राजनीति
अदालत भी कर रही है मोदी के मन की बात, शिवसेना का सुप्रीम कोर्ट पर निशाना

आंदोलन का अधिकार निरंकुश नहीं है। कभी भी, कहीं भी आंदोलन नहीं किया जा सकता। सर्वोच्च न्यायालय की इस टिप्पणी पर शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के जरिये निशाना साधा है सामना ने लिखा है कि सर्वोच्च न्यायालय के मुख से सरकार के ही ‘मन की बात’ सामने आई है क्या? चार दिन पहले ही हमारे प्रधानमंत्री मोदी ने देश के आंदोलन का मजाक उड़ाया था। उन्होंने खिल्ली उड़ाते हुए कहा था कि कुछ लोग केवल आंदोलन पर ही जीते हैं। ये लोग ‘आंदोलनजीवी’ हैं। अब सर्वोच्च न्यायालय ने भी प्रधानमंत्री के सुर में सुर मिलाते हुए आंदोलनकारियों को आंख दिखाई है।
सामना ने लिखा है कि आंदोलन नहीं हुए होते तो दुनिया के नक्शे में शामिल कई देशों का जन्म ही नहीं हुआ होता और जुल्मी राज खत्म नहीं हुए होते। हिंदुस्थान में भी यही बार-बार हो रहा है। लेकिन देश की बुनियाद ही डगमगा जाए, अर्थव्यवस्था का कचरा हो जाए या विदेशी शक्ति को सहायता मिले, ऐसे आंदोलन इस भूमि पर ना होने पाएं, इस बात को स्वीकार करना ही होगा। ‘व्यक्ति को आंदोलन करने और असहमति व्यक्त करने का संवैधानिक अधिकार है।
सामना ने लिखा है कि सर्वोच्च न्यायालय ने आंदोलनों के मामले में सरकार के कदम पर मुहर लगा दी है। दिल्ली की सीमा पर किसान तीन महीनों से सड़क पर आंदोलन कर रहे हैं। सरकार जो तीन कृषि कानून लाई है, उसके कारण देश की कमर ही टूटती जा रही है। किसानों को दूसरे पर निर्भर होना पड़ेगा और भविष्य में उसे चार-पांच बड़े उद्योगपतियों का गुलाम होना पड़ेगा। ऐसी परिस्थिति में इन किसानों का सड़कों पर उतरना स्वाभाविक है। जिस हिंदुस्थान के संविधान की बात करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने आंदोलन पर मार्गदर्शन किया है, वही हिंदुस्थानी संविधान किसानों के नागरिक अधिकारों की रक्षा करने में असमर्थ साबित होगा तो क्या करें?
सामना ने लिखा है कि हवाई अड्डे, विमान कंपनियां और सार्वजनिक उपक्रमों को सरकार निःसंकोच होकर बेच रही है। देश के प्रमुख बंदरगाहों का निजीकरण हो रहा है, जिससे नौकरियां जानेवाली हैं। इस निजीकरण के विरोध में मतलब देश की बिक्री के विरोध में लोगों ने रास्ते पर उतरकर आंदोलन किया तो न्यायालय `ऑर्डर…ऑर्डर’ करते हुए देशद्रोह का हथौड़ा उनके सिर पर मारेगी क्या? ‘हिंदुस्थानी न्याय-व्यवस्था की हालत जीर्ण हो चुकी है। न्यायालय में न्याय मिलना मुश्किल हो गया है।’ ऐसा खुलासा खुद पूर्व मुख्य न्यायाधीश और राज्यसभा के सांसद रंजन गोगोई ने किया है। वह इतना ही बोलकर नहीं रुके। उन्होंने कहा, ‘हम खुद किसी भी न्यायालय में नहीं जाएंगे। न्यायालय में जाना मतलब पश्चाताप करने जैसा है।’
राजनीति
देश में दलितों के खिलाफ अन्याय, अत्याचार और हिंसा का सिलसिला भयावह: प्रियंका गांधी

नई दिल्ली, 10 अक्टूबर : कांग्रेस महासचिव और सांसद प्रियंका गांधी ने हरियाणा आईपीएस आत्महत्या मामले में भाजपा पर निशाना साधा है। कांग्रेस सांसद ने शुक्रवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा कि जातीय प्रताड़ना से परेशान होकर हरियाणा के आईपीएस अधिकारी वाई पूरन कुमार की आत्महत्या से पूरा देश स्तब्ध है। देश भर में दलितों के खिलाफ जिस तरह अन्याय, अत्याचार और हिंसा का सिलसिला चल रहा है, वह भयावह है।
उन्होंने कहा कि पहले रायबरेली में हरिओम वाल्मीकि की हत्या, फिर मुख्य न्यायाधीश का अपमान और अब एक वरिष्ठ अधिकारी की आत्महत्या यह साबित करती है कि भाजपा राज दलितों के लिए अभिशाप बन गया है। चाहे कोई आम नागरिक हो या ऊंचे पद पर हो, अगर वह दलित समाज से है तो अन्याय और अमानवीयता उसका पीछा नहीं छोड़ते। जब ऊंचे ओहदे पर बैठे दलितों का यह हाल है तो सोचिए आम दलित समाज किन हालात में जी रहा होगा।
इससे पहले कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी हरियाणा आईपीएस सुसाइड मामले की निंदा की थी। उन्होंने एक्स पर लिखा कि भाजपा का मनुवादी तंत्र इस देश के एससी, एसटी, ओबीसी और कमजोर वर्गों के लिए एक अभिशाप बन चुका है। हरियाणा के वरिष्ठ दलित आईपीएस अधिकारी, एडीजीपी, वाई. पूरन कुमार की मजबूरन आत्महत्या की खबर न केवल स्तब्ध करने वाली है, बल्कि सामाजिक अन्याय, अमानवीयता और संवेदनहीनता का भयावह प्रमाण है। परिवार के प्रति मेरी गहरी संवेदनाएं।
उन्होंने आगे लिखा, “पिछले 11 वर्षों में इस देश में भाजपा ने मनुवादी मानसिकता इतनी गहरी कर दी है कि एडीजीपी रैंक के दलित अधिकारी को भी न्याय और सुनवाई नहीं मिलती है। जब सुप्रीम कोर्ट में सरेआम माननीय मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) पर हमला हो सकता है और उसे भाजपा का इकोसिस्टम जातिवाद और धर्म का हवाला देकर डिफेंड कर सकता है, तो हमें ये समझ लेना चाहिए कि ‘सबका साथ’ का नारा एक भद्दा मजाक था।”
उन्होंने लिखा कि हजारों वर्षों से मनुवादी मानसिकता का शोषण करने की आदत इतनी जल्दी तो नहीं बदल सकती। तभी हरिओम वाल्मीकि जैसे निहत्थे दलित की मॉब लिंचिंग से नृशंस हत्या हो जाती है और प्रधानमंत्री मोदी निंदा के दो शब्द भी नहीं बोलते! यह सिर्फ कुछ व्यक्तियों की त्रासदी नहीं, यह उस भाजपा और संघ द्वारा पोषित अन्यायपूर्ण व्यवस्था का आईना है, जो दलित, आदिवासी, पिछड़े व अल्पसंख्यक वर्गों के आत्मसम्मान को बार-बार कुचलती रही है। ये संविधान और लोकतंत्र के लिए घातक है।
अपराध
दिल्ली: मोती नगर में मालिक के 18.25 लाख रुपए लेकर भागा कर्मचारी गिरफ्तार

नई दिल्ली, 10 अक्टूबर: दिल्ली के मोती नगर थाना क्षेत्र में मालिक के 18.25 लाख रुपए लेकर फरार हुए कर्मचारी को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। आरोपी के कब्जे से 17.65 लाख कैश बरामद कर लिया है।
घटना 6 अक्टूबर को गुरुग्राम के डीएलएफ फेज-1 निवासी अजय सतीजा ने मोती नगर थाने में शिकायत दर्ज की। उन्होंने बताया कि वे रामा रोड औद्योगिक क्षेत्र, मोती नगर में केमिकल सेंटर नामक कार्यालय चलाते हैं। उन्होंने 3 अक्टूबर को अपने कर्मचारी संदीप कुमार सिंह को 18.25 लाख रुपए देकर भाई के अशोक विहार स्थित घर भेजा था, लेकिन संदीप न तो वहां पहुंचा और न ही लौटा। साथ ही उसका मोबाइल भी बंद मिला।
संदीप पिछले 15 साल से उनके साथ काम कर रहा था और कैश जमा और संभालने का काम करता था। शिकायत के आधार पर मोती नगर थाने में मामला दर्ज हुआ और एएसआई दीपक सैनी ने जांच शुरू की।
इंस्पेक्टर वरुण दलाल के नेतृत्व में और एसीपी शिवम के पर्यवेक्षण में एएसआई दीपक सैनी, एएसआई राजेंद्र, एचसी पवन और एचसी राजेंद्र की एक टीम बनाई गई।
टीम ने संदीप (38) के गृहनगर फिरोजाबाद (उत्तर प्रदेश) और फिर दिल्ली के हर्ष विहार में स्थानीय पते के बारे में खुफिया जानकारी जुटाई। सूचना मिलते ही पुलिस ने गगन सिनेमा, हर्ष विहार के पास से संदीप को गिरफ्तार कर लिया।
पूछताछ में संदीप ने बताया कि उसने चोरी की रकम को घर पर काले बैग में छिपाया था। उसके बयान के आधार पर पुलिस ने उसके घर से 17,65,500 कैश बरामद कर लिया।
शिकायत मिलने के बाद पुलिस ने जो सक्रियता दिखाई, उसकी वजह से केस जल्द सॉल्व हो गया।
पुलिस की त्वरित और पेशेवर कार्रवाई से न सिर्फ आरोपी पकड़ा गया, बल्कि चोरी की रकम का ज्यादातर हिस्सा भी वापस मिल गया। इस उपलब्धि के लिए पुलिस उपायुक्त पश्चिम जिला, दिल्ली शरद भास्कर ने टीम की तारीफ की है।
अपराध
मुंबई पुलिस ने दायर की जीशान सिद्दीकी और क्रिकेटर रिंकू सिंह को धमकी देने वाले आरोपी के खिलाफ चार्जशीट

मुंबई, 10 अक्टूबर: मुंबई क्राइम ब्रांच ने दिवंगत एनसीपी नेता और पूर्व मंत्री बाबा सिद्दीकी के बेटे जीशान सिद्दीकी और क्रिकेटर रिंकू सिंह को धमकी देने वाले मामले में बड़ा खुलासा किया है।
पुलिस के अनुसार, इस मामले में आरोपी मोहम्मद दिलशाद नौशाद को जुलाई में त्रिनिदाद और टोबैगो से प्रत्यर्पित किया गया है। नौशाद ने अंडरवर्ल्ड के नाम पर धमकी भरे ईमेल भेजे थे। क्राइम ब्रांच की एंटी एक्सटॉर्शन सेल ने इस मामले में 90 पन्नों की चार्जशीट दायर की है, जिसमें 8 गवाहों के बयान शामिल हैं।
मुंबई क्राइम ब्रांच के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि आरोपी के ईमेल की जांच के दौरान पता चला कि उसने ज़ीशान सिद्दीकी और रिंकू सिंह के अलावा एक बड़े विदेशी व्यापारी को भी धमकी दी थी। जांच में सामने आया कि नौशाद ने फरवरी 2025 में रिंकू सिंह को ईमेल भेजकर पहले आर्थिक मदद मांगी थी। जवाब न मिलने पर उसने अंडरवर्ल्ड के नाम का इस्तेमाल कर धमकी भरे ईमेल भेजे और करोड़ों रुपये की उगाही की मांग की।
रिंकू सिंह के दो इवेंट मैनेजरों के बयान अगस्त में दर्ज किए गए। एक मैनेजर ने बताया कि रिंकू के नाम पर कई ईमेल आते हैं, जिनमें से कुछ महत्वपूर्ण नहीं होते। नौशाद का धमकी भरा ईमेल तब सामने आया जब पुलिस ने इसकी जानकारी दी।
वहीं, ज़ीशान सिद्दीकी ने अप्रैल में शिकायत दर्ज कराई थी कि उन्हें 19 से 21 अप्रैल के बीच धमकी भरे ईमेल मिले। इनमें डी-कंपनी का नाम इस्तेमाल कर 10 करोड़ रुपये की फिरौती मांगी गई थी। ईमेल में लिखा था कि अगर पैसे नहीं दिए गए तो उनका अंजाम उनके पिता बाबा सिद्दीकी जैसा होगा। आरोपी ने यह भी दावा किया कि बाबा सिद्दीकी की हत्या से लॉरेंस बिश्नोई का कोई संबंध नहीं है, जिससे पुलिस जांच को गुमराह करने की कोशिश की गई।
मुंबई क्राइम ब्रांच ने इंटरपोल के जरिए लुकआउट सर्कुलर जारी किया और आरोपी को गिरफ्तार किया। जांच में पता चला कि नौशाद ने कई लोगों को निशाना बनाया था। क्राइम ब्रांच अब इस मामले में गहन जांच कर रही है ताकि अन्य संभावित पीड़ितों का पता लगाया जा सके।
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