राजनीति
26/11 मुंबई हमले की सालगिरह: 17 साल बाद भी, आईएसआई की भूमिका, लश्कर-ए-तैयबा से संबंध और संभावित स्थानीय समर्थन पर सवाल बरकरार हैं
मुंबई, 25 नवंबर: पाकिस्तानी आतंकवादी अजमल कसाब और उसके आतंकवादी साथियों द्वारा मुंबई में किए गए नरसंहार को 17 साल हो गए हैं, जिसमें 175 लोग मारे गए थे और 300 अन्य घायल हुए थे। इसमें कोई दो राय नहीं कि यह ऑपरेशन पाकिस्तान की इंटर सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) की ‘एस’ शाखा द्वारा रचा गया था, जो अपने क्रूर युद्ध को कश्मीर के दायरे से बाहर फैलाना चाहती थी।
भारतीय सुरक्षा प्रतिष्ठान द्वारा संकलित 69 पृष्ठों का डोजियर आईएसआई की अपने प्रॉक्सी, लश्कर-ए-तैयबा के माध्यम से सक्रिय भूमिका का व्यापक प्रमाण देता है, जो ओसामा बिन लादेन के अलकायदा के साथ घनिष्ठ रूप से जुड़ा हुआ था।
ब्रिटिश खोजी पत्रकार कैथी स्कॉट-क्लार्क और एड्रियन लेवी ने अपनी पुस्तक द एक्साइल में दावा किया है कि “2008 में, लश्कर-ए-तैयबा के नेता हाफिज सईद के दो पूर्व सहयोगियों के अनुसार, ओसामा 26 नवंबर, 2008 के मुंबई ऑपरेशन के लिए एक असाधारण बैठक में भाग लेने के लिए मनशेरा (खैबर पख्तूनख्वा में एक शहर) गया था… इसे लश्कर द्वारा सुगम बनाया गया था, आईएसआई की एस-विंग द्वारा देखरेख की गई थी और अल कायदा द्वारा प्रायोजित किया गया था।”
जाहिर है, ओसामा के खिलाफ अमेरिकी कमांडो अभियान के बाद के दस्तावेजों से पता चला है कि हाफिज सईद ओसामा की मौत तक उसके साथ निकट संपर्क में था।
3 अगस्त 2015 को पाकिस्तानी संघीय जांच एजेंसी (एफआईए) के पूर्व प्रमुख तारिक खोसा ने कराची के डॉन अखबार में एक लेख में स्वीकार किया कि दस आतंकवादी लश्कर के सदस्य थे और इस बात के फोरेंसिक सबूत हैं कि उन्हें सिंध प्रांत में स्थित एक शिविर में प्रशिक्षण मिला था।
हालाँकि, आज तक पाकिस्तान ने लश्कर और उसके संचालकों मेजर इकबाल और साजिद मजीद तथा अन्य के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है, जिन्हें इस्लामाबाद ने “गैर-राज्यीय अभिनेता” बताया है, लेकिन जो 26/11 के शैतानी हमले को अंजाम देने के लिए पूरी तरह प्रशिक्षित, प्रायोजित और नियुक्त किए गए हैं।
इससे यह सवाल उठता है कि क्या कसाब और उसके साथियों द्वारा मुंबई के भीतर से किसी के समर्थन के बिना इस बेहद सुनियोजित ऑपरेशन को अंजाम दिया जा सकता था। दुर्भाग्य से, इस पहलू की पूरी तरह से पड़ताल नहीं की गई है। सूत्रों ने बताया कि दाऊद इब्राहिम गिरोह, जिसने 1993 में मुंबई में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों में सक्रिय भूमिका निभाई थी, ने 2008 के ऑपरेशन को अंजाम देने में लश्कर के साथ मिलकर काम किया था।
दाऊद इब्राहिम के गुर्गों ने, जो गोदी में सक्रिय रूप से मादक पदार्थों, डीज़ल और अन्य वस्तुओं की तस्करी करते हैं, कसाब और उसके साथियों को मुंबई के तट पर गश्त कर रहे भारतीय तटरक्षक बल के जहाजों से बचने और कोलाबा के बधवार पार्क के सामने मछुआरों की बस्ती में एक सटीक जगह पर उतरने में मदद की थी। और उसके बाद, स्थानीय गुर्गों ने आतंकवादियों को कैफ़े लियोपोल्ड, चबाड हाउस, द ताज, सीएसटी रेलवे स्टेशन और अन्य ठिकानों तक पहुँचाया।
जिस आसानी से आतंकवादी कई ठिकानों पर हमला करने में कामयाब रहे, उससे पता चलता है कि उन्हें स्थानीय स्तर पर व्यापक मदद मिली थी। यह सच है कि उनके एक अमेरिकी सहयोगी डेविड हेडली ने ठिकानों की व्यापक रेकी की थी। लेकिन सिर्फ़ यही बात 26/11 की खूनी रात को हिंसक कार्रवाई को अंजाम देने के लिए काफ़ी नहीं होती।
महाराष्ट्र
कल्याण कॉलेज नमाज़ विवाद: SIO ने दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की

SIO ने मुंबई के कल्याण कॉलेज में नमाज़ पढ़ने पर बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद की गुंडागर्दी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। इधर, SIO के स्टेट सेक्रेटरी अज़ीज़ अहमद ने कहा कि कल्याण के आइडियल कॉलेज ऑफ़ फार्मेसी एंड रिसर्च में हुई घटना बहुत निंदनीय और अस्वीकार्य है, जहाँ बजरंग दल से जुड़े गुंडों ने कॉलेज कैंपस में घुसकर, नमाज़ पढ़ने वाले मुस्लिम स्टूडेंट्स को धमकाया और परेशान किया और यहाँ तक कि उन्हें छत्रपति शिवाजी महाराज की मूर्ति के सामने बैठाने की कोशिश की। यह घटना धार्मिक आज़ादी और एकेडमिक कैंपस की पवित्रता पर सीधा हमला है।
SIO इस घटना की कड़ी निंदा करता है और प्रभावित स्टूडेंट्स के साथ पूरी एकजुटता दिखाता है। हम महाराष्ट्र सरकार और पुलिस से मांग करते हैं कि वे जल्द से जल्द आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करें, कॉलेज एडमिनिस्ट्रेशन स्टूडेंट्स की सुरक्षा सुनिश्चित करे और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए। हम पूरे स्टूडेंट कम्युनिटी से अपील करते हैं कि वे धार्मिक सद्भाव बनाए रखें और ऐसे सांप्रदायिक रवैये के खिलाफ एकजुट रहें और मजबूत एकजुटता दिखाएं।
राष्ट्रीय समाचार
सीबीआई की बड़ी कार्रवाई: ईएसआईसी के दो अधिकारियों को 50 हजार रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ा

CRIME
विजयवाड़ा, 26 नवंबर: केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआईसी) विजयवाड़ा के दो अधिकारियों को रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया।
गिरफ्तार आरोपियों में रेवेन्यू रिकवरी ऑफिसर (आरआरओ) और सोशल सिक्योरिटी ऑफिसर (एसएसओ) का नाम शामिल है। दोनों ने एक शख्स से 50 हजार रुपये की रिश्वत मांगी थी।
सीबीआई के मुताबिक, मामला 2020 का है। शिकायतकर्ता ने फूड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (एफसीआई) के टेंडर में हिस्सा लेने के लिए एक प्रोप्राइटरशिप फर्म शुरू की थी और उसे ईएसआईसी में रजिस्टर भी कराया था। तकनीकी वजहों से एफसीआई ने उसकी फर्म को तीन साल के लिए डिबार कर दिया, जिससे वह कोई ठेका नहीं ले सका।
20 नवंबर 2025 को दोनों ईएसआईसी अधिकारी शिकायतकर्ता के घर पहुंचे और उसका घर कुर्क करने का नोटिस थमा दिया। साथ ही कहा कि अगर 31 दिसंबर 2025 तक कुर्की और नीलामी की कार्रवाई रोकनी है, तो 50 हजार रुपये देने होंगे, जिसमें 30 हजार आरआरओ के लिए और 20 हजार एसएसओ खुद के लिए मांगे।
शिकायत मिलते ही सीबीआई ने 25 नवंबर को केस दर्ज किया और अगले ही दिन जाल बिछाया। सोशल सिक्योरिटी ऑफिसर को जैसे ही शिकायतकर्ता से 50 हजार रुपये की रिश्वत लेते देखा गया, सीबीआई की टीम ने उसे धर दबोचा। इसके बाद रेवेन्यू रिकवरी ऑफिसर को भी गिरफ्तार कर लिया गया।
दोनों को आज विजयवाड़ा में सीबीआई के स्पेशल जज कोर्ट में पेश किया जाएगा। आरोपियों के ठिकानों पर तलाशी अभी जारी है। सीबीआई के एक अधिकारी ने बताया कि यह कार्रवाई भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति का हिस्सा है। आम लोगों को परेशान कर रिश्वत मांगने वालों पर अब कड़ी नजर रखी जा रही है।
राष्ट्रीय समाचार
केरल, पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु में एसआईआर पर सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से मांगा जवाब

SUPRIM COURT
नई दिल्ली, 26 नवंबर: सुप्रीम कोर्ट में केरल, पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) से जुड़े मामलों को लेकर सुनवाई जारी है। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच सुनवाई कर रही है।
केरल में एसआईआर के खिलाफ दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से विस्तृत जवाब मांगा है। कोर्ट ने आयोग को निर्देश दिया कि वह इस मामले में अलग से स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करे।
कोर्ट ने कहा कि चूंकि केरल में अभी स्थानीय निकायों के चुनाव चल रहे हैं, इसलिए मतदाता सूची पुनरीक्षण (एसआईआर) प्रक्रिया को टालने की मांग पर बिना आयोग को सुने कोई आदेश नहीं दिया जा सकता। चुनाव आयोग को 1 दिसंबर तक जवाब दाखिल करने को कहा गया है। इस मामले की अगली सुनवाई 2 दिसंबर को होगी।
पश्चिम बंगाल में भी एसआईआर प्रक्रिया को चुनौती दी गई है। इस मामले में भी सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को 1 दिसंबर तक जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए। पश्चिम बंगाल से जुड़े मामले की अगली सुनवाई 9 दिसंबर को तय की गई है। राज्य की ओर से पेश वकील कल्याण बनर्जी ने दावा किया कि एसआईआर प्रक्रिया के दौरान अत्यधिक दबाव के कारण अब तक 23 बीएलओ की मौत हो चुकी है।
तमिलनाडु में एसआईआर से जुड़े मामले की सुनवाई 4 दिसंबर को होगी। कोर्ट ने कहा कि तीनों राज्यों के मामलों में चुनाव आयोग की राय सुने बिना कोई रोक लगाने जैसा आदेश पारित नहीं किया जाएगा।
चुनाव आयोग की ओर से वरिष्ठ वकील राकेश द्विवेदी ने बताया कि यह मामला पहले मद्रास हाईकोर्ट में भी गया था, जहां स्टेट इलेक्शन कमीशन ने कहा था कि उन्हें एसआईआर प्रक्रिया से कोई दिक्कत नहीं है। उन्होंने बताया कि 99 फीसदी वोटरों को फॉर्म मिल चुके हैं और 50 फीसदी से अधिक डेटा डिजिटाइज हो चुका है। राकेश द्विवेदी ने आरोप लगाया कि कुछ राजनीतिक दल इस मुद्दे पर लोगों में अनावश्यक भय पैदा कर रहे हैं।
इधर, याचिकाकर्ता की ओर से एडवोकेट प्रशांत भूषण ने कहा कि एसआईआर प्रक्रिया बहुत जल्दबाजी में चलाई जा रही है और बीएलओ पर अत्यधिक दबाव है। उन्होंने दावा किया कि असम में लागू फॉर्म की पद्धति की पूरे देश में कोई आवश्यकता नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट अब सभी राज्यों और चुनाव आयोग की प्रतिक्रिया के बाद अगली सुनवाई में आगे की दिशा तय करेगा।
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