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Sunday,21-December-2025
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सोने और चांदी की कीमतों में गिरावट, जानें मार्केट में आज की कीमत

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मुंबई, 18 दिसंबर: घरेलू वायदा बाजार में गुरुवार सुबह सोने और चांदी की कीमतों में गिरावट देखी गई। यह गिरावट हाल में आई रैली के बाद आई है, जिसमें इन कीमती धातुओं की कीमतें रिकॉर्ड ऊंचाइयों तक पहुंच गई थीं। निवेशकों ने अब प्रॉफिट बुकिंग शुरू कर दी, जिससे इनकी कीमतों में गिरावट देखने को मिली।

गोल्ड और सिल्वर की कीमतों पर अमेरिकी डॉलर की हल्की बढ़ोतरी और अमेरिका के महंगाई डाटा के पहले की सतर्कता का असर पड़ा।

आज के शुरुआती कारोबार में एमसीएक्स (मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज) पर फरवरी कॉन्ट्रैक्ट वाला गोल्ड 0.20 प्रतिशत की गिरावट के साथ 1,34,619 रुपए प्रति 10 ग्राम पर ट्रेड करते नजर आया।

मार्केट एक्सपर्ट्स के अनुसार, गोल्ड को 1,33,850 से 1,33,110 रुपए के बीच सपोर्ट मिल रहा है, जबकि रेजिस्टेंस लेवल 1,35,350 से 1,35,970 रुपए के बीच है। वहीं, सिल्वर के लिए सपोर्ट 2,05,650 से 2,03,280 रुपए के बीच है, जबकि रेजिस्टेंस लेवल 2,08,810 से 2,10,270 रुपए के बीच है।

पिछले सत्र में गोल्ड और सिल्वर की कीमतों में काफी बढ़ोतरी हुई थी। बुधवार को एमसीएक्स पर फरवरी कॉन्ट्रैक्ट्स वाला गोल्ड 0.36 प्रतिशत की तेजी के साथ 1,34,894 रुपए प्रति 10 ग्राम पर बंद हुआ, तो वहीं सिल्वर की कीमत 2,07,435 रुपए प्रति किलोग्राम पर पहुंच गई, जिसमें 4.9 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई। इस दौरान सिल्वर ने 2,07,833 रुपए तक की रिकॉर्ड ऊंचाई भी छुई।

अब निवेशक अमेरिका के नवंबर महीने के कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (सीपीआई) डाटा का इंतजार कर रहे हैं, जो गुरुवार को जारी होगा। इसके अलावा शुक्रवार को पर्सनल कंजम्पशन एक्सपेंडिचर (पीसीई) डाटा भी आएगा, जो महंगाई की दर को मापेगा। ये आंकड़े भविष्य में अमेरिका के फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में बदलाव के उम्मीदों को प्रभावित कर सकते हैं।

एक्सपर्ट्स का मानना है कि अगर महंगाई के आंंकड़े बाजार की उम्मीदों से कम आते हैं तो सोने की कीमतों में और बढ़ोतरी हो सकती है। कम महंगाई का मतलब है कि अमेरिका के फेडरल रिजर्व की ब्याज दरें कम हो सकती हैं, जो सोने के लिए अच्छा साबित हो सकता है।

नवंबर में अमेरिका में बेरोजगारी दर बढ़कर 4.6 प्रतिशत हो गई थी, जो सितंबर 2021 के बाद सबसे ज्यादा है। इससे इस बात की अटकलें तेज हो गई हैं कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व जनवरी में ब्याज दरों में 0.25 प्रतिशत की कटौती कर सकता है।

इसके अलावा, निवेशक शुक्रवार को जापान के केंद्रीय बैंक द्वारा की जाने वाली नीति बैठक पर भी नजर बनाए हुए हैं।

उम्मीद की जा रही है कि जापान अपना बेंचमार्क ब्याज दर 30 वर्षों में सबसे ज्यादा बढ़ा सकता है, जिससे वैश्विक वित्तीय बाजारों में उतार-चढ़ाव हो सकता है और इसका असर सोने और चांदी की कीमतों पर भी पड़ सकता है।

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सोने की कीमतें इस हफ्ते गिरीं, चांदी 2 लाख रुपए प्रति किलो के पार

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नई दिल्ली, 20 दिसंबर : सोने और चांदी में इस हफ्ते मिलाजुला कारोबार देखने को मिला है। सोने का दाम 931 रुपए प्रति 10 ग्राम कम हुआ है और चांदी की कीमतों में करीब 4,887 रुपए प्रति किलो का इजाफा हुआ है।

इंडिया बुलियन ज्वेलर्स एसोसिएशन (आईबीजेए) के मुताबिक, 24 कैरेट सोने का दाम कम होकर 1,31,779 रुपए प्रति 10 ग्राम है, जो कि पिछले हफ्ते इसी दिन 1,32,710 रुपए प्रति 10 ग्राम था। यह दिखाता है कि सोने की कीमतों में बीते एक हफ्ते के दौरान 931 रुपए प्रति 10 ग्राम की कमी हुई है।

22 कैरेट सोने का दाम कम होकर 1,20,710 रुपए प्रति 10 ग्राम हो गया है, जो कि पहले 1,21,562 रुपए था। वहीं, 18 कैरेट सोने की कीमत 99,533 रुपए प्रति 10 ग्राम से कम होकर 98,834 रुपए प्रति 10 ग्राम हो गई है।

चांदी की कीमतों में भी तेजी बनी हुई है। चांदी की कीमत एक हफ्ते में 4,887 रुपए बढ़कर 2,00,067 रुपए प्रति किलो हो गई है, जो कि बीते हफ्ते 1,95,180 रुपए प्रति किलो थी।

इस हफ्ते अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सोने और चांदी की कीमतों में तेजी देखने को मिली है। सोना और चांदी का दाम क्रमश: 4,387 डॉलर प्रति औंस और 67.489 डॉलर प्रति औंस थी।

इससे पहले शुक्रवार को सोने की कीमत में 695 रुपए प्रति 10 ग्राम और चांदी की कीमत में 1,053 रुपए प्रति किलो की कमी देखने को मिली है।

एलकेपी सिक्योरिटीज के जतिन त्रिवेदी ने कहा कि शुक्रवार के सत्र के दौरान सोने ने एक सीमित दायरे में कारोबार किया। इसकी एक वजह डॉलर के मुकाबले रुपए में मजबूती थी। बाजार का फोकस आने वाले समय में अमेरिका में घरों की बिक्री के आंकड़े और अन्य आर्थिक आंकड़ों पर होगा। आने वाले समय में सोना 1,31,500 रुपए से लेकर 1,34,000 रुपए की रेंज में रह सकता है।

मौजूदा समय में घरेलू सोने और चांदी की कीमतों में डॉलर के मुकाबले रुपए की वैल्यू अहम भूमिका निभा रही है। इस कारण आने वाले समय में रुपए की चाल सोने और चांदी की कीमतों में अहम भूमिका निभाएगी।

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व्यापार

बीएसई ने कैश सेगमेंट में 10 करोड़ से अधिक ऑर्डर मैसेज होने पर चार्ज लगाने का दिया प्रस्ताव

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नई दिल्ली, 20 दिसंबर : बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) ने ब्रोकर स्तर पर प्रतिदिन होने वाले फ्री ऑर्डर मैसेज के लिए 10 करोड़ की सीमा लगाने का प्रस्ताव दिया है।

एक्सचेंज के मुताबिक, इस सीमा से अधिक ऑर्डर मैसेज होने पर चार्ज लिया जाएगा। इसका उद्देश्य ब्रोकर स्तर पर दक्षता से ऑर्डर फ्लो को मैनेज करना है।

बीएसई की ओर से जारी सर्कुलर में कहा गया कि वह ब्रोकर के डेली ऑर्डर मैसेज की संख्या को मॉनिटर करेगी और इसके 10 करोड़ के पार निकलने पर चार्ज लगाएगा।

ऑर्डर मैसेज उस डिजिटल कम्युनिकेशन को कहा जाता है, जिसमें ब्रोकर एक्सचेंज पर खरीद और बिक्री के मैसेज भेजता है।

बीएसई ने बताया कि 10 करोड़ की सीमा पार होने के बाद प्रति नए मैसेज पर 0.0025 का चार्ज लगाया जाएगा, जिसका मतलब यह है कि एक्सचेंज हर अतिरिक्त 10 करोड़ ऑर्डर पर 2.50 रुपए बसूलेगा।

निगरानी के उद्देश्य से, इक्विटी कैश सेगमेंट में ब्रोकर द्वारा दिए गए सभी ऑर्डर संदेशों, जिनमें ऐड, मॉडिफाई और डिलीट ऑर्डर शामिल हैं, को गिना जाएगा, जिसमें ऑड-लॉट ऑर्डर भी शामिल हैं। हालांकि, सेटलमेंट ऑक्शन ऑर्डर को कैलकुलेशन से बाहर रखा जाएगा।

सर्कुलर के मुताबिक, प्रत्येक कैलेंडर माह में ब्रोकर द्वारा सीमा उल्लंघन के पहले मामले में शुल्क नहीं लिया जाएगा, लेकिन महीने में दूसरी बार ऐसा होने पर शुल्क निर्धारित दरों के मुताबिक वसूला जाएगा।

बीएसई 1 जनवरी, 2026 से ब्रोकरों के साथ दैनिक फाइलें साझा करना शुरू कर देगा, जिनमें कुल ऑर्डर संख्या का विवरण होगा। 15 जनवरी, 2026 से, इन फाइलों में उल्लंघन होने पर लागू शुल्क भी शामिल होंगे। शुल्क प्रतिदिन आधार पर लगाए जाएंगे और नियमित मासिक बिलिंग चक्र के माध्यम से वसूल किए जाएंगे।

इस ढांचे को 1 जनवरी, 2026 से लागू करने का प्रस्ताव है। सुचारू रूप से परिवर्तन सुनिश्चित करने के लिए, कार्यान्वयन के पहले महीने (1-31 जनवरी, 2026) के दौरान कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा। प्रस्तावित ढांचे के अनुसार, वास्तविक शुल्क फरवरी 2026 से लागू होंगे।

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अंतरराष्ट्रीय

बांग्लादेश का माहौल लोकतांत्रिक प्रक्रिया के लिए अच्छा संकेत नहीं: शशि थरूर

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नई दिल्ली, 20 दिसंबर : कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने शनिवार को हिंसा प्रभावित बांग्लादेश में जाने-माने मीडिया हाउस पर हो रहे हमलों पर गहरी चिंता जताई। साथ ही, बिगड़ते सुरक्षा हालात के बीच खुलना और राजशाही में भारतीय असिस्टेंट हाई कमीशन में वीजा सेवाओं को जबरन बंद करने की भी निंदा की।

कट्टरपंथी इस्लामी नेता शरीफ उस्मान हादी की मौत के बाद बांग्लादेश में अशांति की एक नई लहर देखने को मिली है। हादी 2024 के छात्र आंदोलन के दौरान चर्चा में आए थे, जिसके कारण तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना को सत्ता से हटना पड़ा था।

इस हत्या के बाद बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए हैं। ढाका समेत देश के कई हिस्सों से हिंसा की खबरें सामने आई हैं।

इंकलाब मंचो नेता हादी की मौत को लेकर विरोध प्रदर्शन लगातार बढ़ रहे हैं और भीड़ ने प्रमुख मीडिया संगठनों और बांग्लादेश की धर्मनिरपेक्ष विरासत से जुड़ी जगहों को निशाना बनाया है। मीडिया संस्थानों में आगजनी और तोड़फोड़ की खबरों ने देश के अंदर और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चिंता पैदा कर दी है।

इन घटनाओं पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा कि प्रेस पर हमले लोकतांत्रिक मूल्यों की बुनियाद पर हमला हैं।

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में उन्होंने कहा, “बांग्लादेश से आ रही खबरों से मैं बहुत चिंतित हूं। प्रोथोम आलो और द डेली स्टार के दफ्तरों पर टारगेट करके भीड़ के हमले और आगजनी सिर्फ दो मीडिया हाउस पर हमला नहीं हैं। ये प्रेस की आजादी और एक बहुलवादी समाज की नींव पर हमला हैं।”

कांग्रेस सांसद ने सीनियर एडिटर्स समेत पत्रकारों की सुरक्षा पर भी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि वे एडिटर महफूज अनम और बढ़ते मुश्किल हालात में काम कर रहे दूसरे मीडिया प्रोफेशनल्स की भलाई को लेकर चिंतित हैं।

अशांति के बीच, भारत को सुरक्षा खतरों का हवाला देते हुए बांग्लादेश में दो वीजा एप्लीकेशन सेंटर बंद करने पड़े। राजशाही में ‘जुलाई 36 मंच’ नाम के एक ग्रुप ने भारतीय असिस्टेंट हाई कमीशन की ओर मार्च निकाला। जुलूस डिप्लोमैटिक मिशन की ओर बढ़ा, लेकिन पुलिस के दखल के बाद उसे बीच में ही रोक दिया गया।

खुलना में भी इसी तरह के प्रदर्शनों की खबरें आईं, जिसके बाद अधिकारियों ने दोनों जगहों पर वीजा से जुड़े काम रोक दिए। थरूर ने इसकी निंदा करते हुए कहा कि सेवाओं को रोकने के दूरगामी परिणाम होंगे।

उन्होंने कहा कि बढ़ते सुरक्षा खतरों के कारण खुलना और राजशाही में भारतीय असिस्टेंट हाई कमीशन में वीजा सेवाओं को जबरन बंद करना एक बड़ा झटका है। इस रुकावट का सीधा असर उन छात्रों, मरीजों और परिवारों पर पड़ रहा है, जिन्हें आखिरकार सीमा पार आने-जाने में सामान्य स्थिति की झलक दिख रही थी।

बांग्लादेश में 12 फरवरी, 2026 को राष्ट्रीय चुनाव होने वाले हैं, ऐसे में थरूर ने चेतावनी दी कि हिंसा और असहिष्णुता का यह माहौल लोकतांत्रिक प्रक्रिया के लिए अच्छा संकेत नहीं है।

कांग्रेस नेता ने मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार के लिए देश में स्थिरता और लोकतांत्रिक निरंतरता सुनिश्चित करने के लिए कदम भी बताए। निर्णायक कार्रवाई की जरूरत पर जोर देते हुए उन्होंने कहा, “पत्रकारों की सुरक्षा: पत्रकारों को अपने दफ़्तर जलते समय अपनी जान बचाने के लिए घबराए हुए मैसेज पोस्ट नहीं करने चाहिए। भीड़तंत्र को हावी नहीं होने देना चाहिए।”

उन्होंने आगे कहा कि लोगों के बीच अहम संबंधों को बनाए रखने के लिए डिप्लोमैटिक सुविधाओं की सुरक्षा सुनिश्चित की जानी चाहिए। निशाना बनाई गई एम्बेसी और कॉन्सुलेट को अतिरिक्त सुरक्षा दी जानी चाहिए।

शांति बहाल करने की जरूरत पर जोर देते हुए कांग्रेस नेता ने कहा कि अगर देश को लोकतंत्र की किसी भी झलक के साथ इस बदलाव से बचना है, तो भीड़तंत्र की जगह रचनात्मक बातचीत होनी चाहिए। अंतरिम प्रमुख मोहम्मद यूनुस को यह सुनिश्चित करने के लिए व्यक्तिगत रूप से नेतृत्व करना चाहिए।

थरूर ने इस बात पर जोर दिया कि बांग्लादेश में शांति का महत्व उसकी सीमाओं से कहीं ज्यादा है। पूरे दक्षिण एशिया के लिए देश में स्थिरता बहुत जरूरी है। उन्होंने आगे कहा कि हम शांति की वापसी और एक सुरक्षित माहौल की उम्मीद करते हैं, जहां लोगों की आवाज हिंसा और धमकी से नहीं, बल्कि वोट के जरिए सुनी जाए।

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