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Saturday,01-March-2025
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यूपीआई लेनदेन में फरवरी में 33 प्रतिशत की वृद्धि, वैल्यू भी 20 प्रतिशत बढ़ी

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नई दिल्ली, 1 मार्च। यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) लेनदेन फरवरी में सालाना आधार पर 33 प्रतिशत बढ़कर 16.11 अरब पर पहुंच गया है। नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) के द्वारा शनिवार को जारी किए गए आंकड़ों में यह जानकारी मिली।

बीते महीने यूपीआई लेनदेन की वैल्यू भी 20 प्रतिशत बढ़कर 21.96 लाख करोड़ रुपये हो गई है।

फरवरी में प्रतिदिन 57.5 करोड़ यूपीआई लेनदेन हुए हैं और जनवरी में इनकी संख्या 54.8 करोड़ प्रतिदिन थी। इसके कारण यूपीआई से प्रतिदिन होने वाले लेनदेन की वैल्यू बढ़कर 78,446 करोड़ रुपये हो गई है, जो कि जनवरी में 75,743 करोड़ रुपये थी।

वित्त वर्ष 2023-24 में यूपीआई से कुल 131 अरब लेनदेन हुए थे। इनकी लेनदेन की कुल वैल्यू 200 लाख करोड़ रुपये थी।

डिजिटल पेमेंट पारिदृश्य में बड़ा बदलाव हुआ है। यूपीआई की हिस्सेदारी डिजिटल पेमेंट में लगातार बढ़ रही है। मौजूदा समय में रिटेल डिजिटल पेमेंट्स में यूपीआई की हिस्सेदारी 80 प्रतिशत से अधिक हो गई है।

फरवरी में इमीडिएट पेमेंट सर्विस (आईएमपीएस) लेनदेन की संख्या 40.5 करोड़ रही। इनकी वैल्यू 5.63 लाख करोड़ रुपये थी।

एनपीसीआई के डेटा के मुताबिक, फास्टैग लेनदेन की संख्या फरवरी में सालाना आधार पर 19 प्रतिशत बढ़कर 38.4 करोड़ हो गई है। वहीं, इनकी वैल्यू भी 18 प्रतिशत बढ़कर 6,601 करोड़ रुपये हो गई है।

आधार आधारित पेमेंट सिस्टम (एईपीएस) लेनदेन की संख्या सालाना आधार पर 14 प्रतिशत बढ़कर 9.4 करोड़ हो गई है।

यूपीआई ने बाजार में आसानी को बढ़ावा दिया है। इसके जरिए आसानी से रियल-टाइम लेनदेन किया जा सकता है।

जनवरी के डेटा के मुताबिक, देश में 80 से ज्यादा यूपीआई ऐप (बैंक ऐप्स और थर्ड पार्टी) हैं। 641 बैंक यूपीआई इकोसिस्टम पर लाइव हैं।

यूपीआई का विस्तार वैश्विक स्तर पर भी तेजी से हो रहा है, जिससे विदेश यात्रा करने वाले भारतीयों के लिए सीमा पार लेनदेन करना आसान हो रहा है। वर्तमान में यूपीआई 7 से अधिक देशों में लाइव है, जिसमें यूएई, सिंगापुर, भूटान, नेपाल, श्रीलंका, फ्रांस, मॉरीशस जैसे प्रमुख बाजार शामिल हैं, जो भारतीयों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यूपीआई से भुगतान करने की अनुमति देता है।

अंतरराष्ट्रीय समाचार

भारत का मजबूत प्रदर्शन 2047 तक विकसित अर्थव्यवस्था बनने के लिए सुधारों को लागू करने का दे रहा अवसर: आईएमएफ

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संयुक्त राष्ट्र, 1 मार्च। भारत की विवेकपूर्ण नीतियों की सराहना करते हुए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के कार्यकारी बोर्ड ने कहा है कि देश का मजबूत आर्थिक प्रदर्शन 2047 तक विकसित अर्थव्यवस्था बनने के लिए महत्वपूर्ण सुधारों को अपनाने में मदद कर सकता है।

आईएमएफ द्वारा जारी की गई रिपोर्ट में कहा गया, “भारत का मजबूत आर्थिक प्रदर्शन 2047 तक विकसित अर्थव्यवस्था का दर्जा हासिल करने के लिए जरूरी अहम और चुनौतीपूर्ण संरचनात्मक सुधारों को लागू करने में मदद कर सकता है।”

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लिए आजादी के सौ साल पूरे होने की समय सीमा तय की है।

रिपोर्ट में आईएमएफ के कार्यकारी निदेशकों ने भारतीय अधिकारियों की विवेकपूर्ण व्यापक आर्थिक नीतियों और सुधारों की सराहना की, जिन्होंने भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने और एक बार फिर सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बनाने में योगदान दिया है।

रिपोर्ट में बताया गया कि भारत के वित्तीय क्षेत्र का स्वास्थ्य, मजबूत कॉरपोरेट बैलेंसशीट और अच्छा डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर दर्शाता है कि देश की वृद्धि दर मध्यम अवधि में तेज रहेगी। साथ ही जनकल्याण की योजनाएं भी जारी रहेंगी।

रिपोर्ट में इस बात पर जोर दिया गया कि भू-आर्थिक विखंडन और धीमी घरेलू मांग से उत्पन्न प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करते हुए, व्यापक आर्थिक स्थिरता बनाए रखने के लिए उचित नीतियां जारी रखना आवश्यक है।

इसके अलावा, रिपोर्ट में भारत द्वारा हाल ही में घटाए गए टैरिफ का भी स्वागत किया गया है। इससे देश की प्रतिस्पर्धात्मक क्षमता बढ़ेगी।

पिछले महीने पेश किए गए बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ऑटोमोबाइल से लेकर शराब तक कई प्रकार के आयात पर टैरिफ कम कर दिया था।

आईएमएफ के कार्यकारी बोर्ड ने कहा कि संरचनात्मक सुधार देश में उच्च-गुणवत्ता की नौकरियां पैदा करने और निवेश के लिए काफी जरूरी हैं।

रिपोर्ट में आगे कहा गया कि भारत को लेबर मार्केट सुधारों को लागू करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए और महिला भागीदारी को लेबर फोर्स में बढ़ाना चाहिए।

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व्यापार

महिंद्रा की बिक्री फरवरी में 15 प्रतिशत बढ़ी, ट्रैक्टर सेल्स में आया उछाल

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मुंबई, 1 मार्च। महिंद्रा एंड महिंद्रा ने शनिवार बताया कि कंपनी की कुल ऑटो बिक्री फरवरी में सालाना आधार पर 15 प्रतिशत बढ़कर 83,702 यूनिट्स (निर्यात सहित) रही है।

कंपनी ने बताया कि बीते महीने कंपनी ने घरेलू बाजार में 50,240 एसयूवी की बिक्री की है। इसमें 19 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। वहीं, निर्यात सहित कुल बिक्री 52,386 यूनिट्स रही है। घरेलू बाजार में कमर्शियल बिक्री 23,826 यूनिट्स पर रही है।

एमएंडएम के ऑटोमोटिव डिविजन के अध्यक्ष विजय नाकरा ने कहा कि फरवरी में एसयूवी की बिक्री 19 प्रतिशत बढ़कर 50,420 यूनिट्स रही है। वहीं, सभी प्रकार के वाहनों की बिक्री 15 प्रतिशत बढ़कर 83,702 यूनिट्स रही है। यह मजबूत प्रदर्शन हमारे एसयूवी पोर्टफोलियो के लिए बना सकारात्मक माहौल दिखाता है।

महिंद्रा एंड महिंद्रा के ट्रैक्टर की बिक्री में भी फरवरी में उछाल देखा गया है।

फरवरी 2025 में घरेलू स्तर पर ट्रैक्टर की बिक्री 23,880 यूनिट्स रही है, जो कि फरवरी 2024 में 20,121 यूनिट्स थी।

कंपनी ने फरवरी 2025 में 1,647 ट्रैक्टर का निर्यात किया है, जिसके कारण कुल ट्रैक्टर बिक्री 25,527 यूनिट्स रही है, जो कि पिछले साल समान अवधि में 21,672 यूनिट्स थी।

महिंद्रा एंड महिंद्रा के फार्म इक्विपमेंट सेक्टर के अध्यक्ष, हेमंत सिक्का ने कहा कि हमने फरवरी 2025 में घरेलू बाजार में 23,880 ट्रैक्टर की बिक्री की है, जो कि पिछले साल के मुकाबले 19 प्रतिशत अधिक है।

इसकी वजह खरीफ की फसलों का अच्छा होना और रबी की फसलों के लिए आउटलुक सकारात्मक रहना है।

उन्होंने आगे कहा कि सरकार द्वारा एग्री क्रेडिट लिमिट में बढ़ोतरी किसानों की आय में बढ़ने में सहायक होगी। वहीं, बंपर रबी फसल से ट्रैक्टर की मांग मजबूत रहने की संभावना है। हमने 1,647 ट्रैक्टर का निर्यात किया है, जो कि पिछले साल के मुकाबले 6 प्रतिशत अधिक है।

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राष्ट्रीय समाचार

भारत को 2047 तक हाई-इनकम स्टेटस तक पहुंचने के लिए 7.8 प्रतिशत की दर से वृद्धि की जरूरत : विश्व बैंक

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नई दिल्ली, 28 फरवरी। विश्व बैंक की एक लेटेस्ट रिपोर्ट में शुक्रवार को कहा गया है कि भारत को 2047 तक हाई-इनकम स्टेटस तक पहुंचने के लिए अगले 22 वर्षों में औसतन 7.8 प्रतिशत की दर से वृद्धि करने की जरूरत है। यह एक ऐसा लक्ष्य है, जिसे प्राप्त किया जा सकता है।

‘बिकमिंग अ हाई-इनकम इकोनॉमी इन ए जनरेशन’ टाइटल वाले नए ‘इंडिया कंट्री इकोनॉमिक मेमोरंडम’ में पाया गया है कि यह लक्ष्य संभव है।

2000 और 2024 के बीच भारत की औसत 6.3 प्रतिशत की शानदार वृद्धि दर को मान्यता देते हुए, विश्व बैंक की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की पिछली उपलब्धियां इसकी भविष्य की महत्वाकांक्षाओं के लिए आधार प्रदान करती हैं। हालांकि, वहां पहुंचने के लिए सुधारों और उनके कार्यान्वयन को लक्ष्य जितना ही महत्वाकांक्षी होना होगा।

विश्व बैंक के कंट्री डायरेक्टर ऑगस्टे तानो कौमे ने कहा, “चिली, कोरिया और पोलैंड जैसे देशों से मिले सबक बताते हैं कि कैसे उन्होंने वैश्विक अर्थव्यवस्था में अपने इंटीग्रेशन को गहरा कर मिडल-टू-हाई इनकम वाले देशों के रूप में सफलतापूर्वक ट्रांजिशन किया है।”

कौमे ने कहा, “भारत सुधारों की गति को बढ़ाकर और अपनी पिछली उपलब्धियों के आधार पर अपना रास्ता खुद बना सकता है।”

रिपोर्ट में अगले 22 वर्षों में भारत के विकास पथ के लिए तीन परिदृश्यों का मूल्यांकन किया गया है।

वे परिदृश्य जो भारत को एक जनरेशन में हाई इनकम स्टेटस तक पहुंचने में सक्षम बनाते हैं, उसके लिए भारत को राज्यों में तेज और इन्क्लूसिव ग्रोथ हासिल करने की जरूरत है।

ये तीन परिदृश्य हैं- 2035 तक सकल घरेलू उत्पाद के वर्तमान 33.5 प्रतिशत से 40 प्रतिशत (दोनों वास्तविक रूप में) तक कुल निवेश बढ़ाना, कुल श्रम शक्ति भागीदारी को 56.4 प्रतिशत से बढ़ाकर 65 प्रतिशत से ऊपर करना और समग्र उत्पादकता वृद्धि में तेजी लाना।

रिपोर्ट के सह-लेखक एमिलिया स्क्रोक और रंगीत घोष ने कहा, “भारत मानव पूंजी में निवेश कर, अधिक और बेहतर नौकरियों के लिए अनुकूल परिस्थितियों का निर्माण कर और 2047 तक महिला श्रम शक्ति भागीदारी दर को 35.6 प्रतिशत से बढ़ाकर 50 प्रतिशत कर अपने डेमोग्राफिक डिविडेंट का लाभ उठा सकता है।”

पिछले तीन वित्त वर्षों में भारत ने अपनी औसत वृद्धि दर को 7.2 प्रतिशत तक बढ़ाया है।

इस गति को बनाए रखने और अगले दो दशकों में 7.8 प्रतिशत (वास्तविक रूप में) की औसत वृद्धि दर प्राप्त करने के लिए, कंट्री इकोनॉमिक मेमोरंडम पॉलिसी एक्शन के लिए चार महत्वपूर्ण क्षेत्रों की सिफारिश करता है। ये चार क्षेत्र हैं – अधिक और बेहतर नौकरियां पैदा करने के लिए माहौल को बढ़ावा देते हुए निवेश बढ़ाना, संरचनात्मक परिवर्तन को बढ़ावा देना, व्यापार भागीदारी और टेक्नोलॉजी को अपनाना, राज्यों को तेजी से और एक साथ बढ़ने में सक्षम बनाना।

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