राजनीति
कृषि सुधार पर क्यों हो रहा विवाद, पंजाब, हरियाणा में विधेयक पर बवाल

कृषि क्षेत्र में सुधार के नए कार्यक्रमों को लागू करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीन अहम विधेयकों को संसद की मंजूरी मिल चुकी है। लेकिन विधेयक पर विवाद कम नहीं हुआ है। इन तीनों विधेयकों पर सबसे ज्यादा बवाल पंजाब और हरियाणा में मचा है। किसान संगठनों ने शुक्रवार को भारत बंद का एलान किया है। कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए उठाए गए कदमों पर विवाद की मुख्य वजह यह है कि किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर फसलों की खरीद को लेकर आशंकित हैं। हालांकि केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री ने किसानों को आश्वस्त किया है कि एमएसएपी पर फसलों की खरीद पूर्ववत जारी रहेगी। फिर भी पंजाब और हरियाणा में किसानों की शंका खत्म नहीं हुई है।
एमएसपी पर सबसे ज्यादा गेहूं या धान की खरीद इन दोनों राज्यों में व्यापक पैमाने पर होती है और किसानों को आशंका है कि नये कानून के बाद एमएसपी पर खरीद नहीं होने से उनको फसलों का उचित भाव नहीं मिल पाएगा।
दरअसल, कृषक उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सुविधा) विधेयक 2020 में ट्रेड एरिया में कृषि उत्पादों की खरीद पर कोई शुल्क नहीं है जबकि कृषि उपज विपणन समिति द्वारा संचालित मंडियों में विभिन्न राज्यों में अलग-अलग शुल्क है। पंजाब में यह शुल्क सबसे ज्यादा है, इसलिए मंडियों में खरीद नहीं होने की सूरत में उनकी फसलों की खरीद की व्यवस्था सुनिश्चित होने को लेकर किसान आशंकित हैं।
उनकी यह भी आशंका है कि अगर मंडियां समाप्त हो जाएगी तो फिर उनको औने-पौने भाव अनाज बेचना होगा। पंजाब में भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के प्रदेश अध्यक्ष और संगठन के ऑल इंडिया कोर्डिनेशन कमेटी के सीनियर कोर्डिनेटर अजमेर सिंह लखोवाल ने आईएएनएस से कहा कि केंद्र सरकार अगर किसानों के हितों में सोचती तो विधेयक में यह प्रावधान किया जाता कि किसानों के किसी भी उत्पाद (जिनके लिए एमएमपी की घोषणा की जाती है) की खरीद एमएसपी से कम भाव पर न हो। उन्होंने कहा कि विधेयक में कॉरपोरेट फॉमिर्ंग के जो प्रावधान किए गए हैं उससे खेती में कॉरपोरेट का दखल बढ़ेगा और बहुराष्ट्रीय कंपनियों को फायदा मिलेगा।
कांग्रेस समेत विधेयक का विरोध करने वाले राजनीतिक दलों का भी यही कहना है कि इन विधेयकों के माध्यम से सरकार ने किसानों से ज्यादा कॉरपोरेट को फायदा पहुंचाने की कोशिश की है।
कृषि विपणन बाजार विशेषज्ञ बताते हैं कि पंजाब और हरियाणा में कृषि उत्पादों की खरीद का कल्चर और राज्यों से अलग है, वहां गेहूं, चावल जैसे खाद्यान्न हो या कपास जैसी नकदी फसल, इनकी खरीद एमएसपी पर ज्यादा होती है। इसलिए मंडियों में खरीद की व्यवस्था नहीं होने पर किसानों को एमएसपी मिलने को लेकर आशंका है।
हालांकि कृषि एवं खाद्य मामलों के एक विशेषज्ञ ने बताया कि देश में सबसे ज्यादा एमएसपी पर अनाजों की खरीद पंजाब और हरियाणा में होती है और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के तहत सार्वजनिक वितरण प्रणाली के करीब 80 करोड़ लाभार्थियों को किफायती दरों पर अनाज मुहैया करवाना सरकार की जिम्मेदारी है, इसलिए नये कानून से किसानों को एमएसपी पर अनाज की खरीद को लेकर आशंकित होने की आवश्यकता नहीं है।
एपीडा के अधिकारी ए.के. गुप्ता ने कहा कि बासमती के लिए कोई एमएसपी नहीं है लेकिन पंजाब और हरियाणा के किसानों के लिए बासमती की खेती काफी लाभकारी साबित हुई है। उन्होंने कहा कि कृषि उत्पादों में सबसे ज्यादा निर्यात बासमती चावल का होता है। उन्होंने कहा कि विदेशी बाजार में भारतीय उत्पादों को प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए आक्रामक रणनीति की जरूरत होती है जो बड़ी कंपनियों के इस क्षेत्र में प्रवेश से संभव हो पाएगा और इसका फायदा किसानों को मिलेगा।
कृषि से जुड़े तीन अहम विधेयकों, कृषक उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सुविधा) विधेयक 2020, कृषक (सशक्तीकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक-2020 को भी संसद की मंजूरी मिल चुकी है। ये तीनों विधेयक कोरोना काल में पांच जून को घोषित तीन अध्यादेशों की जगह लेंगे।
पंजाब, हरियाणा ही नहीं, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश और राजस्थान की मंडियों के कारोबारियों का भी कहना है कि अगर प्रदेश सरकार मंडी शुल्क समाप्त कर देती या उसमें कटौती करती है तो मंडी की व्यवस्था पर नये कानून से ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा और अनाजों की खरीद मंडियों में पूर्ववत जारी रहेगी।
राजनीति
महाराष्ट्र का डिजिटल सुधार की ओर बड़ा कदम, ई-बॉन्ड और स्टांपिंग की मिलेगी सुविधा

मुंबई, 3 अक्टूबर: महाराष्ट्र ने डिजिटल सुधार की दिशा में एक बड़ा कदम बढ़ाया है। प्रदेश के राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने शुक्रवार को घोषणा की है कि महाराष्ट्र में इलेक्ट्रॉनिक बॉन्ड, ई-स्टाम्पिंग, ई-हस्ताक्षर और ऑनलाइन भुगतान की सुविधा शुरू हो रही है।
महाराष्ट्र इलेक्ट्रॉनिक बॉन्ड, ई-स्टाम्पिंग, ई-हस्ताक्षर और ऑनलाइन भुगतान की सुविधा को लागू करने वाला देश का 17वां राज्य बन गया है। इस नई प्रणाली के तहत लगभग 50 हजार दस्तावेजों के लिए अब ई-बॉन्ड की सुविधा उपलब्ध होगी। यह प्रणाली राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस सेवा लिमिटेड (एनईएसएल) और राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी) के तकनीकी सहयोग से विकसित की गई है।
चंद्रशेखर बावनकु ने पत्रकारों से बात करते हुए बताया, “महाराष्ट्र सरकार ने बहुत महत्वपूर्ण फैसला लिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व में प्रदेश में ई-बॉन्ड की सुविधा दी गई है। इस डिजिटल पहल से आयातकों और निर्यातकों के लिए सीमा शुल्क प्रक्रिया पूरी तरह से डिजिटल और सरल हो जाएगी। इससे न केवल समय की बचत होगी, बल्कि पारदर्शिता बढ़ेगी और राज्य के राजस्व में भी वृद्धि होगी। यह कदम महाराष्ट्र को डिजिटल गवर्नेंस के क्षेत्र में और मजबूत बनाएगा।”
लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष एवं कांग्रेस नेता राहुल गांधी के अपनी विदेशी यात्रा के दौरान कोलंबिया में भारत के लोकतंत्र पर खतरे की बात कहने पर राजनीतिक बयानबाजी तेज है। चंद्रशेखर बावनकुले ने राहुल गांधी के बयान पर तंज कसते हुए कहा, “राहुल गांधी विदेश में जाकर कितना भी बोलें, देश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में प्रगति कर रहा है।”
बावनकुले ने आरोप लगाया, “राहुल गांधी देश में अपनी छवि नहीं बना पाए हैं और विदेशी धरती पर जाकर भारत की छवि खराब करने का काम कर रहे हैं। राहुल गांधी का बार-बार देश का अपमान करना जनता को स्वीकार्य नहीं है और देश की जनता उन्हें सबक सिखाएगी।”
उन्होंने तंज कसते हुए कहा, “अगर राहुल गांधी को भारत पसंद नहीं है, तो वे इटली जाकर अपना काम करें।”
महाराष्ट्र
मैं उद्धव ठाकरे का आभारी हूं: मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस

मुंबई: महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने उद्धव ठाकरे पर निशाना साधते हुए कहा कि दशहरा रैली में उद्धव ठाकरे ने विकास कार्यों के बारे में एक शब्द भी नहीं कहा। मैं उनका आभारी हूँ क्योंकि उन्होंने मेरे 1,000 रुपये बचाए। मैंने कहा था कि उद्धव ठाकरे विकास कार्यों की बात नहीं करेंगे और वही हुआ, इसीलिए मैंने 1,000 रुपये बचाए हैं।
फडणवीस ने कहा कि राज्य में आई बाढ़ का राजनीतिकरण करने के बजाय सहायता की ज़रूरत है। उन्होंने कहा कि सरकार ने जिस तरह से बाढ़ प्रभावित इलाकों की मदद की है, उससे कुछ राहत ज़रूर मिली है। इसके साथ ही, फडणवीस ने विदेश में देश के लोकतंत्र पर निशाना साधने के लिए राहुल गांधी को झूठा करार दिया और कहा कि राहुल गांधी लोकतंत्र में विश्वास नहीं रखते, इसलिए झूठ बोलते हैं। उनकी दादी इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल लगाया था। अब देश में लोकतंत्र खतरे में है।
महाराष्ट्र
मुंबई के स्कूलों में साइबर शिक्षा दी जाएगी, साइबर धोखाधड़ी रोकने के लिए जागरूकता जरूरी: मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस

मुंबई: महाराष्ट्र में साइबर अपराधों पर लगाम लगाने के लिए राज्य सरकार ने अब स्कूलों और कॉलेजों में साइबर जागरूकता अभियान शुरू करने का फैसला किया है। इसके साथ ही कक्षा 6 से बच्चों को साइबर शिक्षा भी दी जाएगी। साइबर अपराधों को आरोपी को गिरफ्तार करके हल नहीं किया जा सकता क्योंकि अगर कोई लालच के बहकावे में आकर निवेश करता है, तो इसका उसके दिमाग पर असर पड़ता है और वह मानसिक रूप से परेशान होता है। गिरफ्तारी के बाद इसका समाधान नहीं हो सकता। इसलिए साइबर अपराधों पर लगाम लगाने के लिए एहतियाती उपाय और जागरूकता अभियान शुरू किया गया है। इस जागरूकता माह की शुरुआत की गई है। साइबर अपराध सरकार के लिए एक चुनौती हैं और इससे निपटने के लिए कदम उठाना भी जरूरी है।
इस तरह का दावा महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने आज यहां साइबर जागरूकता अभियान कार्यक्रम के दौरान किया। देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि राज्य में साइबर अपराधों में भारी वृद्धि हुई है स्कूलों में छठी कक्षा के छात्रों के पाठ्यक्रम में साइबर की शिक्षा देने पर भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है ताकि वे साइबर अपराधों के प्रति भी जागरूक हों। राज्य के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि राज्य सरकार साइबर अपराधों से निपटने के लिए निश्चित रूप से सशक्त है, इसीलिए राज्य में सर्वश्रेष्ठ साइबर केंद्र की स्थापना की गई है। इसके साथ ही, साइबर अपराध एक बड़ी चुनौती हैं, इसलिए इस मामले में जागरूकता बेहद ज़रूरी है। फडणवीस यहाँ डीजी कार्यालय में आयोजित साइबर जागरूकता अभियान कार्यक्रम में भाग ले रहे थे। इस अवसर पर डीजीपी रश्मि शुक्ला और अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।
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