मनोरंजन
विवेक अग्निहोत्री दिल्ली हाई कोर्ट में पेश हुए, न्यायमूर्ति एस मुरलीधर के खिलाफ टिप्पणी के लिए बिना शर्त माफी मांगी
 
												फिल्म निर्माता विवेक अग्निहोत्री ने उड़ीसा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश एस मुरलीधर के खिलाफ अपने ट्वीट के लिए सोमवार को दिल्ली हाई कोर्ट न्यायालय के समक्ष व्यक्तिगत रूप से माफी मांगी। अदालत ने कहा, “वह कहते हैं कि उनके मन में न्यायपालिका की संस्था के लिए अत्यधिक सम्मान है और जानबूझकर अदालत की गरिमा को ठेस पहुंचाने का उनका इरादा नहीं था। उन्हें जारी कारण बताओ नोटिस वापस लिया जाता है। उन्हें कथित अवमानना के रूप में आरोपमुक्त किया जाता है।” इसमें कहा गया है कि ट्विटर भारी दुख का स्रोत बन गया है। अदालत ने अग्निहोत्री को भविष्य में सावधान रहने की भी चेतावनी दी।
अदालत ने 16 मार्च को अग्निहोत्री को व्यक्तिगत रूप से माफी मांगने के लिए 10 अप्रैल को पेश होने का निर्देश दिया था। पिछले साल दिसंबर में, फिल्म निर्माता ने अपनी टिप्पणी के लिए अदालत से माफी मांगी थी, लेकिन अदालत ने अपना सबमिशन रिकॉर्ड करने के बाद सुनवाई टाल दी थी कि वह 16 मार्च को सुनवाई के लिए व्यक्तिगत रूप से अदालत में उपस्थित रहेंगे। हालांकि, अग्निहोत्री वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से उपस्थित हुए और कहा कि उसे बुखार है। पिछली सुनवाई के दौरान निदेशक ने न्यायाधीश के खिलाफ अपने बयान को वापस लेने और माफी मांगने के लिए एक हलफनामा दायर किया था। अग्निहोत्री ने जस्टिस मुरलीधर के खिलाफ ट्वीट किया था। ट्वीट्स के अनुसार, अग्निहोत्री ने न्यायमूर्ति मुरलीधर के खिलाफ पूर्वाग्रह का आरोप लगाया था। नतीजतन, निदेशक के खिलाफ अदालती अवमानना की कार्यवाही शुरू की गई।
अग्निहोत्री के ट्वीट भीमा कोरेगांव मामले में कार्यकर्ता गौतम नवलखा को राहत देने वाले न्यायाधीश के संबंध में थे। सितंबर 2022 में कोर्ट ने अग्निहोत्री के खिलाफ एकतरफा कार्रवाई करने का फैसला किया था। जिसके बाद उन्होंने माफी मांगते हुए एक हलफनामा दायर किया। अग्निहोत्री ने अपने हलफनामे में कहा था कि उन्होंने खुद जज के खिलाफ अपने ट्वीट डिलीट किए थे। हालांकि, एमिकस क्यूरी के वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद निगम ने बताया था कि यह सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म हो सकता है जिसने ट्वीट्स को हटा दिया हो और स्वयं अग्निहोत्री ने नहीं।
मनोरंजन
मैथिली ठाकुर की बहुमत से जीत के लिए मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूं : पद्मश्री गायक अनूप जलोटा

मुंबई, 30 अक्टूबर: बिहार विधानसभा चुनाव में अलिनगर सीट पर सभी की नजरें हैं। यहां पर एक तरफ आरजेडी के नेता विनोद मिश्रा हैं और दूसरी तरफ अपना पहला चुनाव लड़ रहीं गायिका मैथिली ठाकुर। एक तरफ विनोद मिश्रा का अनुभव है, तो दूसरी तरफ मैथिली की लोकप्रियता।
पद्मश्री से सम्मानित गायक अनूप जलोटा ने मैथिली ठाकुर को बहुमत से जीतने की कामना की है और उन्हें अपनी शुभकामनाएं एक वीडियो के जरिए दी हैं।
आईएएनएस को दिए एक इस खास वीडियो संदेश में अनूप जलोटा ने कहा, “मुझे बहुत खुशी है कि संगीत जगत से बहुत मशहूर गायिका मैथिली ठाकुर को इस बार भाजपा ने टिकट दिया है। मैथिली के संगीत ने लोगों के जीवन को काफी प्रभावित किया है। उनका लोक संगीत लोगों के हृदय तक पहुंचा है। मैं मैथिली को बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं।”
उन्होंने आगे कहा, “ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि मैथिली भारी वोटों से विजयी हों और देश व बिहार की जनता की सेवा करें। वह संगीत के साथ-साथ जनसेवा करते हुए लोगों के दिलों पर राज करें। मेरी तरफ से मैथिली को एक बार फिर से शुभकामनाएं।”
कुछ समय पहले ही मैथिली ठाकुर को बिहार भाजपा के अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने पार्टी की सदस्यता दिलाई। तभी से यह कहा जाने लगा था कि वह आगामी विधानसभा चुनावों में खड़ी हो सकती हैं और ऐसा हुआ भी।
मैथिली अपने विधानसभा क्षेत्र में जमकर प्रचार कर रही हैं। हाल ही में एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें कुछ लोग ‘मैथिली गो बैक’ के नारे लगा रहे थे, जांच में पाया गया कि यह पुराना वीडियो है। उनके समर्थकों का कहना है कि मैथिली की छवि खराब करने के लिए यह पुराना वीडियो वायरल किया गया था। उनके समर्थक कह रहे हैं कि बिहार की जनता मैथिली को बहुमत से जिताएगी।
मैथिली ठाकुर एक मशहूर लोक गायिका हैं। 25 जुलाई 2000 को बिहार के मधुबनी में जन्मीं मैथिली के पिता रमेश ठाकुर एक म्यूजिक टीचर हैं। उन्होंने कई भाषाओं में लोकगीत गाए हैं। मैथिली ठाकुर के भक्ति गीत बहुत लोकप्रिय हैं। पिछले साल हुए नेशनल क्रिएटर अवॉर्ड में उन्हें भी पीएम मोदी के हाथों सम्मानित किया गया था। इस दौरान मैथिली ठाकुर ने उनके साथ सेल्फी लेते हुए वीडियो भी शेयर किया था।
बॉलीवुड
निर्देशक अनुभव सिन्हा का अगला पड़ाव देहरादून, आम जनता से उनका पसंदीदा सिनेमा की यात्रा

मुंबई, 30 अक्टूबर: निर्देशक अनुभव सिन्हा इन दिनों सिनेमा की दुनिया से दूर आम लोगों के बीच उनसे ये जानने की कोशिश कर रहे हैं कि वे किस तरह की फिल्म चाहते हैं। उन्होंने गुरुवार को सोशल मीडिया के जरिए बताया है कि उनकी यात्रा का आने वाला टूर देहरादून का होगा।
निर्देशक ने इंस्टाग्राम स्टोरीज पर एक पोस्टर शेयर किया, जिसमें लिखा, “मैं आ रहा हूं आपके शहर देहरादून में… आपके देहरादून में आपसे जानने।”
सिन्हा ने फॉलोअर्स को जानकारी के लिए अपना संपर्क नंबर भी साझा किया ताकि फैंस सीधे उनसे जुड़ सकें।
दरअसल, कुछ समय पहले निर्देशक ने एक वीडियो के जरिए प्रशंसकों को जानकारी देते हुए इस बात की घोषणा की थी कि यह टूर वह आम जनता को करीब से जानने और उनको समझने के लिए है कि वे सिनेमा से क्या चाहते हैं और किस तरह की कहानियां वे देखना चाहते हैं।
इस यात्रा की शुरुआत निर्देशक ने लखनऊ से की थी, जिसकी जानकारी उन्होंने सोशल मीडिया के जरिए दी थी। निर्देशक का कहना है कि यह यात्रा महज एक प्रमोशनल टूर नहीं, बल्कि एक सिनेमाई संवाद का पुल है, जो मुंबई की चमक-दमक से दूर, ग्रामीण और अर्ध-शहरी भारत की आवाज को सुनने का प्रयास है।
अनुभव अपने फिल्मी करियर में कई शानदार फिल्में बना चुके हैं, जिनमें ‘आर्टिकल 15,’ ‘मुल्क,’ ‘थप्पड़,’ ‘भीड़,’ ‘अनेक,’ और ‘गुलाब गैंग’ शामिल हैं।
उन्होंने डायरेक्टर पंकज पाराशर के लिए असिस्टेंट डायरेक्टर के रूप में काम किया। इसके बाद अनुभव ने साल 2001 में आई फिल्म ‘तुम बिन’ का डायरेक्शन किया, लेकिन उन्हें सबसे पहले बड़ी पहचान शाहरुख खान और करीना कपूर खान की फिल्म ‘रा. वन’ के जरिए मिली थी। इसके अलावा, अनुभव सिन्हा ने नेटफ्लिक्स सीरीज ‘आईसी 814 : कंधार प्लेन हाईजैक’ (2024) का भी निर्देशन किया है, जो एक वास्तविक घटना पर आधारित है।
गौरतलब है कि अनुभव की पत्नी रत्ना सिन्हा भी डायरेक्टर हैं। वे ‘शादी में जरूर आना’ सहित अन्य फिल्मों के लिए बतौर डायरेक्टर-प्रोड्यूसर काम कर चुकी हैं।
मनोरंजन
दिल्ली हाईकोर्ट ने ‘द ताज स्टोरी’ के खिलाफ जनहित याचिका पर तत्काल सुनवाई से किया इनकार

नई दिल्ली, 29 अक्टूबर: दिल्ली हाईकोर्ट ने 31 अक्टूबर को रिलीज होने वाली फिल्म ‘द ताज स्टोरी’ को लेकर दाखिल जनहित याचिका (पीआईएल) पर तत्काल सुनवाई करने से इनकार कर दिया है। याचिका में फिल्म पर आरोप लगाया गया था कि इसमें इतिहास को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया है और इसके रिलीज होने से देश में साम्प्रदायिक माहौल बिगड़ सकता है।
बता दें कि याचिका दिल्ली के वरिष्ठ अधिवक्ता शकील अब्बास ने दायर की थी। इसमें फिल्म के निर्माता, निर्देशक और अभिनेता परेश रावल को पक्षकार बनाया गया है। साथ ही याचिकाकर्ता ने केंद्र सरकार और सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन (सीबीएफसी) को भी पक्षकार बनाया था। याचिकाकर्ता का दावा है कि फिल्म ताजमहल और उससे जुड़ी ऐतिहासिक जानकारी को गलत तरीके से पेश करती है, जिससे जनता के बीच भ्रम फैल सकता है और धार्मिक और सांप्रदायिक तनाव पैदा होने का खतरा है।
याचिका में यह भी कहा गया कि फिल्म बनाने वाली टीम की पिछली फिल्में राजनीतिक दृष्टिकोण को बढ़ावा देती रही हैं। उदाहरण के तौर पर याचिकाकर्ता ने ‘द कश्मीर फाइल्स’ और ‘द बंगाल फाइल्स’ का जिक्र किया, जो पहले भी विवादित और राजनीतिक रूप से संवेदनशील मानी गई थीं।
शकील अब्बास का तर्क था कि ‘द ताज स्टोरी’ भी उन्हीं उद्देश्यों को लेकर बनाई जा रही है और इसमें इतिहास को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया है।
याचिका में फिल्म के ट्रेलर का हवाला देते हुए कहा गया था कि ट्रेलर में कई ऐतिहासिक तथ्यों का गलत चित्रण किया गया है।
याचिकाकर्ता का कहना था कि सीबीएफसी ने ट्रेलर और फिल्म की सामग्री की जिम्मेदारी से जांच नहीं की, जिससे जनता में भ्रम फैल सकता है।
याचिकाकर्ता ने अदालत से फिल्म की सर्टिफिकेशन को दोबारा जांचने की मांग की थी। इसके अलावा यह भी कहा गया कि फिल्म में स्पष्ट डिस्क्लेमर (सावधानी नोटिस) जोड़ा जाए और यदि जरूरी हो तो कुछ आपत्तिजनक दृश्य हटाए जाएं।
हालांकि दिल्ली हाईकोर्ट ने तत्काल सुनवाई करने से इनकार कर दिया है।
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