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Thursday,13-November-2025
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सुप्रीम कोर्ट की विशेष पीठ आज पूजा स्थल अधिनियम को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करेगी

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नई दिल्ली: भारत का सर्वोच्च न्यायालय गुरुवार (आज) को पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 के कुछ प्रावधानों की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करेगा।

यह अधिनियम पूजा स्थलों पर पुनः दावा करने या 15 अगस्त 1947 की स्थिति से उनके स्वरूप को बदलने के लिए मुकदमा दायर करने पर रोक लगाता है।

भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति पीवी संजय कुमार और केवी विश्वनाथन की विशेष पीठ दोपहर 3.30 बजे मामले की सुनवाई करेगी।

द प्लीज़ के बारे में

याचिकाओं में पूजा स्थल अधिनियम को चुनौती देते हुए कहा गया है कि यह अधिनियम आक्रमणकारियों द्वारा नष्ट किए गए हिंदुओं, जैनियों, बौद्धों और सिखों के ‘पूजा स्थलों और तीर्थस्थलों’ को पुनर्स्थापित करने के अधिकारों को छीन लेता है।

काशी राजपरिवार की पुत्री महाराजा कुमारी कृष्ण प्रिया, भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी, पूर्व सांसद चिंतामणि मालवीय, सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारी अनिल काबोत्रा, अधिवक्ता चंद्रशेखर, वाराणसी निवासी रुद्र विक्रम सिंह, धार्मिक नेता स्वामी जीतेन्द्रानंद सरस्वती, मथुरा निवासी धार्मिक गुरु देवकीनंदन ठाकुर जी और अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय सहित अन्य ने 1991 के अधिनियम के खिलाफ शीर्ष अदालत में याचिकाएं दायर की हैं।

याचिकाकर्ताओं का दावा है कि यह अधिनियम धर्मनिरपेक्षता और कानून के शासन के सिद्धांतों का उल्लंघन करता है, और यह अदालत में जाने और न्यायिक उपाय की मांग करने के उनके अधिकार को छीन लेता है। उनका यह भी तर्क है कि यह अधिनियम उन्हें उनके पूजा स्थलों और तीर्थस्थलों के प्रबंधन, रखरखाव और प्रशासन के अधिकार से वंचित करता है।

1991 के प्रावधान के बारे में

1991 का प्रावधान किसी भी पूजा स्थल के धर्मांतरण पर रोक लगाने तथा किसी भी पूजा स्थल के धार्मिक स्वरूप को उसी रूप में बनाए रखने के लिए, जैसा वह 15 अगस्त, 1947 को था, तथा उससे संबंधित या उसके आनुषंगिक विषयों के लिए उपबंध करने हेतु एक अधिनियम है।’

जामीयत उलमा-ए-हिंद ने भी हिंदू याचिकाकर्ताओं द्वारा दायर याचिकाओं को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत में याचिका दायर की थी, जिसमें कहा गया था कि अधिनियम के खिलाफ याचिकाओं पर विचार करने से भारत भर में अनगिनत मस्जिदों के खिलाफ मुकदमों की बाढ़ आ जाएगी।

भारतीय मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने भी 1991 के कानून के कुछ प्रावधानों की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं का विरोध करते हुए सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था।

ज्ञानवापी परिसर में मस्जिद का प्रबंधन करने वाली अंजुमन इंतजामिया मस्जिद की प्रबंध समिति ने मामले में हस्तक्षेप आवेदन दायर किया है और पूजा स्थल अधिनियम को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज करने की मांग की है।

अधिनियम को चुनौती देने वाली याचिकाओं में से एक में कहा गया है, “अधिनियम में भगवान राम के जन्मस्थान को शामिल नहीं किया गया है, लेकिन भगवान कृष्ण के जन्मस्थान को शामिल किया गया है, हालांकि दोनों ही सृष्टिकर्ता भगवान विष्णु के अवतार हैं और पूरे विश्व में समान रूप से पूजे जाते हैं।”

याचिकाओं में आगे कहा गया है कि यह अधिनियम भारतीय संविधान के अनुच्छेद 26 के तहत गारंटीकृत पूजा और तीर्थ स्थलों को बहाल करने, प्रबंधित करने, रखरखाव और प्रशासन करने के हिंदुओं, जैनियों, बौद्धों और सिखों के अधिकारों का स्पष्ट रूप से उल्लंघन करता है।

दायर याचिकाओं में पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम 1991 की धारा 2, 3, 4 की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गई है, जिसके बारे में कहा गया है कि यह धर्मनिरपेक्षता और कानून के शासन के सिद्धांतों का उल्लंघन करता है, जो संविधान की प्रस्तावना और मूल ढांचे का एक अभिन्न अंग है।

याचिकाओं में कहा गया है कि इस अधिनियम ने न्यायालय जाने के अधिकार को छीन लिया है और इस प्रकार न्यायिक उपचार का अधिकार समाप्त हो गया है।

धारा 3 और 4 के बारे में

अधिनियम की धारा 3 पूजा स्थलों के रूपांतरण पर रोक लगाती है। इसमें कहा गया है, “कोई भी व्यक्ति किसी भी धार्मिक संप्रदाय या उसके किसी भी वर्ग के पूजा स्थल को उसी धार्मिक संप्रदाय के किसी अन्य वर्ग या किसी अन्य धार्मिक संप्रदाय या उसके किसी भी वर्ग के पूजा स्थल में परिवर्तित नहीं करेगा।”

धारा 4 किसी भी पूजा स्थल के धार्मिक स्वरूप में परिवर्तन के लिए कोई भी मुकदमा दायर करने या कोई अन्य कानूनी कार्यवाही शुरू करने पर रोक लगाती है, जैसा कि 15 अगस्त 1947 को विद्यमान था।

अमान्य एवं असंवैधानिक

याचिका में कहा गया है कि पूजा स्थल अधिनियम 1991 कई कारणों से अमान्य और असंवैधानिक है। याचिका में कहा गया है कि यह हिंदुओं, जैनियों, बौद्धों और सिखों के प्रार्थना करने, धर्म मानने, आचरण करने और धर्म का प्रचार करने के अधिकार का उल्लंघन करता है (अनुच्छेद 25)। याचिका में कहा गया है कि यह पूजा स्थलों और तीर्थ स्थलों के प्रबंधन, रखरखाव और प्रशासन के उनके अधिकार का भी उल्लंघन करता है (अनुच्छेद 26)।

याचिकाओं में कहा गया है कि यह अधिनियम इन समुदायों को देवता से संबंधित धार्मिक संपत्तियों (अन्य समुदायों द्वारा दुरुपयोग) के स्वामित्व/अधिग्रहण से वंचित करता है और साथ ही उनके पूजा स्थलों और तीर्थस्थलों तथा देवता से संबंधित संपत्ति को वापस लेने के अधिकार को भी छीन लेता है।

याचिकाओं में कहा गया है कि यह अधिनियम हिंदुओं, जैनियों, बौद्धों और सिखों को सांस्कृतिक विरासत से जुड़े अपने पूजा स्थलों और तीर्थस्थलों को वापस लेने से वंचित करता है (अनुच्छेद 29) और यह उन्हें पूजा स्थलों और तीर्थस्थलों पर कब्जा बहाल करने पर भी प्रतिबंध लगाता है, लेकिन मुसलमानों को वक्फ अधिनियम की धारा 107 के तहत दावा करने की अनुमति देता है।

जनहित याचिकाओं में कहा गया है, “यह सम्मानपूर्वक प्रस्तुत किया जाता है कि केंद्र सरकार ने वर्ष 1991 में विवादित प्रावधान (पूजा स्थल अधिनियम 1991) बनाकर मनमाना तर्कहीन पूर्वव्यापी कटऑफ तिथि बनाई है, तथा घोषित किया है कि पूजा स्थलों और तीर्थस्थलों का स्वरूप वैसा ही बना रहेगा जैसा 15 अगस्त 1947 को था तथा बर्बर कट्टरपंथी आक्रमणकारियों द्वारा किए गए अतिक्रमण के विरुद्ध विवाद के संबंध में अदालत में कोई मुकदमा या कार्यवाही नहीं होगी तथा ऐसी कार्यवाही समाप्त मानी जाएगी।”

अपराध

महाराष्ट्र : मुंबई रेलवे पुलिस ने अवैध धरना को लेकर सीएसएमटी के दो कर्मचारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया

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मुंबई, 13 नवंबर: मुंबई रेलवे पुलिस ने छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस (सीएसएमटी) पर 6 नवंबर को हुए अवैध विरोध प्रदर्शन का संज्ञान लेते हुए सख्त कार्रवाई की है। सेंट्रल रेलवे मजदूर संघ (सीआरएमएस) के दो कर्मचारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया है।

रेलवे पुलिस ने एस.के. दुबे और विवेक सिसोदिया के खिलाफ सीएसएमटी रेलवे पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज किया है। यह प्रदर्शन मुंब्रा स्टेशन पर हुई दुर्घटना में मारे गए पांच लोगों के मामले में दो इंजीनियरों के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी वापस लेने की मांग को लेकर किया गया था।

वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया, “बिना पूर्व अनुमति के सीएसएमटी परिसर में धरना देना गैरकानूनी है। इससे रेलवे परिचालन बाधित हुआ और यात्री परेशान हुए। भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 189(2), 190, 127(2), 221, 223 तथा महाराष्ट्र पुलिस अधिनियम की धारा 37(1), 135 के तहत मामला दर्ज किया गया है। आईपीसी की धारा 163 के तहत लागू निषेधाज्ञा का भी उल्लंघन हुआ।”

घटना की शुरुआत शाम 4 बजे हुई, जब सीआरएमएस अध्यक्ष प्रवीण वाजपेयी के नेतृत्व में 100-200 रेल कर्मचारी मिलन हॉल में एकत्र हुए। इसके बाद वे शांतिपूर्वक डीआरएम कार्यालय की ओर मार्च करने लगे। आधिकारिक प्रदर्शन समाप्त होने के बाद शाम 5:30 बजे अचानक एस.के. दुबे और विवेक सिसोदिया के नेतृत्व में 30-40 कर्मचारी मोटरमैन लॉबी में घुस गए। उन्होंने लोहे की बेंचों से मोटरमैन, गार्ड और स्टेशन मैनेजर कार्यालय का प्रवेश द्वार अवरुद्ध कर दिया। इससे कर्मचारी अंदर फंस गए और शाम 5:41 बजे से लोकल ट्रेन सेवाएं पूरी तरह ठप हो गईं।

इसके बाद प्लेटफॉर्म पर यात्रियों की भारी भीड़ जमा हो गई और अफरा-तफरी मच गई। करीब एक घंटे तक परिचालन बाधित रहा। डीआरएम के आश्वासन के बाद शाम 6:38 बजे धरना समाप्त हुआ और सेवाएं धीरे-धीरे बहाल हुईं।

पुलिस ने कहा कि प्रदर्शन की अनुमति नहीं ली गई थी, जो रेलवे पुलिस आयुक्तालय के नियमों का स्पष्ट उल्लंघन है। जांच में यह भी पता लगाया जा रहा है कि आंदोलन को उकसाने और समर्थन देने वाले अन्य लोग कौन हैं। दोनों आरोपियों को जल्द पूछताछ के लिए बुलाया जाएगा।

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राष्ट्रीय समाचार

भारत ने आतंकवाद के विरुद्ध अपने दृढ़ संकल्प को दर्शाते हुए बड़ी कार्रवाई की

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नई दिल्ली, 12 नवंबर: भारत ने आतंकवाद के विरुद्ध अपने दृढ़ संकल्प को दर्शाते हुए बड़ी कार्रवाई की है। लाल किला के पास हुए विस्फोट से जुड़े जैश-ए-मोहम्मद मॉड्यूल को ध्वस्त करने के मामले में सख्त तथा त्वरित कार्रवाई करते हुए भारत ने आतंकवाद का कठोरता से जवाब दिया है। यह सफलता हमारी आसूचना एजेंसियों, सुरक्षाबलों और विधि प्रवर्तन अधिकारियों के अथक समर्पण को दर्शाती है, जो हमारे नागरिकों की सुरक्षा के लिए दिन-रात कार्यरत हैं।

लाल किले के पास हुए विस्फोट के तार अंतत: उस घटना से जुड़े हुए हैं, जो कुछ आपत्तिजनक पोस्टर्स, जो कि जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर के नौगाम पुलिस चौकी के क्षेत्र में पाए गए थे, और जिसके उपरांत एक प्राथमिकी 19 अक्टूबर, 2025 को दर्ज की गई थी।

इस प्रकरण के अन्वेषण में मौलवी इरफान अहमद वाघे को शोपियां से और ज़मीर अहमद को वाकुरा, गांदरबल से 20 से 27 अक्टूबर, 2025 के बीच गिरफ्तार किया गया।

दिनांक 05.11.2025 को डॉक्टर अदील को सहारनपुर से पकड़ा गया और 7 नवंबर, 2025 को एक एके-56 बंदूक और अन्य गोला-बारूद अनंतनाग अस्पताल में जब्त हुए। दिनांक 08.11.2025 को कुछ और बंदूक, पिस्तौल और बारूद अलफला मेडिकल कॉलेज से जब्त हुए।

इनसे पूछताछ के दौरान, इस मॉड्यूल में अन्य सम्मिलित लोगों के बारे में सूचना मिली, जिसके उपरांत फरीदाबाद के अलफला मेडिकल कॉलेज से एक डॉक्टर मुज़म्मिल नामक व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया। इन सभी सुरागों के आधार पर, और गिरफ्तारियां भी की गईं एवं बड़ी मात्रा में हथियार और बारूद भी ज़ब्त हुआ।

दिनांक 09.11.2025 को फरीदाबाद में ही एक मदरासी नामक व्यक्ति जो धौज, फरीदाबाद का निवासी था, को उसके घर से पकड़ा गया और फिर अगले ही दिन 10.11.2025 विस्फोटों की बड़ी मात्रा की खेप जिसका वजन 2563 किलो था, धेरा कॉलोनी, फरीदाबाद में एक हफीज मोहम्मद इश्तियाक जो मेवात का रहने वाला है और अलफला मस्जिद में बतौर ईमाम कार्यरत है, के घर से ज़ब्त हुआ। छापों के दौरान 358 किलो विस्फोटक सामग्री और डेटोनेटर/टाईमर इत्यादि भी ज़ब्त किये गए। इस प्रकार, इस पूरे मॉड्यूल के पास संग्रहित लगभग 3000 किलो के विस्फोटक पदार्थ और बम बनाने के अन्य उपकरणों को पकड़ा गया। इन सभी कार्रवाईयों के दौरान एक व्यक्ति – डॉक्टर उमर – जो इस मॉड्यूल का अंग था और अलफला मेडिकल कॉलेज में ही कार्यरत था, एजेंसियों की लगातार दबिश के कारण उसने अपना स्थान बदल लिया।

लाल किला प्रकरण में जिस गाड़ी में विस्फोट हुआ, वह इसी मॉड्यूल के डॉक्टर उमर द्वारा चलाई जा रही थी, ऐसा सीसीटीवी कैमरों से प्राप्त फुटेज के आधार पर लगभग-लगभग अंतिम रूप से कहा जा सकता है। विस्फोट का कारण भी उसी सामग्री से हुआ है, जिसका संग्रहण फरीदाबाद में किया जा रहा था, जहां से लगभग 3000 किलो की विस्फोटक सामग्री ज़ब्त हुई है। यह विस्फोट या तो पूर्व-नियोजितथा या फिर एक्सीडेंटल था, जो आगे के अन्वेषण में निकल कर आएगा।

इस पूरे प्रकरण का सार यह है कि भारत की सुरक्षा एजेंसियों और आसूचना तंत्र ने इस फरीदाबाद मॉड्यूल को ध्वस्त करके और वृहद मात्रा में विस्फोटक पदार्थ ज़ब्त करके एक बहुत बड़ी साजिश को नाकाम किया है जो भारत में एक बहुत बड़ी क्षति पहुंचाने के उद्देश्य से रची जा रही थी। फरारी उमर एजेंसियों की बड़ी सफल कार्रवाई के कारण बौखलाकर भागा और उसकी बौखलाहट, घबराहट और विकल्पहीनता, लाल किला के विस्फोट का कारण बनी। यह बाद में विदित होगा कि यह पूर्वनियोजित था या एक्सीडेंटल। हालांकि, यह निश्चित है कि यह उस कड़ी का एक अभिन्न अंग है जिसके दौरान सुरक्षा एजेंसियों और आसूचना तंत्र ने एक बड़े मॉड्यूल का पर्दाफाश किया और बड़ी मात्रा में विस्फोटक पदार्थों को ज़ब्त किया।

दिनांक 10.11.2025 को जैसे ही विस्फोट की खबर आई, दिल्ली पुलिस व अन्य सुरक्षा एजेंसियां वहां तत्काल पहुंची। केंद्रीय गृह मंत्री ने एनएसजी, एनआईए और फॉरेंसिक की टीम को वहां पहुंचने के निर्देश दिए। घायलों को तुरंत नजदीकी अस्पताल भेजा गया। इस ब्लास्ट में उपयोग की गई कार के स्वामित्व की पुष्टि कर ली गई है। घटनास्थल से आवश्यक डीएनए, विस्फोटक एवं अन्य सैंपल एकत्रित कर, फॉरेंसिक जांच के लिए भेज दिए गए हैं। प्रकरण का अन्वेषण दिनांक 11.11.2025 को ही एनआईए को सौंप दिया गया है, ताकि इस आतंकी मॉड्यूल से संबंधित सभी पहलुओं की जांच की जा सके तथा इस आतंकी मॉड्यूल के वित्त पोषण एवं परिचालन करने वालों को भी उजागर किया जा सके।

घटना की महत्वपूर्ण टाइमलाइन

10 नवंबर 2025

6.55 PM – दिल्ली के लाल किला मेट्रो स्टेशन के पास पर ब्लास्ट हुआ

7.15 PM – गृह मंत्री श्री अमित शाह ने दिल्ली कमिश्नर से फोन पर घटना की जानकारी ली

9:00 PM – गृह मंत्री ने मीडिया बाइट देकर घटना की जानकारी दी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गृह मंत्री से बात कर घटना की जानकारी ली।

09:30 PM – गृह मंत्री एलएनजेपी अस्पताल पहुंचे

09:35 PM – एलएनजेपी अस्पताल में दिल्ली पुलिस कमिश्नर और अन्य अधिकारियों से घटना की जानकारी ली

09:45 PM – एलएनजेपी अस्पताल में घायलों से मुलाकात की

09:55 PM – अस्पताल में डॉक्टरों से ब्लास्ट के विक्टिमों के बारे में जानकारी ली

10:10 PM – गृह मंत्री ने अस्पताल से मीडिया को घटना की जानकारी दी

10:20 PM – गृहमंत्री ने दुर्घटना स्थल का दौरा किया

11 नवंबर 2025

11.00 AM – गृह मंत्री ने अधिकारियों के साथ एक के बाद दो बैठकें कीं। पहली बैठक में केन्द्रीय गृह सचिव, आईबी के निदेशक, एनआईए के डीजी, दिल्ली पुलिस कमिश्नर और वर्चुअल माध्यम से जम्मू-कमिश्नर के डीजी मौजूद थे। दूसरी बैठक में केंद्रीय गृह सचिव, आईबी के निदेशक, राष्ट्रीय सुरक्षा गारद के डीजी, एनआईए के डीजी, डीएफएसएस के निदेशक, एफएसएल के प्रधान निदेशक व निदेशक मौजूद रहे।

02:30 PM – दिल्ली ब्लास्ट की घटना की जांच एनआईए को सौंपी गई।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गृह मंत्री से विस्तृत जानकारी ली और सतत रिव्यू किया।

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राजनीति

‘समाजवादी पार्टी आतंकवादियों के बचाव में उतरी’, अबू आजमी के बयान पर प्रदीप भंडारी ने जताई कड़ी आपत्ति

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abu azmi

नई दिल्ली, 12 नवंबर: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रवक्ता प्रदीप भंडारी ने दिल्ली कार ब्लास्ट पर समाजवादी पार्टी के नेता अबू आजमी के बयान को लेकर आपत्ति जताई है। उन्होंने आरोप लगाए कि समाजवादी पार्टी अब उमर, मुजम्मिल और शाहीन का समर्थन कर रही है। ये वही आरोपी हैं, जो दिल्ली ब्लास्ट मामले में आतंकी संबंधों की जांच के घेरे में हैं।

भाजपा प्रवक्ता प्रदीप भंडारी ने अबू आजमी के बयान को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर शेयर करते हुए लिखा, “समाजवादी पार्टी आतंकवादियों के बचाव में उतरी है। अबू आजमी ने कहा है कि ‘किसी भी निर्दोष को गिरफ्तार नहीं किया जाना चाहिए।’ यह वही समाजवादी पार्टी है जिसने कभी आतंकवादियों के खिलाफ मुकदमे वापस लेने की बात कही थी।”

सपा प्रमुख अखिलेश यादव और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए प्रदीप भंडारी ने कहा, “राहुल गांधी और अखिलेश यादव जल्द ही इस रुख को उचित ठहराने की कोशिश करेंगे।”

दिल्ली में लाल किला मेट्रो स्टेशन के पास हुए कार ब्लास्ट पर समाजवादी पार्टी की महाराष्ट्र इकाई के अध्यक्ष अबू आसिम आजमी ने मंगलवार को प्रतिक्रिया दी थी। उन्होंने अपने बयान में कहा कि अपनी नाकामी को छिपाने के लिए किसी निर्दोष को पकड़कर जेल में डाल देना, यह नाइंसाफी है।

मुंबई ट्रेन ब्लास्ट का उदाहरण देते हुए अबू आजमी ने कहा, “मुंबई ट्रेन ब्लास्ट में 187 लोग मारे गए थे, लेकिन किसी को सजा नहीं हुई। बस झूठ में लोगों को पकड़कर जेल में डाल दिया गया। वे लोग 19 साल तक जेल में रहे। इस तरह का किसी के साथ नहीं होना चाहिए। झूठे आरोप में किसी को नहीं पकड़ा जाना चाहिए।”

हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि दिल्ली हमारी राजधानी है, कोई छोटा कस्बा नहीं है। यह धमाका सुरक्षा की बड़ी चूक और इंटेलिजेंस की नाकामी है। इसकी सच्चाई से जांच होनी चाहिए और दोषियों को सख्त से सख्त सजा मिलनी चाहिए।

अबू आजमी ने आगे कहा, “वे मृतकों के परिवारों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करते हैं। विस्फोट के लिए जिम्मेदार लोगों की जांच होनी चाहिए और उन्हें छह महीने के भीतर मौत की सजा दी जानी चाहिए।”

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