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Wednesday,05-November-2025
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देखें: भारतीय उच्चायोग के अधिकारी ने खालिस्तानी झंडा हटाया, लंदन मिशन में लगा विशाल तिरंगा

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Khalistan

लंदन में भारतीय उच्चायोग भवन के बाहर एक विशाल भारतीय राष्ट्रीय ध्वज लटकाए जाने के बाद से यह ध्यान का केंद्र बन गया है। यह घटना अमृतपाल सिंह पर कार्रवाई के विरोध में उसी इमारत के बाहर खालिस्तानी समर्थकों द्वारा राष्ट्रीय ध्वज को गिराए जाने के कुछ ही समय बाद हुई थी। लंदन के एल्डविच में इंडिया हाउस में लटके हुए बड़े राष्ट्रीय ध्वज की तस्वीर वायरल हो गई है, जिसमें कई सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं ने इस कदम की सराहना की है। इंडिया हाउस के बाहर एक खालिस्तानी समर्थक द्वारा राष्ट्रीय ध्वज को नीचे खींचने की हाल की घटना ने सोशल मीडिया पर कड़ी प्रतिक्रिया दी थी। कई लोगों ने उच्चायोग के अधिकारी की प्रशंसा की जो खालिस्तान के झंडे को फेंकते हुए देखे गए।

भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता जयवीर शेरगिल ने एक ट्विटर पोस्ट में लंदन मिशन में भारतीय तिरंगे की तस्वीर साझा करते हुए कहा, “झंडा ऊंचा रहे हमारा” – यूके सरकार को उन बदमाशों के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए जिन्होंने लंदन के उच्चायोग में भारतीय ध्वज का अपमान करने का प्रयास किया। पंजाब और पंजाबी देश की सेवा/रक्षा करने का उनका शानदार ट्रैक रिकॉर्ड है। यूके में बैठे मुट्ठी भर जम्पिंग जैक पंजाब का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं।”

विदेश मंत्रालय ने ब्रिटिश अधिकारी को तलब किया
भारतीय विदेश मंत्रालय ने उच्चायोग परिसर में “सुरक्षा की अनुपस्थिति” के लिए स्पष्टीकरण मांगने के लिए ब्रिटिश उप-उच्चायुक्त क्रिस्टीना स्कॉट को तलब किया और भारतीय राजनयिकों और कर्मियों के लिए यूके सरकार की “उदासीनता” की आलोचना की। इस घटना पर यूके के विदेश राष्ट्रमंडल और विकास मामलों के राज्य मंत्री लॉर्ड तारिक अहमद ने भी प्रतिक्रिया व्यक्त की, जिन्होंने ट्वीट किया कि वह भारतीय उच्चायोग पर हमले से “हैरान” थे और आश्वासन दिया कि यूके सरकार हमेशा सुरक्षा की जिम्मेदारी लेगी। भारतीय उच्चायोग गंभीरता से।

भारत में खालिस्तानी उग्रवाद के बारे में
उल्लेखनीय है कि खालिस्तानी अलगाववाद का मुद्दा भारत के लिए लंबे समय से चिंता का विषय रहा है। आंदोलन का उद्देश्य पंजाब में खालिस्तान का एक स्वतंत्र राज्य स्थापित करना है, जो संभावित रूप से भारत के विखंडन का कारण बन सकता है। भारत सरकार ने खालिस्तानी हमदर्दों और संगठनों पर कार्रवाई सहित आंदोलन को रोकने के लिए कई उपाय किए हैं।

अंतरराष्ट्रीय समाचार

गनपाउडर प्लॉट: जब तहखाने से बरामद हुआ ‘बारूद’ और हुआ एक बड़ी साजिश का पर्दाफाश

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नई दिल्ली, 4 नवंबर: ‘गनपाउडर प्लॉट’ ब्रिटेन के इतिहास का ऐसा अध्याय है जो अगर सफल होता तो संसद धूल में मिल गई होती। ये घटना 1605 की है। 5 नवंबर की सुबह लंदन की सर्द हवा में एक साजिश की बू थी। ब्रिटिश संसद के तहखाने से अचानक 36 बैरल बारूद बरामद हुए और उसी के साथ ब्रिटेन के इतिहास की दिशा बदल गई। यह था गनपाउडर प्लॉट, यानी “बारूद की साजिश”-एक ऐसा प्रयास जिसने इंग्लैंड के राजा, सरकार और कैथोलिक धर्म के संबंधों को हमेशा के लिए बदल दिया।

यह षड्यंत्र किंग जेम्स प्रथम के खिलाफ रची गई थी। उस दौर में इंग्लैंड में कैथोलिक्स पर अत्याचार हो रहे थे और देश पर प्रोटेस्टेंट शासन था। कई कैथोलिक गुट यह मानते थे कि अगर संसद को उड़ा दिया जाए और राजा की हत्या हो जाए, तो देश में दोबारा उनका शासन लौट सकता है। इस योजना का नेतृत्व रॉबर्ट केट्सबी ने किया था, जबकि जिस नाम ने इतिहास में जगह बनाई वह था ‘गाइ फॉक्स’ , जो बारूदों की रखवाली करने वाला सैनिक था।

4 नवंबर की रात, फॉक्स संसद के नीचे स्थित तहखाने में तैयारियों में लगा था। लेकिन गुप्त सूचना मिलने पर वहां छापा पड़ा और उसे गिरफ्तार कर लिया गया। पूछताछ में उसने साथियों के नाम बताए, और जल्द ही पूरी साजिश का पर्दाफाश हो गया। अगर यह साजिश सफल होती, तो उस दिन इंग्लैंड की संसद, राजा और अभिजात वर्ग सब खत्म हो सकते थे।

फॉक्स और उसके साथियों को राजद्रोह के आरोप में मौत की सजा दी गई। लेकिन उनकी असफलता ने ब्रिटेन को एक प्रतीक दे दिया — हर 5 नवंबर को बोनफायर नाइट या गाई फॉक्स नाइट के रूप में मनाया जाता है, जब लोग आतिशबाजी करते हैं और “रिमेम्बर, रिमेम्बर द फिफ्थ ऑफ नवंबर…” की पंक्तियां गाते हैं। यह न केवल उस साजिश की याद है, बल्कि सत्ता, धर्म और विद्रोह के उस संघर्ष की भी याद दिलाती है जिसने इंग्लैंड के राजनीतिक इतिहास को आकार दिया।

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अंतरराष्ट्रीय समाचार

‘मै चाहूं तो तुरंत खत्म हो जाएगा हमास’, अमेरिकी राष्ट्रपति ने इजरायली पीएम को बताया प्रतिभाशाली व्यक्ति

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TRUMP

नई दिल्ली, 3 नवंबर: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक इंटरव्यू में हमास को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि अगर वह चाहें तो हमास को तुरंत खत्म कर देंगे। अमेरिकी राष्ट्रपति ने इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की जमकर तारीफ भी की।

ट्रंप ने कहा कि अगर हमास ने अच्छा व्यवहार नहीं किया, तो उसे तुरंत खत्म किया जा सकता है। अगर मैं हमास को निशस्त्र करना चाहूंगा तो मैं यह तुरंत कर दूंगा। उन्हें खत्म कर दिया जाएगा। वे यह जानते हैं।

पीएम नेतन्याहू को लेकर उन्होंने कहा कि वह बहुत प्रतिभाशाली व्यक्ति हैं। वह ऐसे व्यक्ति हैं जिन पर पहले कभी दबाव नहीं डाला गया। मुझे नहीं लगता कि उनके साथ अच्छा व्यवहार किया जाता है। मैंने उन पर दबाव डाला।

ठीक एक दिन पहले अमेरिका ने एक वीडियो फुटेज जारी कर हमास पर आरोप लगाया था कि वे गाजा में आम लोगों की मदद के लिए जो सहायता भेजी जा रही है, उसे लूट रहे हैं। हालांकि हमास ने अमेरिका की ओर से लगाए गए इस आरोप को सिरे से खारिज कर दिया था। हमास ने एक बयान जारी कर कहा कि गाजा में एक सहायता काफिले को लूटने के अमेरिकी आरोप झूठे हैं।

हमास द्वारा संचालित गाजा सरकार के मीडिया ऑफिस ने कहा था, “अमेरिकी सेंट्रल कमांड के आरोप झूठे हैं। उनके पास सबूतों का अभाव है और ये एक सुनियोजित दुष्प्रचार अभियान का हिस्सा है।”

संयुक्त राज्य अमेरिका सेंट्रल कमांड (सीईएनटीसीओएम) द्वारा इस सप्ताह के अंत में एक ड्रोन वीडियो रिलीज किया गया, जिसमें शुक्रवार को दक्षिणी गाजा पट्टी में एक सहायता ट्रक को लूटते हुए संदिग्ध हमास कार्यकर्ताओं को दिखाया गया था।

सीईएनटीसीओएम ने एक बयान में कहा, “दक्षिणी इजरायल के किर्यत गत शहर में स्थित अमेरिकी नेतृत्व वाले नागरिक सैन्य समन्वय केंद्र (सीएमसीसी) ने उत्तरी खान यूनिस में गाजावासियों को आवश्यक सहायता पहुंचाने वाले एक सहायता ट्रक को लूटते हुए संदिग्ध हमास कार्यकर्ताओं को देखा।”

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अंतरराष्ट्रीय समाचार

नाइजीरिया में क्यों मचा बवाल? ईसाइयों के ऊपर हिंसा के बाद ट्रंप ने दिया जांच का आदेश

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TRUMP

नई दिल्ली, 1 नवंबर: अफ्रीका के सबसे अधिक आबादी वाले देश नाइजीरिया में इस समय अशांति फैली हुई है। हिंसा का आधार बढ़ती धार्मिक असहिष्णुता और कट्टरवाद है। देश में फैली अशांति और हिंसा पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चिंता जताई है।

अमेरिकी राष्ट्रपति ने ट्रूथ सोशल पर एक पोस्ट में लिखा, “नाइजीरिया में ईसाई धर्म का अस्तित्व खतरे में है। हजारों ईसाई मारे जा रहे हैं। इस सामूहिक नरसंहार के लिए कट्टरपंथी इस्लामवादी जिम्मेदार हैं। मैं नाइजीरिया को एक “विशेष चिंता का देश” घोषित कर रहा हूं।”

राष्ट्रपति ट्रंप ने लिखा, “जब ईसाइयों या ऐसे किसी भी समूह का नाइजीरिया की तरह कत्लेआम हो रहा है, तो कुछ तो करना ही होगा! मैं कांग्रेसी रिले मूर, अध्यक्ष टॉम कोल और सदन की विनियोग समिति के साथ मिलकर इस मामले की तुरंत जांच करने और मुझे रिपोर्ट करने का अनुरोध करता हूं। नाइजीरिया और कई अन्य देशों में इस तरह के अत्याचार होते देख अमेरिका चुप नहीं रह सकता। हम दुनिया भर में अपनी विशाल ईसाई आबादी को बचाने के लिए तैयार, इच्छुक और सक्षम हैं!”

नाइजीरिया में हो रही इस धार्मिक हिंसा को लेकर पहले भी अमेरिकी कांग्रेस सदस्यों ने चिंता जाहिर की है। बता दें, हिंसा का एक कारण इस्लामिक समूह बोको हरम और इस्लामिक स्टेट वेस्ट अफ्रीका प्रोविन्स जैसे समूह भी हैं। ऐसे चरमपंथी इस्लामिक समूह ईसाइयों को निशाना बना रहे हैं।

अकॉर्ड की रिपोर्ट के अनुसार नाइजीरिया में ईसाई धर्म के लोगों के खिलाफ इस तरह से हिंसा फैलाने का आधार धार्मिक असहिष्णुता और कट्टरवाद है।

नाइजीरिया में ईसाई धर्म या इस्लाम धर्म के लोगों की तादाद ज्यादा है। 47 से 54 फीसदी लोग यहां इस्लाम को मानते हैं। उत्तरी हिस्से में मुसलमानों की आबादी ज्यादा है। इस हिस्से में गरीबी भी ज्यादा है। वहीं दक्षिण-पूर्वी इलाके में ईसाई धर्म को मानने वाले लोगों की संख्या ज्यादा है। यहां लोगों की जीवनशैली भी काफी बेहतर है।

नाइजीरिया में दोनों धर्मों के बीच लंबे समय से संघर्ष जारी है। मीडिया रिपोर्ट्स में यह भी दावा किया जा रहा है कि ईसाइयों के विरोध के बावजूद वहां उत्तरी राज्यों में इस्लामी शरिया कानून को माना जा रहा है। दोनों धार्मिक समूहों की आपसी लड़ाई अब हिंसक रूप ले चुकी है।

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