राजनीति
ईयर एंडर 2024: ‘अकाय’ से ‘इलई’ तक, चर्चा में बने रहे सेलेब्स के बच्चों के नाम

लखनऊ,18 दिसंबर। भारतीय परंपरा में पतित पावनी, मोक्षदायिनी मानी जाने वाली मां गंगा को अविरल, निर्मल और प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए योगी सरकार इसके अधिग्रहण क्षेत्र में बड़े पैमाने पर प्राकृतिक खेती और वनीकरण को बढ़ावा दे रही है।
सरकार की योजना है कि प्रदेश में गंगा जिन जिलों से गुजरती है उनके दोनों किनारों पर 10 किलोमीटर के दायरे में प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहन दिया जाए। ऐसी खेती जिसमें रासायनिक खादों और जहरीले कीटनाशकों की जगह उपज बढ़ाने और फसलों के सामयिक संरक्षण के लिए पूरी तरह जैविक उत्पादों का प्रयोग हो ताकि रिसाव के जरिए रासायनिक खादों एवं कीटनाशकों का जहर गंगा में न घुल सके। गंगा के तटवर्ती 27 जनपदों में ‘नमामि गंगे योजना’ चलाई जा रही है जिसके अंतर्गत रसायन मुक्त खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है।
अद्यतन आंकड़ों के अनुसार गंगा के किनारे के 1000 से अधिक गांवों में प्राकृतिक खेती हो रही है। प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश के 54 जनपदों में परंपरागत कृषि विकास योजना संचालित की जा रही है। सरकार की मंशा निराश्रित गोवंश के नाते सबसे प्रभावित बुंदेलखंड को प्राकृतिक खेती के लिहाज से उत्तर प्रदेश का हब बनाना है। फिलहाल वहां करीब 24 हजार हेक्टेयर भूमि में प्राकृतिक खेती हो रही है।
योगी सरकार-1 से ही यह सिलसिला शुरू हो चुका है। जिन करीब 5,000 क्लस्टर्स में 18,000 से अधिक किसान लगभग 10 हजार हेक्टेयर में प्राकृतिक खेती कर रहे हैं, उनमें नमामि गंगा योजना के तहत करीब 3300 क्लस्टर्स में 6 लगभग 6500 हेक्टेयर में प्राकृतिक खेती हो रही है। इस खेती से जुड़े किसानों की संख्या एक लाख से अधिक है। इस तरह देखा जाए तो जैविक खेती का सर्वाधिक रकबा गंगा के मैदानी इलाके का ही है। इंडो-गंगेटिक मैदान का यह इलाका दुनिया की सबसे उर्वर भूमि में शुमार होता है।
इसी नाते ऑर्गेनिक फार्मिंग एसोसिएशन ऑफ इंडिया की ओर से नवंबर 2017 में इंडिया एक्सपो सेंटर एंड मार्ट ग्रेटर नोएडा में आयोजित जैविक कृषि कुंभ में विशेषज्ञों ने यह संस्तुति की थी गंगा के मैदानी इलाकों को जैविक खेती के लिए आरक्षित किया जाए। चूंकि हर साल आने वाली बाढ़ के कारण इस क्षेत्र की मिट्टी बदलकर उर्वर हो जाती है, इस नाते पूरे क्षेत्र में जैविक खेती की बहुत संभावना है। यही वजह है कि योगी सरकार-2 में गंगा के किनारे के सभी जिलों में जैविक खेती को विस्तार दिया गया।
एक तरफ जहां योगी सरकार का जोर प्राकृतिक खेती के प्रोत्साहन पर है तो वहीं गंगा की गोद को हरा भरा करने के लिए सरकार पौधरोपण अभियान के दौरान इस क्षेत्र में अधिक से अधिक पौधारोपण भी करवा रही है। उल्लेखनीय है कि अपने दूसरे कार्यकाल के शुरुआत में ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने छह महीने में गंगा के किनारे 6,759 हेक्टेयर में वनीकरण का लक्ष्य रखा है। इसके लिए जिन जिलों से गंगा गुजरती है उनमें से 503 जगहों का चयन किया गया था। अब ये सिलसिला और आगे तक बढ़ चुका है।
गंगा के किनारे सभी जिलों में गंगा वन लगाए जाने हैं। कासगंज और कई और जगहों पर इसकी शुरुआत भी हो चुकी है। प्रयास यह है कि ये वन बहुपयोगी हों और इनमें संबंधित जिले के कृषि जलवायु क्षेत्र के अनुसार परंपरागत से लेकर दुर्लभ और औषधीय प्रजाति के पौधे लगाए जाएं। कुछ ऐसी ही परिकल्पना गंगा सहित अन्य नदियों के किनारे बनने वाले बहुउद्देश्यीय तालाबों के किनारे भी होने वाले पौधरोपण के बारे में की गई है। मकसद एक है पर्यावरण संरक्षण। इससे होने वाले अन्य लाभ बोनस होंगे।
गंगा के अधिग्रहण क्षेत्र में हरियाली बढ़ाने के उद्देश्य से सरकार पहले से ही गंगा वन, गंगा तालाब और सिर्फ गंगा ही नहीं, गंगा की सहायक नदियों और अपेक्षाकृत प्रदूषित नदियों के किनारों पर भी सरकार की योजना सघन पौधरोपण की है। इससे न सिर्फ हरियाली बढ़ेगी, बल्कि प्राकृतिक तरीके से संबंधित नदियों का प्रदूषण भी दूर होगा। साथ ही कटान रुकने से उन क्षेत्रों में बाढ़ की समस्या या विकरालता भी कम होगी।
मालूम हो कि गंगा के मैदानी इलाके का अधिकांश इलाका उत्तर प्रदेश में ही है। गंगा की कुल लंबाई बांग्लादेश को शामिल करते हुए 2,525 किलोमीटर है। इसमें से भारत और उत्तर प्रदेश के क्रमशः 2,971 एवं 1,140 किलोमीटर का सफर गंगा नदी तय करती है। कुल मिलाकर गंगा नदी प्रदेश के बिजनौर, बदायू, अमरोहा, मेरठ, बुलंदशहर, अलीगढ़, फर्रुखाबाद, कन्नौज, कानपुर शहर, कानपुर देहात, फतेहपुर, प्रयागराज, मीरजापुर, वाराणसी, गाजीपुर, बलिया आदि से होकर गुजरती है।
महाराष्ट्र
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने मुंबई में मस्जिद लाउडस्पीकर विवाद को लेकर मुस्लिम नेताओं और वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों से मुलाकात की

मुंबई: महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री और एनसीपी नेता अजित पवार ने बुधवार को मुंबई में मस्जिदों से लाउडस्पीकर हटाने पर बढ़ती चिंताओं को दूर करने के लिए सह्याद्री गेस्ट हाउस में एक महत्वपूर्ण बैठक की अध्यक्षता की। बैठक में राज्य की पुलिस महानिदेशक रश्मि शुक्ला, मुंबई पुलिस आयुक्त देवेन भारती और कई प्रमुख मुस्लिम नेता और विधायक शामिल हुए, जिनमें नवाब मलिक, जीशान सिद्दीकी, अबू आज़मी, वारिस पठान, सना मलिक, जलाल उद्दीन और सिद्धार्थ कांबले शामिल थे।
प्रतिनिधिमंडल ने इस बात पर चिंता जताई कि पुलिस ने मस्जिदों के लाउडस्पीकर हटाने में लापरवाही बरती है, जो कथित तौर पर एक पूर्व भाजपा सांसद द्वारा शुरू किए गए अभियान के दबाव में किया गया है। नेताओं ने तर्क दिया कि अज़ान का मुद्दा नया नहीं है और पीढ़ियों से शांतिपूर्ण तरीके से चला आ रहा है। बैठक के बाद समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अबू आज़मी ने कहा, “किसी सोमैया ने मुंबई में दबाव बनाया है। एक व्यक्ति की वजह से मुसलमानों को परेशान किया जा रहा है।” उन्होंने कहा, “सभी पक्षों की बात सुनी गई और कमिश्नर और डीजीपी दोनों मौजूद थे।”
एआईएमआईएम नेता वारिस पठान ने भी यही बात दोहराते हुए कहा कि प्रतिनिधिमंडल में मुस्लिम विधायक, सामाजिक कार्यकर्ता और समुदाय के प्रतिनिधि शामिल थे। पठान ने कहा, “हमने पुलिस द्वारा मस्जिदों से जबरन लाउडस्पीकर हटाने और बिना उचित प्रक्रिया के नोटिस जारी करने का मुद्दा उठाया। इससे शहर में अनावश्यक तनाव पैदा हो रहा है।”
दक्षिण मुंबई के मुस्लिम संगठनों ने पहले पवार से मुलाकात की थी और अपनी चिंताएं बताई थीं। उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस मस्जिद समितियों को परेशान कर रही है, जबकि वे उच्च न्यायालय द्वारा तय किए गए 45 से 56 डेसिबल के बीच स्वीकार्य ध्वनि स्तर का पालन कर रहे हैं। संगठनों ने कहा, “लाउडस्पीकरों को पूरी तरह हटाने का कोई अदालती आदेश नहीं है।” उल्लंघन साबित होने पर ही कार्रवाई की जानी चाहिए, जैसे नोटिस जारी करना या लाइसेंस रद्द करना। लेकिन इसके बजाय, पुलिस उचित सत्यापन के बिना सिस्टम को खत्म कर रही है, संगठनों ने मांग की।
कहा जाता है कि यह विवाद गोवंडी जैसे इलाकों में भाजपा नेता के दौरे के बाद और गहरा गया, जहां उन्होंने कथित तौर पर स्थानीय पुलिस पर लाउडस्पीकर का इस्तेमाल करने वाली मस्जिदों के खिलाफ कार्रवाई करने का दबाव बनाया। मुस्लिम नेताओं ने सांप्रदायिक विद्वेष को रोकने के लिए निष्पक्ष और पारदर्शी समाधान की मांग की है और सरकार से राजनीतिक दबाव के बजाय कानूनी मापदंडों के आधार पर कानून प्रवर्तन को स्पष्ट निर्देश जारी करने का आग्रह किया है।
महाराष्ट्र
कांग्रेस नेता सुमित वर्तक और 4 अन्य के खिलाफ सीबीआई अधिकारी बनकर धोखाधड़ी करने का मामला दर्ज

मुंबई: कस्तूरबा मार्ग पुलिस ने शुक्रवार को महाराष्ट्र कांग्रेस के पर्यावरण विभाग के प्रदेश अध्यक्ष समीर वर्तक सहित चार लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की, जिन पर कथित तौर पर 2 सितंबर, 2024 को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) अधिकारी बनकर बिल्डर अनिल गुप्ता के बोरीवली आवास में जबरन घुसने और ‘छापे’ की सलाह देने का आरोप है।
बिल्डर के घर पर छापेमारी करने के आरोप में कांग्रेस के एक कार्यकर्ता समेत चार लोगों पर सीबीआई ने मामला दर्ज किया है। मामला दर्ज होने के बाद कांग्रेस ने समीर वर्तक को उनके पद से बर्खास्त कर दिया है। कांग्रेस नेता हर्षवर्धन सपकाल ने इस्तीफा दे दिया है। बिल्डर के घर पर छापेमारी करने के आरोप में कांग्रेस के एक कार्यकर्ता समेत चार लोगों पर सीबीआई ने मामला दर्ज किया है। महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस कमेटी की पर्यावरण शाखा के प्रमुख वर्तक पर आरोप है कि उन्होंने शिकायत मिलने के बाद खुद को सीबीआई अधिकारी बताकर तीन अज्ञात लोगों के साथ बिल्डर के घर पर छापेमारी की और उससे जबरन वसूली की कोशिश की। 51 वर्षीय गुप्ता, जो वसई स्थित एक कंस्ट्रक्शन फर्म के मालिक हैं और वसई-विरार इलाके में सक्रिय हैं, बोरीवली ईस्ट में कुशल हेरिटेज बिल्डिंग में रहते हैं।
हाल ही में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने अग्रवाल नगर, वसई ईस्ट में 41 अनधिकृत इमारतों के निर्माण से संबंधित भूमि हड़पने के मामले में उनके परिसर की तलाशी ली थी। अपनी पुलिस शिकायत में, गुप्ता ने कहा कि 2 सितंबर, 2024 को दो लोग उनके घर गए और खुद को सीबीआई अधिकारी बताते हुए कहा कि वे वर्तक द्वारा उनके खिलाफ दर्ज की गई शिकायत की जांच कर रहे हैं। उन्होंने उनसे पूछताछ के लिए नीचे आने को कहा। जब गुप्ता ने इनकार कर दिया और शिकायत की एक प्रति मांगी, तो उन लोगों ने वर्तक को बुलाया, जो कथित तौर पर इमारत के बाहर इंतजार कर रहे थे। इसके तुरंत बाद, वर्तक और एक अन्य व्यक्ति जो सीबीआई अधिकारी होने का दावा करता था, वहां पहुंचे। गुप्ता ने आरोप लगाया कि चार लोगों के समूह ने उन्हें गिरफ्तार करने की धमकी दी और मामले को निपटाने के लिए वित्तीय “समझौता” की मांग की। गुप्ता ने यह कहते हुए इनकार कर दिया कि वह किसी भी कानूनी जांच में सहयोग करेंगे। इसके बाद वे लोग यह चेतावनी देते हुए चले गए कि उन्हें सीबीआई कार्यालय में बुलाया जाएगा। गुप्ता ने दावे की पुष्टि के लिए दिल्ली में सीबीआई मुख्यालय से संपर्क किया और उन्हें बताया गया कि वर्तक द्वारा ऐसी कोई शिकायत दर्ज नहीं कराई गई है। 19 नवंबर को सीबीआई ने महाराष्ट्र के पुलिस महानिदेशक को एक पत्र लिखकर इसमें शामिल लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने का अनुरोध किया। इसके बाद गुप्ता ने आरोपियों की पहचान करने के लिए अपने आवास से औपचारिक शिकायत और सीसीटीवी फुटेज के साथ कस्तूरबा मार्ग पुलिस से संपर्क किया।
पुलिस ने भारतीय नया संघ (बीएनएस) की धारा 3(5) (सामान्य इरादा), 204 (सरकारी कर्मचारी का रूप धारण करके धोखाधड़ी), 205 (आधिकारिक प्रतीकों की धोखाधड़ी) और 351 (आपराधिक धमकी) के तहत मामला दर्ज किया है। वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक जीराज रानावरे ने कहा, “हमने प्रारंभिक जांच की और पुष्टि की कि ये लोग सीबीआई अधिकारी नहीं थे। हम वर्तक के साथ मौजूद तीन लोगों की पहचान की पुष्टि कर रहे हैं।” वर्तक ने आरोपों से इनकार किया है। मुझे मौके पर कुछ लोगों ने बुलाया जिन्होंने खुद को सीबीआई अधिकारी बताया। मैंने गुप्ता के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी और सिर्फ सहयोग कर रहा था। ऐसा लगता है कि यह राजनीतिक प्रतिशोध का हिस्सा है, मैं किसी भी जांच का सामना करने के लिए तैयार हूं।
राष्ट्रीय समाचार
सृजन घोटाले के तीन आरोपियों को सुप्रीम कोर्ट से जमानत, लंबे समय से थे जेल में बंद

suprim court
नई दिल्ली, 24 जून। बिहार के बहुचर्चित और करीब 1 हजार करोड़ रुपए के सृजन घोटाले में शामिल तीन आरोपियों को मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। सर्वोच्च अदालत ने रजनी प्रिया और दो अन्य आरोपियों को जमानत दे दी है।
अदालत ने यह निर्णय इस आधार पर लिया कि आरोपी लंबे समय से जेल में बंद हैं और अब तक ट्रायल की प्रक्रिया शुरू नहीं हुई है। कोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट किया कि तीनों आरोपी सात दिनों के भीतर ट्रायल कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत हों और जमानत की शर्तें वहीं निर्धारित की जाएंगी। अदालत ने अपने फैसले में यह स्पष्ट कर दिया है कि ट्रायल में हो रही देरी के चलते न्यायालय को यह अंतरिम राहत देनी पड़ी है।
सृजन महिला सहयोग समिति नामक एक गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) पर आरोप है कि 2004 से 2014 के बीच सरकारी विभागों के खातों से धोखाधड़ी कर बड़ी मात्रा में सरकारी धन को अपने खातों में स्थानांतरित किया गया। यह घोटाला बिहार के भागलपुर जिले के सबौर ब्लॉक स्थित इस एनजीओ से जुड़ा है, जो महिलाओं को व्यावसायिक प्रशिक्षण देने का कार्य करता था।
जानकारी के अनुसार, यह घोटाला जिला प्रशासन के अधिकारियों, बैंक कर्मियों और एनजीओ के सदस्यों की मिलीभगत से अंजाम दिया गया। आरोपी व्यक्तियों ने सरकार की विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के नाम पर आवंटित धन को हेराफेरी कर निजी खातों में जमा करवाया। सुप्रीम कोर्ट के आदेश से इन आरोपियों को जमानत मिलने का रास्ता साफ हो गया है, बशर्ते वे ट्रायल कोर्ट की सभी शर्तों का पालन करें।
बता दें कि 10 अगस्त 2013 को सीबीआई ने रजनी प्रिया को गिरफ्तार किया थ। प्रिया 1,000 करोड़ रुपए के सृजन घोटाले के सिलसिले में फरार थीं। उत्तर प्रदेश के साहिबाबाद से उन्हें गिरफ्तार किया गया था। पटना की एक अदालत ने उनके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया था।
बिहार सरकार के अनुरोध पर सीबीआई ने सृजन घोटाला की जांच अपने हाथ में ली थी। आरोप है कि एनजीओ के अधिकारियों ने जाली दस्तावेजों का उपयोग करके उक्त एनजीओ के खातों में सरकारी धन की हेराफेरी करने के लिए बैंक ऑफ बड़ौदा, इंडियन बैंक, बैंक ऑफ इंडिया सहित विभिन्न बैंकों के अधिकारियों के साथ साजिश रची थी।
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