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Monday,14-April-2025
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अमेरिका क्यों दबाव बनाने में लगा है चीन पर

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China---America

अमेरिका लगातार चीन पर दबाव बनाने में लगा हुआ है। कोविड-19 महामारी सामने आने से पहले भी अमेरिकी प्रशासन ने चीन को परेशान करने की कोशिश की। जिसके तहत चीन के खिलाफ एंटी डंपिंग ड्यूटी लगाना शामिल था। जब दोनों देशों के व्यापारिक रिश्ते बेहतर होने की उम्मीद की जा रही थी कि कोरोना वायरस का संक्रमण फैल गया। चीन ने शुरूआत में इस वायरस के संकट को झेला और व्यवस्थित तरीके से इससे निपटने का काम किया। स्थिति सामान्य होने के बाद भी चीन पूरी सतर्कता बरत रहा है।

वायरस का प्रसार जैसे-जैसे अमेरिका में बढ़ा, वैसे-वैसे अमेरिका ने चीन को आर्थिक रूप से नुकसान पहुंचाने की कोशिश की। यह हम सभी जानते हैं कि चीन विश्व की दूसरी सबसे बड़ी आर्थिक शक्ति है। चीन में तैयार होने वाले उत्पाद विश्व के कोने-कोने में पहुंचते हैं। ऐसा लगता है कि अमेरिका चीन की बढ़ती आर्थिक ताकत से घबराने लगा है। बात 5-जी तकनीक की हो, या फिर तमाम तरह के उत्पाद व उपकरण बनाने की। चीन कई क्षेत्रों में अमेरिका जैसे विकसित देशों से बेहतर प्रदर्शन कर रहा है।

हुआवेई ने दुनिया को किस तरह से सबसे तेज और सुरक्षित तकनीक देने का वादा किया है, उससे हमारे जीवन में व्यापक बदलाव आ सकता है। लेकिन अमेरिका व ब्रिटेन जैसे देश खुद की राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा होने का बहाना खोजकर हुआवेई पर प्रतिबंध लगा रहे हैं। अब बात उससे भी आगे बढ़ गयी है। समूचे विश्व में लोकप्रिय सोशल मीडिया एप टिक-टॉक पर पाबंदी लगायी जा रही है।

यहां तक कि अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप बार-बार धमकी दे रहे हैं कि टिक-टॉक को किसी अमेरिकी कंपनी को बेच दिया जाए, अन्यथा उसे अमेरिका में काम नहीं करने दिया जाएगा। क्या इस तरह की धमकी से अमेरिका चीन के साथ रिश्तों को बेहतर बना पाएगा, इसमें संदेह है।

अमेरिका द्वारा लगातार परेशान किए जाने के बाद भी चीन ने संयम से काम लिया है। चीनी नेता कहते रहे हैं कि चीन किसी भी देश के साथ अपने रिश्तों को खराब नहीं करना चाहता है, लेकिन ट्रंप बार-बार चीन को उकसाने में लगे हैं। आज हम वैश्विक दौर में जी रहे हैं। ऐसे में हर छोटे-बड़े देश की एक-दूसरे पर बहुत ज्यादा निर्भरता हो चुकी है। लेकिन अमेरिका चीन के बढ़ते वैश्विक प्रभाव से चीन पर आरोप लगाने में जुटा हुआ है।

नवंबर में होने वाले अमेरिकी चुनाव में हार का डर भी अब ट्रंप को सताने लगा है, क्योंकि कोविड-19 से निपटने में अक्षमता से वहां के नागरिकों में गुस्सा है। पर ट्रंप और माइक पोम्पेयो दिन में न जाने कितनी बार चीन का नाम लेकर बचने की कोशिश करते दिख रहे हैं।

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अंतरराष्ट्रीय समाचार

भारत और यूके के बीच फ्री ट्रेड एग्रीमेंट पर बातचीत जारी, सप्लाई चेन को मजबूत करने के लिए उठाए कदम

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नई दिल्ली, 10 अप्रैल। दुनिया में बदलते वर्ल्ड ट्रेड ऑर्डर के बीच, भारत और यूके ने दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने और फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (एफटीए) और द्विपक्षीय निवेश संधि (बीआईटी) के लिए बातचीत जारी रखने की प्रतिबद्धता जताई है।

यह जानकारी लंदन में आयोजित ’13वें इकोनॉमिक एंड फाइनेंशियल डायलॉग’ में दी गई, जिसकी सह-अध्यक्षता केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और ब्रिटेन की चांसलर ऑफ एक्सचेकर रेचल रीव्स ने की।

इवेंट के बाद जारी किए गए साझा बयान में कहा गया कि ब्रिटिश पक्ष को अपनी आगामी औद्योगिक रणनीति के बारे में जानकारी देने में खुशी हुई, जिसके तहत यह साझेदारी औद्योगिक रणनीति के प्राथमिकता वाले विकास को बढ़ावा देने वाले क्षेत्रों, जैसे उन्नत विनिर्माण और लाइफ साइंस, को सपोर्ट कर सकती है, जहां ब्रिटिश विशेषज्ञता और रिसर्च क्षमता भारत को एक वैश्विक विनिर्माण केंद्र के रूप में उभरने में मदद कर सकती है। साथ ही स्वच्छ ऊर्जा, पेशेवर और व्यावसायिक सेवाओं, वित्तीय सेवाओं, क्रिएटिव उद्योगों और रक्षा में नौकरियों और आर्थिक विकास को समर्थन दे सकती है।

दोनों पक्ष औद्योगिक क्षेत्रों के बीच संबंधों को मजबूत करने और सप्लाई चेन को सपोर्ट करने के लिए ‘भारत-ब्रिटेन रक्षा औद्योगिक रोडमैप’ पर हस्ताक्षर करने पर विचार कर रहे हैं।

भारत और यूके ने हाल के वर्षों में हुए फाइनेंशियल सर्विसेज ट्रेड का स्वागत किया, इसे और आगे बढ़ाने के लिए मिलकर काम करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की।

संयुक्त बयान के अनुसार, “दिसंबर 2024 में भारत की गिफ्ट सिटी आईएफएससी में आयोजित फाइनेंशियल मार्केट्स डायलॉग (एफएमडी) ने बैंकिंग, इंश्योरेंस, पेंशन, कैपिटल मार्केट्स और सस्टेनेबल फाइनेंस में हमारे सहयोग को गहरा करने का अवसर प्रदान किया और हमारी टीमें इस वर्ष के अंत में लंदन में अगले एफएमडी के लिए मिलेंगी।”

इस डायलॉग में भारतीय रुपये के अंतरराष्ट्रीकरण पर भी चर्चा की गई। इससे रुपये को एक अंतरराष्ट्रीय करेंसी के रूप में विकसित होने में भी मदद मिलेगी।

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अंतरराष्ट्रीय समाचार

चीन के 41वें अंटार्कटिका अभियान ने मुख्य कार्यों को सफलतापूर्वक पूरा किया

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बीजिंग, 9 अप्रैल। चीन के प्राकृतिक संसाधन मंत्रालय से मिली खबर के अनुसार, ‘श्वेलोंग’ (स्नो ड्रैगन) नामक ध्रुवीय वैज्ञानिक निरीक्षण आइसब्रेकर जहाज शांगहाई लौट आया और चीन के 41वें अंटार्कटिका अभियान दल ने अपने मुख्य कार्यों को सफलतापूर्वक पूरा किया।

जानकारी के अनुसार, चीन के 41वें अंटार्कटिक अभियान दल में देश-विदेश की 118 इकाइयों के 516 लोग शामिल हैं। ‘श्वेलोंग’ जहाज 1 नवंबर, 2024 को दक्षिण चीन के क्वांगतोंग प्रांत की राजधानी क्वांगचो से रवाना हुआ और 159 दिनों तक सफर किया, जिसमें कुल 27,000 समुद्री मील से अधिक की यात्रा की।

वहीं, ‘योंगशेंग’ जहाज 20 नवंबर, 2024 को पूर्वी चीन के च्यांगसू प्रांत के चांगच्याकांग बंदरगाह से रवाना हुआ और इस साल 23 जनवरी को अपना सर्वेक्षण मिशन पूरा किया, जो 65 दिनों तक चला और लगभग 11,000 समुद्री मील की दूरी तय की। उधर, ‘श्वेलोंग 2’ जहाज इस समय रॉस सागर की संयुक्त यात्रा पर है और जून में इसके शांगहाई लौटने की उम्मीद है।

बताया गया है कि अभियान दल ने महाद्वीपीय सीमांत बर्फ के पिघलने और मोटी परत वाली बर्फ जैसी कठिनाइयों को पार करते हुए चोंगशान स्टेशन, ग्रेट वॉल स्टेशन और छिनलिंग स्टेशन पर सामग्री और कर्मियों को उतारने का काम पूरा किया, अंटार्कटिका प्रायद्वीप, एस्ट्रोनॉट सागर, प्राइड्ज खाड़ी, अमुंडसेन सागर, रॉस सागर और अन्य जलक्षेत्रों में व्यापक सर्वेक्षण, निगरानी और वैज्ञानिक एवं तकनीकी परियोजनाएं पूरी कीं।

इनके अलावा, अभियान दल ने चोंगशान स्टेशन, ग्रेट वॉल स्टेशन, छिनलिंग स्टेशन, खुनलुन स्टेशन, थाईशान स्टेशन और ग्रोव माउंटेन में इंजीनियरिंग और समर्थन क्षमता निर्माण, थलीय और समुद्र तटीय पारिस्थितिक पर्यावरण सर्वेक्षण, अंतर्देशीय और हवाई सर्वेक्षण और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग जैसे कार्यों को पूरा किया।

इस वर्ष चीन के ध्रुवीय वैज्ञानिक निरीक्षण की 40वीं वर्षगांठ है। इस मौके पर आयोजित मौजूदा वैज्ञानिक निरीक्षण ने तकनीकी नवाचार, ध्रुवीय उपकरणों के स्वतंत्र अनुसंधान एवं विकास के बड़े पैमाने पर अनुप्रयोग तथा अंतर्राष्ट्रीय आदान-प्रदान एवं सहयोग में नई सफलताएं प्राप्त कीं, इसके साथ ही, काम करने का समय और क्षेत्रीय विस्तार जैसे पहलुओं में एक रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया है।

इसने भविष्य के बड़े पैमाने पर, उच्च तीव्रता वाले, अंतर्राष्ट्रीय और अंतःविषयक व्यापक ध्रुवीय वैज्ञानिक निरीक्षण के लिए बहुमूल्य अनुभव संचित किया है तथा अंटार्कटिका में तेजी से हो रहे परिवर्तनों पर गहन शोध और वैश्विक जलवायु परिवर्तन का प्रभावी ढंग से जवाब देने के लिए मजबूत समर्थन प्रदान किया है।

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अंतरराष्ट्रीय समाचार

कनाडा में भारतीय नागरिक की चाकू घोंपकर हत्या

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ओटावा, 5 अप्रैल। कनाडा के ओटावा के निकट रॉकलैंड इलाके में एक भारतीय नागरिक की चाकू घोंपकर हत्या कर दी गई, जिसके बाद स्थानीय अधिकारियों ने तुरंत कार्रवाई की। कनाडा में भारतीय दूतावास ने शनिवार सुबह घटना की पुष्टि करते हुए बताया कि एक संदिग्ध को हिरासत में ले लिया गया है।

भारतीय दूतावास ने एक बयान जारी कर घटना पर गहरा दुख व्यक्त किया और पीड़ित परिवार को सहायता देने का भी ऐलान किया।

दूतावास ने एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, “ओटावा के निकट रॉकलैंड में चाकू घोंपने से एक भारतीय नागरिक की दुखद मौत से हम बहुत दुखी हैं। पुलिस ने बताया है कि एक संदिग्ध को हिरासत में ले लिया गया है। हम शोक संतप्त परिजनों को हर संभव सहायता प्रदान करने के लिए स्थानीय सामुदायिक संघ के माध्यम से निकट संपर्क में हैं।”

हालांकि चाकू मारने की घटना का विवरण अभी भी अस्पष्ट है, लेकिन स्थानीय मीडिया रिपोर्टों से पता चलता है कि यह घटना सुबह-सुबह क्लेरेंस-रॉकलैंड क्षेत्र में हुई।

अधिकारियों ने अभी तक इसकी पुष्टि नहीं की है कि क्या यह वही मामला है जिसका उल्लेख भारतीय दूतावास ने किया है।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, हत्या की चल रही जांच के तहत ओन्टारियो प्रांतीय पुलिस (ओपीपी) ने क्षेत्र में अपनी उपस्थिति बढ़ा दी है।

पुलिस ने रॉकलैंड निवासियों को भी चेतावनी जारी की है, जिसमें उन्हें सलाह दी गई है कि वे कानून प्रवर्तन की गतिविधियों में वृद्धि की अपेक्षा करें, जबकि अधिकारी अपराध से जुड़ी परिस्थितियों की जांच जारी रखेंगे।

कनाडा स्थित दूतावास ने जनता को आश्वासन दिया कि वह इस कठिन समय में पीड़ित परिवार को सभी आवश्यक सहायता प्रदान कर रहा है।

चाकू घोंपने के पीछे का मकसद अभी भी स्पष्ट नहीं है और जांच जारी है। दूतावास ने स्थानीय अधिकारियों के साथ निरंतर संपर्क बनाए रखने का वादा किया है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि परिवार को उनकी ज़रूरत के मुताबिक सहायता मिले और मामले से जुड़ी आगे की कार्रवाई में मदद मिले।

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