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ईयर एंडर 2024 : इस साल गोल्ड ने दिया शेयर बाजार से दोगुना रिटर्न, निवेशक हुए मालामाल
नई दिल्ली, 23 दिसंबर। गोल्ड ने 2024 में निवेशकों पर जमकर धन बरसाया है। इस साल की शुरुआत से लेकर अब तक गोल्ड इन्वेस्टर्स को 19 प्रतिशत की रिटर्न दे चुका है, जो कि समान अवधि में सेंसेक्स द्वारा दिए गए 8.35 प्रतिशत के रिटर्न से भी दोगुना है।
एक जनवरी, 2024 को 24 कैरेट गोल्ड की कीमत 63,970 रुपये प्रति 10 ग्राम थी, जो कि 23 दिसंबर को बढ़कर 76,160 रुपये प्रति 10 ग्राम हो गई है। इस दौरान 24 कैरेट गोल्ड की कीमत 12,190 रुपये प्रति 10 ग्राम या 19 प्रतिशत बढ़ी है।
2024 में गोल्ड की कीमत बढ़ने के पीछे कई कारण थे।
गोल्ड महंगाई के खिलाफ एक वैश्विक स्तर पर एक अच्छा हेज माना जाता है। इस कारण से जब भी महंगाई अधिक होती है और गोल्ड की कीमतों में तगड़ा उछाल देखा जाता है।
ब्याज दरों और गोल्ड की कीमतों में हमेशा एक विपरीत संबंध होता है। जब भी ब्याज दरें बढ़ती हैं तो गोल्ड की कीमतें नीचे जाती हैं। वहीं, जब भी ब्याज दरें नीचे जाती हैं, तो गोल्ड की कीमतें ऊपर जाती हैं। इस कारण से जब सितंबर, अक्टूबर, नवंबर और दिसंबर में अमेरिकी फेड द्वारा ब्याज दरों में कटौती की गई थी, तब गोल्ड की कीमतों में तेजी देखने को मिली थी।
गोल्ड की कीमतों में तेजी की वजह बढ़ती हुई मांग हैं। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में गोल्ड की मांग 2024 में 700 से 750 टन रह सकती है।
गोल्ड की कीमतें बढ़ने की वजह दुनिया के केंद्रीय बैंकों द्वारा बड़ी मात्रा में गोल्ड की खरीदारी करना है। आरबीआई ने इस साल जनवरी से लेकर अक्टूबर की अवधि में 77 टन गोल्ड खरीदा है। इसमें से करीब 27 टन गोल्ड केवल अक्टूबर में खरीदा गया है।
डब्ल्यूजीसी ने कहा कि आरबीआई द्वारा 2024 के पहले 10 महीनों में खरीदा गया गोल्ड 2023 की समान अवधि की गई सोने की खरीद की तुलना में 5 गुणा अधिक है।
इसके अलावा तुर्की और पोलैंड ने जनवरी-अक्टूबर 2024 तक क्रमशः 72 टन और 69 टन गोल्ड खरीदा है।
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भारतीय शेयर बाजार बड़ी तेजी के साथ बंद; निफ्टी 26,000 के पार

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मुंबई, 17 नवंबर: भारतीय शेयर बाजार सोमवार के कारोबारी सत्र में बड़ी तेजी के साथ बंद हुआ। बाजार में चौतरफा तेजी देखी गई, जिससे नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का मुख्य बेंचमार्क निफ्टी 26,000 के पार बंद हुआ।
कारोबार के अंत में सेंसेक्स 388.17 अंक या 0.46 प्रतिशत की बढ़त के साथ 84,950.95 और निफ्टी 103.40 अंक या 0.40 प्रतिशत की तेजी के साथ 26,013.45 पर बंद हुआ।
बाजार की तेजी का नेतृत्व बैंकिंग शेयरों ने किया। निफ्टी बैंक 445.15 अंक या 0.76 प्रतिशत बढ़कर अब तक के सबसे उच्चतम स्तर 58,962.70 पर बंद हुआ है। दिन के दौरान निफ्टी बैंक ने 59,001.55 का ऑल-टाइम बनाया।
सेंसेक्स पैक में इटरनल (जोमैटो), मारुति सुजुकी, कोटक महिंद्रा बैंक, एमएंडएम, टेक महिंद्रा, टाइटन, एलएंडटी, एचडीएफसी बैंक, एचसीएल टेक, पावर ग्रिड, बजाज फिनसर्व, बजाज फाइनेंस, भारती एयरटेल, सन फार्मा, एक्सिस बैंक और एसबीआई गेनर्स थे। अल्ट्राटेक सीमेंट, एशियन पेंट्स, बीईएल, टाटा स्टील, आईटीसी, टीसीएस और एचयूएल लूजर्स थे।
सेक्टोरल आधार पर निफ्टी पीएसयू बैंक 1.09 प्रतिशत,निफ्टी प्राइवेट बैंक 0.79 प्रतिशत, निफ्टी इन्फ्रा 0.33 प्रतिशत, निफ्टी सर्विसेज 0.54 प्रतिशत, निफ्टी कंज्यूमर ड्यूरेबल्स 0.83 प्रतिशत, निफ्टी ऑयल एंड गैस 0.38 प्रतिशत और निफ्टी रियल्टी 0.45 प्रतिशत की तेजी के साथ बंद हुआ।
लार्जकैप के साथ मिडकैप और स्मॉलकैप में भी तेजी देखी गई। निफ्टी मिडकैप 100 इंडेक्स 441.30 अंक या 0.73 प्रतिशत की बढ़त के साथ 61,180.50 और निफ्टी स्मॉलकैप 100 इंडेक्स 95.10 अंक या 0.52 प्रतिशत की तेजी के साथ 18,347.60 पर बंद हुआ।
बाजार के जानकारों ने कहा कि बाजार का सेंटीमेंट सकारात्मक बना हुआ है और इसने 26,000 के स्तर को पार कर दिया है। भारत-अमेरिका के बीच ट्रेंड डील की संभावना और दूसरी तिमाही में मिडकैप कंपनियों के उम्मीद से अच्छा प्रदर्शन ने निवेशकों के विश्वास को बढ़ाने का काम किया है।
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घरेलू स्तर पर मांग में इजाफे से 2026 में बढ़ेगी भारत के विकास की रफ्तार: रिपोर्ट

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नई दिल्ली, 17 नवंबर: भारत के आर्थिक विकास की रफ्तार 2026 में भी तेज रहेगी, इसकी वजह घरेलू स्तर पर मांग बढ़ना है। यह जानकारी सोमवार को जारी एक रिपोर्ट में दी गई।
मॉर्गन स्टेनली द्वारा संकलित आंकड़ों में कहा गया है कि मैक्रो इंडिकेटर्स स्थिर बने हुए हैं, जिससे नीति निर्माताओं को मौद्रिक और राजकोषीय दोनों उपायों के माध्यम से विकास को समर्थन देने के लिए पर्याप्त गुंजाइश मिल रही है।
रिपोर्ट के अनुसार, भारत का विकास इंजन मुख्य रूप से मजबूत घरेलू खर्च और बढ़ते निजी निवेश से संचालित होगा।
ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में खपत बढ़ने की उम्मीद के साथ, वित्त वर्ष 2027-28 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 6.5 प्रतिशत की दर से बढ़ने का अनुमान है।
कृषि आय में वृद्धि के कारण ग्रामीण मांग पहले से ही मजबूत है, जबकि कमजोर शहरी मांग, अब नीतिगत समर्थन के साथ फिर से मजबूत हो रही है।
नीतिगत मोर्चे पर मॉर्गन स्टेनली को उम्मीद है कि आरबीआई दिसंबर में ब्याज दरों में 25 आधार अंक की कटौती कर सकता है, जिससे रेपो रेट कम होकर 5.25 प्रतिशत पर आ जाएगी।
वैश्विक निवेश बैंक ने आगे कहा कि इस कटौती के बाद ब्याज दरों में कमी पर ब्रेक लगता सकता है और कुछ समय के लिए केंद्रीय बैंक ब्याज दरों के प्रभाव की समीक्षा कर सकता है।
हालांकि, इस दौरान सरकार का फोकस पूंजीगत व्यय और राजकोषीय समेकन पर बने रहने की उम्मीद है, जिससे अर्थव्यवस्था की रफ्तार बनी रहेगी।
रिपोर्ट में बताया गया कि ग्लोबल फैक्टर्स जैसे भूराजनीतिक उठापटक, अमेरिकी पॉलिसी भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए प्रमुख चुनौतियां हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, भारत सरकार के टैक्स रिफॉर्म से मध्यम वर्ग को बड़ी राहत मिली है और इससे लोगों की खर्च योग्य क्षमता को बढ़ाने में मदद मिलेगी।
जैसे-जैसे व्यवसायों में विश्वास बढ़ेगा, निजी क्षेत्र में निवेश बढ़ने की संभावना है, जिससे रोजगार सृजन को बढ़ावा मिलेगा और उपभोग में और मजबूती आएगी।
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भारत की सरकारी तेल कंपनियों ने अमेरिका से 2.2 एमटीपीए एलपीजी आयात करने के लिए ऐतिहासिक डील की : हरदीप पुरी

नई दिल्ली, 17 नवंबर: भारत की सरकारी तेल कंपनियों ने अमेरिका से 2.2 मिलियन टन प्रति वर्ष (एमटीपीए) एलपीजी आयात करने के लिए कॉन्ट्रैक्ट किया है। यह जानकारी केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी की ओर से सोमवार को दी गई।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर पुरी ने कहा कि ऐतिहासिक फैसला, दुनिया के सबसे बड़े और सबसे तेजी से बढ़ रहे एलपीजी मार्केट में से एक अब अमेरिका के लिए खुल रहा है।
मंत्रालय ने कहा, “देश के लोगों को किफायती दामों पर गैस उपलब्ध करने के उद्देश्य से हम अपनी एलपीजी आपूर्ति में विविधीकरण ला रहे हैं।”
पुरी ने कहा,”सरकारी तेल कंपनियों ने 2.2 एमटीपीए एलपीजी आयात करने के लिए एक साल का कॉन्ट्रैक्ट किया है, जो कि हमारे कुल वार्षिक आयात का 10 प्रतिशत है, जिसमें यूएस गल्फ कोस्ट से एलपीजी का आयात किया जाएगा। यह भारतीय बाजार में अमेरिका से एलपीजी आयात के लिए पहला कॉन्ट्रैक्ट है।”
इस समझौते में एलपीजी खरीदारी के लिए मोंट बेल्विउ को बेंचमार्क के रूप में उपयोग किया है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इंडियन ऑयल, बीपीसीएल और एचपीसीएल के हमारे अधिकारियों की एक टीम ने अमेरिका का दौरा किया था और पिछले कुछ महीनों में प्रमुख अमेरिकी उत्पादकों के साथ चर्चा की थी और अब यह पूरा हो गया है।
प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में, सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियां हमारी सभी माताओं और बहनों को सबसे कम वैश्विक कीमतों पर रसोई गैस उपलब्ध करा रही हैं।
मंत्री ने कहा, “पिछले साल वैश्विक कीमतों में 60 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि के बावजूद, प्रधानमंत्री मोदी ने यह सुनिश्चित किया कि हमारे उज्ज्वला उपभोक्ताओं को केवल 500-550 रुपए में रसोई गैस सिलेंडर मिलता रहे, जबकि सिलेंडर की वास्तविक कीमत 1,100 रुपए से अधिक थी।”
उन्होंने कहा, “हमारी माताओं और बहनों को बढ़ती अंतरराष्ट्रीय रसोई गैस कीमतों का बोझ महसूस न हो, यह सुनिश्चित करने के लिए भारत सरकार ने पिछले साल 40,000 करोड़ रुपए से अधिक खर्च किए।”
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