राष्ट्रीय समाचार
मुंबई में होली के दौरान ट्रैफिक नियम तोड़ने वालों पर सख्ती, 1.79 करोड़ के 17,495 चालान जारी

मुंबई, 15 मार्च। मुंबई ट्रैफिक पुलिस ने होली और होलिका दहन के मौके पर यातायात नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ विशेष अभियान चलाया। 13 और 14 मार्च को दो दिनों तक चले इस अभियान में 17,495 चालान जारी किए गए। कुल वसूली 1 करोड़ 79 लाख 79 हजार 250 रुपए रही। त्योहार के दौरान सड़क सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पुलिस ने शहर के प्रमुख स्थानों पर नाकाबंदी की और नियम तोड़ने वालों पर सख्ती बरती।
मुंबई पुलिस ने होली से पहले लोगों के लिए दिशा-निर्देश जारी किए थे। चेतावनी दी गई थी कि नियमों का पालन न करने पर महाराष्ट्र पुलिस अधिनियम के तहत कार्रवाई होगी।
इस अभियान में उन इलाकों पर खास नजर रखी गई, जहां ट्रैफिक नियम तोड़े जाने की आशंका थी। शराब पीकर गाड़ी चलाने, तेज रफ्तार, बिना हेलमेट बाइक चलाने, तीन सवारी ले जाने और सिग्नल तोड़ने जैसे उल्लंघनों पर विशेष ध्यान दिया गया।
दो दिनों में ट्रैफिक पुलिस ने उल्लंघन के कई मामले पकड़े। बिना हेलमेट बाइक चलाने के 4,949 मामले सामने आए, जबकि शराब पीकर वाहन चलाने के 183 लोगों के खिलाफ कार्रवाई हुई। गलत दिशा में गाड़ी चलाने के 33 चालान, वन-वे सड़क पर नियम तोड़ने के 992 चालान और सिग्नल तोड़ने के 1,942 मामले दर्ज किए गए।
इसके अलावा, तीन सवारी ले जाने के 425 मामले और बिना लाइसेंस गाड़ी चलाने के 826 लोगों पर जुर्माना लगाया गया।
मुंबई ट्रैफिक पुलिस का कहना है कि यह अभियान लोगों की सुरक्षा और सड़क अनुशासन बनाए रखने के लिए चलाया गया। त्योहार के दौरान भीड़ और उत्साह के बीच नियमों की अनदेखी से हादसों का खतरा बढ़ जाता है, इसलिए सख्ती जरूरी थी। पुलिस ने लोगों से अपील की कि भविष्य में नियमों का पालन करें, ताकि सड़कें सुरक्षित रहें और त्योहार का आनंद बिना किसी परेशानी के लिया जा सके।
राष्ट्रीय समाचार
छत्रपति संभाजीनगर में औरंगजेब की कब्र के आसपास सुरक्षा बढ़ाई

छत्रपति संभाजीनगर, 15 मार्च। महाराष्ट्र के छत्रपति संभाजीनगर में औरंगजेब की कब्र के आस-पास सुरक्षा कड़ी कर दी गई है। कब्र को तोड़ने को लेकर मिल रही धमकियों के चलते, शनिवार को जिले के पुलिस अधिकारियों ने कब्र का दौरा किया और स्थिति का जायजा लिया। इस दौरान एसआरपी की एक बैच को तैनात किया गया, जबकि पहले से ही स्थानीय पुलिस की सुरक्षा मौजूद है।
कब्र की सुरक्षा के लिए दो सीनियर इंस्पेक्टर स्तर के अधिकारी 24 घंटे ड्यूटी पर तैनात किए गए हैं। इसके अलावा, कब्र तक जाने वाली सड़क पर दो जगहों पर नाकाबंदी की गई है और दो फिक्स प्वाइंट भी लगाए गए हैं। कब्र पर जाने वाले हर व्यक्ति की जांच की जा रही है और इसके बाद उन्हें जाने दिया जा रहा है।
यह कदम सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने और किसी भी अप्रिय घटना से बचने के लिए उठाया गया है। बता दें कि हाल ही में औरंगजेब को लेकर विवाद सामने आया है।
राजनीति
अबू आज़मी ने हिंदी की सार्वभौमिक स्वीकृति का आह्वान किया, एसएस ने रुपये के प्रतीक विवाद पर डीएमके की आलोचना की

मुंबई, 15 मार्च। महाराष्ट्र समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रमुख और विधायक अबू आजमी ने शनिवार को पूरे भारत को जोड़ने वाली भाषा के तौर पर हिंदी की वकालत की।
उनकी यह टिप्पणी तमिलनाडु सरकार द्वारा राज्य के बजट 2025-26 में रुपये के आधिकारिक प्रतीक चिह्न को तमिल लिपि से बदलने के फैसले के बीच आई है। इस कदम पर तीखी राजनीतिक प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं।
आजमी ने मीडिया से कहा, “भारत एक बड़ा देश है। यहां एक ऐसी भाषा होनी चाहिए जो सभी को स्वीकार्य हो और मेरा मानना है कि हिंदी वह भाषा है।”
उन्होंने कहा, “इसके लिए एक संसदीय समिति भी है और मुझे लगता है कि कश्मीर से कन्याकुमारी तक हिंदी को मान्यता मिलनी चाहिए। कोई अपने राज्य में क्या करना चाहता है, यह उसका फैसला है।”
डीएमके के नेतृत्व वाली तमिलनाडु सरकार द्वारा रुपए के प्रतीक चिह्न को बदलने के कदम की विभिन्न क्षेत्रों से कड़ी आलोचना हुई है।
शिवसेना नेता मनीषा कायंदे ने इसे “असंवैधानिक” और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन बताया।
उन्होंने आईएएनएस से कहा, “तमिलनाडु सरकार को हमारे राष्ट्रीय रुपए के प्रतीक को किसी स्थानीय भाषा में बदलने का कोई अधिकार नहीं है।”
इस कदम को “राजनीतिक स्टंट” बताते हुए कायंदे ने डीएमके पर जानबूझकर केंद्र को चुनौती देने का आरोप लगाया।
उन्होंने कहा, “भारत में तीन-भाषा नीति लंबे समय से स्वीकार की गई है। हिंदी एक आम भाषा है। वे अंग्रेजी को मान्यता देते हैं, लेकिन हिंदी को नहीं। उन्हें अंग्रेजी बोलना और सीखना पसंद है, लेकिन हिंदी पसंद नहीं है, भले ही यह एक भारतीय भाषा है। यह लोगों के बीच नफरत पैदा करने का एक प्रयास मात्र है।”
शिवसेना नेता संजय निरुपम ने मीडिया से बात करते हुए डीएमके के फैसले को “देशद्रोही” और “राष्ट्र-विरोधी” बताया।
उन्होंने याद दिलाया कि जब कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार के दौरान रुपये का चिह्न पेश किया गया था, तब डीएमके सरकार का हिस्सा थी।
उन्होंने कहा, “रुपये का चिह्न इस देश का गौरव है। इसे बदलना और इसके स्थान पर तमिल अक्षरों का उपयोग करना अस्वीकार्य है।”
निरुपम ने द्रविड़ पार्टियों पर राजनीतिक लाभ के लिए हिंदी विरोधी भावनाओं का उपयोग करने का भी आरोप लगाया।
“स्टालिन सरकार हिंदी विरोधी एजेंडा आगे बढ़ा रही है, जो आपत्तिजनक और शर्मनाक है। हिंदी के प्रति इस तरह के उग्र विरोध से स्टालिन का पतन हो सकता है। उन्होंने कहा कि आज पूरा देश एकजुट है, जबकि 1960 के दशक में इस तरह के आंदोलन हुए थे। हिंदी ने एक प्रभावी संचार भाषा के रूप में पूरे देश में सम्मान प्राप्त किया है।”
उन्होंने आगे जोर दिया कि हिंदी के प्रति तमिलनाडु का प्रतिरोध हानिकारक साबित हो सकता है।
निरुपम ने चेतावनी देते हुए कहा, “तमिलनाडु के लोग हिंदी भाषी राज्यों में व्यापार करते हैं और संचार के लिए हिंदी का उपयोग करते हैं। यदि वे इस उग्रवादी रवैये को जारी रखते हैं, तो वे खुद को अलग-थलग कर सकते हैं, जो तमिलनाडु के हित में नहीं होगा।”
राजनीति
केंद्र ने वित्त वर्ष 2024-25 में राज्य उपभोक्ता कल्याण कोष के लिए 32.68 करोड़ रुपये किए जारी

नई दिल्ली, 15 मार्च। उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस से पहले जानकारी दी कि केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 2024-25 में राज्य उपभोक्ता कल्याण (कॉर्पस) कोष के लिए 32.68 करोड़ रुपये जारी किए हैं।
हर साल 15 मार्च को मनाया जाने वाला विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस ‘उपभोक्ता अधिकारों’ और ‘संरक्षण’ को बनाए रखने की जरूरत को याद दिलाता है।
यह दिन सभी उपभोक्ताओं के मूल अधिकारों को बढ़ावा देने और उनके अधिकारों के सम्मान और संरक्षण को प्रोत्साहित करने के रूप में मनाया जाता है।
मंत्रालय ने कहा, “वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान, केंद्र सरकार की ओर से अलग-अलग राज्यों को उनके राज्य उपभोक्ता कल्याण (कॉर्पस) कोष की स्थापना और वृद्धि के लिए 32.68 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं।”
इसमें कहा गया है कि इस अवधि के दौरान, 24 राज्यों और 1 केंद्र शासित प्रदेश ने उपभोक्ता कल्याण (कॉर्पस) कोष की स्थापना की है।
इसके अलावा, सरकार ने कहा कि इसका उद्देश्य एक सुरक्षित, पारदर्शी और उपभोक्ता-अनुकूल अर्थव्यवस्था बनाना है।
मंत्रालय ने कहा, “जैसा कि भारत विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस 2025 मना रहा है, हमारा ध्यान एक सुरक्षित, अधिक पारदर्शी और उपभोक्ता-अनुकूल अर्थव्यवस्था सुनिश्चित करने पर है।”
उपभोक्ताओं को सशक्त बनाने, शिकायतों के समाधान की व्यवस्था को मजबूत करने और एक पारदर्शी और निष्पक्ष बाजार सुनिश्चित करने के लिए उपभोक्ता मामलों के विभाग ने कई नई पहल और नीतियां शुरू की हैं।
मंत्रालय ने कहा, “2024 में ई-कॉमर्स रेगुलेशन, डिजिटल कंज्यूमर प्रोटेक्शन, उत्पाद सुरक्षा मानकों और सस्टेनेबल कंजंप्शन पहलों में सुधार के साथ कई बड़े विकास कार्य किए गए।”
विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस पहली बार 1983 में मनाया गया था। यह दिन 15 मार्च, 1962 को अमेरिकी कांग्रेस को राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी के संबोधन की याद दिलाता है, जहां वे औपचारिक रूप से उपभोक्ता अधिकारों को मान्यता देने वाले पहले ग्लोबल लीडर बने थे।
इस वर्ष का विषय ‘स्थायी जीवन शैली के लिए एक उचित बदलाव’ है।
मंत्रालय ने कहा, “यह थीम सभी उपभोक्ताओं के लिए सस्टेनेबल और स्वस्थ जीवन शैली विकल्पों को उपलब्ध, सुलभ और किफायती बनाने की तत्काल जरूरत को दर्शाती है। साथ ही यह भी सुनिश्चित करना है कि ये बदलाव लोगों के बुनियादी अधिकारों और जरूरतों को बनाए रखें।”
मंत्रालय ने कहा, “इस साल का अभियान सस्टेनेबल लाइफस्टाइल हासिल करने के लिए जरूरी कदमों को उठाए जाने पर प्रकाश डालता है और दुनिया भर में मजबूत उपभोक्ता संरक्षण और सशक्तिकरण का आह्वान करता है।”
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