अपराध
सुशांत मामला : मुंबई पुलिस के बचाव में पूर्व आईपीएस अफसरों ने निकाली रैली
दिवंगत अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत के हाई प्रोफाइल मामले और इससे जुड़े ‘मीडिया ट्रायल’ और जांच में अपनी प्रतिष्ठा बचाने के लिए मुंबई पुलिस की ओर से आठ सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारियों ने एक साथ रैली की। महाराष्ट्र पुलिस में शीर्ष पदों पर रह चुके आठ पूर्व अधिकारियों ने इस मामले में मुंबई पुलिस के खिलाफ ‘अनुचित, दुर्भावनापूर्ण और झूठे मीडिया ट्रायल’ को रोकने के निर्देश के लिए बॉम्बे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है और जनहित याचिका दायर की है।
याचिकाकर्ताओं में एम.एन. सिंह, पी.एस. पसरीचा, डी.एन. जाधव, डी. शिवनंदन, संजीव दयाल, के. सुब्रमण्यम, एस.सी. माथुर और के.पी. रघुवंशी शामिल हैं। ये सभी सेवानिवृत्ति के वक्त डायरेक्टर-जनरल स्तर पर रहे हैं।
वहीं गृहमंत्री अनिल देशमुख ने गुरुवार को सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारियों के इस कदम की सराहना की।
देशमुख ने संवाददाताओं से कहा, “महाराष्ट्र और मुंबई पुलिस की भी प्रतिष्ठा है। उनकी तुलना स्कॉटलैंड यार्ड से की जाती है .. जिस तरह से (सुशांत) मामले में मुंबई पुलिस को निशाना बनाया गया, मैं पीआईएल का स्वागत करता हूं।”
यह याचिका एक प्रमुख कानूनी फर्म क्रॉफोर्ड, बेले एंड कंपनी के माध्यम से दायर की गई है। उसके वरिष्ठ अधिवक्ता मिलिंद साठे ने पीआईएल में यूनियन और राज्य सरकारों, प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया और न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन का नाम दिया है। याचिका पर जल्द ही सुनवाई होने की उम्मीद है।
याचिकाकर्ताओं ने अन्य बातों के साथ ही मीडिया हाउस, चाहे वह प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक, रेडियो, इंटरनेट या टेलीविजन या किसी भी अन्य रूप में, किसी भी झूठे, अपमानजनक और अशोभनीय टिप्पणियों को प्रकाशित करने और प्रसारित करने वाले सोशल मीडिया पोस्ट, समाचार कहानियां आदि, जो पुलिस की प्रतिष्ठा को खतरे में डाल सकती हैं और लोगों का सिस्टम और पुलिस प्रशासन से विश्वास हटा सकती हैं, या न्याय- प्रशासन में बाधा उत्पन्न कर सकती हैं, उसके लिए दिशा-निर्देश जारी करने की मांग की है।
उन्होंने ‘नैतिक रिपोर्टिग’ और जिम्मेदार पत्रकारिता के संबंध में निर्देश जारी करने और अधिकारियों द्वारा लगातार उसकी निगरानी करने और किसी भी मीडिया हाउस द्वारा इसका उल्लंघन किए जाने पर कार्रवाई के लिए निर्देश देने का भी आग्रह किया है।
पीआईएल में कुछ टीवी चैनलों को नामित किया गया है, जो अपनी बायस्ड रिपोर्टिग और झूठे प्रचार के माध्यम से केंद्रीय एजेंसियों द्वारा की गई जांच को प्रभावित करने का प्रयास कर रहे हैं, जिसकी वजह से (सुशांत) मामले के तथ्यों और मुंबई पुलिस, स्वास्थ्य सेवाओं और राज्य में अन्य सहायता सेवाओं के बारे में लोगों के दिमाग में ‘संदेह’ उत्पन्न हो गया है।
उन्होंने बताया कि मुंबई पुलिस भारत के सबसे पुराने बलों में से एक है, जिसने हमेशा ‘पेशेवर क्षमता और सार्वजनिक सेवा’ के लिए अपनी प्रतिष्ठा स्थापित की है और इसे नीचा दिखाने के लिए कोई भी दुर्भावनापूर्ण या गैर-जिम्मेदाराना प्रयास जनहित में नहीं है।
हालांकि पीआईएल में प्रेस, भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की भूमिका का पूरी तरह से समर्थन किया गया है। उन्होंने मीडिया रिपोर्टिग, विशेष रूप से टीवी चैनलों को लेकर गंभीर चिंता व्यक्त की।
अपराध
दिल्ली: संगम विहार थाने की महिला उप-निरीक्षक रिश्वत लेते गिरफ्तार

crime
नई दिल्ली, 5 दिसंबर: दिल्ली पुलिस की भ्रष्टाचार विरोधी नीति ‘जीरो टॉलरेंस’ के तहत बड़ी कार्रवाई हुई है। विजिलेंस यूनिट ने संगम विहार थाना में तैनात महिला उप-निरीक्षक नमिता को 15 हजार रुपए की रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार किया है। यह अभियान दिल्ली पुलिस आयुक्त सतीश गोल्चा द्वारा शुरू किए गए भ्रष्टाचार-रोधी अभियान का हिस्सा है।
दिल्ली पुलिस की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, 4 दिसंबर को संगम विहार की एक महिला ने विजिलेंस यूनिट से शिकायत की कि उप-निरीक्षक नमिता, जो उसके दर्ज मामले की जांच अधिकारी थीं, ने केस को कमजोर करने की धमकी देते हुए 2 लाख रुपए की रिश्वत की मांग की थी। शिकायत मिलने के बाद विजिलेंस यूनिट ने तुरंत कार्रवाई की योजना बनाई। इसके बाद, उसी दिन शाम को सतर्कता इकाई द्वारा संगम विहार थाने में एक ट्रैप ऑपरेशन आयोजित किया गया।
तय समय पर शिकायतकर्ता एसआई नमिता के दफ्तर पहुंची, जहां नमिता ने कथित रूप से रिश्वत की पहली किस्त के रूप में 15 हजार रुपए की मांग की और उसे अपनी टेबल पर रखी एक फाइल में रखने को कहा। जैसे ही शिकायतकर्ता ने पैसे फाइल में रखे, विजिलेंस टीम ने दफ्तर में प्रवेश किया और एसआई नमिता को रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया। मौके से 15 हजार रुपए की राशि भी बरामद कर ली गई।
घटना के बाद विजिलेंस पुलिस स्टेशन में एफआईआर संख्या 23/25, धारा 7, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 के तहत दर्ज की गई है। आरोपी एसआई को गिरफ्तार कर अदालत में पेश किया गया, जहां से उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है।
विजिलेंस यूनिट ने कहा कि इस मामले की आगे की जांच जारी है। साथ ही नागरिकों से अपील की गई है कि वे किसी भी पुलिसकर्मी द्वारा रिश्वत मांगने की स्थिति में तुरंत शिकायत दर्ज कराएं। ऐसी शिकायतें विजिलेंस हेल्पलाइन नंबर 1064 पर भी की जा सकती हैं।
अपराध
लखनऊ : एसटीएफ ने 80 लाख के ड्रग्स के साथ दो तस्करों को किया गिरफ्तार, कई राज्यों में करते थे सप्लाई

लखनऊ, 3 दिसंबर: उत्तर प्रदेश पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने एक बड़ी कार्रवाई करते हुए 80 लाख रुपए के ड्रग्स के साथ दो तस्करों को गिरफ्तार किया है। दोनों तस्कर अंतर्राज्यीय नेटवर्क से जुड़े हुए थे।
मुखबिर से सूचना मिलने पर स्पेशल टास्क फोर्स ने लखनऊ के गोसाईगंज इलाके में सुल्तानपुर रोड पर स्थित गब्बर ढाबे के पास से एक टाटा सफारी कार में सवार दो तस्करों को पकड़ा। कार की तलाशी लेने पर उसमें 523 ग्राम एमडीएमए (मिथाइलेंडीऑक्सी-मेथाम्फेटामाइन) बरामद किया गया, जो एक प्रतिबंधित मादक पदार्थ है।
एसटीएफ के डिप्टी एसपी धर्मेश कुमार शाही ने बताया कि उनकी टीम लंबे समय से नशे के तस्करी नेटवर्क पर नजर रखे हुए थी। उन्हें जानकारी मिली थी कि दो तस्कर भारी मात्रा में ड्रग्स लेकर गुजरने वाले हैं। इस पर एसटीएफ ने त्वरित कार्रवाई करते हुए गब्बर ढाबा के पास घेराबंदी की और दोनों तस्करों को गिरफ्तार कर लिया।
गिरफ्तार तस्करों की पहचान मोहम्मद मुजीब और मुकेश सिंह के रूप में हुई है। मुजीब लखनऊ के खंदारी बाजार का निवासी है, जबकि मुकेश भदोही के रविदासनगर का रहने वाला है। पूछताछ में इन दोनों ने बताया कि वे एक अंतर्राज्यीय ड्रग तस्करी गिरोह से जुड़े हुए हैं, जो उत्तर प्रदेश, दिल्ली, मुंबई और बिहार तक एमडीएमए की सप्लाई करता था।
मुजीब ने यह भी खुलासा किया कि वह अपने घर पर रसायन मिलाकर एमडीएमए तैयार करता था और उसे यह प्रक्रिया वाराणसी निवासी अभय सिंह ने सिखाई थी। अभय सिंह पहले मुंबई में एमडीएमए के साथ गिरफ्तार हो चुका है और हाल ही में जेल से रिहा हुआ है।
एसटीएफ ने बताया कि पकड़े गए तस्करों ने इस बात का भी खुलासा किया कि वे विभिन्न जिलों और राज्यों में एमडीएमए की सप्लाई कर रहे थे। इस मामले में गोसाईगंज थाने में एनडीपीएस एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया गया है।
धर्मेश कुमार शाही ने बताया कि दोनों आरोपियों से पूछताछ की जा रही है। इनके गिरोह में कितने लोग शामिल हैं और एमडीएमए किसे सप्लाई करने जा रहे थे, इन सवालों का जवाब भी पता किया जा रहा है।
अपराध
मुंबई: रिटायर्ड पुलिसकर्मी ने सोसायटी की लिफ्ट में की नाबालिग से छेड़छाड़, गिरफ्तार

CRIME
मुंबई, 3 दिसंबर: मुंबई के कस्तूरबा मार्ग पुलिस ने 67 वर्षीय रिटायर्ड पुलिस अधिकारी को उसी सोसायटी में रहने वाली नाबालिग लड़की के यौन उत्पीड़न के आरोप में मंगलवार देर रात गिरफ्तार कर लिया। लड़की की मां की शिकायत पर पुलिस ने कार्रवाई की।
आरोपी और पीड़िता दोनों एक ही इमारत में रहते हैं।
पुलिस के अनुसार, घटना मंगलवार शाम लड़की लिफ्ट के पास खड़ी थी, तभी आरोपी वहां पहुंचा। उसने लड़की को लिफ्ट के अंदर खींच लिया और उसके साथ छेड़छाड़ की। डर के कारण बच्ची चुप रही, लेकिन घर पहुंचते ही उसने रोते-बिलखते हुए मां को सारी बात बताई।
परिवार तुरंत बच्ची को लेकर कस्तूरबा मार्ग थाने पहुंचा और लिखित शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने तत्काल कार्रवाई करते हुए भारतीय दंड संहिता की संबंधित धाराओं के साथ-साथ पॉक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज किया। मेडिकल जांच के बाद आरोपी को उसके फ्लैट से गिरफ्तार कर लिया गया।
आरोपी को कोर्ट में पेश किया गया। सबूतों और मामले की गंभीरता को देखते हुए मजिस्ट्रेट ने उसे 12 दिसंबर तक पुलिस कस्टडी में भेज दिया। पुलिस पूछताछ में यह भी पता लगा रही है कि आरोपी ने पहले कभी ऐसी कोई हरकत तो नहीं की।
पुलिस ने बताया कि पीड़िता के साथ पूरी संवेदनशीलता से पेश आया जा रहा है। दोषी को कड़ी से कड़ी सजा दिलाई जाएगी।
लोगों में गुस्सा है और मांग की जा रही है कि ऐसे मामलों में तुरंत और सख्त कार्रवाई हो। फिलहाल जांच जारी है। बच्ची का बयान मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज कराया जाएगा और आगे की कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
अधिकारियों का कहना है कि बच्ची के साथ पूरा सहानुभूति के साथ व्यवहार किया जा रहा है और दोषी को किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा। चाहे वह कभी पुलिस की वर्दी में रहा हो, आज कानून सबके लिए बराबर है।
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