राष्ट्रीय समाचार
बंगाल में एक्सपायर सलाइन से मौत मामले में दो जनहित याचिकाएं, हाईकोर्ट में 16 जनवरी को सुनवाई
कोलकाता, 13 जनवरी। पश्चिम बंगाल के पश्चिमी मिदनापुर जिले के मेदिनीपुर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में कथित तौर पर एक्सपायर हो चुकी रिंगर लैक्टेटेड (आरएल) सलाइन दिए जाने से एक गर्भवती महिला की मौत को लेकर सोमवार को कलकत्ता उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ में दो जनहित याचिकाएं (पीआईएल) दायर की गईं।
कलकत्ता उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश टी.एस. शिवगणम और न्यायमूर्ति हिरणमय भट्टाचार्य की खंडपीठ ने दोनों याचिकाओं को स्वीकार कर लिया है।
जनहित याचिकाओं पर पहली सुनवाई 16 जनवरी को होगी। दो जनहित याचिकाओं में से एक कलकत्ता उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता फिरोज एडुलजी ने दायर की है।
याचिका के अनुसार जिस संगठन के सलाइन के कारण कर्नाटक में मौतें हुईं, इसके बाद उस संस्था को राज्य सरकार ने काली सूची में डाल दिया। इसी संस्था ने ही पिछले सप्ताह पश्चिम बंगाल में भी सलाइन की आपूर्ति की, जिसके कारण मौतें हुईं।
पिछले सप्ताह, पांच गर्भवती महिलाओं को कथित तौर पर एक्सपायर सलाइन दिए जाने के बाद मेदिनीपुर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उनमें से एक मामोनी रुइदास (25) की शुक्रवार को ही मौत हो गई थी। शेष चार का उसी अस्पताल में इलाज चल रहा था। उनमें से हालत बिगड़ने के बाद तीन को रविवार रात दक्षिण कोलकाता में सरकारी एस.एस.के.एम. मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में स्थानांतरित कर दिया गया।
इस घटना ने गंभीर चिंता पैदा कर दी है। एक्सपायर हो चुकी आरएल सलाइन पास्कल बैंग फार्मास्युटिकल लिमिटेड से आई थी, जो पहले कर्नाटक सरकार और बाद में पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा प्रतिबंधित की गई कंपनी थी।
राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने इस बात की जांच के लिए 13 सदस्यीय जांच समिति बनाई है। समिति यह जांच करेगी कि मरीजों को एक्सपायर हो चुकी सलाइन कैसे दी गई।
जांच समिति सोमवार को इस मामले पर रिपोर्ट पेश करेगी और उसी दिन इसे मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के सामने रखा जाएगा।
इस घटना ने राज्य की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली में इसी तरह के मामलों को लेकर चिंता फिर से जगा दी है। उल्लेखनीय है कि हाल ही में कोलकाता के आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में वित्तीय अनियमितताओं के एक मामले में पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष पर निजी वित्तीय लाभ के लिए मरीजों पर एक्सपायर और अप्रभावी दवाओं के इस्तेमाल को बढ़ावा देने का आरोप लगाया गया था।
राष्ट्रीय समाचार
भारतीय तट रक्षक बल के लिए 107 मीटर लंबे प्रशिक्षण जहाज का निर्माण
नई दिल्ली, 13 जनवरी। भारतीय तटरक्षक बल (आईसीजी) के लिए एक नए प्रशिक्षण जहाज (यार्ड 16101) का निर्माण कार्य सोमवार को शुरू किया गया है।
रक्षा मंत्रालय के मुताबिक़ मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (एमडीएल) द्वारा बनाए जा रहे इस समुद्री जहाज की लंबाई 107 मीटर निर्धारित की गई है। तटरक्षक बल का यह जहाज अधिकतम 20 नॉट की गति प्राप्त करने में सक्षम होगा।
रक्षा मंत्रालय के अनुसार इसमें अत्याधुनिक मशीनरी और उन्नत तकनीकी प्रणालियां भी होंगी। इनमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई)-आधारित पूर्वानुमानित रखरखाव प्रणाली भी शामिल की जा रही है। इसके अलावा इस समुद्री जहाज में एक बहुउद्देशीय ड्रोन, एकीकृत ब्रिज सिस्टम और एकीकृत प्लेटफ़ॉर्म प्रबंधन प्रणाली भी शामिल हैं। 7,500 समुद्री मील की सीमा के साथ, इस जहाज को समुद्र में उच्च गुणवत्ता वाले प्रशिक्षण अनुभव सुनिश्चित करने के लिए बनाया जा रहा है।
जहाज को कैडेटों के लिए एक प्रशिक्षण पुल, एक चार्ट हाउस और विशिष्ट कक्षाओं जैसी विशेष सुविधाओं से सुसज्जित किया जाएगा। तट पर अपने बुनियादी प्रशिक्षण के बाद महिला अधिकारियों सहित 70 अंडर-ट्रेनी अधिकारियों के प्रशिक्षण में भी यह जहाज महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। इस जहाज के निर्माण संबंधी अनुबंध को अक्टूबर 2023 में अंतिम रूप दिया गया था। जहाज को सरकार के आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण के अनुरूप, खरीद (भारतीय-आईडीडीएम) श्रेणी के तहत एमडीएल द्वारा स्वदेशी रूप से डिजाइन, विकसित और निर्मित किया जा रहा है।
यह परियोजना रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता के लिए भारत की प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है और देश की रणनीतिक स्वायत्तता को मजबूत करने में महत्वपूर्ण योगदान देगी। रक्षा मंत्रालय का मानना है कि यह पहल आईसीजी की अपनी परिचालन क्षमताओं को बढ़ाने और अपने अधिकारियों के लिए प्रशिक्षण के उच्चतम मानकों को सुनिश्चित करने के जारी प्रयासों में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। यह पहल भारत के समुद्री हितों की रक्षा में उनकी भूमिका को और मजबूत करने वाली है।
सोमवार को इस जहाज के निर्माण की शुरुआत पर एक समारोह आयोजित किया गया, जिसकी अध्यक्षता तटरक्षक दल के उप महानिदेशक (सामग्री और रखरखाव) महानिरीक्षक एचके शर्मा ने की। इस अवसर पर एमडीएल के निदेशक (जहाज निर्माण) और आईसीजी और एमडीएल के अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।
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ब्रिटिश नौसेना ने डिएगो गार्सिया द्वीप के पास तमिलनाडु के 10 मछुआरों को गिरफ्तार किया
चेन्नई, 13 जनवरी। मध्य हिंद महासागर में डिएगो गार्सिया द्वीप के पास ब्रिटिश नौसेना ने कथित तौर पर तमिलनाडु के दस मछुआरों के एक समूह को गिरफ्तार किया है। ये मछुआरे राज्य के थूथूर गांव के निवासी हैं।
तमिलनाडु मत्स्य विभाग के अधिकारियों ने आईएएनएस को बताया कि ब्रिटिश नौसेना ने मछुआरों को सोमवार तड़के उस समय हिरासत में लिया जब वे टूना मछली पकड़ रहे थे।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, मछुआरों को कथित तौर पर अंतरराष्ट्रीय समुद्री सीमा रेखा (आईएमबीएल) पार करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है।
मत्स्य विभाग के सूत्रों ने बताया कि मछुआरों द्वारा इस्तेमाल की गई इसी नाव को पहले भी दो अलग-अलग मौकों पर कथित तौर पर अंतरराष्ट्रीय सीमा पार करने के आरोप में जब्त किया गया था।
तमिलनाडु मत्स्य विभाग ने इस घटना के बारे में भारत सरकार के विदेश मंत्रालय को सूचित कर दिया है।
ज्ञात हो कि तमिलनाडु के रामेश्वरम और थंगाचिमादम से आठ मछुआरों को 12 जनवरी की सुबह श्रीलंकाई नौसेना ने गिरफ्तार कर लिया था। श्रीलंकाई नौसेना अधिकारियों ने दो मशीनीकृत नौकाएं भी जब्त की थी।
श्रीलंकाई नौसेना के अनुसार, ये गिरफ्तारियां रविवार सुबह कथित तौर पर आईएमबीएल पार करने और नेदुनथीवु द्वीप के पास मछली पकड़ने के आरोप में की गई।
मत्स्य विभाग के अधिकारियों ने बताया कि उन्होंने शनिवार सुबह रामेश्वरम जेटी से 169 मशीनी नावों को टोकन जारी किए थे। इन नावों को रविवार शाम को तट पर लौटना था। सूत्रों ने आगे बताया कि गिरफ्तार मछुआरों को श्रीलंका के एक नौसैनिक बंदरगाह पर ले जाया गया, जहां उनसे पूछताछ की जा रही है।
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बड़े टिकट इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट में सरकार के पूंजीगत व्यय से भारत की आर्थिक वृद्धि को मिलेगा बढ़ावा: रिपोर्ट
नई दिल्ली, 13 जनवरी। फाइनेंशियल सर्विस फर्म प्रभुदास लीलाधर (पीएल) की एक लेटेस्ट रिपोर्ट के अनुसार, बिग टिकट इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट जैसे हाईवे, रेलवे और बिजली विकास में केंद्र के पूंजिगत व्यय और रक्षा जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में निवेश से वित्त वर्ष 2025-2026 और उसके बाद भारत के अर्थव्यवस्था रफ्तार पकड़ेगी।
रिपोर्ट में कहा गया है, “हम पहले से ही रेलवे, रक्षा, बिजली, डेटा सेंटर के विकास में तेजी देख रहे हैं, जिसके क्रियान्वयन से वित्त वर्ष 2026 और उसके बाद विकास में तेजी आएगी।”
सरकार ने 2024-25 के बजट में इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट के लिए 11.1 लाख करोड़ रुपये का बड़ा आवंटन किया और 2025-26 के आगामी बजट में इसमें और वृद्धि होने की उम्मीद है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि आगामी बजट आर्थिक सुधार को आकार देने में सहायक होगा, जिसमें मुद्रास्फीति में कमी के साथ मध्यम वर्ग के खर्च को बढ़ावा देने के उद्देश्य से विकास-संचालित फोकस की उम्मीद है।
इसके अलावा, रिपोर्ट के अनुसार, स्वास्थ्य सेवा, पर्यटन और वित्तीयकरण जैसे क्षेत्र सुधार से लाभान्वित होने के लिए तैयार हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, इकोनॉमिक रिवाइवल के लिए औद्योगिक विकास में उछाल सकारात्मक है, जो 6 महीने के उच्च स्तर को छू गया। सांख्यिकी मंत्रालय द्वारा हाल ही में जारी आंकड़ों के अनुसार, चालू वित्त वर्ष (2024-25) के अक्टूबर महीने में 3.5 प्रतिशत की तुलना में नवंबर में 5.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
यह वृद्धि नवंबर 2023 में एक साल पहले दर्ज की गई 2.5 प्रतिशत की औद्योगिक वृद्धि से भी शानदार वृद्धि दर्शाती है।
औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) में तीन-चौथाई से अधिक योगदान देने वाले मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की वृद्धि दर अक्टूबर में 4.1 प्रतिशत से बढ़कर नवंबर 2024 में 5.8 प्रतिशत हो गई।
यह रोजगार सृजन के लिए एक अच्छा संकेत है क्योंकि यह सेक्टर देश के इंजीनियरिंग संस्थानों और विश्वविद्यालयों से निकलने वाले युवा स्नातकों को क्वालिटी जॉब दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
इसके अलावा, आंकड़े बताते हैं कि पूंजीगत वस्तुओं का उत्पादन में 9 प्रतिशत की जोरदार वृद्धि हुई। यह सेगमेंट अर्थव्यवस्था में हो रहे वास्तविक निवेश को दर्शाता है जिसका भविष्य में रोजगार और आय के सृजन पर प्रभाव पड़ता है।
नवंबर 2024 के दौरान इलेक्ट्रॉनिक सामान, रेफ्रिजरेटर और टीवी जैसे कंज्यूमर ड्यूरेबल प्रोडक्ट के उत्पादन में भी 13.1 प्रतिशत की दोहरे अंकों की वृद्धि हुई, जो बढ़ती आय के बीच इन वस्तुओं की हाई-कंज्यूमर डिमांड को दर्शाता है।
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