राजनीति
यूपी चुनाव: टिकट बंटवारे को लेकर कांग्रेस में मची अफरा-तफरी

उत्तर प्रदेश कांग्रेस 125 विधानसभा सीटों के लिए उम्मीदवार के चयन के बाद अफरा-तफरी मच गई है। हस्तिनापुर से कांग्रेस ने एक्ट्रेस और मॉडल अर्चना गौतम को टिकट दिया है, जिसके बाद से सियासी उठापटक तेज हो गई है।
कांग्रेस द्वारा अभिनेता को अपना उम्मीदवार बनाए जाने के कुछ दिनों बाद, अर्चना गौतम की बिकनी वाली तस्वीरें सोशल मीडिया पर सामने आने लगी हैं।
हिंदू महासभा अब यह कहने के लिए कूद पड़ी है कि हस्तिनापुर के ‘प्राचीन, पवित्र शहर’ से उनकी उम्मीदवारी हिंदुओं का अपमान है और इससे हिंदुओं और जैनियों की भावनाओं को ठेस पहुंची है, जिनमें से कई इसे तीर्थस्थल मानते हैं।
हिंदू महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अशोक शर्मा ने कहा, “यह कोई रहस्य नहीं है कि महाभारत-युग हस्तिनापुर, जो एक जैन तीर्थस्थल भी है, हिंदुओं सहित विभिन्न धर्मों के अनुयायियों द्वारा पूजनीय है। कांग्रेस ने यहां से बिकनी मॉडल को मैदान में उतारा है। हम इस कदम का कड़ा विरोध करते हैं और पार्टी से उनका नाम वापस लेने की अपील करते हैं, वरना हम विरोध करने के लिए मजबूर होंगे।”
इस बीच, भाजपा के पश्चिम यूपी के उपाध्यक्ष मनोज पोसवाल ने कहा, “मुझे किसी पेशे या व्यक्ति के खिलाफ कोई परेशानी नहीं है, लेकिन एक पार्टी को सावधान रहना चाहिए कि उसके कार्यों से आम जनता को क्या संदेश जाएगा।”
कांग्रेस के भीतर भी अर्चना गौतम को टिकट दिए जाने को लेकर काफी नाराजगी है।
पार्टी के विभिन्न व्हाट्सएप ग्रुप उम्मीदवार की पसंद और इसके पीछे के तर्क पर सवाल उठा रहे हैं।
समूह में एक कांग्रेस नेता ने लिखा, अर्चना गौतम ने एक पार्टी कार्यक्रम में कब भाग लिया है और कांग्रेस में उनका क्या योगदान है? वह एक पीड़ित भी नहीं है, जबकि एक अन्य ने प्रियंका गांधी के लिए ‘बुद्धि शुद्धि यज्ञ’ का सुझाव दिया।
ब्यूटी पेजेंट विजेता और अभिनेत्री 26 वर्षीय अर्चना गौतम, आखिरी बार एडल्ट कॉमेडी ‘ग्रेट ग्रैंड मस्ती’ में नजर आईं थी, हालांकि, इससे कोई फर्क नहीं पड़ा।
उन्होंने मीडिया से कहा, “मैं इसे सिर्फ ट्रोलिंग के अलावा और कुछ नहीं मानती। मेरा जन्म हस्तिनापुर में हुआ था, यह मेरा जन्मस्थान है। मैं इस क्षेत्र को अंदर और बाहर से जानती हूं और इसलिए प्रियंका ने मुझे उपयुक्त पाया। जो लोग मेरी बिकनी पहने तस्वीरों को प्रसारित कर रहे हैं, उन्होंने अपनी खुद की मानसिकता उजागर कर दी हैं। मैं जो करती हूं उस पर मुझे गर्व है।”
आलोचना का खंडन करते हुए, कांग्रेस के एक वरिष्ठ प्रवक्ता ने कहा, “किस तरह की मानसिकता एक महिला को उसके द्वारा स्क्रीन पर चित्रित की गई भूमिका या उनके द्वारा चुने गए पेशे से आंकती है। यहां तक कि (भाजपा नेता) स्मृति ईरानी भी टीवी धारावाहिकों में आने से पहले एक मॉडल थीं। हम उन लोगों का समर्थन नहीं करते, जो उनके मॉडलिंग के दिनों के पोस्टर साझा करते हैं।”
उत्तर प्रदेश में हस्तिनापुर मेरठ जिले में गंगा के तट पर एक छोटा शहर और विधानसभा क्षेत्र है। यह महाभारत में वर्णित कुरु साम्राज्य की राजधानी थी और पांडेश्वर और कर्ण मंदिरों जैसे विभिन्न पूजा स्थलों का घर है।
हस्तिनापुर भी एक प्रमुख जैन तीर्थस्थल है, क्योंकि इसे तीन जैन तीथर्ंकरों का जन्मस्थान माना जाता है और इसमें बड़ी संख्या में जैन मंदिर हैं।
इस बीच, प्रियंका मौर्य – यूपी चुनाव के लिए पार्टी के अभियान ‘लड़की हूं, लड़ सकती हूं’ की पोस्टर गर्ल ने आरोप लगाया है कि उन्हें विधानसभा चुनाव के लिए टिकट से वंचित कर दिया गया था, क्योंकि उन्होंने रिश्वत देने से इनकार कर दिया था।
उन्होंने दावा किया कि टिकट उन्हें देने के बजाय एक महीने पहले पार्टी में शामिल हुए व्यक्ति को दिया गया।
मौर्य ने कहा, “मैंने सभी औपचारिकताएं पूरी कीं लेकिन टिकट पूर्व नियोजित था और एक महीने पहले आए व्यक्ति को दिया गया। मैं कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी को यह संदेश देना चाहती हूं कि इस तरह की चीजें जमीन पर हो रही हैं।”
उन्होंने आगे आरोप लगाया कि उन्हें एक अज्ञात व्यक्ति का फोन आया, जिसमें फोन करने वाले ने उनसे टिकट के बदले में पैसे मांगे, जिसके लिए उन्होंने मना कर दिया था।
महाराष्ट्र
हजरत सैयद बाले शाह पीर दरगाह ध्वस्तीकरण आदेश, चार सप्ताह में जवाब दाखिल करने का आदेश, दरगाह प्रबंधन को राहत

मुंबई: भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने मुंबई के मीरा भयंदर स्थित हजरत सैयद बाले शाह पीर दरगाह को संरक्षण प्रदान किया है तथा चार सप्ताह के लिए ध्वस्तीकरण प्रक्रिया पर रोक लगाने का आदेश जारी किया है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में महाराष्ट्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। महाराष्ट्र सरकार चार सप्ताह के भीतर अदालत में जवाब दाखिल करेगी, जिसके बाद ही दरगाह को गिराने की प्रक्रिया पर निर्णय लिया जाएगा।
राज्य के राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बांकोले ने सदन में 20 मई तक धर्मस्थल को ध्वस्त करने का आदेश जारी किया था और सार्वजनिक बयान भी जारी किया था, लेकिन किसी तरह का कोई नोटिस जारी नहीं किया गया। मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई और न्यायमूर्ति एजी मसीह की पीठ ने ध्वस्तीकरण प्रक्रिया पर प्रभावी रोक लगाने का आदेश दिया और दरगाह प्रशासन द्वारा दायर याचिका पर महाराष्ट्र सरकार से जवाब भी मांगा।
याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि किसी सरकारी नोटिस के अभाव के बावजूद, राज्य विधानसभा में मंत्री के सार्वजनिक बयानों और हाल की पुलिस रिपोर्ट के आधार पर ध्वस्तीकरण का आदेश दिया गया। याचिकाकर्ताओं ने कहा है कि दरगाह 350 साल पुरानी है और फिर भी राज्य सरकार ने इसे अवैध संरचना के रूप में वर्गीकृत किया है। ट्रस्ट ने दावा किया है कि संपत्ति का औपचारिक पंजीकरण भी 2022 में कराने की मांग की गई है और यह मंदिर दशकों से उसी स्थान पर स्थित है। याचिकाकर्ता के अनुसार, बॉम्बे हाईकोर्ट की अवकाश पीठ ने 15 और 16 मई को तत्काल सुनवाई की याचिकाओं को गलती से खारिज कर दिया था। दरगाह प्रशासन ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि पुलिस ने 15 मई को एक नोटिस भी जारी किया था। नोटिस में ट्रस्ट के सदस्यों को चेतावनी दी गई थी कि वे विध्वंस प्रक्रिया में बाधा या व्यवधान न डालें। ध्वस्तीकरण की प्रक्रिया 20 मई के लिए निर्धारित की गई है।
याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि ध्वस्तीकरण की कार्रवाई बिना किसी कानूनी आदेश या उचित प्रक्रिया, जैसे नोटिस या सुनवाई का अवसर दिए बिना की गई, जो उनके अधिकारों का उल्लंघन है। सर्वोच्च न्यायालय ने मामले की सुनवाई चार सप्ताह के लिए स्थगित कर दी और महाराष्ट्र सरकार को उस समयावधि के भीतर अपना जवाब दाखिल करने का आदेश दिया।
अपराध
झारखंड के शराब घोटाले में आईएएस विनय चौबे से एंटी करप्शन ब्यूरो ने शुरू की पूछताछ

रांची, 20 मई। झारखंड में शराब घोटाले में पीई (प्रिलिमिनरी इन्क्वायरी) दर्ज करने के बाद एंटी करप्शन ब्यूरो ने आईएएस और तत्कालीन एक्साइज सेक्रेटरी विनय कुमार चौबे से पूछताछ शुरू की है।
मंगलवार को एसीबी की टीम उनके आवास पर पहुंची और इसके बाद उन्हें अपने साथ कार्यालय लेकर पहुंची है।
सूत्रों के अनुसार, उनसे उनके कार्यकाल में झारखंड में छत्तीसगढ़ की तर्ज पर लागू हुई एक्साइज पॉलिसी की कथित गड़बड़ियों के बारे में पूछताछ की जा रही है।
दरअसल, इस मामले की जड़ें छत्तीसगढ़ से जुड़ी हैं, जहां शराब घोटाले में स्टेट मार्केटिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड के अफसरों और कई बड़े कारोबारियों की भूमिका सामने आई है।
छत्तीसगढ़ में शराब घोटाले की जांच वहां की आर्थिक अपराध शाखा ने शुरू की थी। इसके बाद ईडी ने भी इस मामले में जांच शुरू की।
ईडी को इस दौरान यह भी जानकारी मिली कि जिस सिंडिकेट ने छत्तीसगढ़ में शराब घोटाला किया, उसी ने झारखंड में भी नई उत्पाद नीति लागू करवाई और यहां भी उसी तर्ज पर घोटाला दोहराया गया।
इसी आधार पर ईडी की छत्तीसगढ़ इकाई ने झारखंड के तत्कालीन एक्साइज सेक्रेटरी विनय चौबे को समन जारी कर पूछताछ के लिए बुलाया था।
पूछताछ के दौरान चौबे ने खुद को निर्दोष बताते हुए कहा था कि उत्पाद नीति सरकार की सहमति से लागू की गई थी। बाद में झारखंड के एक व्यक्ति ने छत्तीसगढ़ की आर्थिक अपराध शाखा में प्राथमिकी दर्ज कराते हुए आरोप लगाया कि छत्तीसगढ़ के शराब सिंडिकेट ने ही झारखंड में सुनियोजित घोटाला किया।
इसके बाद ईडी ने इसमें ईसीआईआर दर्ज कर जांच शुरू की और अक्टूबर 2024 में आईएएस विनय चौबे सहित कई लोगों के ठिकानों पर छापेमारी की थी।
जानकारी के अनुसार, छत्तीसगढ़ आर्थिक अपराध शाखा में एक प्राथमिकी दर्ज होने के बाद झारखंड एसीबी ने राज्य सरकार की अनुमति के बाद पीई दर्ज कर जांच शुरू की है।
राजनीति
नाना पटोले ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को लिखा पत्र, प्रोटोकॉल न मानने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग

नई दिल्ली, 20 मई। महाराष्ट्र कांग्रेस के वरिष्ठ नेता नाना पटोले ने मंगलवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखा है। पत्र में मुख्य न्यायाधीश भूषण गवई के दौरे को लेकर प्रोटोकॉल का पालन न करने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई करने की मांग की है।
नाना पटोले ने लिखा, “आपको यह पत्र लिखते समय अत्यंत पीड़ा हो रही है। बहुजन समाज के गौरव, सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश भूषण गवई का महाराष्ट्र सरकार एवं राज्य के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा अपमान किया गया है। एक महाराष्ट्र पुत्र के रूप में उनका मुंबई में सत्कार करने का कार्यक्रम आयोजित किया गया था। इस कार्यक्रम में प्रोटोकॉल के अनुसार राज्य महाराष्ट्र के मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक और मुंबई पुलिस आयुक्त की उपस्थिति अपेक्षित थी, परंतु दुर्भाग्यवश ऐसा नहीं हुआ। अंततः मुख्य न्यायाधीश ने अपने भाषण में यह टिप्पणी की कि मेरे इस कार्यक्रम में इन अधिकारियों को आने की योग्यता नहीं लगती, तो यह विचार उन्हें स्वयं करना चाहिए। यह वक्तव्य अत्यंत दुखदायक है और यह स्पष्ट संकेत देता है कि महाराष्ट्र सरकार अपने ही सुपुत्र का सम्मान करने में विफल रही है।”
उन्होंने आगे लिखा, “न्यायमूर्ति भूषण गवई डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर के विचारों के अनुयायी हैं, इस कारण उनके साथ यह व्यवहार जानबूझकर किया गया ऐसा संदेह संपूर्ण महाराष्ट्र में व्यक्त किया जा रहा है। संवैधानिक पदों पर आसीन व्यक्तियों के सम्मान के लिए एक निर्धारित प्रोटोकॉल होता है। ऐसा प्रतीत होता है कि महाराष्ट्र सरकार ने इस प्रोटोकॉल की अवहेलना की है।”
पटोले ने अंत में विनम्र अपील की। कहा- यह अपमान केवल भूषण गवई का नहीं, बल्कि महात्मा ज्योतिबा फुले, छत्रपति शाहू महाराज और डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर का भी है। इस अपमान के लिए राज्य सरकार और संबंधित अधिकारियों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जाए, ऐसी आपसे विनम्र प्रार्थना करता हूं। आपकी कार्रवाई से भविष्य में कोई भी सरकार और अधिकारी किसी संवैधानिक पद पर बैठे शख्स का अपमान करने का साहस नहीं करेंगे, ऐसी अपेक्षा करता हूं।
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