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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कॉपर पर संभावित शुल्क की जांच के दिए आदेश

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वाशिंगटन, 26 फरवरी। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कॉपर के आयात से अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा और आर्थिक स्थिरता को लेकर संबंधित खतरे की जांच के लिए एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए हैं। इस कार्यकारी आदेश के तहत एयरक्राफ्ट, वाहन, जहाज और दूसरे मिलिट्री हार्डवेयर बनाने में इस्तेमाल होने वाले मेटल पर नए शुल्क लगाए जा सकते हैं।

ट्रंप ने वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लुटनिक को 1962 के व्यापार विस्तार अधिनियम की धारा 232 के तहत जांच करने का निर्देश दिया। जिसके अनुसार अगर कोई आयात संयुक्त राज्य अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा को कमजोर करता है तो राष्ट्रपति को आयात प्रतिबंध लगाने की अनुमति है।

मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, यह कदम ऐसे समय उठाया गया है जब ट्रंप अमेरिका के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को बढ़ावा देने, अमेरिका के व्यापार घाटे को कम करने और दूसरे नीतिगत लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए शुल्क का उपयोग कर रहे हैं।

व्हाइट हाउस ने एक फैक्ट शीट में कहा, ” इस आयातित कॉपर से संयुक्त राज्य अमेरिका पर पड़ने वाले संभावित खतरे को लेकर जांच की जाएगी। इसका एक उद्देश्य घरेलू उद्योगों की सुरक्षा को लेकर किए जा रहे उपायों की जरूरत का आकलन करना भी होगा।”

इसमें कहा गया है, “जांच के बाद एक रिपोर्ट तैयार की जाएगी, जिसमें कॉपर की सप्लाई चेन में कमजोरियों की पहचान की जाएगी और अमेरिका की घरेलू कॉपर इंडस्ट्री को और मजबूत करने को लेकर सिफारिशें दी जाएंगी।”

एक सोशल मीडिया पोस्ट में ट्रंप ने कहा कि अमेरिका के स्टील और एल्युमीनियम इंडस्ट्री की तरह, कॉपर इंडस्ट्री भी “हमारे घरेलू उत्पादन पर हमला करने वाले ग्लोबल एक्टर्स द्वारा तबाह कर दी गई है।”

उन्होंने ट्रुथ सोशल पर लिखा, “हमारी कॉपर इंडस्ट्री को फिर से खड़ा करने के लिए, मैंने अपने वाणिज्य सचिव और यूएसटीआर से कॉपर के आयात की स्टडी करने और अमेरिकियों को बेरोजगार करने वाले अनुचित व्यापार को समाप्त करने का अनुरोध किया है। टैरिफ हमारे अमेरिकी कॉपर इंडस्ट्री को फिर से खड़ा करने और हमारी राष्ट्रीय रक्षा को मजबूत करने में मदद करेंगे।”

यूएसटीआर अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि का संक्षिप्त नाम है।

उन्होंने आगे कहा, “अमेरिकी उद्योग कॉपर पर निर्भर हैं और इसे अमेरिका में ही बनाया जाना चाहिए — कोई छूट नहीं, कोई अपवाद नहीं! ‘अमेरिका फर्स्ट’ अमेरिकी नौकरियों का सृजन करता है और हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा की रक्षा करता है। कॉपर के ‘कम होम’ का समय आ गया है।”

कानून के अनुसार, वाणिज्य सचिव के पास कॉपर के मुद्दे के संबंध में अपने विभाग के निष्कर्षों और सिफारिशों को राष्ट्रपति के समक्ष प्रस्तुत करने के लिए 270 दिन हैं।

सचिव से रिपोर्ट प्राप्त करने के 90 दिनों के भीतर राष्ट्रपति को यह निर्धारित करना है कि क्या वह विभाग के निष्कर्षों से सहमत हैं या नहीं और फिर निर्णय लेते हैं।

हालांकि, व्हाइट हाउस के एक अधिकारी ने अनुमान लगाया कि जांच प्रक्रिया “ट्रंप के समय” में तेजी से आगे बढ़ेगी।

ट्रंप ने पहले ही सभी स्टील और एल्युमीनियम आयातों पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने की योजना की घोषणा कर दी है, जबकि उनका प्रशासन अमेरिकी आयातों पर “रेसिप्रोकल” टैरिफ लगाने की ओर बढ़ रहा है, जो अन्य देशों द्वारा अमेरिकी निर्यात पर लगाए जाने वाले शुल्कों से मेल खाएगा। वह कारों, चिप्स और फार्मास्यूटिकल्स पर संभावित टैरिफ लगाने पर भी विचार कर रहे हैं।

अंतरराष्ट्रीय समाचार

बांग्लादेश में बढ़ती राजनीतिक और धार्मिक हिंसा पर ब्रिटेन की संसद में चर्चा, सांसदों ने जताई चिंता

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लंदन, 18 दिसंबर: बांग्लादेश में जारी हिंसक घटनाओं की चर्चा ब्रिटेन की संसद तक शुरू हो गई है। दरअसल, ब्रिटेन की कंजर्वेटिव पार्टी के सांसद बॉब ब्लैकमैन ने संसद में एक कार्यक्रम का आयोजन किया। इस इवेंट में बांग्लादेश में राजनीतिक और धार्मिक हिंसा में खतरनाक बढ़ोतरी और लोकतंत्र के लिए बढ़ते खतरों को लेकर चर्चा हुई। कार्यक्रम में बांग्लादेश यूनिटी फोरम और डॉटी स्ट्रीट चैंबर्स के बैरिस्टर आदि शामिल हुए।

बांग्लादेश में जिस तरह के हालात बने हुए हैं, वह पूरी दुनिया के सामने है। इसे लेकर अंतर्राष्ट्रीय संगठनों ने भी चिंता जाहिर की है। अगले साल फरवरी में आम चुनाव से पहले चुनावी हिंसा के मामले बढ़ रहे हैं। यूनुस की अंतरिम सरकार में अवामी लीग पर चुनाव लड़ने पर बैन लगा दिया गया है। इसे लेकर ब्रिटेन के सांसदों ने भी चिंता जाहिर की।

कार्यक्रम के दौरान ब्रिटेन के सांसदों, वकीलों और कार्यकर्ताओं ने अवामी लीग पर गैर-कानूनी बैन के बाद बांग्लादेश में फरवरी 2026 में होने वाले चुनावों से पहले हमलों को लेकर चर्चा की।

उन्होंने देश में स्वतंत्र, निष्पक्ष और सबको साथ लेकर चलने वाले चुनावों के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर अवामी लीग को भाग लेने की इजाजत नहीं दी गई तो आने वाले चुनावों में संवैधानिक वैधता की कमी होगी और लाखों आम बांग्लादेशियों को वोट देने का अधिकार नहीं मिलेगा।

कार्यक्रम में शामिल लोगों ने देश के इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल (आईसीटी) में बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ कार्यवाही के दौरान सही प्रक्रिया की कमी की भी आलोचना की। इसके अलावा, अधिकारियों पर न्यायपालिका को राजनीतिक दबाव के एक टूल के रूप में इस्तेमाल करने का आरोप लगाया।

ब्रिटेन के बैरिस्टरों ने इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट और यूए के स्पेशल रिपोर्टरों को पत्र लिखकर बांग्लादेश में बदले की हिंसा, बिना कानूनी कार्रवाई के फांसी, मनमानी हिरासत और निष्पक्ष सुनवाई के अधिकारों के गलत इस्तेमाल में बढ़ोतरी पर चिंता जताई है।

पिछले महीने, बॉब ब्लैकमैन ने बांग्लादेश की मुहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार से देश में स्वतंत्र, निष्पक्ष और सबको साथ लेकर चलने वाले चुनाव सुनिश्चित करने की अपील की थी।

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि पिछले साल जुलाई में हुए प्रदर्शनों के बाद मुश्किलों का सामना करने वाले अल्पसंख्यकों को देश के सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्र में बराबर का हिस्सा बनाया जाना चाहिए।

ब्लैकमैन ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर किए गए पोस्ट में कहा, “मैं बांग्लादेश की मौजूदा सरकार से बांग्लादेश में स्वतंत्र, निष्पक्ष, पारदर्शी, हिस्सा लेने वाले और सबको साथ लेकर चलने वाले चुनाव सुनिश्चित करने की अपील करता हूं। चुनाव लोकतंत्र की नींव हैं और लोगों की इच्छा की सच्ची झलक हैं।”

बयान में कहा गया, “यूनुस सरकार ने कानून का राज फिर से स्थापित करने और न्याय और निष्पक्षता सुनिश्चित करने के वादे के साथ पद संभाला था। हालांकि वादों के बावजूद, लोकतांत्रिक सुधार और संवैधानिक मूल्यों और शासन को फिर से शुरू करने की दिशा में उम्मीद के मुताबिक प्रगति नहीं हुई है।”

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अंतरराष्ट्रीय समाचार

पीएम मोदी करेंगे ओमान के सुल्तान से मुलाकात, समुद्री व्यापार समेत कई द्विपक्षीय मुद्दों पर होगी चर्चा

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मस्कट, 18 दिसंबर: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुवार को ओमान के सुल्तान हैथम बिन तारिक से अहम मुलाकात करेंगे। बैठक में भारत और ओमान के बीच द्विपक्षीय संबंधों के पूरे दायरे पर विस्तार से चर्चा होगी। दोनों नेता व्यापार, निवेश, ऊर्जा सहयोग, रक्षा और सुरक्षा, तकनीक, कृषि और सांस्कृतिक आदान-प्रदान जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर बातचीत करेंगे। साथ ही साझा रुचि वाले क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर भी चर्चा करेंगे।

प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा के दौरान एक बिजनेस फोरम का आयोजन भी किया जाएगा, जहां वे भारत और ओमान के व्यापारिक नेताओं को संबोधित करेंगे। इस मंच का उद्देश्य दोनों देशों के बीच व्यापार और निवेश को ज्यादा मजबूत करना है ताकि आर्थिक सहयोग को नई दिशा मिल सके।

इससे पहले बुधवार को प्रधानमंत्री मोदी तीन देशों के दौरे के तीसरे और अंतिम चरण में ओमान की राजधानी मस्कट पहुंचे। मस्कट एयरपोर्ट पर ओमान के रक्षा मामलों के उपप्रधानमंत्री सैय्यद शिहाब बिन तारिक अल सईद ने गर्मजोशी से प्रधानमंत्री मोदी का स्वागत किया। एयरपोर्ट पर प्रधानमंत्री मोदी को गार्ड ऑफ ऑनर भी दिया गया।

होटल पहुंचने पर भारतीय समुदाय के लोगों ने प्रधानमंत्री मोदी का जोरदार स्वागत मिला। सैकड़ों की संख्या में मौजूद भारतीयों ने हाथों में तिरंगा लेकर ‘मोदी मोदी’, ‘भारत माता की जय’ और ‘वंदे मातरम’ के नारे लगाए। प्रधानमंत्री ने वहां मौजूद लोगों से बातचीत की और स्वागत समारोह के दौरान सांस्कृतिक प्रस्तुतियों का भी आनंद लिया।

यह प्रधानमंत्री मोदी की ओमान की दूसरी यात्रा है। इससे पहले वे फरवरी 2018 में ओमान गए थे। यह यात्रा भारत-ओमान के बीच लगातार मजबूत हो रहे रणनीतिक संबंधों को दर्शाती है। खास बात यह है कि यह दौरा ऐसे समय हो रहा है, जब भारत और ओमान के बीच राजनयिक संबंधों की स्थापना के 70 वर्ष पूरे हो रहे हैं। इससे पहले ओमान के सुल्तान हैथम बिन तारिक दिसंबर 2023 में भारत के राजकीय दौरे पर आए थे, जो दोनों देशों के बीच उच्चस्तरीय राजनीतिक संपर्क को दर्शाता है।

यात्रा से पहले मीडिया को जानकारी देते हुए विदेश मंत्रालय में सचिव (कांसुलर, पासपोर्ट एवं वीजा, ओवरसीज इंडियन अफेयर्स) अरुण कुमार चटर्जी ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी इस यात्रा के दौरान ओमान के सुल्तान के साथ द्विपक्षीय संबंधों की व्यापक समीक्षा करेंगे और क्षेत्रीय व अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर भी चर्चा करेंगे। उन्होंने बताया कि भारत और ओमान के संबंध सदियों पुराने समुद्री व्यापार और लोगों के आपसी संपर्क पर आधारित हैं।

भारत और ओमान के बीच इस समय एक व्यापक रणनीतिक साझेदारी है, जिसमें ऊर्जा सुरक्षा, समुद्री सहयोग और क्षेत्रीय स्थिरता जैसे क्षेत्रों में मजबूत सहयोग शामिल है। खाड़ी क्षेत्र में ओमान भारत का एक अहम साझेदार है। पीएम मोदी की यह यात्रा दोनों देशों के रिश्तों को ज्यादा मजबूत करने और आने वाले वर्षों में सहयोग को नई गति देने की उम्मीद जगाती है। पीएम मोदी ओमान पहुंचने से पहले इथियोपिया की दो दिवसीय राजकीय यात्रा पूरी कर चुके हैं।

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अंतरराष्ट्रीय समाचार

भारत-अमेरिका संबंधों पर चर्चा में व्यापार, एआई और प्रवासी भारतीयों की भूमिका पर जोर

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INDIA America

शिकागो, 15 दिसंबर: दुनिया के दो सबसे बड़े लोकतंत्रों के बीच द्विपक्षीय संबंधों के लिए व्यापार, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और डायस्पोरा मीडिया की भूमिका कुछ प्रमुख मुद्दे हैं। जाने-माने समुदाय के सदस्यों, बिजनेस लीडर्स और राजनयिकों ने रविवार को भारत-अमेरिका संबंधों के भविष्य के रास्ते की जांच करते हुए यह बात कही।

रविवार को आयोजित एक चर्चा के दौरान समाज के प्रतिष्ठित लोगों, उद्योग जगत के नेताओं और राजनयिकों ने भारत-अमेरिका संबंधों के भविष्य पर विचार किया। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में ये मुद्दे दोनों देशों के आपसी रिश्तों की दिशा तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।

यूएस-इंडिया रणनीतिक साझेदारी फोरम के अंकित जैन ने द्विपक्षीय संबंधों को ‘एक लंबी और चलती हुई शादी जैसा’ बताया। उनका कहना था कि इन रिश्तों में बहुत ज़्यादा मज़बूती और प्रतिबद्धता है, लेकिन झगड़े या ड्रामा कम हैं।

उन्होंने कहा कि राजनीतिक चुनौतियों के बावजूद व्यापारिक संबंध मजबूत बने हुए हैं। उन्होंने कहा, ‘भारत 200 बिलियन डॉलर से ज्यादा का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है,’ और अमेरिकी कंपनियां भारत में भारी निवेश कर रही हैं।’ उन्होंने अमेजन, माइक्रोसॉफ्ट और गूगल की हालिया घोषणाओं का जिक्र किया।

यहां इंडिया अब्रॉड डायलॉग के दौरान एक पैनल चर्चा में भाग लेते हुए, जैन ने चेतावनी दी कि ऊंचे टैरिफ दोनों अर्थव्यवस्थाओं को नुकसान पहुंचा सकते हैं। उन्होंने कहा, ‘भारत पर 50 प्रतिशत का सबसे ऊंचा टैरिफ लगाना कोई मतलब नहीं रखता,’ और संयुक्त राज्य अमेरिका में छोटे और मध्यम उद्यमों और महंगाई पर इसके असर का जिक्र किया।

भारतीय दूतावास में सामुदायिक मामलों और सुरक्षा के काउंसलर देबेश कुमार बेहरा ने कहा कि भारत का आगामी एआई शिखर सम्मेलन ओपन-सोर्स इनोवेशन और स्वदेशी क्षमता पर ध्यान केंद्रित करेगा। उन्होंने कहा, “हम जितना ज्यादा ओपन सोर्स का इस्तेमाल करेंगे, यह समुदाय के लिए उतना ही मददगार होगा।”

सामुदायिक नेताओं ने प्रवासी भारतीयों की आर्थिक और सांस्कृतिक सेतु के रूप में भूमिका पर जोर दिया। सामुदायिक नेता और सफल व्यवसायी अमिताभ मित्तल ने कहा, “जब एआई विकास की बात आती है, तो हम सबसे मजबूत समुदाय हैं।” उन्होंने अगली पीढ़ी के भारतीय अमेरिकी उद्यमियों और भारत के इनोवेशन इकोसिस्टम के बीच गहरे जुड़ाव का आग्रह किया।

मीडिया की जिम्मेदारी भी प्रमुखता से सामने आई। सामुदायिक मीडिया नेता वंदना झिंगन ने चेतावनी दी कि गलत सूचना विश्वास को खत्म कर रही है। उन्होंने कहा, “हर किसी के पास स्मार्टफोन है और वे खुद को रिपोर्टर समझते हैं, लेकिन जिम्मेदार पत्रकारिता के लिए सत्यापन की जरूरत होती है, कहानियों की नहीं।”

उन्होंने कहा कि एथनिक मीडिया को मजबूत कम्युनिटी सपोर्ट की जरूरत है। संपादकीय का अपना काम है, लेकिन प्रकाशकों को बिलों का भुगतान करना पड़ता है। उन्होंने व्यवसायों से विश्वसनीय प्रवासी मीडिया आउटलेट्स का समर्थन करने का आग्रह किया।

प्रतिभागियों ने रक्षा विनिर्माण, सेमीकंडक्टर और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी पर भी चर्चा की, और सह-निर्माण के बढ़ते अवसरों का जिक्र किया। सामुदायिक नेता और व्यवसायी नेता नीरव पटेल ने कहा, “अमेरिका में रक्षा और अंतरिक्ष क्षेत्र में काम करने वाले 3,600 से ज्यादा छोटे संगठन हैं और उनमें से कई का नेतृत्व अगली पीढ़ी के भारतीय अमेरिकी कर रहे हैं।”

सत्र का समापन राजनीतिक अनिश्चितता के बावजूद लगातार जुड़ाव बनाए रखने के आह्वान के साथ हुआ। एक वक्ता ने कहा, “यह न तो सबसे बुरा समय है और न ही सबसे अच्छा समय है। यह बस समय है।”

पिछले एक दशक में भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका ने रक्षा, प्रौद्योगिकी और शिक्षा के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाया है, जैसे-जैसे दोनों देश राजनीतिक बदलावों से गुजर रहे हैं। प्रवासी नेताओं का कहना है कि लोगों के बीच लगातार बने रहने वाले संबंध एक स्थिर शक्ति बने रहेंगे।

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