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Friday,28-November-2025
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कोरोना नियंत्रण में नहीं रहा तब रद्द हो सकती है 10वीं की परीक्षा : येदियुरप्पा

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कर्नाटक के शिक्षा मंत्री एस. सुरेश कुमार की इस घोषणा के बाद कि राज्य बोर्ड की कक्षा 10 (एसएसएलसी) की परीक्षाएं जुलाई के तीसरे सप्ताह में आयोजित की जाएंगी, के कुछ ही घंटे बाद ही मुख्यमंत्री बी.एस. येदियुरप्पा ने साफ कर दिया कि अगर जुलाई में कोरोना को लेकर हालात पूरी तरह नियंत्रण में नहीं रहे तो परीक्षा रद्द की जा सकती है। येदियुरप्पा महामारी की तैयारियों का जायजा लेने के लिए बेलगावी और धारवाड़ जिलों के एक दिवसीय दौरे पर हैं। उन्होंने संवाददाताओं से कहा कि एसएसएलसी परिक्षार्थियों और उनके माता-पिता को परीक्षा की तारीख की घोषणा से घबराने की जरूरत नहीं है।

मुख्यमंत्री ने कहा, जैसा कि मंत्री पहले ही कह चुके हैं कि एसएसएलसी परीक्षा में बैठने वाले किसी भी छात्र को फेल नहीं किया जाएगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि इस महत्वपूर्ण साल की परीक्षाएं भी तभी संचालित की जाएंगी जब कोरोना की स्थिति पूरी तरह नियंत्रण में आ जाएगी।

बेलगावी में समीक्षा बैठक के दौरान,मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार कोविड देखभाल अस्पताल के रूप में नामित किए गए बेलगावी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (बीआईएमएस) के मामलों की निगरानी के लिए एक प्रशासक नियुक्त करेगी।

इस बीच, स्वास्थ्य मंत्री के. सुधाकर ने कहा कि अब से गंभीर तीव्र श्वसन संक्रमण (एसएआरआई) से मरने वालों को राज्य सरकार कोविड की मौत मानेगी और उन्हें कोविड राहत पैकेज प्रदान करेंगी।

राजनीति

मध्य प्रदेश में खाद की लाइन में लगी महिला की मौत, प्रायोजित हत्या : कमलनाथ

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भोपाल, 28 नवंबर : मध्य प्रदेश के गुना जिले में खाद की लाइन में लगी एक आदिवासी महिला की ठंड लगने से हुई कथित मौत के मामले में कांग्रेस ने सरकार पर हमला बोला है। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने महिला की मौत को सरकार की लापरवाही से प्रायोजित हत्या करार दिया है।

दरअसल, गुना जिले के बमोरी के बगेरा डबल लॉक खाद वितरण केंद्र पर यूरिया लेने के लिए कतार में लगी भूरी बाई नामक महिला की रात में मौत हो गई। आदिवासी महिला की मौत पर सियासत तेज हो गई है।

पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा है कि मध्यप्रदेश में खाद के लिए भटकती एक आदिवासी महिला किसान भूरी बाई की मौत कोई साधारण हादसा नहीं, बल्कि सरकार की लापरवाही से हुई प्रायोजित हत्या है। भूरी बाई तीन दिनों तक लगातार खाद की लाइन में लगी। कभी मशीन खराब मिलती, कभी अधिकारी गायब रहते, कभी सिस्टम बंद बताया जाता।

उन्होंने कहा कि भूख, ठंड और थकान से उनकी हालत लगातार बिगड़ती रही, लेकिन न सरकार ने एम्बुलेंस की व्यवस्था की, न समय पर उपचार मिला। जब उनके परिवार वाले रात में उन्हें अस्पताल ले जा पाए, तब तक बहुत देर हो चुकी थी। यह मृत्यु नहीं, बल्कि एक ऐसी व्यवस्था का नतीजा है जिसे सरकार ने खुद बनाया और किसानों पर थोप दिया है। कड़कड़ाती ठंड में किसान जमीन पर लेटकर रातें गुजारने को मजबूर हैं। असली किसान लाइन में ठिठुर रहा है और सत्ता सिर्फ बयानबाजी में व्यस्त है।

कमलनाथ ने प्रशासन के रवैये की आलोचना करते हुए कहा कि सबसे दर्दनाक सच्चाई यह है कि प्रशासन तभी जागता है जब कोई किसान मर जाता है। भूरी बाई की मौत के बाद अचानक सिस्टम चल पड़ा। रात में मशीनें ठीक हो गईं, और सुबह साढ़े छह बजे तक खाद वितरण शुरू कर दिया गया। यह साबित करता है कि किसानों की मौतें इस सरकार के लिए चेतावनी का अलार्म बन चुकी हैं। सरकार वही काम करती है जो उसे पहले करना चाहिए था, लेकिन तब करती है जब किसी की जान चली जाती है।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री ने सरकार की नीयत पर सवाल उठाते हुए कहा, “असलियत यह है कि खाद की कमी वास्तविक कमी नहीं है। कमी सिर्फ नीयत की है। प्रदेश में खाद मौजूद है, लेकिन उसे किसानों तक पहुंचने से पहले रोक दिया जाता है। माफिया, दलाल और कुछ अधिकारी मिलकर खाद को मुनाफे का साधन बना चुके हैं। गोदामों में बोरी छिपाकर रखी जाती है और बाजार में कालाबाजारी से बेची जाती है। इस पूरे खेल में किसान सिर्फ पीड़ित नहीं, बल्कि एक बलि का बकरा बन गया है।”

किसानों की मौत की चर्चा करते हुए कमलनाथ ने कहा, “यह संकट सिर्फ खाद का संकट नहीं है, यह मानवीय संवेदनाओं का संकट है। मध्य प्रदेश में किसान बार-बार मर रहे हैं, कभी कर्ज से, कभी खाद की लाइन में, कभी सरकारी उपेक्षा के कारण। लेकिन सरकार की संवेदनशीलता शून्य बनी हुई है।

उन्होंने कहा कि भूरी बाई सिर्फ खाद लेने नहीं गई थीं, वे अपना जीवन, अपनी इज्जत और किसान का अधिकार मांगने गई थीं। लेकिन सरकार ने उन्हें लाइन में खड़ा रखकर उनकी जान ले ली। यह केवल एक प्रशासनिक विफलता नहीं, बल्कि एक तंत्र द्वारा की गई हत्या है। और जब सरकार किसानों की मौत पर भी मौन रहे, तो वही मौन उसकी सहमति साबित करता है।

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राजनीति

कर्नाटक के उडुपी में पीएम मोदी का मेगा रोड शो, प्रधानमंत्री बनने के बाद पहला दौरा

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बेंगलुरु, 28 नवंबर : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को कर्नाटक के उडुपी में कई प्रोग्राम में हिस्सा लेने के लिए पहुंचे हैं। जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का रोड शो शुरू हुआ। हजारों लोग सड़कों पर खड़े नजर आए, जो काफिले के गुजरने पर खुशी मना रहे थे। जुलूस का रास्ता भगवा झंडों, झंडियों और बैरिकेड्स से ढका हुआ था।

पीएम मोदी 14 साल बाद उडुपी पहुंचे हैं। इससे पहले वे उडुपी तब आए थे, जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे। गवर्नर थावरचंद गहलोत, राज्यसभा सदस्य और धर्माधिकारी वीरेंद्र हेगड़े, शहरी विकास मंत्री बिरथी सुरेश और भाजपा के स्टेट प्रेसिडेंट बीवाई विजयेंद्र धार्मिक प्रोग्राम में हिस्सा लेंगे।

इस दौरान कल्चरल परफॉर्मेंस देखने के लिए तीन व्यूइंग पॉइंट बनाए गए हैं। पांच किलोमीटर के दायरे में दुकानें और कमर्शियल जगहें बंद कर दी गई हैं।

प्रधानमंत्री उडुपी में होने वाले ‘लक्षकंठ गीता’ सामूहिक जाप प्रोग्राम में हिस्सा ले रहे हैं। वह माधवा सरोवर जाएंगे, भगवान के दर्शन करेंगे और एक खास पूजा करेंगे। प्रधानमंत्री मठ में दिव्य ‘कनकना किंडी’ के लिए ‘कनक कवच’ (सोने का आवरण) का अनावरण करेंगे।

कनकना किंडी की कहानी 16वीं सदी के कवि-संत कनकदास से जुड़ी है, जिन्हें उनकी नीची जाति के कारण उडुपी श्री कृष्ण मंदिर में एंट्री नहीं दी गई थी। बाहर से प्रार्थना करते हुए, उनकी गहरी भक्ति ने मंदिर में भगवान कृष्ण की मूर्ति को हिला दिया, जो चमत्कारिक रूप से घूमकर उनकी ओर मुड़ गई थी।

दीवार में एक दरार आ गई जिससे कनकदास भगवान को देख पाए। इस जगह को बाद में एक छोटी खिड़की बना दिया गया, जिसका नाम कनकना किंडी रखा गया।

मंदिर जाने के बाद प्रधानमंत्री मोदी ऐतिहासिक गीता पाठ कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे, जहां 1 लाख से ज्यादा लोग (जिनमें छात्र, साधु, विद्वान और अलग-अलग तरह के लोग शामिल हैं) एक आवाज में भगवद गीता का पाठ करेंगे। वह इकट्ठा हुए लोगों को संबोधित भी करेंगे।

किसी भी अनहोनी को रोकने के लिए उडुपी शहर और उसके आसपास 3,000 से ज्यादा पुलिसवालों को तैनात किया गया है। बैरिकेड्स की दो लेयर लगाई गई हैं। एक पुलिस सुरक्षा के लिए और दूसरी आम लोगों के लिए।

पीएम का पद संभालने के बाद यह प्रधानमंत्री मोदी का श्री कृष्ण मठ का पहला दौरा है।

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राष्ट्रीय समाचार

दिल्ली में एक्यूआई पहुंचा 385 के पार, डॉक्टरों ने लोगों को दी ये सलाह

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नई दिल्ली, 28 नवंबर : दिल्ली में शुक्रवार को एक बार फिर से वायु प्रदूषण देखने को मिल रहा है। वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 385 दर्ज किया गया है, जो “बहुत खराब” श्रेणी का माना जाता है। दिल्ली-एनसीआर में ठंड से जूझ रहे लोगों को वायु प्रदूषण से राहत नहीं मिल रही है।

प्रदूषण में यह बढ़ोतरी अधिकारियों द्वारा ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (जीआरएपी) स्टेज-III की पाबंदियों को हटाने के ठीक एक दिन बाद हुई है, जिन्हें गंभीर प्रदूषण लेवल को रोकने के लिए लागू किया जाता है। हालांकि, यह राहत ज्यादा देर तक नहीं रही, क्योंकि हवा एक बार फिर तेजी से खराब हो गई। गुरुवार को शहर का कुल एक्यूआई तेजी से बढ़कर 377 हो गया, जो पिछले दिन 327 था, जिससे 24 घंटे के अंदर हवा की गुणवत्ता में काफी गिरावट आई।

बिगड़ते हालात के बावजूद वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने साफ किया है कि स्टेज-III की रोक तभी फिर से लगाई जाएगी, जब एक्यूआई 400 को पार कर जाएगा, जो “गंभीर” श्रेणी में आता है। तब तक अधिकारी ज्यादा सख्त रोक लगाए बिना हालात पर नजर रखने की योजना बना रहे हैं।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अनुसार, हवा की रफ्तार लगातार कम रहने की वजह से गुरुवार को पूरे दिन प्रदूषण लेवल लगातार बढ़ता रहा। सुबह 8 बजे वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 351 रिकॉर्ड किया गया, जो शाम 7 बजे तक बढ़कर 381 हो गया।

मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि दिन में ज्यादा समय हवा लगभग रुकी हुई रही, सिर्फ 4-5 किलोमीटर प्रतिघंटा की थोड़ी-बहुत रफ्तार से हवा चली, जो प्रदूषण को फैलाने के लिए काफी नहीं थी। अनुमान बताते हैं कि अगले कुछ दिनों तक राष्ट्रीय राजधानी “बहुत खराब” श्रेणी में ही रहेगी।

इस बीच, दिल्ली और आसपास के शहरों में चल रही ठंडी हवाएं संकट को और बढ़ा रही हैं। कम तापमान, कोहरा और ज्यादा प्रदूषण लोगों की सेहत के लिए खराब कर रहे हैं।

दिल्ली-एनसीआर और उत्तर भारत के कई शहरों में तापमान कम से कम 8 से 12 डिग्री सेल्सियस तक गिर गया है। सुबह से ही शहर में धुंध की एक मोटी परत छाई हुई थी और शाम को यह वापस आ गई, जिससे सड़कों पर विजिबिलिटी काफी कम हो गई।

डॉक्टरों ने चेतावनी दी है कि ऐसी प्रदूषित हवा में सांस लेने के गंभीर नतीजे हो सकते हैं, खासकर बच्चों, बुजुर्गों और सांस या दिल की बीमारियों वाले लोगों के लिए। वे लोगों को सलाह देते हैं कि वे जितना हो सके घर के अंदर रहें। ज्यादा मेहनत वाली बाहरी एक्टिविटीज से बचें और सिर्फ जरूरी होने पर ही घर से निकलें।

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