राष्ट्रीय समाचार
राज्यसभा में वक्फ संशोधन विधेयक पर खूब चले जुबानी तीर : सत्ता पक्ष ने गिनाए फायदे, विपक्ष ने बताया संविधान विरोधी
नई दिल्ली, 4 अप्रैल। लोकसभा से पारित होने के बाद वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 को गुरुवार को राज्यसभा में पेश किया गया। केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने राज्यसभा में विधेयक पेश करते हुए कहा कि इसके जरिए धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप का सवाल ही नहीं है। विधेयक पेश होने के बाद चर्चा के दौरान सत्ता पक्ष के नेताओं ने इसके फायदे गिनाए और विपक्ष पर देश के मुसलमानों को गुमराह करने के आरोप लगाए। दूसरी ओर, विपक्ष के नेताओं ने इसे संविधान के खिलाफ बताया।
केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने राज्यसभा में बिल पेश करते हुए कहा, “वक्फ संशोधन विधेयक के समर्थन में छोटे-बड़े एक करोड़ सुझाव मिले हैं। संयुक्त संसदीय समिति ने 10 शहरों में जाकर विधेयक को लेकर लोगों की राय जानी और 284 संगठनों से बातचीत की गई। आज की स्थिति में, 8.72 लाख वक्फ संपत्तियां हैं। 2006 में, अगर सच्चर समिति ने 4.9 लाख वक्फ संपत्तियों से 12,000 करोड़ रुपए की कमाई का अनुमान लगाया था, तो आप कल्पना कर सकते हैं कि ये संपत्तियां अब कितनी आय उत्पन्न कर रही होंगी। आज आप मार्केट रेट के हिसाब से अनुमान लगा सकते हैं।”
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने कहा कि वक्फ (संशोधन) विधेयक का मूल उद्देश्य रिफॉर्म्स लाकर वक्फ की प्रॉपर्टी का उचित प्रबंधन करना है। उन्होंने कहा कि इस सदन के माध्यम से देश की जनता को बताना चाहता हूं कि पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में चलने वाली सरकार पूरी तरह से लोकतांत्रिक नियमों का पालन करके आगे बढ़ रही है। वक्फ संपत्तियों के सही रखरखाव और जवाबदेही तय करने की जरूरत है। उन्होंने सवाल उठाया कि आखिर 70 साल तक किसने मुस्लिम समुदाय को डर में रखा? उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने दशकों तक इस नीति को अपनाया, लेकिन अब जनता ने इसका परिणाम देख लिया है।
नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि यह वक्फ विधेयक कोई सामान्य कानून नहीं है। इस कानून को राजनीतिक फायदे के लिए हथियार बनाया जा रहा है। यह देश की विविधता को सुनियोजित तरीके से कमजोर करने के लिए मोदी सरकार द्वारा इस्तेमाल किया जा रहा है। लोकसभा में देर रात यह विधेयक पारित हुआ तो इसके पक्ष में 288 और विपक्ष में 232 वोट पड़े। इसी से अंदाजा लगा सकते हैं कि विभिन्न दलों के विरोध के बाद भी मनमानी से यह विधेयक लाया गया। भाजपा सरकार अल्पसंख्यकों के कल्याण की काफी बात कर रही है। सशक्तिकरण की बातें हो रही हैं। लेकिन सच्चाई सरकार के पांच साल के अल्पसंख्यक विभाग के बजट आवंटन से साफ है। वित्त वर्ष 2019-20 में इस विभाग का बजट आवंटन 4,700 करोड़ रुपये था जो घटकर 2023-24 में 2,608 करोड़ रह गया। वित्त वर्ष 2022-23 में बजट आवंटन 2,612 करोड़ रुपये था, जिसमें से 1,775 करोड़ रुपये का खर्च मंत्रालय नहीं कर पाया। कुल मिलाकर पांच साल में बजट मिला 18,274 करोड़ रुपये, जिसमें से 3,574 करोड़ खर्च नहीं हो पाए।
भाजपा के राज्यसभा सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि इस विधेयक को तैयार करने में पूरी गंभीरता से काम किया गया है, लेकिन इसके प्रावधानों को लेकर कुछ लोग गलतफहमी फैला रहे हैं। त्रिवेदी ने तंज कसते हुए कहा, “नया मुल्ला प्याज ज्यादा खाता है, लेकिन यहां तो पुराना मुल्ला ज्यादा माल खा रहा है।” उन्होंने सवाल उठाया कि देश में सुन्नी वक्फ बोर्ड और शिया वक्फ बोर्ड अलग-अलग क्यों हैं? इतना ही नहीं, ताज महल तक पर वक्फ बोर्ड ने दावा ठोक दिया। उन्होंने कहा कि सरकार मुस्लिम समाज के कल्याण के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा, “यह मुकाबला उन लोगों के बीच है जो समाज के विकास में विश्वास रखते हैं और उन लोगों के बीच जो सिर्फ अपना हित साधते हैं। हमारी सरकार गरीब मुस्लिम समाज के साथ है, न कि कट्टरपंथी वोटबैंक की राजनीति करने वालों के साथ।”
निर्दलीय राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने कहा कि वह अपनी संपत्ति जिसे चाहें, दान दे सकते हैं; उन्हें रोकने वाला कोई नहीं है। मान लीजिए मैं हिंदू हूं, मुस्लिम हूं, सिख हूं या ईसाई हूं और मेरे पास कोई संपत्ति है जिसे मैं दान में देना चाहता हूं, तो मुझे कौन रोक सकता है, कोई भी नहीं रोक सकता। 1954 और 1995 में जो प्रावधान किए गए, उनमें कहा गया था कि केवल मुसलमान वक्फ बना (दान दे) सकते हैं। कोई और व्यक्ति अपनी प्रॉपर्टी यहां वक्फ बोर्ड को दान नहीं दे सकता। साल 2013 में जो संशोधन लाया गया, उसने इस प्रतिबंध को समाप्त कर दिया। अब इस नए संशोधन विधेयक में यह कहा गया है कि केवल मुसलमान ही वक्फ दे सकते हैं। उन्होंने ऐसे अदालती फैसलों का जिक्र किया, जहां हिंदुओं ने अपनी जमीनें विभिन्न परियोजनाओं जैसे कि कब्रिस्तान आदि के लिए दान में दी हैं।
कांग्रेस सांसद अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, “इस विधेयक में क्या ही स्वायत्तता बची है। इसमें सिर्फ सरकारी नियंत्रण बचा है। पुराने कानून में वक्फ बोर्ड के सीईओ का मुसलमान होना आवश्यक था। साथ ही, जिन दो व्यक्तियों के नाम बोर्ड देता था, उनमें से एक को नियुक्त करना आवश्यक था। वर्तमान विधेयक में ये प्रावधान शामिल नहीं हैं। कर्नाटक हिंदू रिलीजियस इंस्टीट्यूशन चैरिटेबल एंडोमेंट एक्ट, माता वैष्णो देवी श्राइन एक्ट, जगन्नाथ मंदिर एक्ट, सिख गुरुद्वारा एक्ट और उत्तर प्रदेश काशी विश्वनाथ टेंपल एक्ट का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा, “मैं इस सम्मानित सभा से पूछना चाहूंगा कि क्या इनमें से एक में भी संबंधित समुदाय के अलावा किसी और को नॉमिनेट करने का अधिकार दिया गया है? नए नवेले दोस्त” और तेलुगु देशम पार्टी के अध्यक्ष चंद्रबाबू नायडू ने कहा है कि तिरुपति बोर्ड में गैर-हिंदू कैसे आ सकता है?”
राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के सांसद मनोज झा ने कहा कि गाहे-बगाहे किसी पुरानी मस्जिद के नीचे कुछ चीजें ढूंढी जा रही हैं। इस तरह के माहौल में वक्फ संशोधन विधेयक लाने से सरकार की नीयत पर सवाल उठना स्वाभाविक है। देश का माहौल कैसा है, इस पर एक नजर डालिए। कभी आर्थिक बहिष्कार की बात की जाती है, पूजा स्थल अधिनियम पर सवाल उठाया जाता है। इस तरह के माहौल में आपके विधेयक के मसौदे और नीयत दोनों पर सवालिया निशान लग जाता है। कई बार लगता है कि यह विधेयक बुलडोजर के लिए एक कानूनी कवर है।
कांग्रेस के राज्यसभा सांसद सैयद नसिर हुसैन ने कहा कि वक्फ का मायना दान है। कोई भी किसी को भी दान कर सकता है। उन्होंने कहा कि दान का कॉन्सेप्ट सिर्फ हमारे धर्म में नहीं है बल्कि हर धर्म में है। हमारे दान के मकसद से बनाए गए इदारों की देखरेख करने के लिए वक्फ बोर्ड बनाया गया है। सोशल मीडिया पर यह फैलाया जा रहा है कि मुस्लिमों के तुष्टीकरण के लिए वक्फ बोर्ड बनाया गया है। शायद इनको पता नहीं और शायद ये बोलना भी नहीं चाहते कि इस देश में एंडोमेंट बोर्ड है, इस देश में हिंदू रिलिजियस प्लेसिस एक्ट है, इस देश में एसजीपीसी है, टेंपल भी ट्रस्ट है, क्रिश्चियन के लिए काउंसिल और कॉरपोरेशन है। हर धर्म के मामलों के नियमन के लिए अलग-अलग एक्ट बनाए गए हैं।
राष्ट्रीय समाचार
जीएसटी सुधार और फेस्टिव सीजन की शुरुआत से भारत में कंज्यूमर सेंटिमेंट में 1.4 प्रतिशत अंकों की बढ़त दर्ज

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नई दिल्ली, 24 अक्टूबर: हाल ही हुए जीएसटी सुधारों और फेस्टिव सीजन की शुरुआत के कारण भारत में कंज्यूमर सेंटिमेंट में इस वर्ष अक्टूबर में 1.4 प्रतिशत अंकों की बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
मार्केट रिसर्च फर्म इप्सोस की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि फेस्टिव सीजन के साथ-साथ जीएसटी सुधारों से परिवारों को उनकी बचत बढ़ाने में मदद मिली और उनकी खुद की इच्छानुसार खर्च करने की क्षमता भी बढ़ी।
रिपोर्ट के अनुसार, भारत के नेशनल इंडेक्स स्कोर में पॉजिटिव बदलाव देखा गया है। यह बदलाव नौकरियों, पर्सनल फाइनेंस, इन्वेस्टमेंट और इकॉनमी को लेकर बड़े पैमाने पर आशावाद को दिखाता है।
क्षेत्रीय स्तर पर एशिया-पैसिफिक में कंज्यूमर सेंटीमेंट सकारात्मक देखा गया, जहां इंडोनेशिया में सबसे ज़्यादा 6.5 प्रतिशत अंकों की बढ़ोतरी देखी गई। इसके बाद थाईलैंड में 3.6 अंक, दक्षिण कोरिया में 2.6 अंक, मलेशिया में 2.1 अंक भारत में 1.4 अंकों की बढ़ोतरी हुई। इसके उलट, ऑस्ट्रेलिया और जापान में कंज्यूमर सेंटिमेंट में गिरावट आई, जो क्रमशः 2.1 और 2.0 प्रतिशत अंक कम हो गया।
ये नतीजे इप्सोस द्वारा अपने ग्लोबल एडवाइजर ऑनलाइन सर्वे प्लेटफॉर्म और भारत में अपने इंडियाबस प्लेटफॉर्म पर हर महीने 30 देशों में किए गए सर्वे के डेटा पर आधारित हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि सर्वे किए गए 30 देशों में इंडोनेशिया का नेशनल इंडेक्स स्कोर 58.8 है, जो कि सबसे अधिक है, जो कंज्यूमर सेंटिमेंट में मासिक आधार पर 6.5 प्रतिशत पॉइंट्स की मजबूत बढ़त को दिखाता है। वहीं, भारत 58.4 के नेशनल इंडेक्स स्कोर के साथ दूसरे स्थान पर है, जो पिछले महीने के मुकाबले 1.4 पॉइंट्स की बढ़ोतरी को दर्शाता है।
रिपोर्ट के अनुसार, सर्वे में शामिल कुल देशों में से 11 देशों ने 50 या उससे ज़्यादा का नेशनल इंडेक्स स्कोर दर्ज किया है, जो कंज्यूमर्स के मजबूत कॉन्फिडेंस को दिखाता है। इन देशों में भारत के अलावा, मलेशिया, स्वीडन, ब्राजील, मेक्सिको, थाईलैंड, यूनाइटेड स्टेट्स, नीदरलैंड्स, सिंगापुर, ऑस्ट्रेलिया और पोलैंड का नाम शामिल है।
राजनीति
मध्य प्रदेश सरकार ने बहनों के साथ विश्वासघात किया : जीतू पटवारी

JITU PATWARI
भोपाल, 24 अक्टूबर: कांग्रेस की मध्य प्रदेश इकाई के अध्यक्ष जीतू पटवारी ने मोहन यादव सरकार पर बहनों के साथ विश्वासघात करने का आरोप लगाया है।
जीतू पटवारी ने मुख्यमंत्री मोहन यादव को पत्र लिखकर कहा कि मध्य प्रदेश की जनता को आप पर विश्वास था कि सत्ता में आने वाला व्यक्ति संवेदनशीलता और सत्यनिष्ठा से शासन करेगा। लेकिन, जिस तरह आपकी सरकार किसानों और महिलाओं के साथ व्यवहार कर रही है, उसने यह विश्वास पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया है।
मीडिया रिपोर्ट्स का हवाला देते हुए जीतू पटवारी ने कहा, ”आपकी सरकार ने भावांतर भुगतान योजना के लिए मंडी बोर्ड से 1500 करोड़ की मांग की है, तो कृषि मंत्री एंदल सिंह कंसाना ने यह साफ कह दिया कि मंडी बोर्ड के पास इतनी आय नहीं है। तब समाधान के नाम पर मंडी शुल्क एक प्रतिशत बढ़ाकर किसानों पर ही अतिरिक्त बोझ डालने का “सुझाव” सामने आया। यह वही भाजपा सरकार है, जो मंचों पर किसानों को राहत देने का दावा करती है, लेकिन हर बार निर्णय किसान की जेब खाली करने का लेती है।”
राज्य सरकार पर भर्ती कर्ज का जिक्र करते हुए जीत पटवारी ने कहा कि केवल जुलाई 2023 से सितंबर 2025 के बीच आपकी सरकार ने कुल 1.12 लाख करोड़ रुपए से अधिक का नया कर्ज लिया है। औसतन हर महीने 5,000 से 5,500 करोड़ का कर्ज लेकर भी यदि सरकार के खजाने में रकम नहीं है, तो यह स्पष्ट है कि प्रदेश की वित्तीय स्थिति अव्यवस्था और अराजकता के चरम पर पहुंच चुकी है।
उन्होंने आगे कहा कि दूसरी ओर, ‘लाड़ली बहना योजना’ को लेकर सरकार का दोहरापन फिर सामने आ चुका है। आपने भाईदूज पर लाड़ली बहनों के खाते में 250 भेजने की घोषणा की थी। प्रदेशभर से महिलाओं को राजधानी बुलाया भी गया, लेकिन वित्त विभाग की मंजूरी नहीं मिलने और बजट के संकट के चलते बहनों के खाते खाली रह गए।
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने कुछ सवाल किए, साथ ही तंज भी कसा और कहा कि क्या यही मध्य प्रदेश में “आत्मनिर्भर महिला” बनाने का “सरकारी-संकल्प” है? क्या अब भाजपा सरकार दीपावली और भाई दूज जैसे पर्व पर भी केवल भाषणों से ही “समृद्धि” के सपने दिखाएगी? क्या आप भी पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की तरह रजिस्टर्ड-झूठ बोलने का नया रिकॉर्ड बनाएंगे?
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने आगे अपने पत्र में लिखा है कि अब तो जनता भी पूछने लगी है कि जब हर महीने हजारों करोड़ का कर्ज लिया जा रहा है, तो जनता की योजनाओं में धनराशि क्यों रुक रही है? किसानों के लिए राहत की योजनाएं क्यों राजनीतिक घोषणाएं बनकर रह गई हैं? महिलाओं के स्वाभिमान की “लाड़ली बहन योजना” क्यों बजट की कमी का शिकार हो रही है?
उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि सरकार किसानों के ‘भावांतर योजना’ और ‘लाड़ली बहना योजना’ में तुरंत पारदर्शिता और धनराशि की गारंटी नहीं देती, तो कांग्रेस प्रदेश के हर गांव-कस्बे और हर मंडी-बाजार में जाकर जनता को सरकार की खुली एवं खाली तिजोरी दिखाएगी।
राष्ट्रीय समाचार
त्योहारी सीजन में बिक्री का ऑल-टाइम हाई पर पहुंचना, सकारात्मक बाजार धारणा का संकेत : वित्त मंत्री सीतारमण

MANTRI SITARAMAN
नई दिल्ली, 24 अक्टूबर: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को कहा कि भारत में त्योहारी सीजन में खुदरा बिक्री इस साल अपने ऑल-टाइम हाई पर पहुंच गई है, जो जीएसटी दरों को कम करने सहित हालिया आर्थिक नीतियों के प्रभाव को दर्शाता है।
गाजियाबाद में नए सीजीएसटी भवन के उद्घाटन समारोह में बोलते हुए, वित्त मंत्री सीतारमण ने कहा कि अगली पीढ़ी के जीएसटी सुधार इस प्रणाली को और भी अधिक कुशल, न्यायसंगत और विकास केंद्रीय बनाएंगे।
वित्त मंत्री ने कहा, “मुझे विश्वास है कि निरंतर सुधारों, समर्पण और टीम वर्क के साथ, हम राजस्व, अनुपालन और सेवा वितरण में नई ऊंचाइयों को छुएंगे।”
कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के अनुसार, इस दीपावली के दौरान खुदरा बिक्री 6.05 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच गई – जो पिछले साल के 4.25 लाख करोड़ रुपए से 25 प्रतिशत अधिक है।
कुल बिक्री में से लगभग 5.40 लाख करोड़ रुपए वस्तुओं पर और 65,000 करोड़ रुपए सेवाओं पर खर्च किए गए, जिससे यह भारत के व्यापारिक इतिहास में सबसे बड़ा दीपावली कारोबार सीजन बन गया।
वित्त मंत्री सीतारमण ने कहा, “ये आंकड़े हमें क्या बताते हैं कि हमारी आर्थिक नीतियों – जिसमें हाल ही में जीएसटी दरों को कम करना भी शामिल है – का सार्थक प्रभाव पड़ रहा है।”
वित्त मंत्री ने आगे कहा, “अच्छे काम करते रहें, सुधारों की गति बनाए रखें और हमेशा याद रखें कि हमारा अंतिम लक्ष्य ईमानदार करदाताओं का जीवन आसान बनाना है।”
वित्त मंत्री सीतारमण ने आगे कहा कि अगली पीढ़ी का जीएसटी करदाताओं को अलग महसूस होना चाहिए। उन्हें यह महसूस होना चाहिए कि उनके साथ सम्मानजनक व्यवहार किया जा रहा है, क्योंकि वे देश के करदाता हैं।
केंद्रीय मंत्री ने कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किया गया ‘जीएसटी बचत उत्सव’ वास्तव में ‘डबल दीपावली’ था।”
ई-कॉमर्स ने भी अच्छा प्रदर्शन किया, जिसमें वॉल्यूम में सालाना आधार पर 24 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई, जबकि सकल व्यापारिक मूल्य में 23 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
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