं देखा जा सकता। उन्होंने कहा कि राकेश किशोर के बाद के आचरण, जैसे मीडिया में दिए बयान, एक नया अपराध है।
जस्टिस सूर्यकांत ने इस पर सहमति जताई और कहा कि ऐसे कृत्यों के महिमामंडन को रोकने के लिए निवारक दिशानिर्देश जारी करने पर विचार किया जाएगा ताकि भविष्य में किसी व्यक्ति को अनावश्यक महत्व देने से बचा जा सके।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन की चिंता का समर्थन करते हुए कहा कि नोटिस जारी करने से राकेश किशोर को पीड़ित की भूमिका निभाने का अवसर मिल सकता है और विवाद भड़का सकता है।
आखिर में बेंच ने अपराधी अवमानना मामले में आगे न बढ़ाने का फैसला किया और सुनवाई को एक सप्ताह के लिए स्थगित कर दिया। साथ ही, धर्मोपदेशक डॉ. केए पॉल द्वारा दायर रिट याचिका को भी सुनवाई योग्य न मानते हुए खारिज कर दिया।
राजनीति
मध्य प्रदेश के मंत्री का बयान शर्मनाक : जीतू पटवारी

JITU PATVARI
भोपाल, 27 अक्टूबर: मध्य प्रदेश की व्यापारिक नगरी इंदौर में आईसीसी महिला क्रिकेट विश्व कप में हिस्सा लेने आई ऑस्ट्रेलियाई महिला खिलाड़ियों के साथ हुई छेड़छाड़ की घटना पर मंत्री कैलाश विजयवर्गीय द्वारा दिए गए बयान की कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने निंदा की और इसे शर्मनाक भी करार दिया है।
दरअसल, पिछले दिनों इंदौर में ऑस्ट्रेलियाई महिला खिलाड़ी के साथ छेड़छाड़ की घटना सामने आई थी। इस मामले में एक आरोपी को पुलिस ने गिरफ्तार भी किया है। मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने सलाह देने वाले अंदाज में कहा कि खिलाड़ी जब भी बाहर जाएं तो उन्हें प्रशासन को अवगत कराना चाहिए।
मंत्री विजयवर्गीय के इस बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने कहा कि इंदौर में ऑस्ट्रेलियाई महिला क्रिकेटर्स से छेड़छाड़ की शर्मनाक घटना के बाद भाजपा के मंत्री का बयान पूरे मध्य प्रदेश के लिए शर्म की बात है। बेटियों की सुरक्षा पर सवाल उठे हैं और मंत्री सलाह दे रहे हैं कि बाहर जाने से पहले प्रशासन को बताएं।
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने सवालिया अंदाज में पूछा कि क्या अब मध्य प्रदेश इतना असुरक्षित हो गया है कि हर बेटी को घर से निकलने से पहले प्रशासन को सूचना देनी पड़े? भाजपा सरकार बेटियों की सुरक्षा देने में पूरी तरह नाकाम साबित हुई है।
जीतू पटवारी ने कहा कि भाजपा नेताओं के असंवेदनशील बयानों से जनता का गुस्सा बढ़ रहा है। मुख्यमंत्री और गृहमंत्री को जवाब देना चाहिए कि आखिर प्रदेश में ऑस्ट्रेलिया की महिला खिलाड़ियों के साथ हुई छेड़छाड़ की घटना पर महिलाओं की सुरक्षा के नाम पर सिर्फ बयानबाजी ही क्यों हो रही है और ऐसे शर्मनाक बयान पर कार्रवाई करें।
महिला क्रिकेटर के साथ छेड़छाड़ की घटना के बाद सरकार का रवैया सख्त है और वह दोषियों पर कार्रवाई की बात कर रही है, वहीं कांग्रेस की ओर से सवाल उठाए जा रहे हैं। इसी दौरान कैलाश विजयवर्गीय का बयान आया जिसमें उन्होंने कहा कि खिलाड़ी कहीं भी जाए तो स्थानीय शासन को सूचना देकर जाए, वास्तव में यह घटना हमारे लिए सबक है।
मंत्री विजयवर्गीय ने स्वयं का उदाहरण देते हुए कहा कि हम लोग भी जब कहीं जाते हैं तो किसी एक स्थानीय व्यक्ति को बताते हैं, खिलाड़ियों को भी इस बात का ध्यान रखना चाहिए।
राष्ट्रीय समाचार
महाराष्ट्र: लातूर में विषदंत विहीन नाग लेकर भीख मांग रहे लोग पकडे गए, वन विभाग की कार्रवाई

लातूर, 27 अक्टूबर: महाराष्ट्र में लातूर जिले के औसा शहर में सर्पमित्रों और वन विभाग की संयुक्त टीम ने सांप को लेकर भीख मांग रहे लोगों को पकड़ा है। वन विभाग को उनके पास से विष दंत विहीन नाग मिला।
वन्यजीवों का दुरुपयोग करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए एक जिंदा नाग को बरामद किया। इस नाग के दांत तोड़ दिए गए थे और कुछ लोग इसे लेकर भीख मांगते घूम रहे थे।
दिवाली के दौरान औसा शहर में कुछ लोग एक दंतविहीन नाग को लेकर सड़कों पर घूम रहे थे। वे इसे अपनी आजीविका के लिए इस्तेमाल कर रहे थे। सूचना मिलते ही सर्पमित्रों और वन विभाग की टीम ने मौके पर छापा मारा और नाग को इन लोगों के चंगुल से छुड़ा लिया। नाग की हालत गंभीर थी, क्योंकि उसके विषदंत (फैंग्स) पूरी तरह से निकाल दिए गए थे।
बरामदगी के बाद नाग को लातूर में सर्पमित्र भीमाशंकर गाढवे और पशुचिकित्सक डॉक्टर नेताजी शिंगटे की देखरेख में इलाज के लिए भेजा गया। डॉक्टरों के अनुसार, नाग के प्राकृतिक दांत फिर से उगाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है और इसमें शुरुआती सफलता मिली है। नाग के नए दांत लगभग दो मिलीमीटर तक बढ़ चुके हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि आने वाले दिनों में वह पूरी तरह स्वस्थ हो जाएगा।
डॉक्टर शिंगटे ने बताया, “नाग अब बेहतर प्रतिक्रिया दे रहा है। हम उसे कृत्रिम तरीके से खाना और दवाएं दे रहे हैं। उसके दांतों का वापस आना सकारात्मक संकेत है।”
वन विभाग ने इस मामले में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू कर दी है, क्योंकि वन्यजीवों का इस तरह इस्तेमाल करना गैरकानूनी है।
स्थानीय लोगों ने इस कार्रवाई की तारीफ की है और विभाग ने वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए जागरूकता फैलाने की अपील की है। वन विभाग ने लोगों से आग्रह किया है कि वे वन्यजीवों को नुकसान पहुंचाने वाली गतिविधियों की सूचना तुरंत दें।
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