अपराध
बिहार में करमा पर्व पर नदी में स्नान करने गई 3 बच्चियों की डूबने से मौत
बिहार के बांका जिले के धोरैया प्रखंड में शुक्रवार को करमा पर्व के मौके पर नदी में स्नान करने गई तीन बच्चियों की गहरे पानी में डूबने से मौत हो गई। तीनों शव नदी से बरामद कर लिए गए हैं। पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि धोरैया प्रखंड के खड़ौधा जोठा पंचायत के पोठिया गांव की कुछ बच्चियां करमा पर्व के मौके पर पास के ही गहिरा नदी के सुंदरकुंड घाट पर स्नान करने गईं थी।
स्नान करने के क्रम में ही पांच बच्चियां गहरे पानी में उतर गईं और डूबने लगी। पास में ही स्नान कर रहे अन्य बच्चों द्वारा जब शोर मचाया गया तब गांव के लोग नदी में पहुंचे और दो बच्चों को किसी तरह बचा लिया गया लेकिन तीन लड़कियों का पता नहीं चल सका।
इसकी सूचना तत्काल प्रशासन को दी गई। धोरैया के अंचल अधिकारी (सीओ) अंशनाथ तिवारी ने आईएएनएस को बताया कि स्थानीय गोताखोरों की मदद से लापता तीनों बच्चियों का शव बरामद कर लिया गया है।
उन्होंने बताया कि मृतकों की पहचान उसमें कोमल कुमारी (12 वर्ष), इनू कुमरी (11 वर्ष) तथा अनुष्का कुमारी (12 वर्ष) के रूप में की गई है। उन्होंने बताया कि पुलिस ने तीनों शवों को अपने कब्जे में कर पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल भेज दिया है। घटना के बाद से ही गांव में मातम पसरा हुआ है तथा परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है।
उल्लेखनीय है कि गुरुवार को मधेपुरा जिला के चौसा थाना क्षेत्र में एक तालाब में डूबने से पांच बच्चों की मौत हो गई थी। सभी बच्चों की उम्र 10 से 12 वर्ष के बीच बताई गई।
बिहार में फिलहाल कई इलाकों में बारिश हो रही है जिससे नदियों का जलस्तर बढ़ा हुआ है।
अपराध
दिल्ली क्राइम ब्रांच ने आईएसआई से जुड़े हथियार गिरोह का किया भंडाफोड़, चार गिरफ्तार

नई दिल्ली, 22 नवंबर: दिल्ली क्राइम ब्रांच को एक बड़ी सफलता मिली है। पुलिस ने एक बड़ी कार्रवाई करते हुए पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई से जुड़े एक अंतरराष्ट्रीय हथियार तस्करी गिरोह का भंडाफोड़ करते हुए चार प्रमुख आरोपियों को गिरफ्तार किया है।
यह गिरोह पाकिस्तान के रास्ते तुर्की और चीन में बने हाई एंड पिस्टल भारत में सप्लाई कर रहा था। इन हथियारों का इस्तेमाल देश में सक्रिय गैंगस्टरों और अपराधी नेटवर्क द्वारा किया जा रहा था।
पुलिस की मानें तो जांच में खुलासा हुआ कि यह नेटवर्क पाकिस्तान से बड़े पैमाने पर आधुनिक हथियार भारत भेज रहा था। ये हथियार पहले पाकिस्तान में पहुंचाए जाते, फिर वहां से ड्रोन के जरिए पंजाब में ड्रॉप किए जाते थे। इसके बाद दिल्ली और आसपास के राज्यों में इन हथियारों की सप्लाई की जाती थी, जहां इन्हें अपराधियों और गैंगस्टरों तक पहुंचाया जाता था।
गिरफ्तार किए गए आरोपियों के कब्जे से 10 विदेशी महंगी पिस्टल और 92 जिंदा कारतूस बरामद किए गए। शुरुआती जांच में यह भी सामने आया है कि गिरफ्तार किए गए चार आरोपियों में से दो आरोपी पंजाब के रहने वाले हैं और पंजाब में तस्करी नेटवर्क से जुड़े लॉजिस्टिक सपोर्ट का काम देखते थे।
अधिकारियों का कहना है कि यह पूरा नेटवर्क पाकिस्तान आईएसआई के निर्देश और संरक्षण में काम कर रहा था। साथ ही, भारत की सीमा में अवैध हथियारों की तस्करी एक योजनाबद्ध रणनीति के तहत की जा रही थी। पुलिस की मानें तो यह नेटवर्क काफी समय से सक्रिय था और हथियारों की मांग बढ़ने के कारण गैंगस्टरों और अपराधियों को यह सप्लाई लगातार जारी थी।
क्राइम ब्रांच अब यह पता लगाने में जुटी हैं कि अब तक इस गिरोह ने भारत में कितने हथियार सप्लाई किए हैं और वे किन-किन आपराधिक गिरोहों या व्यक्तियों तक पहुंचे। इसके लिए पुलिस मोबाइल फोन रिकॉर्ड, बैंक लेनदेन, डिजिटल पेमेंट, सोशल मीडिया संपर्क और सीमाई इलाकों के नेटवर्क की गहन जांच कर रही है। इसके अलावा गिरोह के अन्य सदस्यों और अंतरराष्ट्रीय लिंक की पहचान के लिए भी पूछताछ जारी है।
अपराध
मुंबई: डिलीवरी बॉय ने महिला को भेजे अश्लील मैसेज, पुलिस ने दर्ज किया केस

मुंबई, 22 नवंबर: मुंबई के भायखला क्षेत्र में एक महिला को अज्ञात डिलीवरी बॉय द्वारा लगातार अश्लील संदेश भेजकर परेशान करने और धमकियां देने का गंभीर मामला सामने आया है। परेशान होकर पीड़िता ने भायखला पुलिस स्टेशन में आरोपी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है। शिकायत के सामने आने के बाद पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है और आरोपी की तलाश में जुट गई है।
शिकायत के अनुसार, 23 सितंबर को परिनाज नाम की महिला ने एक ऑनलाइन ऐप के माध्यम से घर का किराना सामान ऑर्डर किया था। शाम करीब 4 बजे एक डिलीवरी बॉय सामान लेकर उनके घर पहुंचा। लेकिन ऑर्डर का कुछ सामान उपलब्ध न होने पर उसने रिफंड लेकर लौटने का बहाना बनाते हुए महिला से उनका मोबाइल नंबर ले लिया। अगले दिन उसी नंबर से कॉल कर उसने रिफंड की जानकारी दी, जिसे महिला ने एक सामान्य कॉल समझकर धन्यवाद कहा। इसके बाद आरोपी ने महिला को परेशान करना शुरू कर दिया।
पीड़िता के अनुसार, डिलीवरी बॉय ने उनका व्हॉट्सऐप नंबर सेव कर अश्लील संदेश भेजना शुरू कर दिया। महिला ने इन संदेशों का कोई जवाब नहीं दिया और मामले की जानकारी अपने पति को दी। महिला के परिजनों ने आरोपी को चेतावनी भी दी, लेकिन इसके बाद भी वह नहीं रुका। 28 सितंबर को उसने फिर से अश्लील मैसेज भेजे और विरोध के बावजूद अपनी हरकतें जारी रखीं। इसके बाद परिजनों ने उसे सख्त चेतावनी दी कि यदि उसने दोबारा संदेश भेजा तो पुलिस में शिकायत दर्ज की जाएगी। इस पर आरोपी ने नंबर ब्लॉक करने का दावा किया और अपने गांव जाने का बहाना बनाया।
हालांकि, इसके बाद भी मामला खत्म नहीं हुआ। 19 नवंबर को आरोपी ने एक नए नंबर से फिर महिला को व्हॉट्सऐप संदेश भेजे और इस बार उसे अकेले मिलने का प्रस्ताव रखा। जब महिला ने दोबारा उसे चेतावनी दी, तो आरोपी ने धमकी देना शुरू कर दिया। लगातार छेड़छाड़, पीछा करने और धमकियों से परेशान होकर परिनाज ने पुलिस से मदद लेने का फैसला किया।
भायखला पुलिस ने इस पूरे मामले में एफआईआर दर्ज कर ली है और आरोपी की तलाश शुरू कर दी है। पुलिस आरोपी को जल्द गिरफ्तार करने का दावा कर रही है।
अपराध
मुंबई अपराध: माहिम स्थित सरस्वती मंदिर एजुकेशन ट्रस्ट में 75.5 लाख रुपये की सीबीएसई संबद्धता धोखाधड़ी के लिए पूर्व ट्रस्टी और सचिव पर मामला दर्ज

मुंबई: माहिम पुलिस ने सरस्वती मंदिर एजुकेशन ट्रस्ट, सेनापति बापट रोड, माहिम (पश्चिम) के पूर्व और वर्तमान पदाधिकारियों के साथ-साथ दो निजी कंसल्टेंसी फर्मों के मालिक के खिलाफ कथित तौर पर कक्षा 9 और 10 के लिए सीबीएसई संबद्धता हासिल करने के लिए 75.50 लाख रुपये एकत्र करने और धोखाधड़ी करने के आरोप में प्राथमिकी दर्ज की है।
आरोपियों की पहचान 69 वर्षीय पूर्व और वर्तमान सचिव संजय काशीनाथ सुखतनकर, 67 वर्षीय पूर्व समिति सदस्य मंगेश नारायण राजाध्यक्ष, 77 वर्षीय पूर्व ट्रस्टी अनिल पई कोकड़े, 79 वर्षीय पूर्व अध्यक्ष विनय भगवंत रेगे और परिभाषा एजुकेशनल सर्विसेज और शाश्वत सॉल्यूशंस की मालिक 43 वर्षीय अनुपमा खेतान के रूप में की गई है।
एफआईआर के अनुसार, शिकायतकर्ता 71 वर्षीय डॉ. मनोहर संजीव कामत, जो एक चिकित्सक और संस्थान के पूर्व उपाध्यक्ष (2015-2020) हैं, ने आरोप लगाया है कि स्कूल प्रबंधन ने लगभग एक दशक पहले सीबीएसई सेक्शन शुरू करने का फैसला किया और इसके लिए एक स्कूल भवन आरक्षित कर दिया। राज्य सरकार की अनुमति से कक्षा 8 तक कक्षाएं संचालित की गईं, लेकिन कक्षा 9 और 10 के लिए सीबीएसई से संबद्धता अनिवार्य है।
2018 में, जब पहला बैच कक्षा 8 में पहुँचा, तो सीबीएसई संबद्धता के लिए आवेदन जमा किया गया था। हालाँकि, बाद में समिति के कुछ सदस्यों ने दावा किया कि स्कूल सीबीएसई के बुनियादी ढाँचे के मानदंडों को पूरा नहीं करता है, जिससे अनुमोदन की संभावना कम हो गई है।
प्रबंधन समिति के दो सदस्यों मंगेश नारायण राजाध्यक्ष और मोहन नेरुलकर ने ट्रस्टी अनिल पई काकोड़े के साथ मिलकर बोर्ड को कथित तौर पर सूचित किया कि परिभाषा एजुकेशनल सर्विसेज और शाश्वत सॉल्यूशंस की मालिक अनुपमा खेतान, सीबीएसई संबद्धता हासिल करने में अनुभवी एक “एजेंट” होने के कारण, अनुमोदन में “सहायता” प्रदान कर सकती हैं। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि सीबीएसई के वरिष्ठ अधिकारियों को रिश्वत देनी पड़ सकती है।
तत्कालीन सचिव संजय सुखतंकर ने कथित तौर पर इस प्रस्ताव का समर्थन किया था। उनकी सिफ़ारिश पर, प्रबंधन ने कथित तौर पर खेतान को 30 लाख रुपये का चेक जारी किया, जिसे लेखा और लेखा परीक्षा के उद्देश्यों के लिए एक समझौता ज्ञापन के माध्यम से औपचारिक रूप दिया गया। छह महीने बाद, खेतान ने कथित तौर पर संबद्धता प्रक्रिया के लिए कागजी कार्रवाई शुरू की और सीबीएसई निरीक्षण अधिकारियों के दौरे की व्यवस्था की।
बाद में, उन्होंने कथित तौर पर “सेवा शुल्क” के रूप में चेक के माध्यम से 30 लाख रुपये और नकद में 15 लाख रुपये की अतिरिक्त मांग की। समिति के सदस्यों ने डॉ. कामत को सूचित किया कि ये भुगतान स्वीकृत हो गए हैं, और 17 अगस्त 2020 को प्रबंधन बैठक के कार्यवृत्त में उन्हें 15 लाख रुपये नकद भुगतान करने का निर्णय दर्ज किया गया। हालाँकि, ऑडिट रिपोर्ट में ऐसी कोई प्रविष्टि नहीं दिखाई दी, जिससे पता चलता है कि नकद भुगतान खातों से बाहर किया गया था।
इन भुगतानों के बावजूद, मार्च 2022 में, सीबीएसई ने स्कूल के संबद्धता अनुरोध को औपचारिक रूप से अस्वीकार कर दिया। दिसंबर 2021 में एक नव-नियुक्त समिति ने भी मामले की समीक्षा की और पुनः आवेदन किया, लेकिन सफलता नहीं मिली।
फरवरी 2022 में, खेतान को बातचीत के लिए बुलाया गया, जिसमें यह बात सामने आई कि उन्होंने संस्था से कथित तौर पर कुल 75 लाख रुपये लिए थे, लेकिन कोई ठोस काम नहीं किया गया। डॉ. कामत ने नए प्रबंधन को लिखित शिकायत देकर भ्रष्टाचार और धन के दुरुपयोग की जाँच की माँग की। जब कोई कार्रवाई नहीं हुई, तो उन्होंने माहिम पुलिस और चैरिटी कमिश्नर से संपर्क किया।
चैरिटी कमिश्नर द्वारा शुरू किए गए निरीक्षण के बाद, जाँच अधिकारी ने पाया कि ऑडिट रिपोर्ट में 21.60 लाख रुपये (2019-20) और 53.92 लाख रुपये (2020-21) “पेशेवर शुल्क” के रूप में दर्ज किए गए थे। चूँकि जाँच अधिकारी ऑडिट विशेषज्ञ नहीं होते, इसलिए शिकायतकर्ता को उचित कानूनी माध्यमों से विशेष ऑडिट कराने की सलाह दी गई।
डॉ. कामत की शिकायत और उसके बाद के निष्कर्षों के आधार पर, माहिम पुलिस ने आरोपी पदाधिकारियों और अनुपमा खेतान के खिलाफ आईपीसी की धारा 406 (आपराधिक विश्वासघात), 420 (धोखाधड़ी) और 34 (साझा इरादा) के तहत मामला दर्ज किया है। मामले की जाँच जारी है।
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