राजनीति
एससी/एसटी एक्ट में मौत की सजा के प्रावधान के खिलाफ याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को जारी किया नोटिस

सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को एससी/एसटी अधिनियम के अनिवार्य मौत की सजा के प्रावधान को चुनौती देने वाली याचिका पर विचार करने के लिए सहमत हो गया।
सीजेआई डी.वाई.चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की खंडपीठ ने केंद्र को नोटिस जारी किया और अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 की धारा 3(2)(i) की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिका पर जवाब मांगा।
अधिनियम का विवादित प्रावधान केवल उस व्यक्ति को मौत की सजा का प्रावधान करता है जो एससी और एसटी के किसी निर्दोष सदस्य के लिए झूठे साक्ष्य देता है या गढ़ता है और यदि ऐसे निर्दोष सदस्य को ऐसे झूठे या मनगढ़ंत साक्ष्य के परिणामस्वरूप दोषी ठहराया जाता है और फांसी दी जाती है।
अधिवक्ता ज्योतिका कालरा के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है, “यह धारा न्यायिक विवेक का प्रयोग किए बिना अनिवार्य मौत की सजा का आदेश देती है और इसलिए इसे भारत के संविधान और संवैधानिक कानून के मौलिक सिद्धांतों के दायरे से बाहर होने के कारण रद्द करने की जरूरत है।”
इसमें कहा गया है कि अनिवार्य मृत्युदंड सीधे तौर पर मिट्ठू बनाम पंजाब राज्य और पंजाब राज्य बनाम दलबीर सिंह के मामलों में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए निर्णयों का उल्लंघन है। विवादित धारा बिना किसी विकल्प के अनिवार्य रूप से मृत्युदंड प्रदान करती है। संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत सभी को जीवन का अधिकार हासिल है
राजनीति
दाऊदी बोहरा समुदाय ने पीएम मोदी से की मुलाकात, वक्फ कानून को लेकर कहा- शुक्रिया

नई दिल्ली: दाऊदी बोहरा समुदाय के एक प्रतिनिधिमंडल ने गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। इस दौरान दाऊदी बोहरा समुदाय ने हाल ही में जरिये वक्फ अमेंडमेंट एक्ट 2025 पारित करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार व्यक्त किया। समुदाय ने वक्फ अमेंडमेंट एक्ट को लंबे समय से लंबित मांग बताया। इस मुलाकात के समय प्रधानमंत्री के साथ केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू भी मौजूद थे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करने पहुंचे दाऊदी बोहरा समुदाय के प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि दाऊदी बोहरा समुदाय के जरिये लंबे समय से इस कानून की मांग की जा रही थी, जिसे अब सरकार ने पूरा कर दिया। प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि इससे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास’ के विजन को बल मिला है।
पीएम मोदी ने दिया ये आश्वासन
दाऊदी बोहरा समुदाय के प्रतिनिधिमंडल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात कर ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास’ की नीति में अपनी पूर्ण आस्था जताई। उन्होंने कहा कि सरकार के जरिये लिए गए फैसले सभी वर्गों के समावेश और प्रगति को बढ़ावा देते हैं। प्रतिनिधिमंडल ने प्रधानमंत्री मोदी के अगुवाई में हो रहे सकारात्मक परिवर्तनों की सराहना की और उनके प्रयासों के लिए शुक्रिया अदा किया। प्रधानमंत्री ने भी समुदाय के प्रतिनिधियों से संवाद करते हुए उनके योगदान की सराहना की और आश्वासन दिया कि सरकार सभी समुदायों के समान विकास के लिए प्रतिबद्ध है।
कौन है दाऊदी बोहरा समुदाय
दाऊदी बोहरा समुदाय का ताल्लुक मुस्लिम संप्रदाय से है, जो मुख्य रूप से पश्चिम भारत से है और जिसके सदस्य दुनिया के 40 से अधिक देशों में बसे हुए हैं। दाऊदी बोहरा समुदाय अपनी विरासत को मिस्र में पैगंबर मोहम्मद के प्रत्यक्ष वंशज, फातिमी इमामों से जोड़ता है। दुनियाभर के दाऊदी बोहराओं का मार्गदर्शन उनके नेता अल-दाई अल-मुतलक (अप्रतिबंधित प्रचारक) करते हैं, जिनका संचालन पहले यमन से होता था और पिछले 450 वर्षों से भारत से किया जा रहा है।
महाराष्ट्र
मुंबई मानव तस्करी रैकेट का भंडाफोड़, पश्चिम बंगाल और हैदराबाद में गिरफ्तारियां

मुंबई: मुंबई वडाला टीटी पुलिस ने मानव तस्करी के एक मामले में हैदराबाद, पश्चिम बंगाल से बाल मानव तस्करों को गिरफ्तार करने का दावा किया है। जानकारी के अनुसार, शिकायतकर्ता अमर धीरने, 65 ने 5 अगस्त 2024 को वडाला टीटी पुलिस स्टेशन में अपने पोते की गुमशुदगी की शिकायत दर्ज कराई थी। उसके बाद पता चला कि अनिल पूर्णिया, अस्मा शेख, शरीफ शेख, आशा पवार ने बच्चे को 1.60 लाख रुपये में बेच दिया था। इसके बाद आरोपी अनिल पूर्णिया, आसमा शेख, शरीफ शेख के खिलाफ मानव तस्करी का मामला दर्ज किया गया।
आरोपी अनिल पूर्णिया, असमा शेख को मुंबई से प्रत्यर्पित किया गया। इसमें आरोपी आशा पवार भी शामिल थी। इसके बाद पुलिस ने आशा पवार की तलाश शुरू की और उसे हैदराबाद से गिरफ्तार कर लिया। पुलिस पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि पीड़ित बच्चे को ओडिशा के भुवनेश्वर स्टेशन पर रेशमा नामक महिला ने बेचा था। जब इसकी तकनीकी जांच की गई तो पता चला कि आरोपी भुवनेश्वर के एक डेंटल अस्पताल में कार्यरत है और यहां एक हाईटेक अस्पताल में काम करती है, लेकिन जब पुलिस टीम भुवनेश्वर पहुंची तो उसने वहां नौकरी छोड़ दी थी और फिर पता चला कि वांछित आरोपी पश्चिम बंगाल में है।
इसके बाद पुलिस ने उसकी तलाश शुरू की और पुलिस ने अपहृत बच्चे और तीन अन्य बच्चों को बरामद कर लिया। वहीं, 43 वर्षीय रेशमा संतोष कुमार बनर्जी को गिरफ्तार कर अदालत में पेश किया गया। इसके साथ ही तीन साल के बच्चे को कोर्ट में पेश कर बच्चे को पुलिस के हवाले कर दिया गया। सारी कार्रवाई पूरी करने के बाद पुलिस ने बच्चे की मेडिकल जांच कराई तो उसके शरीर पर चोट के निशान मिले। आरोपी ने बच्चे को प्रताड़ित किया था, इसलिए उसके खिलाफ भी क्रूरता का मामला दर्ज किया गया। यह कार्रवाई मुंबई पुलिस आयुक्त विवेक पनसालकर और विशेष आयुक्त देविन भारती, अतिरिक्त आयुक्त अनिल पारस्कर और डीसीपी रागसुधा के निर्देश पर की गई।
राजनीति
गीता और नाट्यशास्त्र यूनेस्को ‘मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर’ में शामिल, पीएम मोदी बोले, ‘हर भारतीय के लिए गर्व का क्षण’

नई दिल्ली, 18 अप्रैल। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘श्रीमद्भगवद्गीता’ और भरत मुनि के ‘नाट्यशास्त्र’ को यूनेस्को के ‘मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर’ में शामिल किए जाने पर खुशी जाहिर की। उन्होंने इसे प्रत्येक भारतीय के लिए गर्व का क्षण बताया।
दरअसल, शुक्रवार को केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ के जरिए जानकारी दी कि ‘गीता’ और ‘नाट्यशास्त्र’ को यूनेस्को के ‘मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर’ में शामिल किया गया है।
केंद्रीय मंत्री शेखावत के इसी पोस्ट का जवाब देते हुए पीएम मोदी ने लिखा, ”समूचे विश्व में प्रत्येक भारतीय के लिए गर्व का क्षण। गीता और नाट्यशास्त्र को यूनेस्को के ‘मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर’ में शामिल किया जाना हमारे शाश्वत ज्ञान और समृद्ध संस्कृति को वैश्विक मान्यता प्रदान किया जाना है। गीता और नाट्यशास्त्र ने सदियों से सभ्यता और चेतना का पोषण किया है। उनकी अंतर्दृष्टि दुनिया को प्रेरित करना जारी रखे हुए है।”
इससे पहले केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, ”भारत की सभ्यतागत विरासत के लिए एक ऐतिहासिक क्षण। श्रीमद्भगवद्गीता और भरत मुनि का नाट्यशास्त्र अब यूनेस्को के ‘मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर’ में शामिल किया गया हैं। यह वैश्विक सम्मान भारत की शाश्वत बुद्धिमत्ता और कलात्मक प्रतिभा का जश्न मनाता है।”
उन्होंने आगे लिखा, ”ये कालातीत रचनाएं साहित्यिक खजाने से कहीं अधिक हैं, ये दार्शनिक और सौंदर्यपरक आधार हैं, जिन्होंने भारत के विश्व-दृष्टिकोण और हमारे सोचने, महसूस करने, जीने और अभिव्यक्ति के तरीके को आकार दिया है। इसके साथ ही, अब इस अंतर्राष्ट्रीय रजिस्टर में हमारे देश के 14 अभिलेख शामिल हो गए हैं।”
‘मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर’ यूनेस्को की तरफ से शुरू किया गया एक प्रोग्राम है, जिसका मकसद विश्वभर के महत्वपूर्ण दस्तावेजी विरासत को संरक्षित करना है। इसके साथ ही इसे आसानी से लोगों तक पहुंचाना होता है। इस कार्यक्रम की शुरुआत 1992 में हुई थी।
सांस्कृतिक और प्राकृतिक धरोहर के सम्मान और संरक्षण के लिए हर साल 18 अप्रैल को ‘विश्व धरोहर दिवस’ मनाया जाता है। विश्व धरोहर सम्मेलन 1972 में यूनेस्को द्वारा किया गया एक अंतर्राष्ट्रीय समझौता है। विश्व धरोहर सम्मेलन को दुनिया भर के देशों ने महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और प्राकृतिक स्थलों की सुरक्षा के लिए अपनाया था।
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