राजनीति
वरुण गांधी और भाजपा, दोनों को है पहल और कार्रवाई का इंतजार

एक जमाने में अपने बयानों की वजह से कट्टर हिंदूवादी नेता के तौर पर लोकप्रिय हुए वरुण गांधी आजकल सोशल मीडिया के जरिए दिए गए अपने बयानों को लेकर काफी चर्चा में रहते हैं।
गांधी परिवार के एक महत्वपूर्ण सदस्य के तौर पर भव्य स्वागत के साथ भाजपा में शामिल होने वाले वरुण गांधी को भाजपा आलाकमान ने 2013 में सबसे कम उम्र का राष्ट्रीय महासचिव बनाया। उनकी लोकप्रियता को देखते हुए भाजपा ने उन्हें पश्चिम बंगाल का प्रभारी भी बना दिया। लेकिन जैसे-जैसे राजनीतिक परिस्थिति बदलती गई वैसे-वैसे वरुण गांधी का पद, कद और महत्व तीनों ही पार्टी में घटता चला गया। एक जमाने में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के सबसे प्रबल दावेदार माने जाने वाले वरुण गांधी आज पार्टी में पूरी तरह से अलग-थलग हैं।
उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव चल रहे हैं और वरुण गांधी एवं उनकी माताजी मेनका गांधी, दोनों ही चुनाव प्रचार से पूरी तरह अलग हैं। भाजपा के पक्ष में बयान देना या भाजपा उम्मीदवारों को विजयी बनाने की अपील करने की बजाय वरुण ने तो अपनी ही सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। गन्ने की कीमत, एमएसपी पर कानून, लखीमपुर खीरी हिंसा, केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी का इस्तीफा, बेरोजगारी, महिला सुरक्षा और उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था के साथ-साथ वरुण गांधी लगातार सरकार की आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक और विदेश नीति पर सवाल उठा रहे हैं। कभी इशारों में तो कभी प्रत्यक्ष तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर भी कटाक्ष करते नजर आते हैं।
ऐसे में वरुण गांधी की भविष्य की राजनीति को लेकर भी कई तरह के सवाल उठ रहे हैं कि आखिर वरुण गांधी क्या करना चाहते हैं ? अपनी ही पार्टी की सरकार को कठघरे में खड़ा कर वरुण गांधी हासिल क्या करना चाहते हैं? वरुण गांधी अपने रुख को लेकर यह साफ कर चुके हैं कि जनता ने उन्हें बुनियादी सवालों को उठाने के लिए चुनकर संसद भेजा है और इसलिए वो जनता से जुड़े मुद्दों को उठाते रहेंगे। जाहिर है कि वरुण ने अपना स्टैंड साफ कर दिया है, हालांकि इसके साथ ही एक और तथ्य भी निकल कर सामने आ रहा है कि फिलहाल वरुण गांधी कोई नया राजनीतिक ठिकाना ढूंढने नहीं जा रहे हैं। यानि वो भाजपा में रहकर ही इन तमाम मुद्दों को उठाते रहेंगे और इस तरह से उन्होंने गेंद पार्टी के पाले में ही डाल दी है।
भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने अक्टूबर 2021 में घोषित अपनी नई टीम से वरुण और मेनका गांधी को बाहर कर यह सख्त संदेश दे दिया था कि पार्टी वरुण के इन तेवरों को बर्दाश्त करने को तैयार नहीं है। पार्टी के राष्ट्रीय संगठन महासचिव बीएल संतोष के जरिए वरुण गांधी को उस समय यह समझाने का भी प्रयास किया गया था जो सफल नहीं हो पाया।
ऐसे में यह स्पष्ट नजर आ रहा है कि फिलहाल दोनों ही एक दूसरे को तौलने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसा लगता है कि वरुण गांधी यह चाहते हैं कि पार्टी उनके खिलाफ कार्रवाई करे लेकिन राजनीतिक चतुराई दिखाते हुए भाजपा के आला नेताओं ने यह तय किया है कि वो वरुण गांधी को शहीद बनने का मौका नहीं देंगे, इसलिए उन्होंने वरुण को उनके हाल पर छोड़ दिया है। पार्टी सूत्रों की मानें तो फिलहाल पार्टी वरुण गांधी के खिलाफ किसी तरह की कार्रवाई करने के मूड में नहीं है, वहीं वरुण भी वेट एन्ड वाच की नीति को अपना कर भाजपा में रहते हुए भी लगातार अपने हमलों को तेज और तीखा करते जा रहे हैं।
बॉलीवुड
कुणाल कामरा ने बॉम्बे हाई कोर्ट से एफआईआर रद्द करने की लगाई गुहार

मुंबई, 7 अप्रैल। कॉमेडियन कुणाल कामरा ने सोमवार को बॉम्बे हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की, जिसमें उन्होंने अदालत से मुंबई पुलिस के उनके खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर को रद्द करने की गुहार लगाई है।
कुणाल कामरा ने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19 और 21 के तहत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और जीवन के अधिकार के मौलिक अधिकार के आधार पर उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने की मांग की है। इस मामले की सुनवाई 21 अप्रैल को बॉम्बे हाई कोर्ट के जस्टिस एसवी कोटवाल और जस्टिस एसएम मोदक की खंडपीठ करेगी।
बता दें, मुंबई के खार पुलिस स्टेशन में कॉमेडियन कुणाल कामरा के खिलाफ तीन अलग-अलग मामले दर्ज हैं। इन तीनों मामलों में महाराष्ट्र के विभिन्न स्थानों से जीरो एफआईआर के तहत शिकायतें मुंबई के खार पुलिस स्टेशन में ट्रांसफर की गई हैं। यह एफआईआर बुलढाना, नासिक और ठाणे जिलों से दर्ज की गई थीं और अब इनकी जांच मुंबई के खार पुलिस स्टेशन द्वारा की जा रही है।
मुंबई पुलिस के अनुसार कामरा पर आरोप है कि उन्होंने महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणियां की थीं। खार पुलिस इन मामलों की जांच कर रही है। इस संबंध में कुणाल कामरा को तीन बार पूछताछ के लिए बुलाया जा चुका है, लेकिन वह पुलिस स्टेशन में उपस्थित नहीं हुए हैं।
पुलिस सूत्रों के अनुसार, शिकायत में दावा किया गया कि कामरा ने महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे पर तंज कसते हुए एक पैरोडी गीत गाया था। युवा सेना के सदस्य रूपेश मिश्रा ने यह शिकायत दर्ज कराई थी। पुलिस ने गैर-संज्ञेय अपराध दर्ज किया। पुलिस ने पहले ही कामरा पर भारतीय न्याय संहिता की धारा 356(2) (मानहानि) के तहत मामला दर्ज कर लिया है।
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का नाम लिए बगैर उन पर टिप्पणी करने वाले कामरा को तीन बार समन जारी हो चुका है। हालांकि, वह पेश नहीं हुए। मुंबई के खार थाने से मिली जानकारी के मुताबिक, दूसरा समन भेजे जाने के बाद से कामरा पुलिस के संपर्क में नहीं हैं। कुणाल को पहला समन 25 मार्च को जारी हुआ था, जिसे लेकर कुणाल ने 2 अप्रैल तक का समय मांगा था, लेकिन पुलिस ने मोहलत देने से इनकार करते हुए उन्हें 27 मार्च को दूसरा समन जारी किया और 31 मार्च को खार पुलिस स्टेशन में हाजिर होने के लिए कहा।
खार पुलिस हैबिटेट स्टूडियो से जुड़े कई लोगों से पूछताछ कर उनका बयान दर्ज कर चुकी है। मामले से जुड़े अन्य लोगों से पूछताछ जारी है।
महाराष्ट्र
बीर मक्का मस्जिद बम विस्फोट यूएपीए का कार्यान्वयन

मुंबई: पुलिस ने बीर अर्द मसला मक्का मस्जिद विस्फोट मामले में यूएपीए एक्ट लागू कर दिया है। 30 मार्च की मध्य रात्रि को विजय अगोन और श्री राम अशोक ने मस्जिद में बम रखा और उसमें विस्फोट कर दिया। यह विस्फोट जेटलाइनर और डेटोनेटर की मदद से किया गया। इस मामले में पुलिस ने पहले आर्म्स एक्ट और अन्य धाराओं के तहत मामला दर्ज किया था, लेकिन उसके बाद मुस्लिम संगठनों ने आरोपियों पर यूएपीए एक्ट और एनएसए के तहत मुकदमा चलाने की मांग की थी।
बीड विस्फोट की जांच स्थानीय अपराध शाखा द्वारा की गई थी, जिसमें अपराध शाखा ने पाया कि विस्फोट बहुत शक्तिशाली था और इसमें जेटलाइनर छड़ों के साथ डेटोनेटर का भी इस्तेमाल किया गया था। इसी आधार पर क्राइम ब्रांच की सिफारिश पर यूएपीए एक्ट लागू किया गया है। पुलिस ने दोनों आतंकवादियों के खिलाफ यूएपीए की धारा 16 और 18 के तहत मामला दर्ज किया है। बीड विस्फोट के बाद से महाराष्ट्र आतंकवाद निरोधक दस्ता (एटीएस) पुलिस के साथ मिलकर इसकी जांच कर रहा है। एटीएस इस मामले में आतंकवादियों से संबंध और वित्तपोषण की जांच कर रही है, जिसमें यह भी शामिल है कि आरोपियों को जेटलाइनर की छड़ें कैसे उपलब्ध कराई गईं और बिना लाइसेंस या परमिट के उन्हें जेटलाइनर की छड़ें किसने उपलब्ध कराईं। इसके साथ ही यह भी पता लगाने के लिए जांच जारी है कि इस मामले में और कितने लोग और साजिशकर्ता शामिल हैं।
एटीएस ने कहा कि बीड बम विस्फोट के हर पहलू और बिंदु पर जांच जारी है, हालांकि, एटीएस ने अब तक इस मामले में कई लोगों से पूछताछ की है, जिनमें आरोपियों के परिवार के सदस्य और शुभचिंतक के साथ-साथ उनके दोस्त और परिचित भी शामिल हैं। एटीएस बीड मक्का मस्जिद विस्फोट मामले में विस्फोट से पहले की साजिश को उजागर करने की कोशिश कर रही है क्योंकि विस्फोट से पहले आरोपी विजय अगोन ने एक वीडियो जारी कर स्टेटस पर अपलोड कर मुसलमानों को मस्जिद हटाने की धमकी दी थी और उसके बाद ही यहां विस्फोट हुआ था। स्थानीय पुलिस ने एक दिन पहले ही आरोपियों के खिलाफ धार्मिक नफरत फैलाने का मामला भी दर्ज किया था और अगले दिन मस्जिद में विस्फोट कर दिया गया।
अपराध
अभिनेता एजाज खान की पत्नी, फॉलन गुलीवाला को मिली जमानत, सोमवार को होगी रिहाई।

मुंबई: अभिनेता एजाज खान की पत्नी, फॉलन गुलीवाला, जिन्हें नवंबर 2024 में उनके आवास से मादक पदार्थों की बरामदगी के मामले में गिरफ्तार किया गया था, को मुंबई की एक विशेष अदालत ने जमानत दे दी है। गुलीवाला पिछले चार महीने से अधिक समय से हिरासत में थीं।
अदालत ने जमानत देते हुए कुछ शर्तें लगाई हैं, जिनमें उनका पासपोर्ट जमा करना, यात्रा पर प्रतिबंध और जांच अधिकारी के समक्ष सप्ताह में तीन बार उपस्थित होना शामिल है, जब तक कि आरोप पत्र दाखिल नहीं हो जाता।
गुलीवाला के वकील, अयाज खान, ने दलील दी कि उन्हें बरामद वस्तुओं की जानकारी नहीं थी और वह उस परिसर की अकेली निवासी नहीं थीं। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि छापे के दौरान सीसीटीवी सिस्टम बंद कर दिया गया था और कोई वीडियोग्राफी या फोटोग्राफी नहीं की गई थी।
विशेष लोक अभियोजक विभावरी पाठक ने जमानत याचिका का विरोध करते हुए तर्क दिया कि गुलीवाला के खिलाफ प्रथम दृष्टया मामला बनता है।
अदालत ने यह देखते हुए कि जब्ती प्रक्रिया पूरी हो चुकी है, गुलीवाला को जमानत दी, लेकिन सख्त शर्तों के साथ।
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