राजनीति
मध्य प्रदेश उपचुनाव में भाजपा के दिग्गज मोर्चे पर
मध्य प्रदेश में आगामी समय में 24 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव को लेकर भारतीय जनता पार्टी गंभीर है और उसने चुनाव की तारीखों का ऐलान होने से पहले ही अपनी बिसात बिछाना शुरू कर दिया है। यही कारण है कि पार्टी ने दिग्गज नेताओं को ही मोर्चे पर लगाने का मन बना लिया है। यह बात चुनाव के लिए बनी संचालन समिति और प्रबंध समिति से जाहिर भी हो रही है।
राज्य में लगभग डेढ़ साल तक सत्ता से बाहर रहने के बाद ढाई महीने पहले भाजपा के हाथ में सत्ता की कमान आई है। विधानसभा के सदस्य गणित पर नजर दौड़ाई जाए तो एक बात साफ होती है कि भाजपा के पास वर्तमान में पूर्ण बहुमत नहीं है और इसके लिए उसे आगामी समय में 24 स्थानों पर होने वाले विधानसभा उपचुनाव में कम से कम 9 सीटें जीतना जरूरी है और उसे अभी नौ विधायकों की और जरूरत है।
राज्य विधानसभा में सदस्य संख्या 230 है और पूर्ण बहुमत के लिए 116 विधायक की संख्या होना आवश्यक है वर्तमान में भाजपा के 107 विधायक हैं इस तरह नौ सीटें जीतने पर ही उसे पूर्ण बहुमत मिल सकता है।
पार्टी सूत्रों का कहना है कि पार्टी ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतने की कोशिश में है। पार्टी को एक प्रभावशाली और जनाधार वाले नेता के तौर पर पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का साथ मिला है और यह स्थितियां पार्टी को और मजबूती प्रदान करेगी। यह बात उप-चुनाव नतीजों में भी सामने दिखना चाहिए।
भाजपा सभी 24 सीटों पर अपना जोर लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती और यही कारण है कि उसने चुनावी तैयारियां शुरू कर दी हैं। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा ने जहां पहले सभी 24 सीटों पर प्रभारियों की नियुक्ति की वही अब पार्टी ने चुनाव संचालन समिति और प्रबंध समिति का गठन कर दिया है।
खाद्य एवं आपूर्ति निगम के पूर्व अध्यक्ष और प्रबंध समिति के सदस्य डॉ. हितेश वाजपेयी ने आईएएनएस से चर्चा करते हुए कहा कि, “आगामी समय में 24 विधानसभा क्षेत्रों के उप-चुनाव है, सरकार के लिए महत्वपूर्ण फेक्टर है, इसके लिए एक या दो स्थानों के उप-चुनाव जैसी रणनीति तो हो नहीं सकती। यह चुनाव भाजपा के लिए राजनीतिक रुप से और संख्यात्मक तौर पर महत्वपूर्ण है क्योंकि विधानसभा की कुल सीटों में से लगभग दस प्रतिशत सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं।”
कार्यालय मंत्री सत्येंद्र भूषण सिंह ने संचालन समिति और प्रबंध समिति की जो सूची जारी की है उससे एक संकेत तो साफ मिल रहा है कि पार्टी इस चुनाव में अपने हर नेता का हर संभव इस्तेमाल करना चाहती है। संचालन समिति में जहां अनुभवी लोगों केा स्थान दिया गया है वहीं प्रबंध समिति में वे लोग हैं जो नियमित तौर पर संगठन के लिए काम करते रहते हैं।
संचालन समिति पर गौर करे तो पता चलता है कि राज्य के सभी अनुभवी नेताओं को इसमें जगह दी गई है। इस समिति में विष्णु दत्त शर्मा, शिवराज सिंह चौहान, थावरचंद गहलोत, नरेंद्र सिंह तोमर, कैलाश विजयवर्गीय, ज्योतिरादित्य सिंधिया, फ ग्गन सिंह कुलस्ते, प्रभात झा, गोपाल भार्गव, प्रहलाद पटेल, नरोत्तम मिश्रा, सुहास भगत, जयभान सिंह पवैया, गौरीशंकर शेजवार, माया सिंह, यशोधरा राजे सिंधिया, अनूप मिश्रा, रुस्तम सिंह, दीपक जोशी, लाल सिंह आर्य और नारायण कुशवाहा को शामिल किया गया है।
भाजपा की संचालन समिति में जहां पहली पंक्ति के नेताओं को जगह दी गई है तो वही प्रबंध समिति में दूसरी कतार के सक्रिय नेताओं को स्थान दिया गया है। प्रबंध समिति में संयोजक भूपेंद्र सिंह को बनाया गया है, तो वही सदस्य के तौर पर उमाशंकर गुप्ता, रामपाल सिंह, बंशीलाल गुर्जर, अरविंद भदौरिया, विजेश लुणावत, रामेश्वर शर्मा, पंकज जोशी, लोकेंद्र पाराशर, राजेंद्र सिंह, शैलेंद्र शर्मा, भगवानदास सबनानी, नरेंद्र पटेल,रविंद्र यति, विकास विरानी, डॉ. हितेश वाजपेई, मनोरंजन मिश्रा और प्रदीप त्रिपाठी को जगह दी गई है।
राजनीतिक विश्लेषक रवींद्र व्यास का कहना है कि, आगामी विधानसभा के उप-चुनाव को भाजपा हल्के में लेने को तैयार नहीं है और वह इस चुनाव के जरिए कांग्रेस छोड़कर आए ज्योतिरादित्य सिंधिया के प्रभाव के साथ अपने जनाधार को साबित करना चाहती है। लिहाजा उसने उन सारे लोगों को मोर्चे पर लगाकर जिम्मेदारी सौंपना शुरू कर दिया है जिनका खास क्षेत्र में प्रभाव है और उनके सहारे चुनावी वैतरणी को पार किया जा सकता है।
राजनीति
सरकारी क्षेत्र के बैंकों के विनिवेश और विलय का कोई प्रस्ताव विचार में नहीं : केंद्र

नई दिल्ली, 2 दिसंबर: सरकार ने मंगलवार को संसद में दी जानकारी में कहा कि फिलहाल सरकारी क्षेत्र के बैंकों के विनिवेश और विलय के किसी प्रस्ताव पर कोई विचार नहीं किया जा रहा है।
राज्यसभा में पूछे गए सवाल – क्या सरकार चार सरकारी बैंकों के विनिवेश या विलय के जरिए 2026 तक बड़े सरकारी बैंक बनाने की तैयार कर रही है, का जवाब देते हुए पंकज चौधरी ने कहा, “मौजूदा समय में केंद्र किसी भी सरकारी बैंक के विलय या विनिवेश के किसी प्रस्ताव पर विचार नहीं कर रही है।”
हाल ही में कई रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि सरकार एक पीएसबी कंसोलिडेशन ब्लूप्रिंट पर काम कर रही है, जिससे वित्त वर्ष 27 में सरकारी बैंकों की संख्या 12 से घटकर सिर्फ चार हो सकती है। इस प्रस्ताव का उद्देश्य सरकारी बैंकों की बैलेंस शीट को मजबूत करना, ऑपरेशनल एफिशिएंसी में सुधार करना और वैश्विक स्तर के प्रतिस्पर्धी बैंक बनाना है।
केंद्रीय राज्य मंत्री ने बताया कि सरकारी बैंकों का ग्रॉस नॉन-परफॉर्मिंग एसेट्स (एनपीए) रेश्यो जून 2025 तक कम होकर 2.51 प्रतिशत हो गया है, जो कि मार्च 2016 में 9.27 प्रतिशत के स्तर पर था।
केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा कि राइट-ऑफ किए जाने वाले लोन की रिकवरी एक लगातार चलने वाली प्रक्रिया है और उधार न चुकाने वालों के खिलाफ बैंक लगातार एक्शन ले रहे हैं।
इससे पहले सरकार ने कहा था कि भारतीय बैंकों ने बीते तीन वर्षों में 10,000 करोड़ रुपए से अधिक के अनक्लेम्ड डिपॉजिट लोगों को वापस कर दिए हैं।
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि 30 जून, 2025 तक, सरकारी बैंकों ने इस फंड में 58,000 करोड़ रुपए से अधिक की राशि ट्रांसफर की है, जिसमें अकेले स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) की हिस्सेदारी 19,330 करोड़ रुपए है।
निजी बैंकों की ओर से इस फंड में 9,000 करोड़ रुपए ट्रांसफर किए गए हैं। इसमें आईसीआईसीआई बैंक, एचडीएफसी बैंक और एक्सिस बैंक की हिस्सेदारी सबसे अधिक है।
राजनीति
विपक्षी दलों ने की थी मतदाता सूची में गड़बड़ी की शिकायत तो अब एसआईआर का विरोध क्यों : संजय निरुपम

मुंबई, 2 दिसंबर: संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान विपक्ष एसआईआर का विरोध कर रहा है। शिवसेना के प्रवक्ता संजय निरुपम ने एसआईआर के विरोध को गलत बताया है। उन्होंने कहा कि विपक्षी दलों ने मतदाता सूची में गड़बड़ी की शिकायत की थी। अब इस विरोध का क्या मतलब है।
शिवसेना के प्रवक्ता संजय निरुपम ने मीडिया से बातचीत में कहा कि एसआईआर के खिलाफ विपक्ष का विरोध पूरी तरह से गलत है। यह एक सही और जरूरी काम है जिसके जरिए वोटर लिस्ट में गड़बड़ियों, नकली वोटरों और गैरकानूनी एंट्री की पहचान करके उन्हें हटाया जाता है। विपक्ष ने खुद भी वोटर लिस्ट में गलतियों के बारे में बार-बार शिकायतें की हैं और इसे एक बड़ा चुनावी मुद्दा भी बनाया है।
कभी कहते हैं जरूरत से ज्यादा वोट हैं तो कभी कहते हैं कि एक ही व्यक्ति के कई जगह वोट हैं और इसके आधार पर कहते हैं कि वोट चोरी हो रहे हैं।इसको बड़ा मुद्दा बनाते हुए वोटर अधिकार यात्राएं की जा रही हैं। जब आपको लगता है कि मतदाता सूची में अनियमितताएं हैं तो ऐसे में चुनाव आयोग को अधिकार है कि वह सूची का शुद्धीकरण करे।
इस दौरान सभी राजनीतिक दलों का कर्तव्य बनता है कि चुनाव आयोग का समर्थन करें। जिस तरह से संसद में विपक्ष एसआईआर का विरोध कर रहा है, ऐसे में वह अपने पैरों पर खुद कुल्हाड़ी मार रहा है, क्योंकि जन सामान्य को यह विरोध नागवार गुजरेगा।
कांग्रेस सांसद शशि थरूर के कांग्रेस मीटिंग में शामिल न होने पर संजय निरुपम ने कहा कि शशि थरूर के कांग्रेस की एक स्ट्रेटेजिक मीटिंग में शामिल न होने पर बेवजह हंगामा किया गया। थरूर ने पहले ही साफ कर दिया था कि वह शामिल नहीं हो सकते क्योंकि उन्हें उस समय अपनी मां के साथ रहना था।
थरूर कांग्रेस के काम करने के तरीके से नाखुश हैं और जब वह सत्ताधारी सरकार के अच्छे फैसलों की तारीफ करते हैं तो पार्टी अक्सर असहज महसूस करती है। लेकिन मुझे नहीं लगता कि किसी बैठक में नहीं जाना कोई बड़ा मुद्दा है। हालांकि यह शशि थरूर और कांग्रेस पार्टी का अंदरूनी विषय है, इस बारे में वहीं ठीक से समझ सकते हैं।
अंतरराष्ट्रीय समाचार
संयुक्त राष्ट्र के प्रमुख ने प्रशासनिक ढांचा बदलने का दिया प्रस्ताव, खर्चों में बड़ी कटौती का लक्ष्य

संयुक्त राष्ट्र, 2 दिसंबर: संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कामकाज को अधिक कुशल और कम खर्चीला बनाने के लिए एक बड़े प्रशासनिक सुधार की घोषणा की है। उन्होंने प्रस्ताव दिया है कि संयुक्त राष्ट्र सचिवालय की विभिन्न इकाइयों को अलग-अलग तरीके से मिलने वाली प्रशासनिक सेवाओं को अब एक कॉमन एडमिनिस्ट्रेटिव प्लेटफॉर्म के तहत जोड़ा जाए। इससे काम की गति बढ़ेगी और खर्चों में भारी कटौती होगी।
गुटेरेस ने संयुक्त राष्ट्र महासभा की पांचवीं समिति को बताया कि इसे न्यूयॉर्क और बैंकॉक स्टेशनों से शुरू किया जाएगा। उन्होंने 2026 के लिए प्रस्तावित प्रोग्राम बजट और 2025/26 की अवधि के लिए पीसकीपिंग ऑपरेशन के सपोर्ट अकाउंट से जुड़ी एक रिवाइज्ड एस्टिमेट रिपोर्ट पेश की
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने कहा कि अभी अलग-अलग इकाइयां एक जैसा काम करती हैं, जिससे समय और धन दोनों की अधिक खपत होती है। ये नया मॉडल हमारी दक्षता को काफी बढ़ाएगा।
यूएन प्रमुख ने पूरे यूएन सिस्टम की पेरोल प्रोसेसिंग को एक ग्लोबल टीम के तहत लाने का एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। यह टीम तीन प्रमुख केंद्रों से काम करेगी, जिनमें यूएन मुख्यालय (न्यूयॉर्क), रीजनल सर्विस सेंटर, एंटेब्बे (युगांडा) यूएन ऑफिस, नैरोबी (केन्या) शामिल हैं। इससे प्रक्रिया सरल होगी और खर्च भी कम होगा।
उन्होंने पेरोल प्रोसेसिंग को एक सिंगल ग्लोबल टीम में कंसॉलिडेट करने का भी प्रस्ताव रखा, जो तीन सेंटर्स — UN हेडक्वार्टर, एंटेबे में रीजनल सर्विस सेंटर और नैरोबी में यूनाइटेड नेशंस ऑफिस में काम करेगी।
इसके अलावा, गुटेरेस ने न्यूयॉर्क और जिनेवा में एंटिटीज द्वारा उन कामों की की व्यवस्थित समीक्षा करने का प्रस्ताव रखा, जिन्हें कम लागत वाले ड्यूटी स्टेशनों में प्रभावी ढंग से किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि यह हमारे कमर्शियल फुटप्रिंट को कम करने और लंबे समय में लागत में कमी लाने की एक बड़ी रणनीति का हिस्सा है।
यूएन प्रमुख के अनुसार, 2017 से न्यूयॉर्क में व्यावसायिक लीज खत्म करने और दफ्तरों के समेकन के जरिए यूएन सचिवालय ने 126 मिलियन डॉलर की बचत की है।
अब दो और इमारतों की लीज 2027 तक समाप्त की जाएगी, जिससे 2028 से हर साल 24.5 मिलियन डॉलर की अतिरिक्त बचत होने का अनुमान है।
गुटेरेस द्वारा पेश रिपोर्ट के अनुसार, यूएन का 2026 का नियमित बजट 3.238 बिलियन डॉलर प्रस्तावित है, जो 2025 की तुलना में 15.1 प्रतिशत कम है।
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